क्या आप जानते हैं शारदीय नवरात्रि 2025 कब है? जानें प्रतिपदा से नवमी तक के दिन, माँ दुर्गा की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और प्रत्येक दिन के महत्व के बारे में।
शारदीय नवरात्रि हिंदू धर्म में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जिसमें मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। यह पर्व आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवमी तक नौ दिनों तक चलता है। शारदीय नवरात्रि का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व अत्यधिक है, क्योंकि इस दौरान भक्त मां दुर्गा की कृपा प्राप्त करने के लिए व्रत, पूजा और उपासना करते हैं। इस समय देवी दुर्गा की शक्तियों की आराधना से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
घटस्थापना करने का सबसे शुभ समय सुबह का होता है, जब प्रतिपदा प्रबल होती है। लेकिन यदि किसी कारणवश इस समय घटस्थापना न की जा सके, तो हिंदू मध्यान्ह से पूर्व अभिजित मुहूर्त में भी घटस्थापना की जा सकती है। ज्योतिष में चित्रा नक्षत्र और वैधृति योग में घटस्थापना न करने की सलाह दी जाती है, हालांकि ये निषिद्ध नहीं है।
शारदीय नवरात्रि के दौरान देवी दुर्गा के आगमन और प्रस्थान की सवारी का विशेष महत्व होता है। माना जाता है कि माता की सवारी आने वाले समय की घटनाओं का संकेत देती है। इस शारदीय नवरात्रि दुर्गा जी पालकी पर विराजमान होकर आ रही हैं। देवी पुराण के अनुसार, पालकी पर माता का आगमन शुभ संकेत है, लेकिन इसे आंशिक रूप से महामारी का भी सूचक माना जाता है। मान्यता है माता के पालकी में सवार होकर आगमन से देश में स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं और महामारी फैलने की संभावनाएं हो सकती हैं।
शारदीय नवरात्रि हिंदू धर्म का एक प्रमुख पर्व है, जो आश्विन मास की शुक्ल प्रतिपदा तिथि से प्रारम्भ होकर नवमी तक चलता है। यह नौ दिनों का पावन समय मां दुर्गा और उनके नौ रूपों की उपासना के लिए समर्पित होता है। "शारदीय" शब्द का अर्थ है – शरद ऋतु में आने वाला नवरात्रि पर्व।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, देवी दुर्गा ने इसी समय महिषासुर नामक राक्षस का वध कर धर्म की रक्षा की थी। यह पर्व सत्य की असत्य पर विजय और धर्म की अधर्म पर विजय का प्रतीक है। नवरात्रि का पर्व भक्तों के लिए साधना, भक्ति और तप का काल माना जाता है।
शारदीय नवरात्रि – शरद ऋतु में आश्विन मास की शुक्ल प्रतिपदा से नवमी तक मनाई जाती है। इसे साल की सबसे बड़ी नवरात्रि माना जाता है और इसी अवधि में दुर्गा पूजा और दशहरा का पर्व भी आता है।
चैत्र नवरात्रि – वसंत ऋतु में चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा से नवमी तक मनाई जाती है। इस समय रामनवमी का पर्व भी आता है। दोनों नवरात्रियों में देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा होती है, अंतर केवल ऋतु और मास का है।
इन नौ दिनों में मां दुर्गा के नवदुर्गा रूप (शैलपुत्री से लेकर सिद्धिदात्री तक) की पूजा होती है। प्रत्येक दिन देवी के एक स्वरूप का आवाहन, पूजन और स्तुति की जाती है। साथ ही कलश स्थापना, अखंड ज्योति प्रज्वलन और देवी मंत्रों का जप विशेष रूप से किया जाता है।
शारदीय नवरात्रि केवल एक धार्मिक पर्व नहीं है, बल्कि यह शक्ति, साधना और भक्ति का ऐसा उत्सव है जो व्यक्ति को सकारात्मकता, धैर्य और आत्मबल से भर देता है। इन नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की उपासना कर भक्त अपने जीवन में सुख-समृद्धि, स्वास्थ्य और शांति की कामना करते हैं। नवरात्रि का समय हमें यह संदेश देता है कि सच्ची श्रद्धा, संयम और तप से हम अपने जीवन की कठिनाइयों पर विजय पा सकते हैं
इस शारदीय नवरात्रि पर मां दुर्गा की कृपा से आपके जीवन में खुशहाली, समृद्धि और शक्ति का संचार हो।
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