ऋषि पंचमी 2025 की तिथि, व्रत विधि, पूजा के नियम और सप्त ऋषियों की पूजा से जुड़ी संपूर्ण जानकारी प्राप्त करें। यह दिन महिलाओं के लिए विशेष रूप से पवित्र और शुभ माना जाता है
ऋषि पंचमी भाद्रपद शुक्ल पंचमी को मनाई जाती है। इस दिन सप्तऋषियों की पूजा का विशेष महत्व है। महिलाएं व्रत रखकर पापों से मुक्ति और परिवार की सुख-समृद्धि की कामना करती हैं। स्नान, दान और जप का पुण्य फल मिलता है।
हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल भाद्रपद मास में शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को ऋषि पंचमी व्रत रखा जाता है। मान्यता है कि इस व्रत के प्रभाव से सप्त ऋषियों का आशीर्वाद मिलता है, और स्त्रियों के रजस्वला होने के दौरान अनजाने में हुई भूल के कारण उससे लगने वाले पापों व दोषों से छुटकारा मिलता है।
ऋषि पञ्चमी, 28 अगस्त, 2025, बृहस्पतिवार को मनाई जाएगी।
मुहूर्त | समय |
ब्रह्म मुहूर्त | 04:07 ए एम से 04:52 ए एम तक |
प्रातः सन्ध्या | 04:29 ए एम से 05:37 ए एम तक |
अभिजित मुहूर्त | 11:33 ए एम से 12:24 पी एम तक |
विजय मुहूर्त | 02:06 पी एम से 02:57 पी एम तक |
गोधूलि मुहूर्त | 06:21 पी एम से 06:44 पी एम तक |
सायाह्न सन्ध्या | 06:21 पी एम से 07:29 पी एम तक |
अमृत काल | 01:46 ए एम, अगस्त 29 से 03:34 ए एम, 29 अगस्त तक |
निशिता मुहूर्त | 11:37 पी एम से 12:22 ए एम, 29 अगस्त तक |
रवि योग | 08:43 ए एम से 05:37 ए एम, 29 अगस्त तक |
ऋषि पंचमी भाद्रपद शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण धार्मिक व्रत है, जो विशेष रूप से स्त्रियों के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। यह पर्व सप्तऋषियों को समर्पित होता है — कश्यप, अत्रि, भारद्वाज, विश्वामित्र, गौतम, जमदग्नि और वशिष्ठ।
यह व्रत महिलाओं द्वारा उस रजस्वला दोष के निवारण के लिए किया जाता है जो मासिक धर्म के दौरान अनजाने में पूजा, रसोई या अन्य वर्जित कार्य करने पर लग सकता है। साथ ही इस दिन सप्तऋषियों को श्रद्धा से याद कर उनके प्रति कृतज्ञता प्रकट की जाती है।
ऋषि पंचमी व्रत महिलाओं के लिए विशेष महत्त्व रखता है। मान्यता है कि मासिक धर्म के दौरान रसोई या पूजा स्थल पर प्रवेश करने व कोई अन्य वर्जित कार्य करने से रजस्वला दोष लग सकता है, जिसे इस व्रत के प्रभाव से समाप्त किया जा सकता है।
मान्यता है कि इस दिन गंगा में स्नान करने से सभी पापों का नाश होता है और सप्तऋषियों का आशीर्वाद मिलता है। हालांकि गंगा स्नान संभव न होने पर गंगाजल डालकर स्नान करने से भी वही फल प्राप्त किया जा सकता है।
प्रतिवर्ष भाद्रपद मास की शुक्ल पंचमी तिथि को मनाई जाने वाली ऋषि पंचमी भारतीय सनातन परंपरा का एक विशेष पर्व है। यह व्रत विशेष रूप से स्त्रियों द्वारा सप्त ऋषियों एवं माता अरुंधति की कृपा पाने, पापों के नाश तथा मानसिक-शारीरिक शुद्धता के लिए किया जाता है।
पूजा में उपयोग होने वाली समस्त सामग्री को पहले से एकत्रित कर लेना आवश्यक होता है। निम्न सामग्री आपके पूजन में आवश्यक होगी —
यह व्रत विशेषकर स्त्रियों द्वारा रखा जाता है। इस दिन सुबह स्नान आदि कर स्वयं को शुद्ध कर व्रत का संकल्प लें और नीचे दी गई पूजा विधि का पालन करें।
दीप, धूप जलाकर आरती करें और पूजा में निम्न सप्तऋषि मंत्र का जाप करें —
कश्यपोत्रिर्भरद्वाजो विश्वामित्रोथ गौतमः। जमदग्निर्वसिष्ठश्च सप्तैते ऋषयः स्मृताः॥ दहन्तु पापं सर्वं गृह्णन्त्वर्ध्यं नमो नमः॥
भक्ति भाव से भगवान गणेश, माता गौरी, माता अरुंधति और सप्त ऋषियों की आरती करें।
पूजा के दौरान श्रद्धापूर्वक निम्न मंत्रों का उच्चारण करें:
कश्यपोऽत्रिर्भरद्वाजो विश्वामित्रोथ गौतमः। जमदग्निर्वसिष्ठश्च सप्तैते ऋषयः स्मृताः॥
यदकिञ्चित् व्रतं देव! यथाशक्ति कृतं मया। तत्सर्वं सम्यगस्तु त्वं प्रसन्नो भव सुप्रभो॥
ऋषि पंचमी व्रत करने के लिए कुछ नियमों और मर्यादाओं का पालन अनिवार्य होता है —
इस शुभ दिन पर कुछ विशेष उपाय करने से शारीरिक, मानसिक और पारिवारिक सुखों की प्राप्ति होती है:
ऋषि पंचमी व्रत का उल्लेख पुराणों में मिलता है। यह व्रत विशेषतः "स्कंद पुराण", "पद्म पुराण" और "गरुड़ पुराण" में वर्णित है। इसके पीछे एक लोककथा भी प्रसिद्ध है..
प्राचीन कथा के अनुसार, एक ब्राह्मण परिवार की कन्या रजस्वला अवस्था में अज्ञानतावश रसोई कार्यों में संलग्न हो गई। विवाह के बाद जब वह गम्भीर रोग से पीड़ित हुई, तब विद्वानों ने बताया कि पूर्व जन्म में ऋषियों का अपमान होने के कारण यह दोष उत्पन्न हुआ है। तब उसके परिजनों ने ऋषि पंचमी का व्रत कर उसे मुक्त कराया।
इस कथा से स्पष्ट होता है कि यह व्रत अनजाने में किए गए पापों के प्रायश्चित हेतु है, जिसमें श्रद्धा और क्षमा भावना प्रमुख है। ऋषि पंचमी केवल एक पर्व नहीं, बल्कि धार्मिक अनुशासन, नारी गरिमा और आत्मशुद्धि का प्रतीक है। इसके नियमों का पालन और विशेष उपायों का संपादन जीवन में सकारात्मक ऊर्जा लाता है।
इस दिन की पूजा विधि, व्रत नियम और परंपरा हमें यह सिखाते हैं कि त्रुटियों की क्षमा और शुद्धि का मार्ग सदा खुला होता है, बस श्रद्धा और समर्पण की आवश्यकता है।
तो भक्तों, ये थी ऋषि पंचमी के शुभ मुहूर्त से जुड़ी जानकारी। हमारी कामना है कि आपकी उपासना सफल हो, और आपको इस व्रत का संपूर्ण फल मिले।
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