
मोक्षदा एकादशी 2025: जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और सामग्री। भगवान विष्णु की आराधना का दिव्य पर्व।
मोक्षदा एकादशी कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष एकादशी को मनाई जाती है। इस दिन व्रत रखने, भजन-कीर्तन करने और धर्मकर्म में लिप्त रहने से पाप नष्ट होते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
हिन्दू कैलेंडर के अनुसार मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मोक्षदा एकादशी के नाम से जाना जाता है। मोक्षदा एकादशी का शाब्दिक अर्थ है मोक्ष प्रदान करने वाली। यह एकादशी भगवान कृष्ण को समर्पित है। पुराणों के अनुसार इसी एकादशी पर भगवान श्रीकृष्ण ने कुरुक्षेत्र की युद्धभूमि पर अर्जुन को भगवत गीता का ज्ञान दिया था और उन्हें मोह के सभी बंधनों से मुक्त किया था, यही कारण है कि इस एकादशी पर व्रत करने से व्यक्ति को सभी मोह-बंधनों से मुक्ति मिलती है।
मुहूर्त | समय |
ब्रह्म मुहूर्त | 04:40 ए एम से 05:33 ए एम |
प्रातः सन्ध्या | 05:07 ए एम से 06:27 ए एम |
अभिजित मुहूर्त | 11:26 ए एम से 12:08 पी एम |
विजय मुहूर्त | 01:34 पी एम से 02:17 पी एम |
गोधूलि मुहूर्त | 05:05 पी एम से 05:32 पी एम |
सायाह्न सन्ध्या | 05:07 पी एम से 06:27 पी एम |
अमृत काल | 09:05 पी एम से 10:34 पी एम |
निशिता मुहूर्त | 11:21 पी एम से 12:14 ए एम, दिसम्बर 02 |
हिन्दू मान्यताओं के अनुसार मोक्षदा एकादशी को सबसे शुभ और महत्वपूर्ण एकादशी माना जाता है। मोक्षदा एकादशी के शुभ दिन पर भगवान श्रीकृष्ण, महर्षि वेद व्यास और श्रीमद् भगवत गीता की पूजा-अर्चना करने का विधान है। इस दिन व्रत करके अगले दिन द्वादशी तिथि पर व्रत का पारण किया जाता है। मान्यता है कि हरि वासर की अवधि में एकादशी व्रत का पारण वर्जित होता है। इसीलिए पारण के मुहूर्त में ही कुछ सात्विक भोजन करके इस व्रत को पूर्ण करें।
तो यह थी मोक्षदा एकादशी की अवधि और पारण के मुहूर्त की जानकारी। इस समय के अनुसार मोक्षदा एकादशी का व्रत करने से जहाँ एक ओर आपको सभी तरह के मोह से मुक्ति मिलेगी, वहीं आपके पितरों को भी इस व्रत का लाभ प्राप्त होगा, और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होगी। तो इस मोक्षदा एकादशी का व्रत अवश्य करें जिससे भगवान श्री कृष्ण आपके साथ ही आपके पूर्वजों का भी उद्धार करें।
साथ ही यह दिन भगवान श्री कृष्ण की कृपा पाने के लिए भी विशेष है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण को सच्चे मन से चढ़ावा अर्पित करने से उनका विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए, श्री मंदिर के माध्यम से हम आपके लिए चढ़ावा सेवा लेकर आए हैं, जिससे आप घर बैठे अपने और अपने परिवार के नाम से वृंदावन में श्री बांके बिहारी मंदिर और गोवर्धन के गिरिराज मुखारविंद मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण को चढ़ावा अर्पित कर सकते हैं।
मोक्षदा एकादशी व्रत को सबसे महत्वपूर्ण एकादशी उत्सवों में से एक माना जाता है। धार्मिक रूप से बेहद खास इस एकादशी का व्रत मनुष्य को सभी पापों से मुक्त कर देता है। मोक्षदा एकादशी का यह उपवास सभी स्त्रियों और पुरुषों के लिए अत्यंत सौभाग्यप्रद एवं कल्याणकारी माना गया है।
हम आशा करते हैं कि श्रीहरि नारायण और माता लक्ष्मी की कृपा आप आप सदैव बनी रहे। अगर यह लेख आपको लाभप्रद लगा हो तो इसे अपने प्रियजनों के साथ जरूर शेयर करें। ऐसी ही अन्य धार्मिक जानकारियों के लिए श्रीमंदिर के साथ बनें रहें।
सनातन व्रतों में एकादशी पर भगवान विष्णु की पूजा का विधान है। इस दिन संपूर्ण विधि और उचित सामग्री के साथ पूजा करना अत्यंत फलदायक होता है। एकादशी पर की जाने वाली पूजा की सामग्री कुछ इस प्रकार है -
नोट - गणेश जी की प्रतिमा के स्थान पर आप एक सुपारी पर मौली लपेटकर इसे गणेशजी के रूप में पूजा में विराजित कर सकते हैं।
इस सामग्री के द्वारा एकादशी के दिन भगवान विष्णु की विधिवत पूजा की जाती है, जो आपके लिए श्री मंदिर पर उपलब्ध है। आप इसका लाभ अवश्य उठायें।
हिन्दू पंचांग के अनुसार एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा का विधान है। इस लेख में आप एकादशी की पूजा की तैयारी एवं विधि जानेंगे।
सबसे पहले पूजा स्थल को साफ करके इस स्थान पर एक चौकी स्थापित करें, और इसे गंगाजल छिड़क कर पवित्र करें। इसके बाद चौकी पर एक पीला वस्त्र बिछाएं। इस चौकी के दायीं ओर एक दीप प्रज्वलित करें।
(सबसे पहले दीप प्रज्वलित इसीलिए किया जाता है, ताकि अग्निदेव आपकी पूजा के साक्षी बनें)
(ध्यान दें गणेश जी को तुलसी अर्पित न करें)
इस तरह आपकी एकादशी की पूजा संपन्न होगी। इस पूजा को करने से आपको भगवान विष्णु की कृपा निश्चित रूप से प्राप्त होगी।
भक्तों, भगवान विष्णु के एकादशी व्रत की महिमा इतनी दिव्य है, कि इसके प्रभाव से मनुष्य जन्म-जन्मांतर के पापों से मुक्त हो जाता है। फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली एकादशी का भी विशेष महत्व है। हमारी पौराणिक मान्यताएं भी कहती हैं कि एकादशी व्रत से अद्भुत पुण्यफल प्राप्त होता है।
एकादशी का यह पावन व्रत आपके जीवन को और अधिक सार्थक बनाने में सहयोगी सिद्ध होगा। इसी विश्वास के साथ हम आपके लिए इस व्रत और पूजन से मिलने वाले 5 लाभों की जानकारी लेकर आए हैं। आइये, शुरू करते हैं-
ये एकादशी व्रत एवं पूजन आपके सभी शुभ कार्यों एवं लक्ष्य की सिद्धि करेगा। इस व्रत के प्रभाव से आपके जीवन में सकारात्मकता का संचार होगा, जो आपके विचारों के साथ आपके कर्म को भी प्रभावित करेगा।
इस एकादशी का व्रत और पूजन आर्थिक समृद्धि में भी सहायक है। यह आपके आय के साधन को स्थायी बनाने के साथ उसमें बढ़ोत्तरी देगा। अतः इस दिन विष्णु जी के साथ माता लक्ष्मी का पूजन अवश्य करें।
इस एकादशी पर नारायण की भक्ति करने से आपको मानसिक सुख शांति के साथ ही परिवार में होने वाले वाद-विवादों से भी मुक्ति मिलेगी।
एकादशी तिथि के अधिदेवता भगवान विष्णु हैं। एकादशी पर उनकी पूजा अर्चना करने से आपको भगवान विष्णु का आशीर्वाद मिलेगा तथा उनकी कृपा से भूलवश किये गए पापों से भी मुक्ति मिलेगी।
श्री हरि को समर्पित इस तिथि पर व्रत अनुष्ठान करने से आपको मृत्यु के बाद वैकुण्ठ धाम में स्थान प्राप्त होगा। इस व्रत का प्रभाव बहुत शक्तिशाली होता है, इसीलिए जब आप यह व्रत करेंगे, तो इसके फलस्वरूप आपको आपके कर्मों का पुण्य फल अवश्य प्राप्त होगा, जो आपको मोक्ष की ओर ले जाएगा।
तो यह थे एकादशी के व्रत से होने वाले लाभ, आशा है आपका एकादशी का यह व्रत अवश्य सफल होगा और आपको इस व्रत के सम्पूर्ण फल की प्राप्ति होगी।
इस एकादशी पर की जाने वाली पूजा विधि और अन्य महत्वपूर्ण बातें जानने के लिए जुड़े रहिये श्री मंदिर के साथ।
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