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वामन जयंती 2025 कब है?

जानिए वामन जयंती 2025 की तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि। सही विधि से भगवान वामन की आराधना कर पाएं अपार सुख-समृद्धि, सौभाग्य और दिव्य आशीर्वाद।

वामन जयंती के बारे में

वामन जयंती भगवान विष्णु के पाँचवें अवतार वामन देव का जन्मोत्सव है, जो भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष द्वादशी को मनाई जाती है। इस दिन व्रत, पूजा और कथा श्रवण का विशेष महत्व होता है। भक्त वामन अवतार की पूजा कर दान-पुण्य करते हैं, जिससे जीवन में सुख-समृद्धि, धर्म की वृद्धि और पापों का क्षय होता है।

वामन जयन्ती संपूर्ण जानकारी

भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की द्वादशी को ‘वामन द्वादशी’ कहते हैं। यह वह दिन जब भगवान विष्णु ने एक बौने ब्राह्मण के रूप में अवतार लिया था, जिन्हें वामन देव कहा गया। इसलिए इस दिन को वामन जयन्ती भी कहा जाता है। इस दिन भगवान विष्णु के उपासक उनके इस वामन स्वरूप की पूजा अर्चना करते हैं।

कब मनाई जाएगी वामन जयन्ती?

वामन देव का जन्म भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को अभिजित मुहूर्त में हुआ था। उस समय श्रवण नक्षत्र था।

  • वामन जयन्ती 04 सितंबर 2025, गुरुवार को मनाई जायेगी।
  • द्वादशी तिथि 04 सितंबर 2025, गुरुवार को 04:21 AM पर प्रारंभ होगी।
  • द्वादशी तिथि का समापन 05 सितंबर 2025, शुक्रवार को 04:08 AM पर होगा।
  • श्रवण नक्षत्र 04 सितंबर 2025, गुरुवार को 11:44 PM पर प्रारंभ होगा।
  • श्रवण नक्षत्र का समापन 05 सितंबर 2025, शुक्रवार को 11:38 PM पर होगा।

वामन जयन्ती का शुभ महूर्त व तिथि

मुहूर्त 

समय

ब्रह्म मुहूर्त

04:30 AM से 05:15 AM

प्रातः सन्ध्या

04:53 AM से 06:01 AM

अभिजित मुहूर्त

11:55 AM से 12:45 PM

विजय मुहूर्त

02:26 PM से 03:17 PM

गोधूलि मुहूर्त

06:39 PM से 07:02 PM

सायाह्न सन्ध्या

06:39 PM से 07:47 PM

क्या है वामन जयंती?

वामन जयंती भगवान विष्णु के पाँचवें अवतार वामन स्वरूप के जन्मोत्सव के रूप में मनाई जाती है। यह पर्व भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को मनाया जाता है। वामन जयंती को विशेष रूप से धर्म, दान और सत्य की जीत का प्रतीक माना जाता है।

क्यों मनाते हैं वामन जयंती?

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान विष्णु ने वामन अवतार लेकर राजा बलि के अहंकार को दूर किया था और देवताओं को दानवों से मुक्ति दिलाई थी। इस दिन भगवान वामन ने राजा बलि से तीन पग भूमि मांगी और ब्रह्मांड को अपने तीन पगों में नापकर धर्म की पुनः स्थापना की। इसलिए यह दिन अहंकार पर विनम्रता और धर्म की विजय का प्रतीक है।

वामन जयंती का महत्व

यह पर्व धर्म, दान और व्रत का महत्व सिखाता है। इस दिन भगवान विष्णु के वामन स्वरूप की पूजा करने से विनम्रता, धर्मपालन और समृद्धि प्राप्त होती है। यह दिन पितरों को तर्पण और दान देने के लिए भी अत्यंत शुभ माना जाता है। व्रत रखने से सभी कष्ट दूर होते हैं और जीवन में सुख-शांति बनी रहती है। वामन जयंती दक्षिण और उत्तर भारत में प्रमुख रूप से मनाई जाती है, जोकि दोनों प्रदेशों की संस्कृति को जोड़ती है। दक्षिण भारत में भगवान वामन को उपेन्द्र के नाम से भी जाना जाता है। कहते हैं कि जो जातक इस दिन व्रत रखकर भगवान विष्णु के वामन अवतार की उपासना करते हैं, और उनकी कथा सुनते हैं, उन्हें जन्म जन्मांतर के पापों से छुटकारा मिलता है, और व्यक्ति को परमपद की प्राप्ति होती है।

वामन देव कौन और किसके अवतार थे

वामन देव भगवान विष्णु के पाँचवे और त्रेता युग के पहले अवतार माने जाते हैं। उनका स्वरूप एक ब्राह्मण बालक के समान था। इनका जन्म माता अदिति व कश्यप ऋषि के पुत्र के रूप मे हुआ था। वो अदिति से उत्पन्न संतानों, यानि आदित्यों में बारहवें थे। पौराणिक मान्यता के अनुसार, वामन देव इंद्र के छोटे भाई थे। वामन देव के रूप में भगवान विष्णु का पहला मनुष्य अवतार था। इससे पहले श्री हरि ने चार अवतार पशु रूप में लिए थे, जोकि क्रमशः मत्स्य अवतार, कूर्म अवतार, वराह अवतार और नरसिंघ अवतार थे।

वामन अवतार का उद्देश्य

  • असुरों के राजा बलि के अहंकार को समाप्त करना।
  • देवताओं को उनके अधिकारों की पुनः प्राप्ति कराना।
  • धर्म की स्थापना करना।

वामन जयंती की पूजा कैसे करें?

  • प्रातः स्नान करके संकल्प लें।
  • घर में पूजा स्थान पर भगवान वामन या श्रीविष्णु की प्रतिमा स्थापित करें।
  • पीले वस्त्र, तुलसी, चंदन, फूल, फल और पंचामृत से भगवान का पूजन करें।
  • वामन मंत्र का जाप करें: “ॐ वामनाय नमः” (108 बार)।
  • ब्राह्मणों को भोजन कराएं और दान दें।
  • संध्या समय व्रत का पारण करें।

वामन जयंती के अनुष्ठान क्या हैं

  • वामन जयंती के दिन ब्राह्मणों को दही, चावल, और भोजन दान बहुत शुभ माना जाता है।
  • भगवान विष्णु की कृपा पाने के लिए भक्त इस दिन उपवास के साथ-साथ पूजा और अन्य अनुष्ठान भी करते हैं।
  • इस दिन विष्णु सहस्रनाम और अन्य विष्णु मंत्रों का पाठ करना बहुत पुण्यकारी माना जाता है।
  • वामन जयंती पर भगवान विष्णु के नाम का 108 बार पाठ कर अगरबत्ती, दीपक और फूल, भोग आदि अर्पित किए जाते हैं
  • भक्त संध्या के समय वामन देव की कथा सुनते हैं और फिर भगवान की आरती करके परिवार या आस-पास के लोगों में प्रसाद वितरित करते हैं।

वामन जयंती मनाने के लाभ

  • आर्थिक समस्याएँ दूर होती हैं और धन की वृद्धि होती है।
  • अहंकार का नाश होता है और जीवन में विनम्रता आती है।
  • पापों से मुक्ति और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
  • पारिवारिक कलह समाप्त होती है और घर में सुख-शांति आती है।

वामन जयंती के दिन क्या करें?

  • भगवान वामन की पूजा करें।
  • व्रत रखें और ब्राह्मणों को दान दें।
  • तुलसी का पूजन करें।
  • धार्मिक ग्रंथों का पाठ करें।

वामन जयंती के दिन क्या न करें?

  • झूठ न बोलें और किसी को अपमानित न करें।
  • मांसाहार और मद्यपान से बचें।
  • किसी का धन हड़पने या छल करने से बचें।
  • क्रोध और अहंकार से दूर रहें।
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Published by Sri Mandir·September 1, 2025

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