गुजरात में नाग पंचमी पर्व श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है, जो उत्तर भारत से एक दिन पहले होता है। इस दिन श्रद्धालु नाग देवता की पूजा करते हैं और दूध, फूल व दूर्वा चढ़ाकर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। 2025 में गुजरात में नाग पंचमी कब है, पूजा कैसे करें, क्या करना चाहिए और इससे जुड़ी धार्मिक परंपराएं क्या हैं — जानिए इस लेख में पूरी जानकारी।
गुजरात में नाग पंचमी बड़े श्रद्धा से मनाई जाती है। इस दिन नाग देवता की पूजा की जाती है और दूध अर्पित किया जाता है। महिलाएँ अपने परिवार की रक्षा और समृद्धि के लिए व्रत रखती हैं और कथा सुनती हैं।
भक्तों नमस्कार, श्री मंदिर पर आपका स्वागत है। नाग पञ्चम मुख्य रूप से गुजरात में मनाया जाता है। हालांकि नाग देवता की पूजा कुछ क्षेत्रों में नाग पञ्चमी के रूप में की जाती है, जो कि नाग पञ्चम से पंद्रह दिन पहले होती है। ये पर्व गुजराती कैलेंडर के अनुसार श्रावण मास के कृष्ण पक्ष पञ्चमी को पड़ता है। गुजरात में नाग पञ्चम कृष्ण जन्माष्टमी से तीन दिन पहले मनाया जाता है। वहीं उत्तर भारतीय राज्यों में प्रचलित पूर्णिमांत कैलेंडर के अनुसार नाग पञ्चम का ये पर्व भाद्रपद मास में पड़ता है।
मुहूर्त | समय |
ब्रह्म मुहूर्त | 04:03 ए एम से 04:47 ए एम तक |
प्रातः सन्ध्या | 04:25 ए एम से 05:31 ए एम तक |
अभिजित मुहूर्त | कोई नहीं |
विजय मुहूर्त | 02:13 पी एम से 03:06 पी एम तक |
गोधूलि मुहूर्त | 06:35 पी एम से 06:57 पी एम तक |
सायाह्न सन्ध्या | 06:35 पी एम से 07:40 पी एम तक |
अमृत काल | 06:00 ए एम से 07:31 ए एम तक |
निशिता मुहूर्त | 11:41 पी एम से 12:25 ए एम, 14 अगस्त तक |
श्रावण मास भगवान शिव को अति प्रिय होता है। इस महीने भगवान शिव और माता पार्वती की विशेष रूप से पूजा-आराधना की जाती है। भगवान शिव के गले में लिपटे नाग देवता उन्हें बहुत प्रिय माने जाते हैं, इसीलिए नाग पञ्चम पर नाग देवता की उपासना की जाती है। इस पूजा से नाग देवता के साथ-साथ भगवान भोलेनाथ भी अत्यंत प्रसन्न होते हैं।
नाग पञ्चम के पर्व पर सभी प्रमुख नाग मंदिरों में नाग देवता की पूजा का विशेष आयोजन किया जाता है। जिन लोगों की कुंडली में कालसर्प संबंधी दोष होता है, वे यदि इस दिन विधि विधान से नाग पूजा करते हैं, तो इस दोष से छुटकारा मिलता है।
हालांकि नामों में समानता होने के कारण कई बार “नाग पंचमी” और “नाग पञ्चम” को एक ही पर्व समझ लिया जाता है, लेकिन दोनों के बीच धार्मिक पंचांग और क्षेत्रीय परंपराओं के आधार पर स्पष्ट अंतर है। “नाग पंचमी” उत्तर भारत, नेपाल, महाराष्ट्र आदि क्षेत्रों में श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाई जाती है, जो 2025 में 29 जुलाई को पड़ रही है। दूसरी ओर, “नाग पञ्चम” मुख्यतः गुजरात में मनाया जाने वाला पर्व है, जो श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि को आता है और 2025 में 13 अगस्त को मनाया जाएगा।
उत्तर भारत में इसे “नाग पंचमी” कहा जाता है, जबकि गुजरात में इसे “नाग पञ्चम” के नाम से जाना जाता है। नाग पंचमी श्रावण मास के पहले पखवाड़े में आती है, जबकि नाग पञ्चम कृष्ण जन्माष्टमी से ठीक तीन दिन पूर्व मनाई जाती है। दोनों पर्वों की पूजा विधि लगभग समान होती है—नाग देवता की पूजा, दूध अर्पण, कथा श्रवण आदि—but वे अलग-अलग पंचांगों (पूर्णिमांत और अमांत) पर आधारित होने के कारण अलग तिथियों पर आते हैं। यही कारण है कि इन्हें एक जैसा होते हुए भी दो अलग पर्व माना जाता है।
इसलिए यह समझना ज़रूरी है कि “नाग पंचमी” और “नाग पञ्चम” दो अलग पर्व हैं, जो विभिन्न क्षेत्रों की संस्कृति और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मनाए जाते हैं। कहते हैं कि नाग पञ्चम के दिन यदि नाग देव के दर्शन हो जाएं, तो व्यक्ति के जीवन में सकारात्मकता आती है, और आर्थिक स्थिति अच्छी होती है।
तो यह थी नाग पञ्चम व्रत से जुड़ी जानकारी, हमारी कामना है कि आपका ये व्रत व पूजा-अर्चना सफल हो, और नाग देवता आप पर सदा अपनी कृपा बनाए रखें।
Did you like this article?
आद्याकाली जयंती 2025 कब है? जानिए माँ आद्याकाली की जयंती की तिथि, इसका धार्मिक महत्व और कैसे भक्त इस दिन देवी की पूजा-अर्चना करते हैं।
शीतला सातम 2025 कब है? जानिए इस व्रत की तिथि, परंपरा और धार्मिक महत्व। इस दिन क्यों खाया जाता है बासी खाना और माता शीतला की पूजा कैसे की जाती है।
रांधण छठ 2025 कब है? जानिए इस विशेष व्रत की तिथि, परंपरा और क्यों इस दिन बिना अग्नि जलाए खाना खाया जाता है। व्रत की पूरी जानकारी यहाँ पाएं।