नरसिंह द्वादशी की तिथि, पूजा विधि और शुभ मुहूर्त जानें। भगवान नरसिंह की पूजा से जीवन में भयमुक्ति, सुख और समृद्धि प्राप्त करें।
नरसिंह द्वादशी भगवान विष्णु के चौथे अवतार, नरसिंह भगवान को समर्पित पावन दिन है। यह पर्व फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन भगवान नरसिंह की पूजा-अर्चना कर भक्त जन अपने जीवन में सुख-शांति और समृद्धि की कामना करते हैं।
संसार में जब-जब आसुरी शक्तियों ने अहंकार वश देवों और मनुष्यों पर अत्याचार करना शुरू किया, तब-तब भगवान विष्णु ने अलग-अलग रूप में अवतार लेकर उनका अंत किया। भगवान का नरसिंह अवतार भी उन्हीं अवतारों में से एक है, जो उन्होंने हिरण्यकश्यप का वध करने एवं भक्त प्रह्लाद की रक्षा करने के लिए लिया था। भगवान के इसी स्वरूप को समर्पित है नरसिंह द्वादशी का पावन पर्व।
शास्त्रों के अनुसार फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी के दिन ही भगवान विष्णु 'नरसिंह स्वरूप' में अवतरित हुए थे। अतः हर वर्ष होली से लगभग 3-4 दिन पहले द्वादशी तिथि पर 'नरसिंह द्वादशी' मनाई जाती है। इस बार ये पर्व 10 मार्च 2025, फाल्गुन, शुक्ल द्वादशी को पड़ रहा है।
विष्णु पुराण के अनुसार- भगवान श्री हरि का नरसिंह अवतार उनके दशावतारों में से चौथा स्वरूप माना गया है। ऐसी मान्यता है कि फाल्गुन मास शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को अपने परम भक्त प्रह्लाद की रक्षा करने के लिए भगवान विष्णु एक खंभे को चीरते हुए प्रकट हुए थे। उनका आधा शरीर मनुष्य का और आधा शरीर शेर का था। इसी कारण भगवान के इस अवतार को 'नरसिंह अवतार' कहा जाता है।
इसके साथ ही भगवान नरसिंह ने प्रह्लाद से कहा था- जो मनुष्य 'नरसिंह द्वादशी' पर मेरे इस नरसिंह अवतार का स्मरण करते हुए पवित्र मन से पूजा व व्रत करेगा, उसे जन्म जन्मांतर के पापों से मुक्ति मिलेगी और समस्त मनोकामनाएं पूरी होंगी।
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