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कूर्म जयंती 2025 कब है?

जानिए कूर्म जयंती 2025 की तारीख, भगवान कूर्म अवतार की कथा, पूजन विधि और इस दिन का धार्मिक महत्व।

कूर्म जयंती के बारे में

कूर्म जयंती भगवान विष्णु के कूर्म (कच्छप) अवतार की स्मृति में मनाई जाती है। यह पर्व वैशाख शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को आता है। मान्यता है कि समुद्र मंथन के समय भगवान विष्णु ने कच्छप रूप धारण कर मंदराचल पर्वत को अपने पीठ पर धारण किया था। यह दिन विशेष पूजन का होता है।

कूर्म जयंती

कूर्म जयंती एक हिंदू त्योहार है जो विशेष रूप से कर्णाटक, तमिलनाडु, आंध्रप्रदेश, दक्षिणी महाराष्ट्र और केरल में मनाया जाता है। हिन्दू धर्म के अनुसार भगवान विष्णु के दस अवतार है जिनमें से द्वितीय अवतार कूर्म अवतार कहलाता है।

कब मनाई जाती है कूर्म जयंती

मान्यता है कि वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को भगवान कूर्म की उत्पत्ति हुई थी, इसलिए हर वर्ष इस तिथि को कूर्म जयंती मनाई जाती है। जो शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है।

कूर्म जयंती - 12 मई 2025, सोमवार को

  • पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ - 11 मई 2025 को 08:01 पी एम बजे
  • पूर्णिमा तिथि समाप्त - 12 मई 2025 को 10:25 पी एम बजे
  • कूर्म जयन्ती मुहूर्त - 04:16 PM से 06:58 PM
  • अवधि - 02 घण्टे 42 मिनट्स

कूर्म जयंती के शुभ मुहूर्त

मुहूर्तसमय 
ब्रह्म मुहूर्त 04:04 ए एम से 04:46 ए एम तक
प्रातः सन्ध्या 04:25 ए एम से 05:28 ए एम तक
अभिजित मुहूर्त 11:46 ए एम से 12:40 पी एम तक
विजय मुहूर्त 02:28 पी एम से 03:22 पी एम तक
गोधूलि मुहूर्त 06:57 पी एम से 07:18 पी एम तक
सायाह्न सन्ध्या 06:58 पी एम से 08:01 पी एम तक
अमृत काल 11:18 पी एम से 01:05 ए एम तक (13 मई)
निशिता मुहूर्त 11:52 पी एम से 12:34 ए एम तक (13 मई)
रवि योग  05:28 ए एम से 06:17 ए एम तक

कैसे हुई थी भगवान कूर्म की उत्पत्ति

हिन्दू पुराणों में वर्णित है कि एक समय जब देवताओं और असुरों में भयंकर युद्ध हुआ तब गुरु शुक्राचार्य ने दोनों पक्षों को समुद्र मंथन करने का सुझाव दिया। इस मंथन को सफल बनाने के लिए भगवान विष्णु ने कूर्म अर्थात कछुए का आकार लिया ताकि वे मंदरा पर्वत के भार को अपनी पीठ पर संभाल सकें। इसी को भगवान विष्णु का कूर्म अवतार कहा जाता है।

कूर्म जयंती की पूजा विधि

  • इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने का विधान है। ज्यादातर लोग भगवान विष्णु के मंदिर जाकर दर्शन और भजन कीर्तन करते हैं।
  • यदि आप घर पर ही पूजा करना चाहते हैं तो इस दिन प्रातः स्नान करके और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • अब अपने घर के पूजा स्थल को साफ़ करके एक थाली में दीपक, धूप, पंचामृत, भोग और पुष्प आदि रखें।
  • इसके बाद पंचोपचार द्वारा दैनिक पूजा करें और भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करें।
  • इस दिन कई लोग भोग के रूप में खीर और दूध से बने पकवान बनाते हैं। इस भोग के साथ भगवान को दक्षिणा अर्पित करें।

इन आसान कार्यों से आपकी कूर्म जयंती की पूजा सम्पन्न हो जाएगी। इसके साथ ही आप श्रीमंदिर पर भी भगवान विष्णु की पूजा कर सकते हैं।

कूर्म जयंती के अनुष्ठान

  • कूर्म जयंती को विशेष रूप से दक्षिण भारत में मनाया जाता है, जहां लोग अपने घरों को साफ-सफाई करते हैं।
  • इस दिन विशेष पर लोग छोटी-छोटी नांव बनाते हैं और इन्हें पुजा के लिए उपयोग करते हैं। इसके अलावा, कुछ लोग भगवान विष्णु की पूजा करते हैं और भगवत कथाएं सुनते हैं।
  • कुछ लोग इस दिन कई तरह के दान करते हैं और जरूरतमंद लोगों को भोजन करवाते हैं।
  • कई लोग इस दिन अपने घर के आंगन में रंगोली बनाते हैं। ताकि श्री हरि के साथ माता लक्ष्मी का भी उनके घर में आगमन हो।

तो यह थी कूर्म जयन्ती की जानकारी। ऐसी ही अन्य जानकारियों के लिए जुड़े रहे श्रीमंदिर के साथ।

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Published by Sri Mandir·April 25, 2025

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