image
downloadDownload
shareShare
ShareWhatsApp

कार्तिगाई दीपम् 2025

कार्तिगाई दीपम् 2025: शुभ मुहूर्त और पूजा विधि जानें! भगवान शिव की कृपा पाने का रहस्य क्या है? इस पवित्र पर्व की पूरी जानकारी यहाँ।

कार्तिगाई दीपम् के बारे में

कार्तिकाई दीपम् पर्व कार्तिक मास में मनाया जाता है। इस दिन महिलाएँ अपने घरों में दीप जलाकर माता लक्ष्मी और भगवान कार्तिकेय की पूजा करती हैं। दीपक जलाने से अंधकार दूर होता है और घर में सुख, समृद्धि और शांति का वास होता है। यह पर्व भक्ति और धार्मिकता का प्रतीक है।

कार्तिगाई दीपम् 2025: सम्पूर्ण जानकारी

कार्तिगाई दीपम् दक्षिण भारत का एक पवित्र और प्रमुख दीपोत्सव है, जिसे विशेष रूप से तमिलनाडु में अत्यंत भक्ति और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। यह पर्व दीपों का, प्रकाश का और भगवान शिव व भगवान मुरुगन की पूजा का दिन माना जाता है। तमिल हिन्दू समुदाय में यह दीपोत्सव परिवार, संस्कृति और आध्यात्मिकता का अनोखा संगम है।

2025 में कब है कार्तिगाई दीपम्?

कार्तिगाई दीपम् 2025 में 04 दिसंबर 2025, गुरुवार के दिन मनाया जाएगा। कार्तिगाई दीपम् का दिन कार्तिक पूर्णिमा के आसपास आता है और इसे तमिल वर्ष का एक प्रमुख पर्व माना जाता है।

नक्षत्र समय:

  • कार्तिगाई नक्षत्र प्रारम्भ - 03 दिसंबर 2025 को शाम 05:59 बजे
  • कार्तिगाई नक्षत्र समाप्त - 04 दिसंबर 2025 को दोपहर 02:54 बजे

इस दिन भक्त अपने घरों, मंदिरों और गलियों में तेल के दीप जलाते हैं। शाम के समय दीपों की पंक्तियाँ घरों को उजाला और पवित्रता से भर देती हैं। भगवान शिव और भगवान मुरुगन की आराधना से घर में सुख, शांति और समृद्धि बनी रहती है।

मासिक कार्तिगाई का शुभ मुहूर्त

मासिक कार्तिगाई के शुभ मुहूर्त – 04 दिसंबर 2025

  • इस दिन ब्रह्म मुहूर्त प्रातः 04 बजकर 42 मिनट से 05 बजकर 35 मिनट तक रहेगा।
  • प्रातः सन्ध्या मुहूर्त 05 बजकर 09 मिनट से 06 बजकर 29 मिनट तक होगा।
  • अभिजित मुहूर्त दिन में 11 बजकर 27 मिनट से 12 बजकर 09 मिनट तक रहेगा।
  • विजय मुहूर्त दिन में 01 बजकर 35 मिनट से 02 बजकर 17 मिनट तक रहेगा।
  • गोधूलि मुहूर्त शाम में 05 बजकर 05 मिनट से 05 बजकर 32 मिनट तक रहेगा।
  • सायाह्न सन्ध्या काल 05 बजकर 08 मिनट से 06 बजकर 28 मिनट तक रहेगा।
  • अमृत काल दोपहर में 12 बजकर 48 मिनट से 02 बजकर 12 मिनट तक रहेगा।
  • इस दिन निशिता मुहूर्त 05 दिसम्बर की रात 11 बजकर 22 मिनट से 06 दिसम्बर की रात 12 बजकर 15 मिनट तक रहेगा।

विशेष योग:

  • रवि योग – प्रातः 06 बजकर 29 मिनट से दोपहर 02 बजकर 54 मिनट तक रहेगा।

क्या है कार्तिगाई दीपम्?

  • कार्तिगाई दीपम् एक प्राचीन हिंदू दीपोत्सव है जो तमिलनाडु और दक्षिण भारत में अत्यंत लोकप्रिय है। इसे दीपम कार्तिगाई या कार्तिक दीपोत्सव भी कहा जाता है।
  • यह पर्व उस रात मनाया जाता है जब कार्तिगाई (कृत्तिका) नक्षत्र विद्यमान हो। कृत्तिका नक्षत्र को अग्नि का नक्षत्र माना जाता है, इसलिए इस दिन दीप जलाना अत्यंत शुभ माना जाता है।
  • यह पर्व प्रकाश, दिव्यता, ज्ञान, और भक्ति का प्रतीक है तथा भगवान शिव और भगवान मुरुगन की आराधना का विशेष दिन माना जाता है।

क्यों मनाते हैं कार्तिगाई दीपम्?

पुराणों के अनुसार, भगवान शिव ने एक बार अपनी महाशक्ति को प्रदर्शित करने हेतु अनंत ज्योति-स्तंभ (अग्नि स्तम्भ) का रूप धारण किया था ब्रह्मा और विष्णु न तो उसकी ऊँचाई का अंत खोज पाए और न ही उसकी गहराई को। इस दिव्य घटना की स्मृति में ही कार्तिगाई दीपम् मनाया जाता है।

  • यह पर्व हमें यह सिखाता है कि -
  • ईश्वर का प्रकाश अनंत और सर्वव्यापक है
  • परमसत्य का कोई आरम्भ या अंत नहीं
  • भक्ति का प्रकाश अज्ञान के अंधकार को मिटाता है

कार्तिगाई दीपम् का महत्व

कार्तिगाई दीपम् कई कारणों से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है -

  • यह पर्व शिव ज्योति की आराधना का दिन है
  • दीप जलाना अज्ञान का नाश और ज्ञान व प्रकाश का उदय माना जाता है
  • परिवार में एकता, सद्भाव और समृद्धि आती है
  • यह घर को नकारात्मक ऊर्जाओं से मुक्त करने का पर्व है
  • भगवान शिव और भगवान मुरुगन की कृपा प्राप्त होती है
  • यह पर्व केवल दीप जलाने का अवसर नहीं है, बल्कि आत्मिक शुद्धि, भक्ति और आध्यात्मिक उत्थान का भी प्रतीक

कहाँ मनाई जाती है कार्तिगाई दीपम्?

तिरुवन्नामलाई (Thiruvannamalai) के अरुणाचलेश्वर स्वामी मंदिर में कार्तिगाई दीपम् का उत्सव अत्यंत प्रसिद्ध है। यहाँ इस पर्व का आयोजन कार्तिगाई ब्रह्मोत्सवम् के रूप में दस दिनों तक किया जाता है।

उत्सव के पहले दिन उतिरादम नक्षत्र के समय ध्वजारोहण (ध्वज पूजन) से इसका शुभारंभ होता है। मुख्य कार्तिगाई दीपम् के दिन शाम को मंदिर परिसर में पहले भरणी दीपम् प्रज्वलित किया जाता है, जो आमतौर पर सुबह 4 बजे होता है। संध्याकाल में, सूर्यास्त के बाद इसी अग्नि से महादीपम् जलाया जाता है, जिसे अरुणाचल पर्वत की चोटी पर स्थापित किया जाता है। यह ज्योति कई किलोमीटर दूर से दिखाई देती है और श्रद्धालु इस दिव्य दर्शन के लिए हजारों की संख्या में एकत्र होते हैं।

कार्तिगाई दीपम् पर किसकी पूजा करें?

इस दिन मुख्य रूप से पूजा की जाती है -

  • भगवान शिव
  • भगवान कार्तिकेय (मुरुगन)
  • अग्नि देव

इसके अतिरिक्त घरों में तुलसी दीपदान भी शुभ माना जाता है।

मासिक कार्तिगाई की पूजा कैसे करें?

मासिक कार्तिगाई की पूजा सरल विधि से की जा सकती है

  • प्रातःकाल स्नान कर घर और मंदिर की सफाई करें।
  • पूजा स्थल को पुष्प, दीप और रंगोली से सजाएँ।
  • तेल के दीपक जलाएँ - आटे, घी और गुड़ से बना दीप अत्यंत शुभ माना जाता है।
  • भगवान शिव और भगवान मुरुगन की प्रतिमा या चित्र को हल्दी, कुमकुम और चंदन अर्पित करें।
  • भगवान मुरुगन को पुष्पमाला, अगरबत्ती और कपूर अर्पित करें।
  • सुब्रह्मण्य कवचम, कंडा षष्ठी कवचम या मुरुगन स्तुति का पाठ करें।
  • घर में पारंपरिक दक्षिण भारतीय प्रसाद जैसे अप्पम, पयसम और इलायप्पम बनाएं।
  • शाम के समय पूरे घर में दीप जलाएं।
  • अंत में भगवान मुरुगन और भगवान शिव की आरती करें।
  • अनेक भक्त इस दिन उपवास भी रखते हैं जो शाम की पूजा के बाद पूरा होता है।

कई भक्त इस दिन उपवास रखते हैं, जो भोर के समय आरंभ होकर सायंकाल पूजा के पश्चात समाप्त होता है। शाम को दीप जलाकर भगवान शिव और कार्तिकेय की आराधना की जाती है, जिससे घर में सकारात्मक ऊर्जा और शुभता का वास होता है।

कार्तिगाई दीपम् के दिन क्या करना चाहिए?

  • घर के हर कोने में दीप जलाना
  • भगवान शिव और भगवान कार्तिकेय की आराधना
  • परिवार के साथ मिलकर दीपम् जलाना
  • दान-पुण्य, विशेषकर तेल व दीपदान
  • शाम के समय तुलसी के पास दीपक जलाना
  • सत्य, संयम और विनम्रता का पालन

कार्तिगाई दीपम् पूजा के लाभ क्या हैं?

  • घर में सुख-शांति और समृद्धि आती है
  • नकारात्मक ऊर्जा नष्ट होती है
  • मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं
  • भगवान शिव और मुरुगन की विशेष कृपा
  • परिवार के स्वास्थ्य और कल्याण की प्राप्ति
  • मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति

कार्तिगाई दीपम् के दिन करें ये धार्मिक उपाय

  • घर के मुख्य द्वार पर पाँच दीप अवश्य जलाएँ
  • तेल के दीपक को रसोई, तुलसी और पूजा स्थल में रखें
  • शिवलिंग पर जल, दूध या पंचामृत चढ़ाएँ
  • भगवान मुरुगन को लाल पुष्प अर्पित करें
  • दीप जलाते समय “ॐ नमः शिवाय” या “ॐ सरवनभवाय नमः” का जाप करें
  • इस दिन गरीबों को तेल या भोजन दान करना अत्यंत शुभ माना जाता है
divider
Published by Sri Mandir·December 1, 2025

Did you like this article?

srimandir-logo

श्री मंदिर ने श्रध्दालुओ, पंडितों, और मंदिरों को जोड़कर भारत में धार्मिक सेवाओं को लोगों तक पहुँचाया है। 100 से अधिक प्रसिद्ध मंदिरों के साथ साझेदारी करके, हम विशेषज्ञ पंडितों द्वारा की गई विशेष पूजा और चढ़ावा सेवाएँ प्रदान करते हैं और पूर्ण की गई पूजा विधि का वीडियो शेयर करते हैं।

हमारा पता

फर्स्टप्रिंसिपल ऐप्सफॉरभारत प्रा. लि. 435, 1st फ्लोर 17वीं क्रॉस, 19वीं मेन रोड, एक्सिस बैंक के ऊपर, सेक्टर 4, एचएसआर लेआउट, बेंगलुरु, कर्नाटका 560102
YoutubeInstagramLinkedinWhatsappTwitterFacebook