रथ यात्रा की शुभकामनाएं
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रथ यात्रा की शुभकामनाएं

रथ यात्रा के मौके पर क्या भेजें सोच रहे हैं? अब और नहीं! यहां पाएं Jagannath Rath Yatra 2026 के लिए सुंदर और भक्तिपूर्ण शुभकामनाएं हिंदी में – दोस्तों, परिवार और प्रियजनों के लिए एकदम उपयुक्त।

रथ यात्रा के बारे में

जगन्नाथ रथ यात्रा हर साल आषाढ़ महीने में शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि से शुरू होती है और ग्यारहवें दिन भगवान जगन्नाथ की वापसी के साथ खत्म होती है। इस यात्रा के दौरान उड़ीसा के पुरी में स्थित जगन्नाथ मंदिर से भगवान श्रीकृष्ण, उनके बड़े भाई बलराम और बहन सुभद्रा रथों पर बैठकर नगर भ्रमण के लिए निकलते हैं। इस दौरान वे अपनी मौसी के घर भी जाते हैं।

जगन्नाथ रथयात्रा का हिन्दू धर्म में महत्व

जगन्नाथ रथ यात्रा हर वर्ष आषाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि से शुरू होती है और ग्यारहवें दिन भगवान जगन्नाथ की वापसी के साथ समाप्त होती है। इस पावन अवसर पर उड़ीसा के पुरी स्थित प्रसिद्ध जगन्नाथ मंदिर से भगवान श्रीकृष्ण, उनके बड़े भाई बलराम और बहन सुभद्रा रथों पर सवार होकर नगर भ्रमण के लिए निकलते हैं।

इस दौरान भगवान अपनी मौसी के घर भी जाते हैं। इसी यात्रा को जगन्नाथ रथ यात्रा कहा जाता है। इस भव्य आयोजन में भाग लेने के लिए देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु पुरी आते हैं। मान्यता है कि जो भी भक्त इस यात्रा में शामिल होता है और भगवान के रथ को खींचता है, उसे सौ यज्ञ करने के बराबर पुण्य प्राप्त होता है।

जगन्नाथ रथयात्रा की शुभकामनाएं

1. जिनकी दृष्टि से त्रिभुवन सनाथ,

वो जग के मालिक जग के नाथ,

फैलाकर आज अपने दोनों हाथ,

आए अपनाने हमें स्वयं जगन्नाथ

जगन्नाथ रथयात्रा की शुभकामनाएं

2. जगन्नाथ की ज्योति से नूर मिलता है,

सबके दिलों को सुरूर मिलता है,

जो भी निस्वार्थ आता है जगन्नाथ स्वामी के द्वार

कुछ ना कुछ उसे जरूर मिलता है।

3. रथ की रस्सी को तो थामेंगे हमारे ये दोनों हाथ,

हमारे जीवन की रस्सी को थामे भगवान जगन्नाथ।

रथयात्रा की हार्दिक शुभकामनाएं

4. हे प्रभु जगन्नाथ थाम मेरा हाथ,

अपने रथ में ले चल मुझे साथ,

लुभाए न मुझको अब कोई पदार्थ,

मेरा तो बस अब एक ही स्वार्थ,

धर्म युद्ध हो या कर्म युद्ध तू बने सारथी, मैं बनूं पार्थ

अपने रथ में ले चल मुझे साथ

जय जगन्नाथ।

5. जय जगन्नाथ-जय जगन्नाथ,

सब के सिर पर तेरा हाथ।

संग-संग सदा नाथ का साथ,

कैसे कोई हो सकता है अनाथ

6. जगन्नाथ प्रभु की दिव्य उपस्थिति आपको समृद्धि, शांति और आनंद का आशीर्वाद प्रदान करें, शुभ रथ यात्रा! जय जगन्नाथ।

7. शुभ जगन्नाथ यात्रा, आपका जीवन सौहार्दपूर्ण और सफल रिश्तों से भरा रहे।

8. आपको भक्ति और आध्यात्मिक ज्ञान से भरी जगन्नाथ रथ यात्रा की शुभकामनाएं।

9. भगवान जगन्नाथ आपको और आपके परिवार को बुरी नजर और सभी नकारात्मक ऊर्जा से बचाएं, जय जगन्नाथ।

10.  रथ खींचने से मिलता है सौ यज्ञों का फल। इस रथयात्रा पर भगवान का आशीर्वाद सदैव आप पर बना रहे।

11. जगन्नाथ जी की रथयात्रा पर आपके घर में सुख, शांति और भक्ति का वास हो। शुभ रथयात्रा!

12. रथयात्रा का यह पावन पर्व आपके जीवन में नई ऊर्जा और प्रेरणा लेकर आए। हार्दिक शुभकामनाएं।

13. जय जगन्नाथ! रथयात्रा आपके जीवन में उजाला और सकारात्मकता का संदेश लेकर आए।

14. जगन्नाथ जी का रथ आपके जीवन में प्रेम, करुणा और भक्ति का मार्ग प्रशस्त करे। शुभकामनाएं!

15. भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा पर सभी को आत्मिक सुख और आध्यात्मिक ऊर्जा प्राप्त हो। शुभ रथयात्रा!

16. पुरी से निकला रथ, लेकर आए आपके लिए ढेरों खुशियाँ और भगवान की अपार कृपा। रथयात्रा की शुभकामनाएं!

17. य जगन्नाथ! रथयात्रा के इस पावन अवसर पर प्रभु श्रीजगन्नाथ आपकी हर मनोकामना पूर्ण करें और जीवन को भक्ति से भर दें।

18. भगवान जगन्नाथ, बलराम और सुभद्रा मइया की कृपा सदा आप पर बनी रहे। रथयात्रा का यह पर्व आपके जीवन में दिव्यता लाए।

19. हे प्रभु जगन्नाथ! इस रथयात्रा पर आप सभी भक्तों को अपने प्रेम, करुणा और आशीर्वाद से सराबोर करें।

20. जैसे प्रभु जगन्नाथ अपने भक्तों के बीच नगर भ्रमण करते हैं, वैसे ही वे आपके जीवन में सुख और शांति के रथ लेकर आएं।

21. रथयात्रा पर भगवान जगन्नाथ का स्मरण और उनकी सेवा ही सच्ची भक्ति है। प्रभु सदा आपके जीवन में मार्गदर्शक बनें।

22. जय श्रीजगन्नाथ! इस रथयात्रा पर प्रभु का रथ आपके हृदय में प्रवेश करे और हर दुख को हर ले।

23. जगन्नाथ जी के चरणों में समर्पण ही मोक्ष का मार्ग है। इस रथयात्रा पर उनका आशीर्वाद सबको प्राप्त हो।

24. हे नीलाचल के नाथ! आपके रथ के पहिए जैसे चलते हैं, वैसे ही हमारे जीवन को भी धर्म और भक्ति की दिशा मिले।

इस यात्रा में किसी भी जाति, वर्ग या पैसे की कोई भेदभाव नहीं होता। अमीर हो या गरीब, हर भक्त भगवान के रथ को खींच सकता है। यह बराबरी और भक्ति की भावना को दिखाता है।

मान्यता है कि यह यात्रा उस समय की याद दिलाती है जब भगवान श्रीकृष्ण मथुरा से अपनी मां यशोदा और गोपियों से मिलने वृंदावन गए थे। इसलिए इसे प्रेम और स्नेह से भरी यात्रा माना जाता है।

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Published by Sri Mandir·May 16, 2025

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