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सरस्वती विसर्जन

सरस्वती विसर्जन के शुभ मुहूर्त, मंत्र, और विधि की पूरी जानकारी प्राप्त करें।

जानें मां सरस्वती के विसर्जन के बारे में

भारत के दक्षिण में केरल और तमिलनाडु में नवरात्रि में दुर्गा पूजा के दौरान सप्तमी और कई स्थानों पर अष्टमी तिथि को सरस्वती स्थापना करके माता का आवाहन किया जाता है। वहीं विजयदशमी या नवरात्री के 9वें दिन सरस्वती का विसर्जन किया जाता है।

सरस्वती विसर्जन का शुभ मुहूर्त

हिंदू कैलेंडर के अनुसार सरस्वती विसर्जन आश्विन महीने की शुक्ल पक्ष के नवरात्रि के दौरान किया जाता है।

  • सरस्वती विसर्जन बृहस्पतिवार, 02 अक्टूबर, 2025 को
  • श्रवण नक्षत्र विसर्जन मुहूर्त - 09:13 ए एम से 03:18 पी एम
  • अवधि - 06 घण्टे 05 मिनट्स
  • श्रवण नक्षत्र प्रारम्भ - अक्टूबर 02, 2025 को 09:13 ए एम बजे
  • श्रवण नक्षत्र समाप्त - अक्टूबर 03, 2025 को 09:34 ए एम बजे

शुभ समय

मुहूर्त

समय

ब्रह्म मुहूर्त

04:14 ए एम से 05:02 ए एम

प्रातः सन्ध्या

04:38 ए एम से 05:50 ए एम

अभिजित मुहूर्त

11:23 ए एम से 12:11 पी एम

विजय मुहूर्त

01:46 पी एम से 02:33 पी एम

गोधूलि मुहूर्त

05:44 पी एम से 06:08 पी एम

सायाह्न सन्ध्या

05:44 पी एम से 06:56 पी एम

अमृत काल

11:01 पी एम से 12:38 ए एम, अक्टूबर 03

निशिता मुहूर्त

11:23 पी एम से 12:11 ए एम, अक्टूबर 03

क्या है सरस्वती विसर्जन?

सरस्वती विसर्जन वह अवसर है जब नवरात्रि के दौरान स्थापित की गई देवी सरस्वती की प्रतिमा का सम्मानपूर्वक जल में विसर्जन किया जाता है। इसे विद्या, ज्ञान और कौशल की प्राप्ति का प्रतीक माना जाता है। विसर्जन के समय भक्त यह भाव रखते हैं कि मां सरस्वती हमारे जीवन से दूर नहीं जा रहीं, बल्कि हमारे हृदय और विचारों में सदा निवास करेंगी।

क्यों करना चाहिए सरस्वती विसर्जन?

देवी सरस्वती की स्थापना और पूजन के बाद विसर्जन करना धार्मिक परंपरा का आवश्यक अंग है। यह अनित्यत्व का संदेश देता है – अर्थात, जीवन में हर चीज़ परिवर्तनशील है। विसर्जन करने से हम देवी को सम्मानपूर्वक विदा करते हैं और उनसे पुनः आशीर्वाद प्राप्त करने का वचन लेते हैं।

सरस्वती विसर्जन का महत्व

नवरात्रि के आखिरी तीन दिन सरस्वती पूजन के लिए बहुत अधिक खास माने जाते हैं। इस दिन ज्ञानवर्धक पुस्तकों को माता सरस्वती के साथ पूजन स्थान पर रखकर उनका पूजन किया जाता है और पूजन के बाद इन पुस्तकों को पढ़ने के लिए उठा लिया जाता है। दक्षिण भारत राज्य केरल और तमिलनाडु में इस पूजा को एदुप्पू कहते हैं।

सरस्वती विसर्जन की पूजा कैसे करें?

  • प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • शुभ मुहूर्त में देवी सरस्वती की प्रतिमा के सामने दीप जलाएं।
  • ”ॐ ऐं सरस्वत्यै नमः” मंत्र का जप करें।
  • देवी को फल, पुष्प, मिष्ठान और विशेषकर साबूदाने की खीर का भोग अर्पित करें।
  • प्रसन्न मन से देवी का ध्यान कर उनकी प्रतिमा का जल में विसर्जन करें।
  • अंत में ब्राह्मणों को दक्षिणा और प्रसाद देकर आशीर्वाद प्राप्त करें।

सरस्वती विसर्जन की विधि

  • सबसे पहले ब्रह्म मुहूर्त में उठकर भक्तों को स्नान करना चाहिए।
  • सरस्वती विसर्जन की पूजा शुभ मुहूर्त में ही करना चाहिए।
  • इस के बाद घर की पूर्व दिशा में देवी सरस्वती जी की स्थापित की गई प्रतिमा की पूजा करनी चाहिए।
  • फिर घी का दीपक जला कर सरस्वती मंत्र ”ॐ ऐं सरस्वती नमः” का 108 बार जाप करना चाहिए। बाद में बाद साबूदाने की खीर का भोग चढ़ाएं।
  • सरस्वती मूर्ति को जल में विसर्जन करने के लिए प्रसन्न मन से क्षमस्व स्वस्थानं गच्छ मंत्र का जाप करना चाहिए।
  • बुद्धि बढ़ाने के लिए माँ पर दही और शहद का भोग लगाएं और फिर प्रसाद के रूप में उसका सेवन करें।
  • सरस्वती विसर्जन के बाद ब्राह्मणों को पूजा की दक्षिण अदा करनी चाहिए
  • जातक सरस्वती पूजा को करने के लिए इस विधि का पालन कर सकते हैं या फिर अपने पंडित से इस विसर्जन के बारे में सलाह भी लें सकते हैं।
  • इस नवरात्रि आप भी मां सरस्वती का विसर्जन करके अपनी मनोकामनाओं को पूर्ण कर सकते है।

सरस्वती विसर्जन मंत्र

  • हाथ में जल लेकर कहें:

"ओम सांग स्वाहन सपरिवार भूर्भुवःस्वः

  • श्रीसरस्वती पूजित हो, प्रसन्न हों और मेरे साथ रहें।

  • अगर देवी को जल में विसर्जित करना हो, तो "प्रसन्ना" के बाद कहें: "क्षमस्व, अपने स्थान पर वापस जाएं।"

  • फिर गणेश जी के लिए कहें: "ओम गं गणपति पूजित हो, प्रसन्न हों, मुझे क्षमा करें और अपने स्थान पर वापस जाएं।"

  • नवग्रहों के लिए कहें: "ओम सूर्यादि नवग्रह पूजित हो, प्रसन्न हों, मुझे क्षमा करें और अपने स्थान पर वापस जाएं।"

  • दशदिक्पालों के लिए कहें: "ओम इन्द्रादि दशदिक्पाल पूजित हो, प्रसन्न हों, मुझे क्षमा करें और अपने स्थान पर वापस जाएं।"

  • शांति कलश में स्थित देवताओं के लिए कहें: "ओम शांति कलशाधिष्ठित देवता, प्रसन्न हों, मुझे क्षमा करें और अपने स्थान पर वापस जाएं।"

  • अंत में कहें: "सभी देवगण मेरी पूजा से प्रसन्न होकर मेरे इच्छित कार्य पूरे करें और फिर से वापस आएं।" इसके बाद शाम को मूर्ति को जल में प्रवाहित कर दें।

सरस्वती विसर्जन के दौरान ध्यान रखें ये बातें

  • विसर्जन केवल शुभ मुहूर्त में ही करें।
  • प्रतिमा का विसर्जन करते समय जल प्रदूषण से बचें – पर्यावरण-अनुकूल प्रतिमा का ही प्रयोग करें।
  • विसर्जन से पूर्व देवी को प्रसन्न मन से विदा करें, शोक या उदासी न रखें।
  • पूजा स्थल और सामग्री को स्वच्छ रखें।

सरस्वती विसर्जन के लाभ क्या हैं?

  • शिक्षा और विद्या में सफलता मिलती है।
  • कला, संगीत और साहित्य से जुड़े लोगों को नई ऊर्जा प्राप्त होती है।
  • जीवन में निर्णय क्षमता और विवेक बढ़ता है।
  • घर-परिवार में शांति और समृद्धि आती है।

सरस्वती विसर्जन के दिन क्या करना चाहिए

  • पुस्तकों का पुनः प्रयोग शुरू करें।
  • जरूरतमंद बच्चों को पुस्तकें और अध्ययन सामग्री दान करें।
  • परिवार और समाज के साथ मिलकर प्रसाद वितरण करें।
  • देवी सरस्वती के भजन और कीर्तन करें

सरस्वती विसर्जन के दिन क्या न करें

  • विसर्जन के दिन घर में कलह या विवाद न करें।
  • अपवित्र वस्त्र पहनकर पूजा न करें।
  • प्रतिमा का अपमान या असावधानी से विसर्जन न करें।
  • इस दिन नकारात्मक विचार और आलस्य से बचें।

सरस्वती विसर्जन की कथा

हिंदू पौराणिक ग्रथों के अनुसार जब देवता और दानव मिलकर समुद्र मंथन का कार्य कर रहे थे। तब मंथन के दौरान कई रत्न और अमृत उन्हें प्राप्त हुए थे। लेकिन इस दौरान एक शक्तिशाली शक्ति उत्पन्न हुई। जिस से देखकर देवता और दानव बहुत ही विचलित हुए। इसके बाद सभी भगवान विष्णु की शरण में गए। भगवान विष्णु ने उन्हें देवी सरस्वती की कृपा प्राप्त करने को कहा, क्योंकि मां सरस्वती ही उच्च बुद्धिमत्ता और ज्ञान का अद्भुत दान दें सकती हैं। देवता और दानव इस सुझाव को मानते हुए देवी सरस्वती की पूजा अर्चना करने लगे।

जिस के बाद देवी सरस्वती ने उन्हें अपना आशीर्वाद दिया और बुद्धि और ज्ञान का वरदान दिया। देवता और दानव ने उस बुद्धि और ज्ञान का सहारा लेकर समुद्र मंथन को समाप्त किया और अमृत प्राप्त किया। इसके बाद सभी ने अमृत को समुद्र में विसर्जित करने का निर्णय लिया। इस अवसर पर उन्होंने मां सरस्वती की पूजा की और देवी को समुद्र में विसर्जित कर दिया। जिससे इस दिन को सरस्वती विसर्जन कहा जाता है।

इस प्रकार, सरस्वती विसर्जन केवल धार्मिक अनुष्ठान ही नहीं, बल्कि ज्ञान, संस्कार और पर्यावरण संतुलन का भी संदेश देता है। वर्ष 2025 में आप भी 2 अक्टूबर को मां सरस्वती का विसर्जन कर अपने जीवन में शिक्षा और ज्ञान का प्रकाश फैलाएं।

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Published by Sri Mandir·September 29, 2025

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