image
downloadDownload
shareShare
ShareWhatsApp

विवाह पंचमी 2025

विवाह पंचमी 2025 कब है? जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और धार्मिक महत्व। इस विशेष दिन की पूरी जानकारी यहाँ पढ़ें!

विवाह पंचमी के बारे में

विवाह पंचमी भगवान श्रीराम और माता सीता के पावन विवाह का पर्व है। यह दिन वैवाहिक जीवन की सुख-समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। इस दिन राम-सीता विवाह की पूजा करने से दांपत्य जीवन में प्रेम और सौहार्द बढ़ता है।

विवाह पंचमी कब है?

  • विवाह पंचमी 25 नवम्बर 2025, मंगलवार को मनाई जाएगी।
  • पंचमी तिथि 24 नवम्बर 2025, सोमवार को रात 09 बजकर 22 मिनट पर प्रारंभ होगी।
  • पंचमी तिथि का समापन 25 नवम्बर 2025, मंगलवार को रात 10 बजकर 56 मिनट पर होगा।

विवाह पंचमी के शुभ मुहूर्त

मुहूर्त

समय

ब्रह्म मुहूर्त

04:36 ए एम से 05:29 ए एम

प्रातः सन्ध्या

05:03 ए एम से 06:22 ए एम

अभिजित मुहूर्त

11:23 ए एम से 12:06 पी एम

विजय मुहूर्त

01:32 पी एम से 02:15 पी एम

गोधूलि मुहूर्त

05:05 पी एम से 05:32 पी एम

सायाह्न सन्ध्या

05:08 पी एम से 06:27 पी एम

अमृत काल

05:00 पी एम से 06:45 पी एम

निशिता मुहूर्त

11:19 पी एम से 12:12 ए एम, नवम्बर 26

रवि योग    

11:57 पी एम से 06:23 ए एम, नवम्बर 26

विवाह पंचमी क्या है?

विवाह पंचमी हिंदू धर्म का एक अत्यंत पवित्र और शुभ पर्व है। यह दिन भगवान श्रीराम और माता सीता के पवित्र विवाह की वर्षगांठ के रूप में मनाया जाता है। हर वर्ष मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को यह पर्व आता है। इस दिन भगवान श्रीराम और माता जानकी के विवाह उत्सव का स्मरण कर भक्तगण बड़े हर्ष और भक्ति भाव से पूजन करते हैं। विवाह पंचमी को “राम-सीता विवाह दिवस” के रूप में भी जाना जाता है। इस दिन घरों और मंदिरों में श्रीराम-सीता विवाह की झांकी सजाई जाती है, मंगल गीत गाए जाते हैं और बारात निकाली जाती है

विवाह पंचमी का महत्व

विवाह पंचमी का पर्व धार्मिक और सांस्कृतिक दोनों दृष्टियों से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। यह केवल एक स्मरण दिवस नहीं, बल्कि धर्म, मर्यादा और आदर्श दांपत्य जीवन का प्रतीक है।

विवाह पंचमी भगवान श्री राम और माता सीता के विवाह की वर्षगांठ के रूप में मनाई जाती है। सभी भक्त इस दिन भक्ति भाव के साथ राम जानकी की उपासना करते हैं, और इस अनुष्ठान का आनंद लेते हैं। विवाह पंचमी उत्सव के दिन घर व मंदिरों में विवाह के मंगल गीत गाये जाते हैं, जिसमें लोग बड़ी संख्या में भाग लेते हैं।

यूं तो विवाह पंचमी का उत्सव पूरे देश में मनाया जाता है, लेकिन अयोध्या और जनकपुर में यह दिन अत्यंत ही भव्य रूप से मनाया जाता है। इस दिन बहुत से तीर्थ यात्री अयोध्या और जनकपुर आकर प्रभु श्री राम जी के विवाह उत्सव का आनंद लेते हैं।

इस दिन के महत्व को निम्न रूप में समझा जा सकता है

भगवान श्रीराम और माता सीता के पवित्र मिलन का स्मरण:

  • यह दिन सत्य, मर्यादा और धर्म के प्रतीक भगवान श्रीराम और पवित्रता, त्याग एवं समर्पण की प्रतीक माता सीता के विवाह का उत्सव है।

आदर्श वैवाहिक जीवन की प्रेरणा:

  • विवाह पंचमी दंपत्तियों को यह सिखाती है कि विवाह का अर्थ केवल संबंध नहीं, बल्कि धर्म, कर्तव्य और समर्पण का संगम है।

भक्ति और श्रद्धा का पर्व:

  • इस दिन भगवान श्रीराम, माता सीता, और हनुमान जी की पूजा से भक्त के जीवन में शांति और सौभाग्य का आगमन होता है।

जनकपुर और अयोध्या में विशेष उत्सव:

  • विवाह पंचमी के अवसर पर नेपाल के जनकपुर और अयोध्या नगरी में अत्यंत भव्य उत्सव होता है। राम बारात निकाली जाती है और पूरे नगर में उत्सव जैसा वातावरण रहता है।

विवाह पंचमी क्यों मनाते हैं?

विवाह पंचमी का पर्व मनाने के पीछे पौराणिक कथा यह है कि इसी दिन मिथिला के राजा जनक की पुत्री सीता जी का विवाह अयोध्या के राजा दशरथ के पुत्र श्रीराम से हुआ था। शिवधनुष भंग कर भगवान श्रीराम ने स्वयंवर में विजय प्राप्त की थी, जिसके बाद जनकपुरी में उनका विवाह बड़े हर्षोल्लास के साथ सम्पन्न हुआ। भक्त इस दिन भगवान राम और माता सीता के इस दिव्य विवाह को पुनः जीवंत करते हैं, मंदिरों में विवाह की रस्में पूरी श्रद्धा से निभाई जाती हैं, बारात निकाली जाती है और भजन-कीर्तन के साथ शुभ मंगल गान किए जाते हैं।

विवाह पंचमी पर क्यों नहीं होते विवाह?

हालाँकि यह दिन विवाह से जुड़ा हुआ है, फिर भी कई स्थानों पर इस तिथि पर विवाह करना वर्जित माना जाता है। इसके पीछे धार्मिक और भावनात्मक दोनों कारण हैं -

माता सीता के जीवन का दुखद पहलू:

  • सीता जी का वैवाहिक जीवन सुखमय नहीं रहा। 14 वर्ष के वनवास के बाद, गर्भवती होने पर भी उन्हें श्रीराम द्वारा त्याग दिया गया। इसीलिए इस दिन विवाह करने से जीवन में वैसा ही दुख आने की आशंका मानी जाती है।

लोक परंपरा और भावनात्मक सम्मान:

  • विवाह पंचमी का दिन उत्सव और श्रद्धा का है, परंतु लोग इसे केवल स्मरण और पूजन के रूप में मनाते हैं, विवाह जैसे मांगलिक कार्य नहीं करते।

रामकथा का सुखांत पर समापन:

  • विवाह पंचमी पर रामकथा का समापन भगवान राम और सीता के विवाह तक ही किया जाता है, क्योंकि आगे की कथा दुखद है। अतः भक्त इस दिन कथा को विवाह के सुखांत पर ही समाप्त करते हैं।

विवाह पंचमी पर किसकी पूजा होती है?

विवाह पंचमी का दिन भगवान श्रीराम और माता सीता के दिव्य विवाह को समर्पित है। इसलिए इस दिन मुख्य रूप से इन दोनों की पूजा की जाती है। इसके साथ ही पूजा में निम्न देवताओं का भी विशेष आह्वान किया जाता है —

भगवान श्रीराम और माता सीता — इस दिन इनका विवाह स्वरूप पूजित किया जाता है। भगवान शिव और माता पार्वती — क्योंकि उनके आशीर्वाद से ही राम-सीता का विवाह संपन्न हुआ था। भगवान गणेश — सभी मंगल कार्यों की तरह विवाह पंचमी की पूजा की शुरुआत श्रीगणेश के पूजन से होती है। हनुमान जी — जो भगवान श्रीराम के परम भक्त हैं और जिनकी उपस्थिति हर शुभ कार्य में आवश्यक मानी जाती है

विवाह पंचमी के दिन की पूजाविधि

विवाह पंचमी की पूजा अत्यंत मंगलकारी मानी जाती है। भक्त इस दिन घर या मंदिर में राम-सीता विवाह की प्रतीक पूजा संपन्न करते हैं। पूजा विधि इस प्रकार है -

स्नान और शुद्धि:

  • प्रातः ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें। स्वच्छ वस्त्र धारण करें और पूजा स्थल को गंगाजल से पवित्र करें।

व्रत संकल्प:

  • श्रीराम-सीता विवाह के स्मरण हेतु व्रत का संकल्प लें और भगवान श्रीराम से प्रार्थना करें कि वे आपके जीवन में सुख-शांति बनाए रखें।

पूजा स्थान की सजावट:

  • एक लकड़ी के पट्टे पर पीला या लाल वस्त्र बिछाएँ। उस पर भगवान श्रीराम और माता सीता की तस्वीर या प्रतिमा स्थापित करें।
  • यदि संभव हो, तो श्रीराम बारात या विवाह की झांकी सजाएँ।

गणेश वंदना:

  • सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा करें और उनसे पूजा में आने वाली सभी विघ्नों को दूर करने की प्रार्थना करें।

कलश स्थापना:

  • कलश में जल भरें, आम या अशोक के पत्ते डालें और ऊपर नारियल रखें। कलश की पूजा करें — यह शुभता का प्रतीक है।

मुख्य पूजन:

  • अब भगवान श्रीराम और माता सीता का ध्यान करें —
  • धूप, दीप, फूल, अक्षत, चंदन, मिठाई और फल अर्पित करें।

विवाह की रस्म:

  • भगवान श्रीराम और माता सीता को फूलों की माला पहनाएँ, जैसे विवाह संस्कार में होता है।
  • फिर दोनों का गठबंधन (गठजोड़ी) करें और “जय सियाराम” के जयघोष के साथ आरती करें।

हनुमान जी की पूजा:

  • विवाह पूर्ण होने के बाद हनुमान जी की आरती करें, क्योंकि वे इस दिव्य प्रसंग के साक्षी और भक्तों के रक्षक हैं।

आरती और प्रसाद:

  • अंत में श्रीराम, सीता, लक्ष्मण और हनुमान जी की आरती करें और सभी को प्रसाद बांटें।

विवाह स्तुति मंत्र (राम-सीता विवाह स्मरण)

जय सियाराम जय सियाराम।

जय जय सियाराम जय सियाराम।।

सिया राम मय सब जग जानी।

करहु प्रनाम जोरि जुग पानी।।

आरती (संक्षिप्त रूप)

आरती कीजै सियाराम की,

जय जय सियाराम की।

पतित पावन सीता राम की,

जय जय सियाराम की॥

विवाह पंचमी के लाभ

वैवाहिक जीवन में सुख और समृद्धि:

  • इस दिन भगवान श्रीराम और माता सीता की पूजा करने से वैवाहिक जीवन में प्रेम, सौहार्द और सामंजस्य बढ़ता है।

योग्य जीवनसाथी की प्राप्ति:

  • अविवाहित व्यक्तियों के लिए विवाह पंचमी का व्रत और पूजा संपूर्ण फलदायक मानी जाती है।

गृहस्थ जीवन में मंगल:

  • घर-परिवार में शांति, खुशहाली और समृद्धि बनी रहती है।

सकारात्मक ऊर्जा का संचार:

  • पूजा और मंत्र जाप से नकारात्मक शक्तियां दूर होती हैं और वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

भक्ति और समर्पण की प्राप्ति:

  • श्रद्धापूर्वक पूजा करने से भक्ति और आत्मा की शुद्धि होती है।

विवाह पंचमी पर ध्यान रखने वाली बातें

विवाह निषेध:

  • धार्मिक परंपरा के अनुसार इस दिन अपने घर में बेटी का विवाह नहीं करना चाहिए।
  • विवाह पंचमी केवल राम-सीता विवाह की स्मृति के लिए मनाई जाती है।

पूजा का समय:

  • पंचमी तिथि और शुभ मुहूर्त में ही पूजा करनी चाहिए।
  • ब्रह्म मुहूर्त में स्नान और पूजा करना अत्यंत फलदायक है।

शुद्धता और स्वच्छता:

  • पूजा स्थल और कपड़े स्वच्छ होने चाहिए।
  • मन को भी शुद्ध रखना आवश्यक है, क्रोध और द्वेष से दूर रहें।

भक्ति और सुमिरन:

  • पूजा के दौरान पूरी श्रद्धा और भक्ति भाव से राम-सीता का ध्यान करें।
  • मंत्र जाप और आरती मन ही मन एकाग्र होकर करें।

दान और परोपकार:

  • दान और सेवा करना इस दिन की पूजा का अहम हिस्सा है।
  • जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र और अन्य आवश्यक सामग्री देने से पुण्यफल अत्यधिक प्राप्त होता है।

विवाह पंचमी पर धार्मिक अनुष्ठान

विवाह पंचमी भगवान श्रीराम और माता सीता के विवाह के अवसर पर मनाई जाती है। इस दिन भक्त विशेष रूप से पूजा-अर्चना और व्रत करके पुण्य लाभ प्राप्त करते हैं। यहां विवाह पंचमी के प्रमुख धार्मिक अनुष्ठान बताए गए हैं:

1. पूजन की तैयारी

  • घर या मंदिर में राम-सीता की प्रतिमा स्थापित करें।
  • पूजा स्थल को साफ-सुथरा और पवित्र बनाएं।
  • दीपक, अगरबत्ती, फूल, अक्षत, फल और नारियल तैयार रखें।

2. स्नान और शुद्धि

  • ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें।
  • स्नान के बाद शुद्ध वस्त्र पहनें और पूजा स्थल पर जाएँ।

3. राम-सीता की पूजा

  • प्रतिमा या चित्र के सामने सिंदूर, अक्षत, फूल और जल अर्पित करें।
  • भगवान श्रीगणेश का पूजन करें, ताकि पूजा में बाधा न आए।
  • हनुमान जी का ध्यान और मंत्र जाप करें, क्योंकि वे श्रीराम के परम भक्त हैं।

4. विवाहिक रीतियाँ

  • राम और सीता को माला पहनाएँ और उनका विवाह संस्कार करें।
  • इस अवसर पर भक्त रामकथा और विवाह की कथा का पाठ करें।
  • पूजा के दौरान ध्यान और भक्ति भाव बनाए रखें।

5. मंत्र जाप और भजन

  • मंत्रों का जाप करें, जैसे:
  • “ॐ श्रीरामाय नमः”
  • “ॐ श्रीसीतायै नमः”
  • भजन और कीर्तन के माध्यम से भक्ति भाव और आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार करें।

6. दान और प्रसाद वितरण

  • पूजा के अंत में अन्न, फल और मिठाई का दान करें।
  • प्रसाद सभी भक्तों में वितरित करें।
  • जरूरतमंदों को खाद्य और वस्त्र दान करना भी शुभ माना जाता है।

7. व्रत और ध्यान

  • दिनभर सत्संग और ध्यान में समय व्यतीत करें।
  • विवाह पंचमी के दिन सकारात्मक कार्य और भक्ति पर अधिक ध्यान दें।
  • तामसिक कार्य जैसे झगड़ा, क्रोध और मांसाहार से दूर रहें।
divider
Published by Sri Mandir·November 11, 2025

Did you like this article?

srimandir-logo

श्री मंदिर ने श्रध्दालुओ, पंडितों, और मंदिरों को जोड़कर भारत में धार्मिक सेवाओं को लोगों तक पहुँचाया है। 100 से अधिक प्रसिद्ध मंदिरों के साथ साझेदारी करके, हम विशेषज्ञ पंडितों द्वारा की गई विशेष पूजा और चढ़ावा सेवाएँ प्रदान करते हैं और पूर्ण की गई पूजा विधि का वीडियो शेयर करते हैं।

हमारा पता

फर्स्टप्रिंसिपल ऐप्सफॉरभारत प्रा. लि. 435, 1st फ्लोर 17वीं क्रॉस, 19वीं मेन रोड, एक्सिस बैंक के ऊपर, सेक्टर 4, एचएसआर लेआउट, बेंगलुरु, कर्नाटका 560102
YoutubeInstagramLinkedinWhatsappTwitterFacebook