मलयालम न्यू ईयर 2025 कब है?
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मलयालम न्यू ईयर 2025 कब है?

मलयालम न्यू ईयर 2025 की तिथि, परंपराएं, महत्व और इस विशेष दिन से जुड़ी धार्मिक व सांस्कृतिक जानकारी जानें। चिंगम माह से शुरू होता है केरल का नव वर्ष।

2025 में कब से शुरू होगा मलयालम नव वर्ष

हर साल जब भगवान सूर्य अपनी ही राशि सिंह में आते हैं, तब मलयालम नववर्ष का आरंभ होता है। मलयालम कैलेंडर के पहले महीने का नाम चिंगम है। इसी महीने में थिरुवोणम नक्षत्र के दिन केरल का प्रमुख पर्व ओणम मनाया जाता है। इस नक्षत्र को हिंदू कैलेंडर के अनुसार श्रवण नक्षत्र कहा जाता है।

मलयालम नववर्ष कब मनाया जाएगा?

  • मलयालम कोल्लवर्षम् 1201 प्रारम्भ
  • मलयालम नव वर्ष 17 अगस्त, 2025, रविवार को
  • चिन्गम मास का पहला दिन

मलयालम कोल्लवर्षम् यानि मलयालम नव वर्ष 17 अगस्त, शनिवार 2024 को मनाया जाएगा। इसी दिन चिंगम महीने की शुरुआत होगी।

मलयालम नव वर्ष के दिन का पञ्चाङ्गम शुभ समय

मुहूर्त 

समय

ब्रह्म मुहूर्त

04:04 ए एम से 04:48 ए एम

प्रातः सन्ध्या

04:26 ए एम से 05:32 ए एम

अभिजित मुहूर्त

11:36 ए एम से 12:28 पी एम

विजय मुहूर्त

02:12 पी एम से 03:04 पी एम

गोधूलि मुहूर्त

06:31 पी एम से 06:53 पी एम

सायाह्न सन्ध्या

06:31 पी एम से 07:37 पी एम

अमृत काल

12:16 ए एम, अगस्त 18 से 01:47 ए एम, अगस्त 18

निशिता मुहूर्त

11:40 पी एम से 12:24 ए एम, अगस्त 18

क्या है मलयालम नया साल?

मलयालम नव वर्ष, जिसे "चिंगम" कहा जाता है, केरल राज्य का पारंपरिक नववर्ष है। यह मलयालम कैलेंडर (कोल्लम पंचांग) का पहला महीना होता है, जो आमतौर पर अगस्त–सितंबर के बीच आता है।

मलयालम नव वर्ष और सामान्य नव वर्ष में अंतर

सामान्य नव वर्ष

मलयालम नव वर्ष और सामान्य नव वर्ष, दोनों ही एक नये समय की शुरुआत का प्रतीक होते हैं, लेकिन इनकी प्रकृति, परंपरा और मान्यताएं एक-दूसरे से भिन्न होती हैं। सामान्य नव वर्ष हर वर्ष 1 जनवरी को मनाया जाता है और यह पूरी दुनिया में ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार मनाया जाने वाला आधुनिक नव वर्ष है। इस दिन लोग नए संकल्प लेते हैं, जश्न मनाते हैं, पार्टियों और आतिशबाजी के साथ नववर्ष का स्वागत करते हैं।

मलयालम नव वर्ष

वहीं दूसरी ओर, मलयालम नव वर्ष, जिसे "चिंगम" के पहले दिन मनाया जाता है, केरल की परंपराओं पर आधारित है और यह मलयालम पंचांग यानी कोल्लम संवत के अनुसार मनाया जाता है। यह दिन आमतौर पर अगस्त या सितंबर महीने में आता है और इसे आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और कृषि आधारित नववर्ष के रूप में देखा जाता है। इस दिन मंदिरों में पूजा की जाती है, पंचांग का पाठ होता है और लोग पारंपरिक वेशभूषा पहनते हैं। यह पर्व जीवन में शुभता, समृद्धि और ऋतु परिवर्तन का संकेत देता है। इस प्रकार मलयालम नव वर्ष एक धार्मिक और सांस्कृतिक नवप्रारंभ का प्रतीक है, जबकि सामान्य नव वर्ष अधिकतर आधुनिक जीवनशैली और वैश्विक परंपराओं से जुड़ा होता है।

मलयालम नव वर्ष का महत्व

  • यह दिन ऋतुओं के परिवर्तन और कृषि मौसम की शुरुआत का प्रतीक होता है।
  • इसे सौभाग्य, समृद्धि और शुभता का आरंभ माना जाता है।
  • यह समय ओणम जैसे प्रमुख त्यौहारों के आगमन की भी सूचना देता है।
  • पारंपरिक रूप से इस दिन लोग धार्मिक अनुष्ठान, दान-पुण्य और नई शुरुआत करते हैं।

मलयालम नव वर्ष कैसे मनाते हैं?

मंदिर दर्शन और पूजा: लोग सुबह स्नान कर देवी-देवताओं की पूजा करते हैं। नववर्ष पत्रिका और पंचांग पढ़ना: नए मलयालम पंचांग का पाठ किया जाता है। पारंपरिक परिधान: पुरुष मुंडु और महिलाएं कसाव साड़ी पहनती हैं। विशेष भोज: कुछ परिवार पारंपरिक व्यंजन बनाते हैं, हालांकि यह दिन ओणम जितना भोज-प्रधान नहीं होता। सांस्कृतिक आयोजन: कुछ जगहों पर सांस्कृतिक कार्यक्रम और कविता-पाठ भी होते हैं

मलयालम नव वर्ष और विषु/विषु पर्व क्या है?

चिंगम में मनाया जाने वाला नव वर्ष नया विशु महोत्सव से कैसे अलग है?

विशु मेदम महीने का पहला दिन है जो केरल में खगोलीय नव वर्ष कैलेंडर की शुरुआत का प्रतीक है। 'विशु कन्नी' विशु का महत्वपूर्ण अनुष्ठान है, जिसे अप्रैल में मेष संक्रांति के रूप में मनाया जाता है। हालाँकि, आधिकारिक मलयालम नव वर्ष चिंगम के पहले दिन पड़ता है।

मलयालम नववर्ष के अनुष्ठान क्या हैं?

पूजा अर्चना के साथ होता है नववर्ष का आरंभ

मलयाली नव वर्ष के दिन लोग भगवान विष्णु सहित अपने आराध्य की उपासना करके साल के पहले दिन की शुरुआत करते हैं। इस दिन केरल के सबरीमाला मंदिर में विशेष आयोजन किया जाता है। विशेष रूप से केरल में यह दिन बहुत ही हर्षोउल्लास के साथ मनाया जाता है। चिंगम का पहला दिन मांगलिक कार्य, नए घर में प्रवेश, नए वाहन की खरीद और नया काम शुरू करने के लिए बहुत ही शुभ माना जाता है।

हर्षोल्लास के साथ किया जाता है नववर्ष का स्वागत

मलयालम नव वर्ष के दिन महिलाएं नए वस्त्र व आभूषण पहनती हैं, और इस दिन को अपने प्रियजनों के साथ बहुत ही उत्साह के साथ मनाती हैं। इस दिन कृषक समुदाय के लोग प्रमुख मंदिरों में जाकर पूजा अर्चना करते हैं, और अपने परिवार के सदस्यों के अच्छे स्वास्थ्य और कल्याण के लिए प्रार्थना करते हैं। कोल्ला वर्षम का स्वागत खुशी और उल्लास के साथ किया जाता है क्योंकि यह नयी आशाओं व नयी खुशियों के साथ नए साल के आगमन का प्रतीक है।

इस दिन ख़रीददारी करने का है महत्व

चिंगम महीने के पहले ही दिन केरल के लोग पारंपरिक परिधान पहनते हैं। इस दिन ख़रीददारी करने का भी विशेष महत्व है। लोग इस दिन नए वाहन, गहने, कपड़े और अन्य वस्तुएं खरीदते हैं। पहले जब लोगों की आजीविका का मुख्य केंद्र कृषि होता था, तब चिंगम महीना फसल की कटाई की शुरुआत का संकेत देता था। इसके बाद ओणम पर प्रकृति को पहली फसल चढ़ाकर नए साल की खुशी मनाई जाती है।

चिंगम महीने में 'ओणम' कब मनाया जाता है?

चिंगम महीने के प्रारंभ के 4 से 5 दिन बाद ही अथम नक्षत्र यानि हस्त नक्षत्र से ओणम महोत्सव की शुरूआत हो जाती है। 10 दिनों के इस पर्व में फसलों की कटाई होती है, और इन दिनों कई तरह के पकवान बनाए जाते हैं। इसके अलावा इस दिन जगह-जगह पर मेलों का भी आयोजन किया जाता हैं। ओणम पर्व से पहले लोग अपने घरों की सफाई व सजावट करते है, और घरों के बाहर रंगोली बनाते हैं। इस महोत्सव के दौरान एक विशेष स्नेक बोट रेस आयोजित की जाती है, जिसे वल्लम कली कहा जाता है।

पुराणों में वर्णन मिलता है कि केरल में राजा महाबली के समृद्ध और खुशहाल राज्यकाल की याद में ये 10 दिन का महोत्सव मनाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि इन दिनों वो पाताल लोग से धरती लोक पर अपनी प्रजा को देखने आते हैं।

तो दोस्तों, यह थी मलयालम नववर्ष की संपूर्ण जानकारी। हमारी कामना है कि ये नववर्ष आपके लिए तमाम नयी उपलब्धियां लेकर आए। व्रत, त्यौहारों व अन्य धार्मिक जानकारियों के लिए जुड़े रहिए 'श्री मंदिर' के इस धार्मिक मंच पर।

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Published by Sri Mandir·August 7, 2025

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