क्या आप जानना चाहते हैं कि नवपत्रिका पूजा 2025 कब है? यहाँ पढ़ें इसकी तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व की पूरी जानकारी, ताकि आप सही समय पर माँ दुर्गा की आराधना कर सकें
नवपत्रिका पूजा शारदीय नवरात्रि का प्रमुख उत्सव है, जिसमें मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। यह पूजा नवपत्रिका (नए पत्तों से बनी कलश) की स्थापना और आराधना के साथ मनाई जाती है।
नवपत्रिका पूजा, जिसे महा सप्तमी भी कहा जाता है, दुर्गा पूजा का प्रथम और अत्यंत महत्वपूर्ण दिन है। इस दिन नौ पवित्र पौधों के समूह को देवी दुर्गा के नौ रूपों का प्रतीक मानकर उनका पूजन किया जाता है। विशेषकर पश्चिम बंगाल, असम और ओडिशा में इसे कोलाबोऊ पूजा के रूप में बड़ी श्रद्धा और धूमधाम से मनाया जाता है। मान्यता है कि इस पूजा से देवी दुर्गा भक्तों के घर-परिवार में सुख, शांति और समृद्धि का वास करती हैं।
वर्ष 2025 में नवपत्रिका पूजा सोमवार, 29 सितम्बर को मनाई जाएगी। यह दिन महा सप्तमी के नाम से भी प्रसिद्ध है, जो दुर्गा पूजा का प्रथम दिन माना जाता है।
इस दिन के प्रमुख शुभ मुहूर्त इस प्रकार हैं –
नवपत्रिका पूजा, दुर्गा पूजा के सप्तमी दिन की मुख्य अनुष्ठानिक पूजा है। इसमें नौ पवित्र पौधों को एकत्र कर देवी दुर्गा के प्रतीक स्वरूप माना जाता है। इन पौधों को लाल या नारंगी वस्त्र से सुसज्जित कर नदी अथवा किसी जलाशय में स्नान कराया जाता है और फिर उन्हें देवी दुर्गा के चित्रपट के दायीं ओर स्थापित किया जाता है।
हिंदू धर्म में किसी भी देवी-देवता का आह्वान करने के लिए एक जीवंत प्रतीक की आवश्यकता होती है। नवपत्रिका उसी जीवंत माध्यम का प्रतिनिधित्व करती है, जिसमें देवी दुर्गा का अधिवास आमंत्रित किया जाता है। इसे कोलाबोऊ पूजा भी कहते हैं और विशेष रूप से पश्चिम बंगाल में इसे अत्यंत श्रद्धा के साथ किया जाता है।
नवपत्रिका नौ अलग-अलग पवित्र पौधों से बनाई जाती है। इन्हें देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों से जोड़ा जाता है –
इस दिन भक्त मुख्यतः देवी दुर्गा के महिषासुरमर्दिनी स्वरूप की पूजा करते हैं। नवपत्रिका के नौ पौधे देवी के नौ स्वरूपों का प्रतीक माने जाते हैं और इन्हीं के माध्यम से देवी दुर्गा का आवाहन किया जाता है।
इस दिन भक्तजन सात्विक आहार का सेवन करते हैं। फलाहार, खीर, पूड़ी, सब्ज़ी, चने, मिष्ठान्न और पंचामृत का सेवन किया जाता है। मांस, मदिरा और तामसिक आहार वर्जित होता है। इस प्रकार, नवपत्रिका पूजा न केवल दुर्गा पूजा का प्रारम्भिक अनुष्ठान है, बल्कि यह देवी दुर्गा की विशेष कृपा प्राप्त करने का महत्वपूर्ण अवसर भी है।
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