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वैकासी विसाकम् 2025

वैकासी विसाकम् 2025 के अवसर पर भगवान मुरुगन की पूजा विधि, व्रत नियम और शुभ मुहूर्त जानें। यह दिन दिव्य ऊर्जा और भक्तिमय साधना के लिए अत्यंत पावन है।

वैकासी विसाकम के बारे में

वैकासी विसाकम एक पवित्र तामिल त्योहार है, जो भगवान मुरुगन के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है। यह वैकासी माह की विशाखा नक्षत्र तिथि को आता है। इस दिन भक्त मंदिरों में विशेष पूजा और अभिषेक करते हैं।

वैकासी विसाकम की संपूर्ण जानकारी

वैकासी विसाकम् 2025: भगवान मुरुगन के जन्मोत्सव का पर्व

वैकासी विसाकम् दक्षिण भारत में मनाया जाने वाला एक विशेष पर्व है, जोकि हर साल ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस दिन भगवान मुरुगन की पूजा करने का विधान है। तमिल पंचांग में वर्णन मिलता है कि इसी दिन स्वामी मुरुगन यानी कार्तिकेय का जन्म हुआ था। ऐसा माना जाता है कि इस दिन मुरुगन की उपासना करने से जातक को जीवन में सदैव विजय प्राप्त होती है, और सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

इस लेख में आप जानेंगे

  • वैकासी विसाकम् 2025 कब है?
  • वैकासी विसाकम 2025 का शुभ मुहूर्त
  • वैकासी विसाकम का महत्व
  • क्यों मनाते हैं वैकासी विसाकम?
  • वैकासी विसाकम के दिन किसकी पूजा होती हैं
  • वैकासी विसाकम कौन से लोग मनाते हैं
  • वैकासी विसाकम की पूजा विधि
  • वैकासी विसाकम पूजा के लाभ
  • वैकासी विसाकम के धार्मिक अनुष्ठान
  • वैकासी विसाकम का इतिहास

वैकासी विसाकम् 2025 कब है?

वैकासी विसाकम तमिल मास वैकाशी में विशकाम नक्षत्र में मनाया जाता है। वैकाशी तमिल कैलेण्डर में दूसरा सौर मास है, और विशकाम सत्ताईस नक्षत्रों में से सोलहवाँ नक्षत्र है, जो हर महीने कम से कम एक बार ज़रूर आता है। आपको बता दें कि विशकाम नक्षत्र को हिन्दु कैलेण्डर में विशाखा नक्षत्र के नाम से जाना जाता है।

  • 2025 में वैकासी विसाकम 09 जून 2025, सोमवार को मनाई जायेगी।
  • विसाकम् नक्षत्रम् प्रारम्भ 08 जून, 2025 को 12:42 पी एम पर होगा।
  • विसाकम् नक्षत्रम् समाप्त 09 जून, 2025 को 03:31 पी एम पर होगा।

इस दिन के अन्य शुभ मुहूर्त

मुहूर्तसमय
ब्रह्म मुहूर्त  03:58 ए एम से 04:39 ए एम तक
प्रातः सन्ध्या04:19 ए एम से 05:19 ए एम तक
अभिजित मुहूर्त 11:49 ए एम से 12:44 पी एम तक
विजय मुहूर्त 02:35 पी एम से 03:31 पी एम तक
गोधूलि मुहूर्त 07:12 पी एम से 07:32 पी एम तक
सायाह्न सन्ध्या 07:13 पी एम से 08:14 पी एम तक
अमृत काल 05:41 ए एम से 07:28 ए एम तक
निशिता मुहूर्त 11:56 पी एम से 12:37 ए एम, 10 जून तक
सर्वार्थ सिद्धि योग03:31 पी एम से 05:19 ए एम, 10 जून तक
रवि योग  03:31 पी एम से 05:19 ए एम, 10 जून तक

क्या है वैकासी विसाकम?

वैकासी विसाकम् दक्षिण भारत, विशेषतः तमिलनाडु में मनाया जाने वाला एक अत्यंत पावन पर्व है। यह पर्व तमिल पंचांग के अनुसार वैकासी मास में विशाखा (विसाकम्) नक्षत्र के दिन आता है। इसी दिन भगवान मुरुगन (कार्तिकेय) का जन्म हुआ था, जो भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र हैं। इसे उनके जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है।

वैकासी विसाकम् का महत्व

वैकासी विसाकम् का महत्व इसलिए भी विशेष है क्योंकि यह केवल एक त्योहार नहीं, बल्कि आस्था, भक्ति, शक्ति और ज्ञान का प्रतीक है। भगवान मुरुगन को देवताओं का सेनापति माना जाता है। वे धर्म की रक्षा के लिए असुरों से युद्ध करते हैं और भक्तों को संकट से मुक्ति दिलाते हैं। इस दिन उनकी पूजा करने से भक्तों को सफलता, स्वास्थ्य, संतान सुख और पारिवारिक सुख की प्राप्ति होती है।

क्यों मनाते हैं वैकासी विसाकम्?

पौराणिक कथाओं में वर्णन मिलता है कि प्राचीन काल एक बार तारकासुर का आतंक बढ़ने के कारण तीनों लोक में हाहाकार मच गया। तब देवताओं ने इस आसुरी संकट मुक्ति पाने के लिए भगवान शिव की उपासना की। शिव जी ने देवताओं की उपासना से प्रसन्न होकर उन्हें वरदान दिया कि शीघ्र ही देवी पार्वती के गर्भ से कार्तिकेय का जन्म होगा, जो देवताओं के सेनापति बनेंगे। इस तरह भगवान कार्तिकेय के नेतृत्व में देवताओं ने तारकासुर पर विजय प्राप्त की। तमिल पंचांग के अनुसार, जिस दिन स्वामी कार्तिकेय का जन्म हुआ, उसी दिन वैकासी विसाकम का पर्व मनाया जाता है।

वैकासी विसाकम् के दिन किसकी पूजा होती है?

इस दिन मुख्य रूप से भगवान मुरुगन की पूजा की जाती है। साथ ही भगवान शिव, माता पार्वती और अन्य देवताओं की भी आराधना की जाती है। मंदिरों में विशेष पूजा, अभिषेक, होम और यात्रा निकाली जाती है।

वैकासी विसाकम् की पूजाविधि

  • वैकासी विसाकम् के दिन जातक ब्रह्म मुहूर्त में उठाकर अपने घर व पूजा स्थल की साफ-सफाई करें।
  • इसके बाद गंगाजल मिश्रित पानी से स्नान-ध्यान कर व्रत संकल्प लें।
  • अब भगवान भोलेनाथ, देवी पार्वती व भगवान कार्तिकेय की विधि विधान से पूजा करें।
  • इस पूजा में अपनी सामर्थ्य के अनुसार फल, फूल, धूप-दीप, अक्षत चंदन व दूर्वा अर्पित करें।
  • भगवान मुरुगन का कच्चे दूध से अभिषेक करें।
  • इस तरह पूजा-आरती संपन्न करने के बाद व्रती जातक शाम के समय फलाहार करें।
  • पूजा के समय जातक “ॐ श्रवणः भव्यः नमः” मंत्र का जाप करें।
  • शाम को फलाहार करें और प्रभु का स्मरण करें।

वैकासी विसाकम् पूजा के लाभ

  • जीवन में सफलता व विजय प्राप्त होती है।
  • संतान सुख मिलता है।
  • परिवार में प्रेम व सौहार्द बना रहता है।
  • नकारात्मक शक्तियों से रक्षा होती है।
  • मानसिक शांति व अध्यात्मिक उन्नति होती है।

वैकासी विसाकम् के धार्मिक अनुष्ठान

  • मंदिरों में विशेष अभिषेक और "कुकुट होम" जैसे यज्ञ का आयोजन होता है।
  • श्रद्धालु दूध के कलश (पाल कुदम) लेकर मंदिरों में जाते हैं।
  • भगवान मुरुगन की मूर्ति को फूलों और मालाओं से सजाया जाता है
  • भगवान की प्रतिमा की शोभायात्रा निकाली जाती है।
  • घरों में व्रत, फलाहार और कीर्तन किए जाते हैं।

वैकासी विसाकम् का इतिहास

वैकासी विसाकम् का इतिहास हजारों वर्षों पुराना है। यह त्योहार मुरुगन की दिव्य शक्ति, ज्ञान, साहस और करुणा का उत्सव है। स्कंद पुराण के अनुसार भगवान मुरुगन इतने बुद्धिमान थे कि उन्होंने स्वयं भगवान शिव को प्रणव मंत्र का अर्थ समझाया था। वे छह मुखों और बारह हाथों वाले देवता हैं, जिनमें ज्ञान, प्रेम, बल और धर्म की ऊर्जा समाहित है।

तो ये थी वैकासी विसाकम् पर्व की विशेष जानकारी। हमारी कामना है कि आप सभी पर भगवान मुरुगन की कृपा बनी रहे। ऐसी ही धार्मिक जानकारियों के लिए जुड़े रहिए ‘श्री मंदिर’ पर।

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Published by Sri Mandir·May 29, 2025

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