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मिथुन संक्रांति 2025

मिथुन संक्रांति 2025 पर सूर्य देव के मिथुन राशि में प्रवेश का महत्व जानें। पढ़ें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और पुण्य लाभ देने वाले कार्यों की जानकारी।

मिथुन संक्रांति के बारे में

मिथुन संक्रांति सूर्य के मिथुन राशि में प्रवेश का पर्व है। यह दिन धार्मिक कार्यों, दान-पुण्य और स्नान के लिए शुभ माना जाता है। इस दिन सूर्य देव की पूजा करने से जीवन में सुख, समृद्धि और उन्नति मिलती है।

मिथुन संक्रांति 2025 कब है?

नमस्कार भक्तों, हिंदू धर्म में भगवान सूर्य को समर्पित कई पर्व मनाए जाते हैं, जिनमें हर महीने में आने वाली संक्रांति भी शामिल हैं। सूर्य हर मास एक राशि से दूसरी राशि में गोचर होते हैं। इस प्रकार सूर्य की राशि के परिवर्तन तिथि को संक्रांति कहा जाता है। एक साल में कुल बारह संक्रांति होती हैं, इस प्रकार मिथुन संक्रांति भी इन्हीं में से एक है।

मिथुन संक्रांति का शुभ मुहूर्त व तिथि

  • 2025 मिथुन संक्रान्ति फलम्
  • मिथुन संक्रांति- 15 जून, रविवार (ज्येष्ठ, शुक्ल नवमी)
  • मिथुन संक्रान्ति पुण्य काल: 15 जून, रविवार को 06:53 AM से 02:11 PM तक
  • अवधि - 07 घण्टे 19 मिनट्स
  • मिथुन संक्रान्ति महा पुण्य काल: 15 जून, रविवार को 06:53 AM से 09:10 AM तक
  • अवधि - 02 घण्टे 17 मिनट्स
  • मिथुन संक्रान्ति का क्षण 06:53 AM पर रहेगा।

मिथुन संक्रान्ति मुहूर्त

  • संक्रान्ति करण: बालव
  • संक्रान्ति दिन: रविवार
  • संक्रान्ति अवलोकन दिनाँक: जून 15, 2025
  • संक्रान्ति गोचर दिनाँक: जून 15, 2025
  • संक्रान्ति का समय: 06:53 ए एम, जून 15
  • संक्रान्ति घटी: 4 (दिनमान)
  • संक्रान्ति चन्द्रराशि: मकर
  • संक्रान्ति नक्षत्र: श्रवण (चर संज्ञक)

मिथुन संक्रांति के पंचांग के शुभ मुहूर्त

मुहूर्तसमय
ब्रह्म मुहूर्त 03:45 ए एम से 04:26 ए एम तक
प्रातः सन्ध्या 04:06 ए एम से 05:07 ए एम तक
अभिजित मुहूर्त 11:31 ए एम से 12:26 पी एम तक
विजय मुहूर्त 02:16 पी एम से 03:10 पी एम तक
गोधूलि मुहूर्त 06:48 पी एम से 07:09 पी एम तक
सायाह्न सन्ध्या 06:50 पी एम से 07:52 पी एम तक
अमृत काल 02:19 पी एम से 03:58 पी एम तक
निशिता मुहूर्त 11:38 पी एम से 12:19 ए एम, जून 16 तक

क्या है मिथुन संक्रांति?

सूर्य जब वृषभ राशि से निकल कर मिथुन राशि में प्रवेश करते हैं, तो इसे मिथुन संक्रांति कहा जाता है। पुराणों में इस दिन भगवान सूर्य की उपासना करने का विशेष महत्व बताया गया है, साथ ही ये भी कहा जाता है कि यदि सूर्य भगवान अपने भक्त से प्रसन्न हो जाएं, तो कई ग्रहों के बुरे प्रभाव को टाला जा सकता है, और मनचाहा फल मिलता है।

क्यों मनाते हैं मिथुन संक्रांति? मिथुन संक्रांति का महत्व क्या है?

मिथुन संक्रांति का पर्व भगवान सूर्य की कृपा प्राप्त करने का एक विशेष दिन है, इसे रज पर्व भी कहा जाता है। मिथुन संक्रांति से जुड़ी एक कथा के अनुसार, कहते हैं कि प्रकृति ने इसी दिन स्त्रियों को मासिक धर्म प्रदान किया था। मासिक धर्म के कारण ही स्त्रियों को मातृत्व सुख मिलता है। इसी प्रकार जैसे हर माह स्त्रियों को मासिक धर्म होता है, उसी प्रकार भूदेवी को भी 3 दिन लगातार मासिक धर्म हुआ था। माना जाता है कि धरती के विकास का यही कारण है।

मिथुन संक्रांति का पर्व प्रकृति में बदलाव का संकेत माना जाता है। इस दिन जातक विधि विधान से सूर्य पूजा करते हैं, साथ ही इस पर्व पर दान पुण्य करने का भी विशेष महत्व है।

मिथुन संक्रांति की पूजा कैसे करें? मिथुन संक्रांति के अनुष्ठान

हिंदू शास्त्रों के अनुसार, मिथुन संक्रांति एक महत्वपूर्ण तिथि है। इस दिन भगवान सूर्य को प्रसन्न करने के लिए व्रत रखते हैं, साथ ही इस दिन भूदेवी की भी पूजा-अर्चना की जाती है। आगे हम इस लेख में विस्तार पूर्वक इस पूजा-विधि के बारे में बताएंगे इसलिए लेख को अंत तक अवश्य पढ़ें।

इस दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठें और किसी पवित्र नदी में स्नान करें। अगर आप नदी में स्नान नहीं कर सकते तो पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें। स्वच्छ वस्त्र धारण करके, सूर्योदय के समय सूर्य देवता के दर्शन करें और उन्हें अर्घ्य दें। अर्घ्य देते समय ‘ऊँ घृणि सूर्याय नम:’ मंत्र का उच्चारण करें। सूर्यदेव को अर्पित किए जाने वाले जल में रोली और लाल पुष्प डाल लें। तत्पश्चात आप लाल आसन पर बैठकर पूर्व दिशा में मुख करके 108 बार सूर्य मंत्र का जाप करें।

इसके बाद अपने घर के मंदिर में रोज की भांति पूरे विधि-विधान से भगवान की पूजा करें। इस दिन भूदेवी के रूप में सिलबट्टे की भी पूजा की जाती है। सिलबट्टे की पूजा के लिए आप सबसे पहले सिलबट्टे को दूध व पानी से स्नान कराएं। तत्पश्चात् सिलबट्टे को सिंदूर, चंदन लगाकर उस पर फूल और हल्दी चढ़ाई जाती है। सभी मौसमी फलों की भेंट भूदेवी को चढ़ाया जाता है और उनका आशीर्वाद मांगा जाता है।

अगर आप इस दिन व्रत रख रहे हैं तो पूजा के बाद फलाहार ग्रहण कर लें और इस दिन दान-दक्षिणा देना न भूलें। इस दिन आप तिल, वस्त्र, और अन्न का दान कर सकते हैं।

इस प्रकार पूजा करने से आपको सूर्य देव और भूदेवी का आशीष प्राप्त होगा।

मिथुन संक्रांति पर क्या खाना चाहिए?

इस दिन खाने योग्य पारंपरिक चीज़ें : -

1. हल्का और सात्विक भोजन:

  • चावल और मूंग की दाल की खिचड़ी
  • फलाहारी भोजन (फल, दूध, दही)
  • पूड़ी और सब्जी, विशेषकर आलू या सीजनल सब्जी

2. ठंडे और पाचन-सहायक पदार्थ:

  • दही और चावल (विशेषकर दक्षिण भारत में)
  • छाछ (मट्ठा) या लस्सी
  • नींबू पानी, बेल का शरबत या आम पना

3. मिठाइयाँ:

  • खीर या सेवैयाँ
  • गुड़ और तिल से बनी मिठाइयाँ (कुछ क्षेत्रों में अब भी चलन में है)

4. अनाज और दान:

  • इस दिन सत्तू, चना, चावल, और मौसमी फल का दान और सेवन शुभ माना जाता है।

मिथुन संक्रांति पर मिलने वाले लाभ

मिथुन संक्रांति के पर्व पर गर्मी अपने चरम पर होती है, ऎसे में इस दिन घड़े में जल भरकर उसका दान करने से बहुत पुण्य मिलता है। जल का दान आप जीव जंतुओं के लिए भी कर सकते हैं।

  • इस दिन सूर्य देव को जल चढ़ाने से जीवन में मान सम्मान, पद प्रतिष्ठा और सुख सम्पन्नता मिलती है।
  • हर संक्रांति की तरह मिथुन संक्रांति पर भी तिल दान करने का विशेष महत्व है। ऐसी मान्यता है कि तिल के दान से हमारे पाप कर्मों का प्रभाव नष्ट होता है। इस दिन काले तिल और तिल से बनी चीजों का दान करने से जीवन में कभी भी धन धान्य की कमी नहीं होती है, साथ ही सूर्य व शनि दोनों का आशिर्वाद मिलता है।
  • मिथुन संक्रांति पर घी का दान करने से सूर्य देव प्रसन्न होते हैं, और जन्म कुंडली में मौजूद सूर्य से जुड़े सभी दोषों का निवारण होता है। ऐसा कहा जाता है कि मिथुन संक्रांति के दिन घी का दान करने से नौकरी व व्यापार में सफलता मिलती है।
  • मिथुन संक्रांति के अवसर पर गंगा स्नान के बाद अन्न व वस्त्र का दान करना भी बहुत शुभ माना जाता है। ऐसा करने से राहु और शनि शांत होते हैं।
  • इस दिन खिचड़ी बनाना और खिचड़ी का दान करना बहुत शुभ होता है। खिचड़ी के रूप में चावल और काली उड़द की दाल का दान किया जाता है।
  • मिथुन संक्रांति के दिन गुड़ व गुड़ से बनी चीजें दान करने से शनि, गुरु और सूर्य तीनों प्रसन्न होते हैं।

मिथुन संक्रांति पर क्या करें?

  • मिथुन संक्रान्ति के दिन प्रातः काल ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करना चाहिए। इस दिन यदि आप गंगाजी या किसी अन्य पवित्र नदी में स्नान कर सकते हैं, तो आपको असंख्य शुभ फलों की प्राप्ति होगी।
  • यदि आप इस दिन किसी पवित्र नदी में स्नान करने में असमर्थ हैं, तो अपने नहाने के पानी में गंगा जल और लाल चन्दन मिलाकर स्नान करे। इससे आपको गंगा स्नान के समान फल प्राप्त होगा।
  • स्नानादि से निवृत्त होने के पश्चात् सूर्य देवता को अर्घ्य देकर उनका पूजन करें।
  • सूर्य पूजन के उपरांत जूते-चप्पल, वस्त्र एवं अन्न दान करें। इस दिन स्नान और दान करने से ग्रह दोष एवं असाध्य रोगों से छुटकारा मिलता है।
  • मिथुन संक्रांति के दिनों में सूर्य भगवान की उपासना अत्यंत फलदाई मानी जाती है, इसलिए जिन लोगों की कुंडली में सूर्य शुभ नहीं हैं, उन्हें इस सक्रांति काल के दौरान सूर्य पूजा अवश्य करनी चाहिए।
  • इस दिन मूंग दाल जैसी हरी वस्तुओं का दान देना चाहिए। इसके साथ ही आप कपड़े भी दान में दे सकते हैं।

मिथुन संक्रांति पर क्या न करें?

  • हिन्दू धर्म में अपने पिता का सम्मान करना श्रेष्ठकर माना जाता है, खासकर मिथुन संक्रांति के दिन इस बात का ध्यान जरूर रखें। पिता का अपमान करने वालों का सूर्य ग्रह कमजोर होता है।
  • इस दिन भूल से भी किसी जरूरतमंद को ठेस न पहुंचाएं और अपनी क्षमता के अनुसार दान करना न भूलें।
  • मिथुन संक्रांति के दिन सूर्योदय के बाद देर तक सोना अशुभ फलों की प्राप्ति और बाधा का कारक बनता है। इस शुभ दिन पर देर तक न सोने से बचें।
  • इस दिन सूर्यदेव को अर्घ्य देने वाले जल को ज़मीन पर न पड़ने दें, उसे किसी तांबे के बर्तन में एकत्रित कर लें और बाद में किसी पौधे में डाल दें।
  • इस दिन चावल नहीं खाने चाहिए। व्रत रखने वाले लोगों को पूरा दिन नमक नहीं खाना चाहिए।
  • ऐसे ही व्रत, त्यौहार व अन्य धार्मिक जानकारियों के लिए जुड़े रहिए 'श्री मंदिर' पर।
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Published by Sri Mandir·May 30, 2025

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