जानें गुरु पूर्णिमा का महत्व और पूजा विधि

जानें गुरु पूर्णिमा का महत्व और पूजा विधि

गुरु के सम्मान में करें उनकी पूजा


गुरु पूर्णिमा व्रत 2024 (Guru Purnima 2024)



हर युग में ही शिष्यों के जीवन में गुरु का विशेष स्थान रहा है। गुरु के इसी महत्व को देखते हुए हर वर्ष आषाढ़ मास की पूर्णिमा तिथि पर गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार इसी दिन महर्षि वेद व्यास जी का जन्म हुआ था, इसीलिए इस पूर्णिमा तिथि को वेदव्यास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। चलिए जानते हैं इस साल गुरु पूर्णिमा की तिथि, शुभ मुहूर्त, और महत्व के बारे में-

गुरु पूर्णिमा का महत्व (Importance Of Guru Purnima)


हमारे शास्त्रों में गुरु को भगवान का स्थान दिया गया है। संत कबीर ने भी गुरु की तुलना भगवान से करते हुए कहा है,

गुरु गोबिंद दोऊ खड़े, काके लागू पाय। बलिहारी गुरु आपने, गोविंद दियो बताए।।

मान्यताओं के अनुसार, गुरु पूर्णिमा के दिन परम ज्ञानी महर्षि वेदव्यास जी का जन्म हुआ था। सदियों से महर्षि वेदव्यास के जन्म पर गुरु पूर्णिमा के दिन गुरु पूजन की परंपरा चली आ रही है। वेद व्यास जी को महाभारत जैसे कई महान ग्रंथों और पुराणों की रचना के लिए हिंदू धर्म में विशेष स्थान प्राप्त है। व्यास जी ने ही वेदों को अलग-अलग खंडों में भी बांटने के बाद उनका नाम ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद रखा। वेदों का इस प्रकार विभाजन करने के कारण ही वह वेदव्यास के नाम से प्रसिद्ध हुए।

जैसा कि ये कहा जाता है कि किसी भी समाज की दिशा एवं दशा निर्धारित करने में गुरुजनों का विशेष योगदान होता है। गुरुजन ज्ञान के उजाले से जीवन के अंधकार को दूर कर देते हैं, उनके मार्गदर्शन के बिना व्यक्ति के लिए जीवन में आगे बढ़ना कठिन है। गुरु का आशीर्वाद ही प्राणी मात्र के लिए कल्याणकारी, ज्ञानवर्धक और मंगल करने वाला होता है। यहां तक की संसार की सम्पूर्ण विद्याएं गुरु की कृपा से ही प्राप्त होती है। गुरु पूर्णिमा ऐसे ही सभी महान गुरुजनों को समर्पित है और एक अत्यंत महत्वपूर्ण पर्व है।

गुरु पूर्णिमा के दिन क्या करें क्या नहीं (What To Do And What Not To Do On The Day Of Guru Purnima)


गुरु पूर्णिमा के दिन पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाएं। इस दिन तुलसी जी के सामने घी का दीपक जलाना चाहिए और उनकी पूजा अर्चना करनी चाहिए। गुरु पूर्णिमा के दिन चंद्र दर्शन अवश्य करें और चंद्र देव को अर्घ्य दें। गुरु से मंत्र प्राप्त करने के लिए भी यह दिन श्रेष्ठ है। इस दिन गुरुजनों की सेवा करने का भी बहुत महत्व है।

इसके अलावा इस बात का ध्यान रखें कि गुरु पूर्णिमा के दिन पर घर को गंदा न रखें। साथ ही इस दिन किसी से कटु शब्दों का प्रयोग न करें साथ ही विवाद से भी बचें। और इस दिन मांस-मदिरा आदि तामसिक चीजों का सेवन करने से बचना चाहिए।

गुरु पूर्णिमा 2024: तिथि और शुभ मुहूर्त (Guru Purnima 2024 : Date And Time)


साल 2024 में गुरु पूर्णिमा का पर्व 21 जुलाई रविवार को मनाया जाएगा। पूर्णिमा तिथि का प्रारम्भ 20 जुलाई को शाम 05 बजकर 59 मिनट से होगा और पूर्णिमा तिथि का समापन 21 जुलाई को दोपहर 03 बजकर 46 मिनट पर होगा।

गुरु पूर्णिमा पूजन विधि (Puja Vidhi Of Guru Purnima)


ज्ञान उस दिव्य रोशनी के समान है, जिससे जीवन के सभी अंधकार दूर हो जाते हैं। इस ज्ञान के मार्ग पर हमारा मार्गदर्शन हमारे गुरुजन करते हैं। किसी भी व्यक्ति के जीवन को आकार देने में एक गुरु की भूमिका अतुलनीय होती है, और इसी भूमिका के कारण गुरुओं को हिंदू धर्म में पूजनीय स्थान दिया गया है। इस दिन आपको उनकी पूजा करनी है, जिन्हें आपने गुरु के रूप में सम्मान दिया है और जिन्होंने आपको जीवन में ज्ञान का मार्ग दिखाया है। आइए जानते हैं इस दिन की पूजा विधि-

  • गुरु पूर्णिमा के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नानादि कार्यों से निवृत हो जाएं।
  • इसके बाद स्वच्छ कपड़े धारण करें और मंदिर को भी साफ कर लें।
  • अब मंदिर में रंगोली या स्वस्तिक बनाकर इसके ऊपर एक आसन रखें।
  • उस आसन पर पीला या सफेद कपड़ा बिछाकर, चावल के दाने डाल दें।
  • अब आप इन चावल के दानों पर गुरु की प्रतिमा या पादुका रख दें।
  • अब आप उनके समक्ष दीप प्रज्वलित करें और उन्हें चंदन से तिलक लगाएं।
  • अब आपको उन्हें अक्षत, पुष्प, जनेऊ, ऋतुफल, खीर आदि अर्पित करें।
  • पूजा का समापन आरती के साथ करें और प्रसाद वितरित करें।


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