नाग पंचमी 2025: नाग देवता की पूजा से मिलेगी काल सर्प दोष से मुक्ति, जानें पूजा विधि, कथा और महत्व।
नाग पंचमी एक पवित्र हिन्दू पर्व है, जो श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन नागों (सर्पों) की पूजा की जाती है। लोग दूध, फूल, कुशा और दूर्वा अर्पित कर नाग देवता का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। यह पर्व सर्पों के प्रति श्रद्धा और प्रकृति से सहअस्तित्व का प्रतीक माना जाता है।
भक्तों नमस्कार, श्री मंदिर के इस धार्मिक मंच पर आपका स्वागत है। श्रावण मास के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली पंचमी को नाग पंचमी के रूप में मनाया जाता है। ये त्योहार हिंदू धर्म के लोगों के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है। इस दिन भगवान शिव के गण नाग देवता की पूजा करने का विधान है। नाग पंचमी के अवसर पर शेषनाग (अनंत), वासुकी, तक्षक, पद्म, पिंगल, कार्कोटक, कम्बल और अश्वतर जैसे अष्टनाग देवताओं की पूजा विशेष महत्वपूर्ण बताई गई है। आज इस लेख में हम जानेंगे की साल 2025 में नाग पंचमी कब है? और क्या है इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त?
मुहूर्त | समय |
ब्रह्म मुहूर्त | 03:59 ए एम से 04:41 ए एम तक |
प्रातः सन्ध्या | 04:20 ए एम से 05:24 ए एम तक |
अभिजित मुहूर्त | 11:38 ए एम से 12:31 पी एम तक |
विजय मुहूर्त | 02:18 पी एम से 03:11 पी एम तक |
गोधूलि मुहूर्त | 06:45 पी एम से 07:06 पी एम तक |
सायाह्न सन्ध्या | 06:45 पी एम से 07:49 पी एम तक |
अमृत काल | 11:42 ए एम से 01:25 पी एम तक |
निशिता मुहूर्त | 11:43 पी एम से 12:26 ए एम, 30 जुलाई तक |
रवि योग | 07:27 पी एम से 05:24 ए एम, 30 जुलाई तक |
नाग पंचमी हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जो सावन महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। यह दिन नाग देवता को समर्पित है और उन्हें प्रसन्न करने के लिए कई धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं। इस साल नाग पंचमी का त्योहार 9 अगस्त 2024 को मनाया जाएगा। इस दिन लोग नाग देवता को दूध पिलाते हैं। साथ ही शिव मंदिर में जाकर भक्त शिव जी और नाग देवता की पूजा करते हैं।
नाग पंचमी मनाने के पीछे एक पौराणिक कथा है। कथा के अनुसार, महाभारत युद्ध के बाद पांडवों ने अभिमन्यु के पुत्र परीक्षित को राजा बना दिया और स्वयं स्वर्ग की यात्रा पर निकल पड़े। पांडवों के बाद पृथ्वी पर कलियुग का आगमन हो चुका था। राजा परीक्षित की मृत्यु सर्पदंश से हुई। जब परीक्षित के पुत्र जनमेजय बड़े हुए, तो उन्होंने अपने पिता की मृत्यु का बदला लेने के लिए पृथ्वी के सभी सांपों को मारने के लिए नाग दाह यज्ञ किया। इस यज्ञ में पृथ्वी भर से नाग आए और जलने लगे। जब आस्तिक मुनि को इस बात का पता चला तो वे तुरंत राजा जनमेजय के पास पहुंचे।
आस्तिक मुनि ने राजा जनमेजय को समझाया और यह यज्ञ रुकवा दिया। जिस दिन यह घटना घटी उस दिन सावन शुक्ल पक्ष की पंचमी थी। उस दिन आस्तिक मुनि के कारण ही साँपों की रक्षा हो सकी। इसके बाद नाग पंचमी का त्योहार मनाना शुरू हो गया। यज्ञ की अग्नि को शीतल करने के लिए आस्तिक मुनि ने उसमें दूध डाला था। इसी मान्यता के चलते नाग पंचमी पर नाग देव को दूध चढ़ाने की परंपरा शुरू हुई।
नाग देवता को वर्षा और जल का देवता माना जाता है। मान्यता है कि नाग पंचमी के दिन नाग देवता की पूजा करने से वर्षा होती है और फसल अच्छी होती है। नागों को विषैला माना जाता है। नाग पंचमी के दिन नाग देवता की पूजा करने से सर्प दंश से सुरक्षा मिलती है। नागों को प्रकृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है। नाग पंचमी के दिन प्रकृति के प्रति कृतज्ञता व्यक्त की जाती है।
हमारा सनातन धर्म हमें सिखाता है कि हम सभी जीवों का सम्मान करें और किसी को हानि न पहुंचाएं। इस विचारधारा की झलक आपको हमारें पर्वों में भी देखने को मिल जाएगी। ऐसे ही खूबसूरत पर्वों में से एक है नाग पंचमी। नाग पंचमी आस्था और भक्ति के साथ जीवों के प्रति कृतज्ञता एवं सम्मान का भी प्रतीक है। यह सभी बातें इस त्योहार की पूजा विधि को और भी खास बना देती हैं, और आज हम आपके लिए वही पूजा-विधि लेकर प्रस्तुत हुए हैं-
आपको बता दें, नाग पंचमी पर घर के दरवाज़े या दीवार पर नाग देवता की आकृति बनाई जाती है। आप भी अपने घर के द्वार या दीवार पर नाग देवता की आकृति ज़रूर बनाएं और अगर ऐसा संभव न हो पाए तो दीवार पर कागज़ लगाकर भी आप नाग देव की आकृति बना सकते हैं।
तो इसी के साथ आपकी नाग पंचमी की पूजा समाप्त होती है।
नाग पंचमी की पूजा बहुत ही सरल लेकिन अत्यंत प्रभावशाली मानी जाती है। इस दिन नाग देवताओं के साथ भगवान शिव की भी विशेष पूजा की जाती है।
पूजा के दौरान निम्न मंत्रों का जप करना अत्यंत फलदायी होता है:
“ॐ नमो भगवते वासुकये फणिनां पतये नमः।”
“ॐ कुरुकुल्ये हुं फट् स्वाहा।”
“अनन्तं वासुकिं शेषं पद्मनाभं च कंबलम्।
शंखपालं धार्तराष्ट्रं तक्षकं कालियं तथा॥”
इन आठ नागों का स्मरण कर उनके नाम से पुष्प अर्पित करें।
क्योंकि भगवान शिव के गले में वासुकि नाग सुशोभित हैं, इसलिए नाग पंचमी का दिन शिव आराधना के लिए भी श्रेष्ठ माना जाता है। शिव जी को प्रसन्न करने के उपाय:
नाग पंचमी के दिन क्या नहीं करना चाहिए?
तो यह थी नाग पंचमी से जुड़ी पूरी जानकारी, हमारी कामना है कि आपका ये व्रत व पूजा अर्चना सफल हो, और भगवान शिव व नाग देवता की कृपा आप पर सदैव बनी रहे। ऐसे ही व्रत, त्यौहार व अन्य धार्मिक जानकारियों के लिए जुड़े रहिए 'श्री मंदिर' पर।
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