फाल्गुन पूर्णिमा 2025 का महत्व और पूजा विधि
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फाल्गुन पूर्णिमा 2025 का महत्व और पूजा विधि

फाल्गुन पूर्णिमा पर दान, स्नान और हवन का विशेष महत्व होता है। इस दिन किए गए शुभ कार्य जीवन में सुख-समृद्धि लाते हैं।

फाल्गुन पूर्णिमा के बारे में

फाल्गुन पूर्णिमा हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन माह की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है। यह दिन धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। फाल्गुन पूर्णिमा को होली का पर्व धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन लोग पवित्र नदियों में स्नान कर दान-पुण्य करते हैं।

फाल्गुन पूर्णिमा कब है?

साल के अंतिम महीने फाल्गुन में पड़ने वाली पूर्णिमा तिथि का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। मान्यता है कि फाल्गुन पूर्णिमा के दिन व्रत रखने से व्रती के जीवन की समस्त समस्याएं दूर होती हैं, एवं श्रद्धालु पर भगवान विष्णु की विशेष कृपा होती है। इस तिथि पर स्नान, दान और पूजा करने को बहुत ही फलदायी बताया गया है।

इस वर्ष यह पूर्णिमा व्रत 13 मार्च 2025, बृहस्पतिवार को किया जाएगा। इसी दिन होलिका दहन भी किया जाएगा।

  • फाल्गुन पूर्णिमा व्रत - 13 मार्च 2025, बृहस्पतिवार को किया जाएगा।
  • पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ - 13 मार्च 2025, बृहस्पतिवार को 10:35 AM बजे से
  • पूर्णिमा तिथि समाप्त - 14 मार्च 2025, शुक्रवार को 12:23 PM बजे तक

फाल्गुन पूर्णिमा शुभ मुहूर्त

मुहूर्त

समय

ब्रह्म मुहूर्त

04:33 ए एम से 05:21 ए एम तक

प्रातः सन्ध्या

04:57 ए एम से 06:09 ए एम तक

अभिजित मुहूर्त

11:44 ए एम से 12:31 पी एम तक

विजय मुहूर्त

02:07 पी एम से 02:55 पी एम तक

गोधूलि मुहूर्त

06:03 पी एम से 06:28 पी एम तक

सायाह्न सन्ध्या

06:06 पी एम से 07:18 पी एम तक

अमृत काल

11:19 पी एम से 01:04 ए एम, (14 मार्च) तक

निशिता मुहूर्त

11:43 पी एम से 12:31 ए एम, (14 मार्च) तक

फाल्गुन पूर्णिमा क्या है?

नमस्कार दोस्तों! श्री मंदिर पर आपका स्वागत है। फाल्गुन माह में आने वाली पूर्णिमा का हिन्दू धर्म में बहुत महत्व है। ये दिन जहां हमारे सबसे बड़े त्यौहार होली का उल्लास लेकर आता है, वहीं जातक इस दिन विधि-विधान से श्री हरि व माता लक्ष्मी की आराधना करते हैं, एवं व्रत रखते हैं।

फाल्गुन पूर्णिमा क्या है?

हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास वर्ष का अंतिम महीना होता है, एवं फाल्गुन पूर्णिमा साल का अंतिम दिन व अंतिम पूर्णिमा होती है। ये दिन धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। इस दिन होलिका दहन किया जाता है, साथ ही इसी पूर्णिमा तिथि पर लक्ष्मी जयंती का पर्व भी मनाया जाता है।

फाल्गुन पूर्णिमा का महत्व क्या है?

  • फाल्गुन पूर्णिमा की तिथि भगवान विष्णु को समर्पित होती है। इसीलिए इस पवित्र दिन पर सुबह स्नान करने के बाद भगवान विष्णु की पूजा करने का विधान है। इस दिन माता लक्ष्मी की भी विधिवत् पूजा की जाती है।
  • अधिकांश लोग इस दिन व्रत रखते हैं, और श्री सत्यनारायण भगवान की कथा भी सुनते हैं। ऐसा करने से भगवान लक्ष्मीनारायण की कृपा परिवार पर बनी रहती है।
  • फाल्गुन पूर्णिमा के दिन किया गया व्रत-उपवास, पूजा-पाठ और स्नान-दान मनुष्य को जन्म-जन्मांतर के पापों से मुक्ति दिलाने वाला होता है।
  • यदि आप किसी कारण वश व्रत न भी कर पाएं तो भी अन्न दान अवश्य करें। फाल्गुन पूर्णिमा पर किया गया छोटा दान भी मनुष्य को अक्षय पुण्य प्रदान करता है।
  • ऐसी मान्यता है कि फाल्गुन पूर्णिमा पर श्री विष्णु एवं माता लक्ष्मी की आराधना करने वाले भक्तों पर भगवान विष्णु-लक्ष्मी जी की विशेष कृपा होती है। उन्हें जीवनपर्यंत सुख-सौभाग्य, धन-संतान का सुख प्राप्त होता है, तथा मरणोपरान्त बैकुंठधाम गमन होता है।

हम आशा करते हैं कि फाल्गुन पूर्णिमा के महत्व से जुड़ी ये जानकारी आपको पसंद आई होगी। क्या है फाल्गुन पूर्णिमा की पूजा विधि, या इस दिन के लाभ क्या हैं? ये सब जानने के लिए जुड़े रहिए श्री मंदिर पर।

फाल्गुन पूर्णिमा की पूजा विधि

हिन्दू धर्म में पूर्णिमा तिथि को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस तिथि पर स्नान-दान, विष्णु पूजा और पितरों को तर्पण देने का विधान है। मान्यता है इस पूर्णिमा तिथि पर गंगा स्नान करने और विधिवत पूजा-अर्चना करने से जातक को कई गुना पुण्य फल प्राप्त होता है।

जानें पूर्णिमा की पूजा की तैयारी और इसकी विधि के बारे में विस्तार से

पूजा से पहले किए जाने वाले कार्य

  • इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नानादि कार्यों से निवृत हो जाएं।
  • पूर्णिमा के दिन वैसे तो गंगा स्नान का विशेष महत्व है, लेकिन अगर ये संभव नहीं है तो आप किसी पवित्र जलाशय या नदी में स्नान कर सकते हैं। अगर ये भी संभव न हो तो, घर में ही जल में गंगाजल मिलाकर स्नान कर लें।
  • प्रातःकाल में स्नान के बाद सूर्य देव को अर्घ्य दें, और व्रत का संकल्प लें।

पूर्णिमा पर की जाने वाली भगवान विष्णु की पूजा विधि

  • पूर्णिमा तिथि पर भगवान विष्णु और लक्ष्मी माता की पूजा का विशेष महत्व है।
  • इसके लिए पूर्व दिशा में एक चौकी स्थापित कर लें और चौकी पर पीला वस्त्र बिछाएं।
  • चौकी पर गंगाजल छिड़ककर उस स्थान को शुद्ध कर लें।
  • अब चौकी पर अक्षत के कुछ दाने आसन के रूप में डालें, और भगवान विष्णु-लक्ष्मी की प्रतिमा या तस्वीर के साथ ही भगवान गणेश की प्रतिमा या चित्र को स्थापित कर लें।
  • कलश में रखें जल को एक फूल की सहायता से लेकर स्नान के रूप में एक-एक करके सभी देवों पर छिड़कें।
  • इसके पश्चात् चौकी के दायीं ओर अर्थात आपके बायीं ओर एक दीपक प्रज्वलित करें।
  • अब “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः” मंत्र का जाप करते हुए आचमन कर अपनी आंतरिक शुद्धि करें।
  • सबसे पहले भगवान गणेश का पूजन करें। उन्हें हल्दी-रोली से तिलक करें। फिर उन्हें जनेऊ, लाल पुष्प और दूर्वा अर्पित करें।
  • अब श्री हरि को हल्दी-चंदन का तिलक लगाएं और लक्ष्मी माता को कुमकुम-हल्दी का तिलक करें।
  • सभी प्रतिमाओं को अक्षत अर्पित करें।
  • इसके पश्चात् विष्णु भगवान को जनेऊ चढ़ाएं, पुष्प चढ़ाएं और पुष्प माला पहनाएं।
  • माँ लक्ष्मी को भी कमल का फूल, पुष्प माला, मौली और सुहाग की सामग्री अर्पित करें।
  • इसके पश्चात् चौकी पर धूप जलाएं।
  • अब भोग में भगवान विष्णु और माँ लक्ष्मी को पंचामृत, पंजीरी, केला व अन्य फल और मिठाई का भोग लगाएं, इसमें तुलसी पत्र अवश्य रखें।
  • भगवान गणेश जी को भी मिठाई और फल अर्पित करें। इन्हें तुलसी दल अर्पित न करें।
  • भोग के साथ भगवान को दक्षिणा भी अर्पित करें।
  • अब फाल्गुन पूर्णिमा की कथा पढ़ें, यह कथा आपके लिए श्री मंदिर पर उपलब्ध है।
  • आप इस दिन श्री सत्यनारायण भगवान की कथा भी पढ़ या सुन सकते हैं।
  • इसके पश्चात् भगवान विष्णु की आरती उतारें।
  • अंत में हाथ में अक्षत और पुष्प लेकर भगवान से पूजा में हुई किसी भी भूल के लिए क्षमा मांगें और अक्षत व पुष्प को भगवान के चरणों में छोड़ दें।
  • इसके पश्चात् अगर आप व्रत रख रहे हैं तो स्वयं फलाहार ग्रहण करें और परिवारजनों में प्रसाद वितरित कर दें।
  • इस प्रकार आप इस दिन को अत्यधिक शुभ एवं लाभकारी बना सकते हैं, ऐसी ही महत्वपूर्ण जानकारी के लिए आप श्री मंदिर से जुड़े रहें।

फाल्गुन पूर्णिमा पर स्नान और दान का महत्व

पूर्णिमा धार्मिक दृष्टि से बहुत ही विशेष तिथि मानी जाती है। इस दिन किया गया स्नान और दान बहुत ही फलदायक और मनुष्य को मोक्ष दिलाने वाला होता है।

तो चलिए आज पूर्णिमा पर स्नान और दान के महत्व और इसके लाभ के बारे में विस्तार से जानते हैं -

सबसे पहले बात करते हैं स्नान की: हिन्दू धर्म में तीर्थ स्नान को बहुत ही शुभ माना जाता है। और पूर्णिमा तिथि पर किया गया गंगा स्नान तो जन्म जन्मांतर के पापों से मुक्ति दिलाने वाला होता है। इस तिथि पर जो जातक गंगा स्नान करते हैं, उनपर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की विशेष कृपा होती है।

स्नान से जुड़े सरल उपाय: अगर आप पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान नहीं कर सकते, तो किसी अन्य पवित्र नदी या घाट के किनारे जाकर स्नान करके पुण्यफल की प्राप्ति कर सकते हैं। और यदि ये भी संभव ना हो, तो अपने घर में ही पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें। इसके बाद सूर्यदेव को अर्घ्य अवश्य दें, इससे आपको तीर्थ स्नान के बराबर का पुण्यफल प्राप्त होगा।

लाभ: पूर्णिमा पर पवित्र स्नान करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं। आपको बुरे कर्मो से मुक्ति मिलती है, जीवन की सभी बाधाएं दूर होती हैं, और मृत्यु के बाद वैकुण्ठ धाम की प्राप्ति होती है।

दान: अब बात करें पूर्णिमा पर दान के महत्व की, तो इस दिन किए गए दान से असंख्य पुण्य मिलते हैं। विशेषकर अगर ये दान आप दीन-दुखियों को देते हैं, तो दीनबंधु कहलाने वाले भगवान विष्णु अति प्रसन्न होते हैं, साथ ही आपको किसी ज़रूरतमंद का आशीर्वाद भी मिल जाता है। इसलिए पूर्णिमा तिथि पर वस्त्र, अन्न, घी, गुड़ और फल का दान अवश्य करें।

सरल उपाय: पूर्णिमा तिथि पर आप किसी ज़रूरतमंद व्यक्ति को उसकी आवश्यकता की कोई भी वस्तु दान में दे सकते हैं।

लाभ: पूर्णिमा पर किये गए दान से जहां किसी ग़रीब का भला होगा, वहीं आपको मोह से मुक्ति मिलेगी। साथ ही भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी के विशेष आशीर्वाद से आपके घर में धन-धान्य और सुख-शांति बनी रहेगी।

हम आशा करते हैं कि आपको इस पावन पूर्णिमा का सम्पूर्ण फल मिले।

फाल्गुन पूर्णिमा के 5 लाभ

नमस्कार भक्तों, श्री मंदिर पर आपका स्वागत है। पूर्णिमा एक ऐसी पावन तिथि है, जिस दिन जातक स्नान-दान, जप-तप आदि धार्मिक कार्य करके अपने पिछले सभी पापों के प्रभाव को नष्ट कर सकते हैं, साथ ही आने वाले जीवन को सुख-समृद्धि से भर सकते हैं। इसके अलावा भी कई ऐसे अद्भुत लाभ हैं, जो आपको पूर्णिमा तिथि पर मिलते हैं, चलिए उनके बारे में जानते हैं।

पहला लाभ- सुख-सौभाग्य व संतान का सुख

पूर्णिमा पर किसी ब्राह्मण या ज़रूरतमंद को दान देने से भगवान विष्णु अत्यधिक प्रसन्न होते हैं, और जातक को अपनी कृपा का पात्र बनाकर उन्हें सुख-सौभाग्य, धन-संतान आदि का सुख प्रदान करते हैं।

दूसरा लाभ- धन-धान्य से भर जाएगा भंडार

इस दिन गंगा नदी तट पर दीप दान करने से देवी लक्ष्मी अत्यंत प्रसन्न होती हैं, और अपने आशीर्वाद स्वरूप, भक्तों का भंडार धन-धान्य से भर देती हैं।

तीसरा लाभ- असाध्य रोगों से मिलेगा छुटकारा

पूर्णिमा की रात में चंद्रमा की पूजा करने से चंद्र दोष नष्ट होता है, और चंद्र देव को खीर का भोग अर्पित करने से उनकी विशेष कृपा प्राप्त होती है, जिससे आर्थिक तंगी व असाध्य रोगों से छुटकारा मिलता है।

चौथा लाभ- दूर होगा बुरी आत्माओं का प्रभाव

माना जाता है कि पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु के साथ-साथ हनुमान जी की पूजा करने वाले भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं, और आस-पास की बुरी आत्माओं का प्रभाव दूर हो जाता है।

पांचवां लाभ- मिलेगा पितरों का आशीर्वाद

पूर्णिमा तिथि पर पितरों की शांति के लिए गंगा घाट पर तिल, कंबल, कपास, गुड़, घी और फल आदि का दान कर तर्पण करने से उनका आशीर्वाद मिलता है, और जीवन में सुख-शांति बनी रहती है।

तो दोस्तों, ये थे इस पूर्णिमा तिथि पर मिलने वाले कुछ विशेष लाभ। पूर्णिमा व्रतकथा, पूजा विधि व अन्य जानकारियां भी आपके लिए श्री मंदिर पर उपलब्ध हैं, उन्हें भी अवश्य देखें, ताकि आप विधि-विधान से स्नान-दान और पूजा करके इस पावन तिथि का संपूर्ण पुण्यफल प्राप्त कर सकें। धन्यवाद।

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Published by Sri Mandir·February 21, 2025

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