image
downloadDownload
shareShare
ShareWhatsApp

शारदा पूजा 2025

शारदा पूजा 2025: जानें पूजा की तारीख, शुभ मुहूर्त और विधि। मां शारदा से पाएं आशीर्वाद और समृद्धि!

शारदा पूजा के बारे में

दिवाली के त्योहार पर जहां माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा मुख्य रूप से की जाती है, वहीं देवी सरस्वती की पूजा भी विशेष महत्व है। सरस्वती जी को हिन्दू धर्म में ज्ञान, बुद्धि और विद्या की देवी माना जाता है। उनकी पूजा से बुद्धि, विवेक और ज्ञान की प्राप्ति होती है। माता सरस्वती का एक नाम ‘शारदा’ भी है। गुजरात में अनुष्ठान को 'शारदा पूजा' या 'चोपड़ा पूजा' के नाम से भी जाना जाता है।

शारदा पूजा कब है?

साल 2025 में शारदा पूजा 21 अक्टूबर 2025, मंगलवार को की जाएगी। इस दिन कार्तिक अमावस्या का भी शुभ संयोग रहेगा, जो पूजा को और अधिक शुभ बनाता है।

दीवाली शारदा पूजा के लिए शुभ चौघड़िया मुहूर्त

  • प्रातः मुहूर्त (चर, लाभ, अमृत) - 08:51 ए एम से 01:08 पी एम तक रहेगा।
  • अपराह्न मुहूर्त (शुभ) - 02:34 पी एम से 04:00 पी एम तक रहेगा।
  • अमावस्या तिथि प्रारम्भ - अक्टूबर 20, 2025 को 03:44 पी एम बजे
  • अमावस्या तिथि समाप्त - अक्टूबर 21, 2025 को 05:54 पी एम बजे

क्या है शारदा पूजा?

शारदा पूजा, जिसे देवी सरस्वती पूजा भी कहा जाता है, विद्या, ज्ञान और बुद्धि की अधिष्ठात्री देवी मां शारदा की आराधना का दिन है। यह पूजा विशेष रूप से दीपावली के अवसर पर की जाती है, जब भक्त देवी लक्ष्मी के साथ मां शारदा की भी पूजा करते हैं, ताकि जीवन में धन के साथ ज्ञान और विवेक का संतुलन बना रहे।

क्यों करते हैं शारदा पूजा?

शारदा पूजा करने का मुख्य उद्देश्य मां सरस्वती से ज्ञान, बुद्धि, वाणी की मधुरता और विवेक का आशीर्वाद प्राप्त करना है। यह माना जाता है कि देवी शारदा की कृपा से व्यक्ति को जीवन में सही निर्णय लेने की क्षमता मिलती है। व्यापारी वर्ग इस दिन नए बही-खातों की पूजा (चोपड़ा पूजन) कर अपने व्यवसाय की सफलता के लिए मां सरस्वती से आशीर्वाद मांगते हैं।

शारदा पूजा का महत्व

मां शारदा, जिनका अन्य नाम देवी सरस्वती है, विद्या और ज्ञान की देवी मानी जाती हैं। हिन्दू धर्म में यह मान्यता है कि देवी लक्ष्मी से प्राप्त धन और समृद्धि तभी स्थायी हो सकते हैं जब व्यक्ति के पास बुद्धि और ज्ञान का भी साथ हो। इसलिए, देवी लक्ष्मी के साथ-साथ देवी सरस्वती की पूजा करना विशेष महत्वपूर्ण माना जाता है।

ज्ञान और विद्या के बिना संपत्ति और समृद्धि किसी भी व्यक्ति के जीवन में अधिक समय तक नहीं रुक सकती। इसीलिए दिवाली के दिन देवी शारदा की पूजा विशेष रूप से की जाती है। यह पूजा न केवल विद्यार्थियों के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि व्यापारी वर्ग में भी इसकी खास मान्यता है, क्योंकि इस दिन गुजरात में नए बही-खाते यानी "चोपड़ा" की पूजा भी की जाती है।

शारदा पूजा के लिए निम्न सामग्री की आवश्यकता होती है

  • एक साफ चौकी
  • सफेद कपड़ा
  • गंगाजल
  • भगवान गणेश, माता लक्ष्मी और मां शारदा (सरस्वती) की मूर्ति या चित्र
  • सफेद या पीले फूल
  • सफेद चंदन
  • अक्षत (साबुत चावल)
  • दूर्वा, सुपारी, पान के पत्ते
  • दीपक, घी या तेल, रूई की बाती
  • धूप, अगरबत्ती
  • मिष्ठान्न (मिठाई), दही, हलवा, केसर मिश्रित मिश्री
  • सरस्वती यंत्र (यदि उपलब्ध हो)
  • पुस्तकें या वाद्य यंत्र (विशेषकर विद्यार्थियों के लिए)

शारदा पूजा कैसे करें?

शारदा पूजा विशेष रूप से ज्ञान और विवेक की प्राप्ति के लिए की जाती है। इसे विधिपूर्वक करने से माता सरस्वती की कृपा से बुद्धि, विद्या और समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

शुद्धता और तैयारी

  • प्रातः स्नान करके शुद्ध हो जाएं और साफ या हल्के रंग के वस्त्र पहनें। पूजा स्थल को गंगाजल से पवित्र करें।

प्रतिष्ठापन

  • एक चौकी पर सफेद कपड़ा बिछाएं और उस पर भगवान गणेश, माता लक्ष्मी और मां शारदा (सरस्वती) की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।

आराधना क्रम

  • सबसे पहले भगवान गणेश का पूजन करें।
  • उसके बाद मां शारदा की पूजा करें।
  • देवी को सफेद या पीले फूल, सफेद चंदन, अक्षत, और मिष्ठान अर्पित करें।
  • यदि संभव हो तो ‘सरस्वती यंत्र’ की स्थापना भी करें।

मंत्र जाप

  • पूजा के दौरान इस मंत्र का जाप करें: “ॐ ह्रीं ऐं ह्रीं सरस्वत्यै नमः।”
  • यह मंत्र ज्ञान, वाणी और बुद्धि को प्रखर करने वाला माना गया है।

विशेष पूजा

  • विद्यार्थी इस दिन अपनी पुस्तकों, पेन या वाद्य यंत्रों की पूजा अवश्य करें। यह मां सरस्वती की कृपा पाने का सर्वोत्तम उपाय माना जाता है।

भोग और आरती

  • पूजा के अंत में मां सरस्वती को दही, हलवा और केसर मिली मिश्री का भोग लगाएं। फिर श्रद्धा से आरती करें।

क्षमा याचना

  • अंत में माता से यह प्रार्थना करें कि पूजा में हुई किसी भी भूल-चूक के लिए क्षमा करें और अपने ज्ञान, विवेक और कृपा का आशीर्वाद दें।

इस प्रकार श्रद्धा और विधि से की गई शारदा पूजा से जीवन में ज्ञान, समृद्धि और मानसिक शांति का प्रकाश फैलता है।

शारदा पूजा के लाभ

शारदा पूजा के अनेक लाभ हैं, जो न केवल विद्यार्थियों बल्कि व्यापारियों और समाज के सभी वर्गों के लिए विशेष माने जाते हैं।

विद्यार्थियों के लिए

मां शारदा की पूजा से विद्यार्थियों के ज्ञान व बुद्धि में बढ़ोत्तरी होती है, और अध्ययन में मन लगता है। मान्यता है इस पूजा के प्रभाव से शिक्षा व करियर में आने वाली सभी बाधाएं दूर होती हैं।

व्यापारी वर्ग के लिए

गुजरात में शारदा पूजा के दिन ही नए बही-खातों की शुरुआत की जाती है, जिस कारण इस अनुष्ठान को ‘चोपड़ा पूजन’ कहा जाता है। मान्यता है कि इस पूजा से व्यापार में सफलता मिलती है।

स्थायी समृद्धि की प्राप्ति

ये पूजा करने से माता शारदा अपने भक्तों को न केवल ज्ञान और बुद्धि का आशीर्वाद देती हैं, बल्कि जीवन भर धन- संपत्ति की कमी नहीं होने देती हैं।

तो ये थी जानकारी शारदा पूजा के बारे में। हमारी कामना है कि माता सरस्वती की कृपा आप पर हमेशा बनी रहे। व्रत त्यौहारों व अन्य धार्मिक जानकारियों के लिए जुड़े रहिए ‘श्री मंदिर’ पर।

माँ शारदा को प्रसन्न करने के उपाय

मां शारदा (देवी सरस्वती) को प्रसन्न करने के लिए पूजा के साथ कुछ विशेष उपाय करने चाहिए:

  • सफेद या पीले वस्त्र पहनें — मां सरस्वती को ये दोनों रंग अत्यंत प्रिय हैं।
  • वीणा या पुस्तक पर पुष्प अर्पित करें — यह ज्ञान और संगीत का प्रतीक माना जाता है।
  • सुबह स्नान के बाद गायत्री या सरस्वती मंत्र का जाप करें —
  • “ॐ ऐं सरस्वत्यै नमः” या “ॐ ह्रीं ऐं ह्रीं सरस्वत्यै नमः” मंत्र का 108 बार जप करने से देवी शीघ्र प्रसन्न होती हैं।
  • श्वेत वस्त्र, श्वेत पुष्प और शुद्ध घी का दीपक जलाएं — यह मां शारदा को प्रिय माना गया है।
  • बच्चों की शिक्षा या कला की शुरुआत इस दिन करें — यह दिन विद्या आरंभ (विद्यारंभ) के लिए शुभ होता है।
  • दान करें — गरीब विद्यार्थियों को पुस्तक, पेन या कॉपी दान करने से देवी सरस्वती की कृपा मिलती है।

शारदा पूजा के दिन क्या करना चाहिए?

  • प्रातःकाल स्नान कर मन, वचन और शरीर से शुद्ध रहें।
  • पूजा स्थान को स्वच्छ करें और गंगाजल से पवित्र करें।
  • माता सरस्वती के साथ भगवान गणेश और देवी लक्ष्मी की भी पूजा करें।
  • देवी को सफेद फूल, सफेद वस्त्र और मिश्री का भोग अर्पित करें।
  • अध्ययन या वाद्ययंत्रों की पूजा अवश्य करें — विद्यार्थी अपने पठन-पाठन की सामग्री देवी को समर्पित करें।
  • दिनभर शांत मन से रहें और कोई अशुद्ध या नकारात्मक कार्य न करें।
  • शाम के समय दीपक जलाकर देवी का ध्यान करें और आरती करें।

शारदा पूजा के दिन क्या न करें?

  • किसी भी प्रकार का झूठ, छल या अपशब्दों का प्रयोग न करें।
  • रात्रि में ऊँची आवाज़ में बोलना, विवाद या कलह करना वर्जित है।
  • अशुद्ध अवस्था में पूजा स्थल में प्रवेश न करें।
  • मां शारदा की पूजा के दिन मांस, मदिरा या तामसिक भोजन से परहेज़ करें।
  • पुस्तकों, नोटबुक्स या किसी ज्ञान के प्रतीक वस्तु को पैरों से स्पर्श न करें।
  • आलस्य और क्रोध से बचें — यह दिन पूर्ण शांति, संयम और विनम्रता से बिताना चाहिए।
  • श्रद्धा, विनम्रता और शुद्धता से की गई शारदा पूजा से मां सरस्वती प्रसन्न होकर भक्त को ज्ञान, वाणी की मधुरता और जीवन में सफलता का वरदान देती हैं।
divider
Published by Sri Mandir·October 9, 2025

Did you like this article?

srimandir-logo

श्री मंदिर ने श्रध्दालुओ, पंडितों, और मंदिरों को जोड़कर भारत में धार्मिक सेवाओं को लोगों तक पहुँचाया है। 100 से अधिक प्रसिद्ध मंदिरों के साथ साझेदारी करके, हम विशेषज्ञ पंडितों द्वारा की गई विशेष पूजा और चढ़ावा सेवाएँ प्रदान करते हैं और पूर्ण की गई पूजा विधि का वीडियो शेयर करते हैं।

हमारा पता

फर्स्टप्रिंसिपल ऐप्सफॉरभारत प्रा. लि. 435, 1st फ्लोर 17वीं क्रॉस, 19वीं मेन रोड, एक्सिस बैंक के ऊपर, सेक्टर 4, एचएसआर लेआउट, बेंगलुरु, कर्नाटका 560102
YoutubeInstagramLinkedinWhatsappTwitterFacebook