
विवाह पंचमी 2025 कब है? जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और धार्मिक महत्व। इस विशेष दिन की पूरी जानकारी यहाँ पढ़ें!
विवाह पंचमी भगवान श्रीराम और माता सीता के पावन विवाह का पर्व है। यह दिन वैवाहिक जीवन की सुख-समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। इस दिन राम-सीता विवाह की पूजा करने से दांपत्य जीवन में प्रेम और सौहार्द बढ़ता है।
मुहूर्त | समय |
ब्रह्म मुहूर्त | 04:36 ए एम से 05:29 ए एम |
प्रातः सन्ध्या | 05:03 ए एम से 06:22 ए एम |
अभिजित मुहूर्त | 11:23 ए एम से 12:06 पी एम |
विजय मुहूर्त | 01:32 पी एम से 02:15 पी एम |
गोधूलि मुहूर्त | 05:05 पी एम से 05:32 पी एम |
सायाह्न सन्ध्या | 05:08 पी एम से 06:27 पी एम |
अमृत काल | 05:00 पी एम से 06:45 पी एम |
निशिता मुहूर्त | 11:19 पी एम से 12:12 ए एम, नवम्बर 26 |
रवि योग | 11:57 पी एम से 06:23 ए एम, नवम्बर 26 |
विवाह पंचमी हिंदू धर्म का एक अत्यंत पवित्र और शुभ पर्व है। यह दिन भगवान श्रीराम और माता सीता के पवित्र विवाह की वर्षगांठ के रूप में मनाया जाता है। हर वर्ष मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को यह पर्व आता है। इस दिन भगवान श्रीराम और माता जानकी के विवाह उत्सव का स्मरण कर भक्तगण बड़े हर्ष और भक्ति भाव से पूजन करते हैं। विवाह पंचमी को “राम-सीता विवाह दिवस” के रूप में भी जाना जाता है। इस दिन घरों और मंदिरों में श्रीराम-सीता विवाह की झांकी सजाई जाती है, मंगल गीत गाए जाते हैं और बारात निकाली जाती है
विवाह पंचमी का पर्व धार्मिक और सांस्कृतिक दोनों दृष्टियों से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। यह केवल एक स्मरण दिवस नहीं, बल्कि धर्म, मर्यादा और आदर्श दांपत्य जीवन का प्रतीक है।
विवाह पंचमी भगवान श्री राम और माता सीता के विवाह की वर्षगांठ के रूप में मनाई जाती है। सभी भक्त इस दिन भक्ति भाव के साथ राम जानकी की उपासना करते हैं, और इस अनुष्ठान का आनंद लेते हैं। विवाह पंचमी उत्सव के दिन घर व मंदिरों में विवाह के मंगल गीत गाये जाते हैं, जिसमें लोग बड़ी संख्या में भाग लेते हैं।
यूं तो विवाह पंचमी का उत्सव पूरे देश में मनाया जाता है, लेकिन अयोध्या और जनकपुर में यह दिन अत्यंत ही भव्य रूप से मनाया जाता है। इस दिन बहुत से तीर्थ यात्री अयोध्या और जनकपुर आकर प्रभु श्री राम जी के विवाह उत्सव का आनंद लेते हैं।
भगवान श्रीराम और माता सीता के पवित्र मिलन का स्मरण:
आदर्श वैवाहिक जीवन की प्रेरणा:
भक्ति और श्रद्धा का पर्व:
जनकपुर और अयोध्या में विशेष उत्सव:
विवाह पंचमी का पर्व मनाने के पीछे पौराणिक कथा यह है कि इसी दिन मिथिला के राजा जनक की पुत्री सीता जी का विवाह अयोध्या के राजा दशरथ के पुत्र श्रीराम से हुआ था। शिवधनुष भंग कर भगवान श्रीराम ने स्वयंवर में विजय प्राप्त की थी, जिसके बाद जनकपुरी में उनका विवाह बड़े हर्षोल्लास के साथ सम्पन्न हुआ। भक्त इस दिन भगवान राम और माता सीता के इस दिव्य विवाह को पुनः जीवंत करते हैं, मंदिरों में विवाह की रस्में पूरी श्रद्धा से निभाई जाती हैं, बारात निकाली जाती है और भजन-कीर्तन के साथ शुभ मंगल गान किए जाते हैं।
हालाँकि यह दिन विवाह से जुड़ा हुआ है, फिर भी कई स्थानों पर इस तिथि पर विवाह करना वर्जित माना जाता है। इसके पीछे धार्मिक और भावनात्मक दोनों कारण हैं -
माता सीता के जीवन का दुखद पहलू:
लोक परंपरा और भावनात्मक सम्मान:
रामकथा का सुखांत पर समापन:
विवाह पंचमी का दिन भगवान श्रीराम और माता सीता के दिव्य विवाह को समर्पित है। इसलिए इस दिन मुख्य रूप से इन दोनों की पूजा की जाती है। इसके साथ ही पूजा में निम्न देवताओं का भी विशेष आह्वान किया जाता है —
भगवान श्रीराम और माता सीता — इस दिन इनका विवाह स्वरूप पूजित किया जाता है। भगवान शिव और माता पार्वती — क्योंकि उनके आशीर्वाद से ही राम-सीता का विवाह संपन्न हुआ था। भगवान गणेश — सभी मंगल कार्यों की तरह विवाह पंचमी की पूजा की शुरुआत श्रीगणेश के पूजन से होती है। हनुमान जी — जो भगवान श्रीराम के परम भक्त हैं और जिनकी उपस्थिति हर शुभ कार्य में आवश्यक मानी जाती है
विवाह पंचमी की पूजा अत्यंत मंगलकारी मानी जाती है। भक्त इस दिन घर या मंदिर में राम-सीता विवाह की प्रतीक पूजा संपन्न करते हैं। पूजा विधि इस प्रकार है -
स्नान और शुद्धि:
व्रत संकल्प:
पूजा स्थान की सजावट:
गणेश वंदना:
कलश स्थापना:
मुख्य पूजन:
विवाह की रस्म:
हनुमान जी की पूजा:
आरती और प्रसाद:
जय सियाराम जय सियाराम।
जय जय सियाराम जय सियाराम।।
सिया राम मय सब जग जानी।
करहु प्रनाम जोरि जुग पानी।।
आरती कीजै सियाराम की,
जय जय सियाराम की।
पतित पावन सीता राम की,
जय जय सियाराम की॥
वैवाहिक जीवन में सुख और समृद्धि:
योग्य जीवनसाथी की प्राप्ति:
गृहस्थ जीवन में मंगल:
सकारात्मक ऊर्जा का संचार:
भक्ति और समर्पण की प्राप्ति:
विवाह निषेध:
पूजा का समय:
शुद्धता और स्वच्छता:
भक्ति और सुमिरन:
दान और परोपकार:
विवाह पंचमी भगवान श्रीराम और माता सीता के विवाह के अवसर पर मनाई जाती है। इस दिन भक्त विशेष रूप से पूजा-अर्चना और व्रत करके पुण्य लाभ प्राप्त करते हैं। यहां विवाह पंचमी के प्रमुख धार्मिक अनुष्ठान बताए गए हैं:
1. पूजन की तैयारी
2. स्नान और शुद्धि
3. राम-सीता की पूजा
4. विवाहिक रीतियाँ
5. मंत्र जाप और भजन
6. दान और प्रसाद वितरण
7. व्रत और ध्यान
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