क्या आप जानते हैं तमिल दीपावली 2024 कब है? जानें इस खास दिन का शुभ मुहूर्त, महत्व और विशेष व्यंजन के बारे में
भारत में अधिकांश लोग दीपावली का पर्व, सूर्यास्त के पश्चात प्रदोष काल में अमावस्या तिथि पर मनाते हैं। यद्यपि, तमिल नाडु में दीपावली तब मनायी जाती है, जब सूर्योदय से ठीक पहले ब्रह्म मुहूर्त के समय चतुर्दशी तिथि पड़ती है।
दीपावली मुहूर्त जो आमतौर पर ब्रह्म मुहूर्त के साथ व्याप्त होता है वह तेल स्नान करने, नये कपड़े पहनने, मिट्टी के दीपक जलाने और पूजा के पटाखे जलाने के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है।
तमिल नाडु में लोग दीपावली के दिन प्रातःकाल शीघ्र उठते हैं, सूर्योदय से पूर्व स्नान करते हैं, नवीन वस्त्र धारण करते हैं, पूजा-अर्चना करते हैं, मिट्टी के दीप प्रज्वलित करते हैं तथा पटाखे जलाते हैं। तमिल नाडु के अतिरिक्त, पड़ोसी राज्य कर्णाटक में भी लोग चतुर्दशी तिथि पर तमिल नाडु के समान ही पूजन व अनुष्ठान करते हैं। इसीलिये, तमिल नाडु व कर्णाटक में, चतुर्दशी तिथि दीपावली का मुख्य दिन होता है तथा भारत के अन्य भागों के विपरीत, इन राज्यों में सन्ध्या के समय नहीं, अपितु भोर में मिट्टी के दीपक और पटाखे जलाये जाते हैं।
उत्तर भारत में, दीपावली का पर्व भगवान राम के अयोध्या आगमन की प्रसन्नता में मनाया जाता है, किन्तु तमिल नाडु तथा कर्णाटक में, दीपावली का पर्व देवी सत्यभामा एवं भगवान कृष्ण द्वारा राक्षस नरकासुर के वध के उपलक्ष में मनाया जाता है। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि, तमिल नाडु तथा कर्णाटक में दीपावली उत्सव, भारत के अन्य राज्यों से एक दिन पहले अथवा उसी दिन मनाया जा सकता है। चन्द्र कैलेण्डर के अनुसार, चतुर्दशी व अमावस्या तिथि के आरम्भ एवं अन्त के आधार पर यह अन्तर आ जाता है।
तमिल नाडु तथा कर्णाटक में चतुर्दशी के दिन जो अनुष्ठान होते हैं, वे भारत के अन्य भागों में भी नरक चतुर्दशी और अभ्यङ्ग स्नान के नाम से किये जाते हैं। हालाँकि, अन्य राज्यों में इसे तेल स्नान के रूप में जाना जाता है तथा नरक चतुर्दशी के दिन इस स्नान का विशेष महत्व होता है।
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