image
downloadDownload
shareShare
ShareWhatsApp

वसंत पूर्णिमा कब है?

वसंत पूर्णिमा 2025 कब है? क्या इस दिन विशेष पूजा से पूरी होगी आपकी मनोकामना? जानें शुभ मुहूर्त और विधि।

वसंत पूर्णिमा के बारे में

वसंत पूर्णिमा हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाई जाती है। यह दिन धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यंत शुभ माना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु और चंद्रमा की पूजा का विशेष महत्व होता है।

वसंत पूर्णिमा 2025

वसंत ऋतु के मध्य में आने वाली पूर्णिमा वसंत पूर्णिमा कहलाती है। हिंदू पंचांग के अनुसार, यह दिन फाल्गुन माह में आता है। अतः यह दिन फाल्गुन पूर्णिमा के रूप में भी अत्यंत लोकप्रिय है, जो होली के आगमन को दर्शाता है। यह त्यौहार, बंगाल, पुरी, मथुरा एवं वृंदावन में ‘दोल यात्रा, दोल उत्सव या डोल पूर्णिमा जैसे नामों से भी जाना जाता है। इन स्थानों पर यह पर्व किसी विशेष उत्सव की तरह मनाया जाता है। आइये जानते हैं इस त्यौहार से जुड़ी कुछ खास बातें।

वसंत पूर्णिमा कब है?

  • वसंत पूर्णिमा 2025 - 14 मार्च 2025, शुक्रवार
  • पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ - मार्च 13, 2025 को 10:35 ए एम बजे
  • पूर्णिमा तिथि समाप्त - मार्च 14, 2025 को 12:23 पी एम बजे

वसंत पूर्णिमा के शुभ मुहूर्त

मुहूर्त

समय

ब्रह्म मुहूर्त

04:32 AM से 05:20 AM तक

प्रातः सन्ध्या

04:56 AM से 06:08 AM तक

अभिजित मुहूर्त

11:43 AM से 12:31 PM तक

विजय मुहूर्त

02:07 PM से 02:55 PM तक

गोधूलि मुहूर्त

06:04 PM से 06:28 PM तक

सायाह्न सन्ध्या

06:06 PM से 07:18 PM तक

अमृत काल

12:56 AM, मार्च 15 से 02:42 AM, (15 मार्च) तक

निशिता मुहूर्त

11:43 PM से 12:31 AM, (15 मार्च) तक

वसंत पूर्णिमा कैसे मनाई जाती है?

वसंत पूर्णिमा का पर्व किसी सांस्कृतिक महोत्सव की तरह पूरी धूमधाम के साथ मनाया जाता है। इस दिन बंगाल में नृत्य प्रदर्शन, गायन प्रतियोगिता, एवं नाटक इत्यादि का आयोजन किया जाता है। साथ ही इस दिन भगवान विष्णु के मंदिरों को पुष्प मालाओं और रोशनी से सजाया जाता है। भगवान जी को नये वस्त्र एवं आभूषण पहनाएं जाते हैं। इस प्रकार वसंत पूर्णिमा का यह पर्व किसी सांस्कृतिक उत्सव के रूप में रंगों के त्यौहार होली का आगाज करता है।

वसंत पूर्णिमा का महत्व क्या है?

  • वसंत पूर्णिमा का दिन किसी भी शुभ कार्य, पूजा, व्रत आदि करने के लिए बेहद शुभ माना गया है। इस दिन व्रत-पूजन करने वाले जातक अपने सभी पापों से मुक्ति पाते हैं। साथ ही उन्हें अच्छे स्वास्थ्य, मानसिक शांति और आर्थिक समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

  • पौराणिक कथाओं के अनुसार, वसंत पूर्णिमा के दिन ही धन की देवी लक्ष्मी माता अवतरित हुई थीं। इस प्रकार, यह दिन माँ लक्ष्मी की आराधना करने के लिए भी विशेष माना गया है।

  • यह दिन अपने बहुआयामी महत्व के कारण भी अत्यंत लोकप्रिय है और इस विशेष दिन से वसंत उत्सव एवं रंगों के महापर्व होली की भी शुरुआत मानी जाती है।

वसंत पूर्णिमा की पूजन विधि

  • सर्वप्रथम इस दिन सुबह जल्दी उठकर पवित्र स्नान करें।
  • इसके बाद पूजा स्थान को साफ करके वहां श्री विष्णु एवं माता लक्ष्मी की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें।
  • अब पूजा स्थान को अच्छे से सज़ाएँ और भगवान जी की दैनिक पूजा करें जैसे फूल, पीला चन्दन, सिंदूर, अक्षत आदि चढ़ाएं।
  • पूजा के दौरान “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ एवं “ॐ ह्रीं क्लीं महालक्ष्मेय नमः” मंत्र का जाप करें।
  • इसके बाद पूजा की सभी आवश्यक सामग्रियां जैसे मिठाई, फल, मेवे इत्यादि का भोग लगाएं
  • भगवान जी को दक्षिणा भी अर्पित करें।
  • इसके पश्चात् भगवान विष्णु की आरती उतारें।
  • अंत में हाथ में अक्षत और पुष्प लेकर भगवान जी से पूजा में हुई किसी भी गलती के लिए क्षमा मांगे और अक्षत व पुष्प को भगवान के चरणों में छोड़ दें।
  • इस दिन चंद्रोदय के उपरांत चन्द्रमा को अर्घ्य देकर अपने व्रत का समापन करें। पूर्णिमा पर चंद्रमा के दर्शन के बाद ही इस दिन का व्रत पूर्ण माना जाता है।

बंगाल की दोल यात्रा/डोल पूर्णिमा क्या है?

डोल पूर्णिमा राधा-कृष्ण को समर्पित एक त्यौहार है। यह पर्व किसी सांस्कृतिक महोत्सव की तरह बंगाल में बेहद हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। दोल यात्रा या दोल उत्सव जैसे नामों से प्रसिद्ध यह पर्व होली से एक दिन पूर्व पूर्णिमा तिथि पर पड़ता है।

अगर हम इसके नाम का शाब्दिक अर्थ समझें तो दोल शब्द का अर्थ होता है झूला, इसलिए यह पर्व दोल पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। इस दिन स्त्रियां लाल और सफ़ेद रंग की पारंपरिक साड़ी पहन कर शंख बजाती हैं एवं झूले पर राधा-कृष्ण की मूर्ति रख कर उनकी पूजा-अर्चना करती हैं। साथ ही इस दिन प्रभात-फेरी और भजन-कीर्तन के भी आयोजन किये जाते हैं।

इस दिन दोल यात्रा निकाली जाती है जिसमें लोग अबीर और रंगों से होली खेलते हैं। इस यात्रा में चैतन्य महाप्रभु द्वारा रचे गए कृष्ण-भक्ति के गीत-संगीत को प्राथमिकता दी जाती है। इसके अतिरिक्त गुरु रवीन्द्रनाथ टैगोर ने इसी दिन शान्ति निकेतन में वसन्तोत्सव का आयोजन किया था, जिसे आज भी बेहद धूमधाम के साथ मनाया जाता है।

ऐसी ही अन्य धार्मिक जानकारी के लिए श्री मंदिर के साथ जुड़ें रहें।

divider
Published by Sri Mandir·February 18, 2025

Did you like this article?

srimandir-logo

श्री मंदिर ने श्रध्दालुओ, पंडितों, और मंदिरों को जोड़कर भारत में धार्मिक सेवाओं को लोगों तक पहुँचाया है। 50 से अधिक प्रसिद्ध मंदिरों के साथ साझेदारी करके, हम विशेषज्ञ पंडितों द्वारा की गई विशेष पूजा और चढ़ावा सेवाएँ प्रदान करते हैं और पूर्ण की गई पूजा विधि का वीडियो शेयर करते हैं।

Address:

Firstprinciple AppsForBharat Private Limited 435, 1st Floor 17th Cross, 19th Main Rd, above Axis Bank, Sector 4, HSR Layout, Bengaluru, Karnataka 560102

Play StoreApp Store

हमे फॉलो करें

facebookinstagramtwitterwhatsapp

© 2025 SriMandir, Inc. All rights reserved.