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काली चौदस 2025

काली चौदस 2025 कब है? जानें इस खास दिन का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और इसे मनाने के अनोखे तरीके।

काली चौदस के बारे में

दीपावली के एक दिन पहले कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को काली चौदस मनाई जाती है। यह दिन काली मां को समर्पित है, इसमें रात्रि में काली मां की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। यह पर्व भूत चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है। वास्तव में काली चौदस का दिन तब तय किया जाता है जब चतुर्दशी मध्यरात्रि के दौरान प्रबल होती है, जिसे पंचांग के अनुसार महा निशिता काल कहा जाता है। काली चौदस मुख्यतः पश्चिमी राज्यों विशेषकर गुजरात में मनाई जाती है।

काली चौदस कब है?

  • काली चौदस - 19 अक्टूबर 2025, रविवार को है।
  • चतुर्दशी तिथि प्रारम्भ - अक्टूबर 19, 2025 को 01:51 पी एम बजे
  • चतुर्दशी तिथि समाप्त - अक्टूबर 20, 2025 को 03:44 पी एम बजे
  • हनुमान पूजा 19 अक्टूबर 2025, रविवार को होगी।

काली चौदस पूजा मुहूर्त

  • 19 अक्टूबर की शाम 11:18 पी एम से 12:08 ए एम, अक्टूबर 20
  • जिसकी कुल अवधि - 00 घण्टे 50 मिनट्स

इस दिन के अन्य शुभ मुहूर्त

मुहूर्त

समय

ब्रह्म मुहूर्त

04:18 ए एम से 05:08 ए एम

प्रातः सन्ध्या

04:43 ए एम से 05:58 ए एम

अभिजित मुहूर्त

11:20 ए एम से 12:06 पी एम

विजय मुहूर्त

01:37 पी एम से 02:23 पी एम

गोधूलि मुहूर्त

05:27 पी एम से 05:52 पी एम

सायाह्न सन्ध्या

05:27 पी एम से 06:42 पी एम

अमृत काल

09:59 ए एम से 11:44 ए एम

निशिता मुहूर्त

11:18 पी एम से 12:08 ए एम, अक्टूबर 20

सर्वार्थ सिद्धि योग

पूरे दिन

अमृत सिद्धि योग

05:49 पी एम से 05:59 ए एम, अक्टूबर 20

क्या है काली चौदस?

काली चौदस, जिसे भूत चतुर्दशी या रूप चौदस भी कहा जाता है, दीपावली से एक दिन पहले कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है। यह दिन माँ काली को समर्पित है, जो शक्ति, निडरता और नकारात्मकता के विनाश की प्रतीक हैं। इस दिन रात्रि में काली माँ की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है।

काली चौदस का निर्धारण इस आधार पर किया जाता है कि चतुर्दशी तिथि मध्यरात्रि के समय प्रबल हो — इस काल को महा निशिता काल कहा जाता है। इसीलिए काली चौदस की पूजा रात्रि के समय की जाती है। यह पर्व विशेष रूप से गुजरात, महाराष्ट्र और कुछ दक्षिण भारतीय राज्यों में बड़े श्रद्धा भाव से मनाया जाता है।

काली चौदस क्यों मनाई जाती है?

काली चौदस का पर्व नकारात्मक ऊर्जाओं, भय और अशुभ शक्तियों से मुक्ति पाने के उद्देश्य से मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन देवी काली ने राक्षसों का संहार कर धर्म की पुनः स्थापना की थी। इसलिए भक्त इस दिन देवी काली की आराधना करके अपने जीवन से भय, असुरक्षा, रोग और दुर्भाग्य को दूर करने की प्रार्थना करते हैं।

इसके अलावा, पौराणिक मान्यता यह भी है कि भगवान कृष्ण ने इसी दिन नरकासुर नामक राक्षस का वध किया था, जिसके कारण इस दिन को नरक चतुर्दशी के रूप में भी जाना जाता है। इस प्रकार, काली चौदस बुराई पर अच्छाई की विजय और अंधकार पर प्रकाश की जीत का प्रतीक पर्व है।

काली चौदस का महत्व

  • काली चौदस आध्यात्मिक रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण दिन माना जाता है। यह केवल देवी उपासना का दिन नहीं, बल्कि आत्मशुद्धि और आंतरिक शक्ति को जागृत करने का अवसर भी है।
  • इस दिन माँ काली की पूजा से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और मानसिक तनाव, भय व असुरक्षा समाप्त होती है।
  • माना जाता है कि काली चौदस की रात्रि में किए गए जप, साधना और ध्यान से व्यक्ति को अलौकिक आत्मबल और आत्मविश्वास प्राप्त होता है।
  • इस दिन यम दीपदान करने और तिल से अभ्यंग स्नान करने से पापों का नाश होता है और मृत्यु के भय से मुक्ति मिलती है।
  • यह दिन विशेष रूप से रोग, कर्ज़, बेरोज़गारी या व्यवसाय में हानि जैसी बाधाओं को दूर करने के लिए शुभ माना गया है।
  • तंत्र परंपरा के अनुसार, यह रात्रि साधकों के लिए अत्यंत शक्तिशाली मानी जाती है। लेकिन गृहस्थ लोगों के लिए माँ काली की सात्विक पूजा, दीपदान, हवन और ध्यान ही सर्वोत्तम मानी गई है।

शास्त्रों में कहा गया है कि:

  • “काली चौदस की साधना करने से व्यक्ति के जीवन से अंधकार मिटता है और वह आध्यात्मिक प्रकाश की ओर अग्रसर होता है।”

काली चौदस पर किसकी पूजा करें?

इस दिन मुख्य रूप से माँ काली की पूजा की जाती है। वे आदिशक्ति का उग्र रूप हैं जो असुरों, नकारात्मक शक्तियों और अज्ञान का नाश करती हैं।

काली माँ की पूजा के साथ-साथ कई लोग भगवान यमराज, हनुमानजी, और कुबेर देव की आराधना भी करते हैं ताकि भय, रोग और दरिद्रता से मुक्ति प्राप्त हो सके।

गृहस्थजन : माँ काली की सात्विक पूजा करें, दीपदान करें और परिवार की सुख-समृद्धि की कामना करें। तंत्र साधक : इस दिन को विशेष साधना के रूप में प्रयोग करते हैं, क्योंकि यह रात्रि तांत्रिक ऊर्जा से परिपूर्ण मानी जाती है।

काली चौदस की पूजा कैसे करें?

काली चौदस की पूजा रात्रि में की जाती है क्योंकि यह रात्रि देवी काली की साधना और आराधना के लिए अत्यंत शक्तिशाली मानी जाती है। इस दिन साधक और गृहस्थ दोनों अपने सामर्थ्य अनुसार माँ काली की पूजा कर सकते हैं।

पूजा की विधि इस प्रकार है:-

  • प्रातःकाल अभ्यंग स्नान करें - इस दिन सूर्योदय से पहले तिल, आंवला या उबटन से स्नान करना अत्यंत शुभ माना गया है। इसे “नरक चतुर्दशी स्नान” भी कहा जाता है। यह स्नान शरीर और मन की शुद्धि का प्रतीक है।
  • संध्या समय माँ काली का पूजन स्थल तैयार करें
  • किसी स्वच्छ स्थान पर माँ काली की प्रतिमा, चित्र या यंत्र स्थापित करें।
  • पूजा स्थान पर तिल का दीपक जलाएं और काले तिल, सरसों के तेल, लाल फूल, गुड़ और काले वस्त्र से पूजा करें।

पूजन की प्रक्रिया:-

  • माँ काली को लाल या नीले फूल, सिंदूर, हल्दी, अक्षत और फल अर्पित करें।
  • दीपक जलाकर धूप, दीप और नैवेद्य चढ़ाएं।
  • यदि संभव हो तो पाँच प्रकार के दीप जलाएं - दक्षिण दिशा में एक दीप यमराज के नाम से भी रखा जाता है, जिसे “यम दीपदान” कहा जाता है। इससे अकाल मृत्यु का भय दूर होता है।
  • काली माँ की आरती और मंत्र जाप करें, पूजा के बाद माता की आरती करें और विशेष मंत्रों का जाप करें।

काली चौदस के मंत्र

पूजा के दौरान माँ काली को प्रसन्न करने के लिए नीचे दिए गए मंत्रों का जाप किया जाता है:

1. काली गायत्री मंत्र

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ॐ काली महाकालिकायै च विद्महे स्मशानवासिन्यै धीमहि। तन्नो काली प्रचोदयात्॥

2. काली मूल मंत्र

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ॐ क्रीं कालिकायै नमः॥

3. काली बीज मंत्र

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ॐ क्रीं क्रीं क्रीं हुं हुं ह्रीं ह्रीं दक्षिणे कालिके स्वाहा॥

4. साधारण पूजन मंत्र

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जय काली कालरात्रि महाकालिका नमोऽस्तुते। सर्वशत्रुविनाशाय, सर्वरोगनिवारिणि॥

माँ काली की आरती के साथ पूजा पूर्ण करें:

दीप जलाए रखें और रात्रि में शांत भाव से माँ का ध्यान करें। विश्वास है कि जो श्रद्धा भाव से इस दिन माता की उपासना करता है, उसके जीवन से भय, बाधा और अंधकार सदा के लिए दूर हो जाते हैं।

काली चौदस के धार्मिक उपाय

काली चौदस की रात्रि को विशेष रूप से नकारात्मक ऊर्जा, भय, दुर्भाग्य और रोगों से मुक्ति पाने के लिए अत्यंत प्रभावशाली माना गया है। इस दिन कुछ सरल लेकिन शक्तिशाली उपाय करने से माँ काली और यमदेव की कृपा प्राप्त की जा सकती है।

1. यम दीपदान करें

  • संध्या समय घर के मुख्य द्वार या दक्षिण दिशा में तिल के तेल का दीपक जलाएं और यह कहते हुए दीप अर्पित करें – “मृत्युंजयाय नमः, यमराजाय दीपं समर्पयामि।”
  • यह उपाय अकाल मृत्यु के भय को दूर करता है और आयु में वृद्धि लाता है।

2. माँ काली के नाम का जाप करें

  • रात्रि में “ॐ क्रीं कालिकायै नमः” मंत्र का 108 बार जप करें। यह जप मानसिक शांति, आत्मबल और साहस प्रदान करता है।

3. काली माँ को सरसों के तेल का दीप अर्पित करें

  • माँ काली के समक्ष सरसों के तेल का दीप जलाकर, काले तिल, लाल फूल, गुड़ और नारियल अर्पित करें। यह उपाय जीवन से नकारात्मकता, भय और अशुभ प्रभाव को दूर करता है।

4. गरीब और जरूरतमंद को दान करें

  • इस दिन काले वस्त्र, तिल, गुड़, तेल या कंबल का दान करने से जीवन में स्थिरता और समृद्धि आती है।
  • दान करने से मनुष्य के सभी संकट धीरे-धीरे समाप्त होते हैं।

5. हनुमानजी की आराधना करें

  • काली चौदस की रात्रि को हनुमानजी की पूजा भी विशेष फलदायी मानी गई है।
  • श्री हनुमान चालीसा का पाठ करें — इससे भय, भूत-प्रेत और शत्रु बाधा से मुक्ति मिलती है।

काली चौदस, काली पूजा और नरक चतुर्दशी में अंतर

कई स्थानों में काली चौदस को रूप चतुर्दशी एवं नरक चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है। हालाँकि मुहूर्त के अनुसार देखा जाएँ तो काली चौदस को रूप चौदस और नरक चतुर्दशी के साथ नहीं मिलाना चाहिए।

इसके साथ ही इस काली चौदस को बंगाल की काली पूजा के साथ भी भ्रमित नहीं करना चाहिए जो कि काली चौदस के एक दिन बाद अर्थात अमावस्या को दीपावली के मुख्य दिन पर मनाया जाता है।

काली चौदस पूजा के लाभ

काली चौदस केवल एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि यह ऊर्जा, शुद्धि और सुरक्षा का दिवस माना जाता है। इस दिन श्रद्धा से पूजा और साधना करने से अनेक आध्यात्मिक एवं व्यावहारिक लाभ प्राप्त होते हैं।

1. नकारात्मक ऊर्जाओं से मुक्ति

  • माँ काली की उपासना से जीवन में व्याप्त भय, चिंता, बुरी नज़र और बाधाएँ दूर होती हैं।

2. शत्रु और संकटों पर विजय

  • माँ काली को “शत्रुनाशिनी” कहा गया है। इस दिन की गई पूजा से विरोधी और शत्रु शक्तियों पर नियंत्रण प्राप्त होता है।

3. धन, स्वास्थ्य और सुख की वृद्धि

  • काली चौदस पर दीपदान और तिल अभ्यंग स्नान करने से शरीर स्वस्थ रहता है, मन प्रसन्न होता है और घर में धन-धान्य की वृद्धि होती है।

4. आध्यात्मिक शुद्धि और आत्मबल में वृद्धि

  • यह रात्रि आत्मशुद्धि और ध्यान के लिए श्रेष्ठ मानी जाती है। माँ काली की कृपा से व्यक्ति का आत्मविश्वास और आंतरिक शक्ति बढ़ती है।

5. कर्मों का शोधन और पापमोचन

  • काली चौदस को “भूत चतुर्दशी” भी कहा जाता है, इस दिन यमराज और देवी काली की आराधना से जन्मों-जन्मों के पाप नष्ट होते हैं और मोक्ष का मार्ग प्रशस्त होता है।

काली चौदस की रात को श्रद्धा और संयम के साथ पूजा करने वाला व्यक्ति भय, रोग और दुर्भाग्य से मुक्त होकर एक सुखमय और उज्ज्वल जीवन की ओर अग्रसर होता है।

काली चौदस के दिन इन बातों का रखें ध्यान

  • काली चौदस की रात्रि में बुरे विचार, क्रोध या वाद-विवाद से बचें।
  • यह दिन आत्मशुद्धि और साधना के लिए होता है, इसलिए मन को शांत रखें।
  • रात्रि में नकारात्मक कर्म, मांस-मदिरा का सेवन या असत्य बोलना वर्जित है।
  • घर में झगड़ा, शोर या ऊँची आवाज़ में बहस करने से बचें।
  • इससे घर की सकारात्मक ऊर्जा प्रभावित होती है।
  • दीप जलाने के बाद उसे बिना कारण बुझाएं नहीं।
  • दीपक को स्वयं बुझने दें — इसे शुभ माना गया है।
  • माँ काली की पूजा करते समय लाल वस्त्र पहनना और शुद्ध मन से आराधना करना विशेष फलदायी माना गया है।

काली चौदस के दिन क्या करें?

1. प्रातःकाल अभ्यंग स्नान करें

  • सुबह सूर्योदय से पहले शरीर पर उबटन या तेल (विशेषकर सरसों का तेल) लगाकर स्नान करें।
  • यह स्नान “अभ्यंग स्नान” कहलाता है, जो सभी पापों और नकारात्मक ऊर्जाओं को दूर करता है।

2. माँ काली और हनुमानजी की पूजा करें

  • काली चौदस की रात्रि में माँ काली की आराधना करें।
  • काले तिल, लाल फूल, सरसों के तेल का दीपक, गुड़, नारियल और प्रसाद चढ़ाएं।
  • इसके साथ ही हनुमान चालीसा का पाठ करें — इससे भय, भूत-प्रेत और बाधाएँ दूर होती हैं।

3. यम दीपदान करें

  • संध्या के समय घर के मुख्य द्वार पर दक्षिण दिशा की ओर तिल के तेल का दीप जलाएं।
  • यह दीप यमदेव को समर्पित माना जाता है, जिससे अकाल मृत्यु और दुर्घटनाओं का भय समाप्त होता है।

4. दान और सेवा करें

  • काली चौदस के दिन तिल, गुड़, कंबल, भोजन या दीपदान करें।
  • गरीबों और जरूरतमंदों को दान देने से देवी-देवताओं की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।

5. दीप जलाकर घर को आलोकित करें

  • संध्या के समय घर के प्रत्येक कोने में दीप जलाना शुभ माना गया है।
  • यह दीपक न केवल घर की नकारात्मक ऊर्जा को नष्ट करता है बल्कि लक्ष्मी और काली माँ दोनों की कृपा लाता है।

6. पितरों और पूर्वजों को स्मरण करें

  • इस दिन अपने पूर्वजों को याद करें और उनके लिए दीपदान करें।
  • यह श्रद्धा और कृतज्ञता व्यक्त करने का सर्वोत्तम अवसर माना गया है।
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Published by Sri Mandir·October 8, 2025

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