कजरी तीज उत्तर भारत, विशेषकर उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्यप्रदेश में मनाया जाने वाला एक प्रमुख त्योहार है। यह तीज सावन की शुक्ल पक्ष की तृतीया के बाद, कृष्ण पक्ष की तृतीया को मनाई जाती है। 2025 में कजरी तीज कब है, इसकी पूजा विधि क्या है, महिलाएं इस दिन क्या करती हैं, क्या वर्जनाएं होती हैं इस लेख में जानिए कजरी तीज से जुड़ी पूरी जानकारी
कजरी तीज भाद्रपद कृष्ण पक्ष की तृतीया को मनाई जाती है। यह मुख्यतः उत्तर भारत की स्त्रियों द्वारा व्रत और पूजा के रूप में मनाई जाती है। महिलाएं इस दिन स्वस्थ पति और सुखी वैवाहिक जीवन की कामना करती हैं।
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कजरी तीज व्रत भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि पर किया जाता है। इसे बड़ी तीज और सातुड़ी तीज भी कहते हैं। आपको बता दें कि कजरी तीज रक्षा बंधन के तीन दिन बाद आती है। इस पर्व पर भगवान शंकर और माता पार्वती की पूजा करने का विधान है। सुहागिन स्त्रियां इस दिन व्रत रखकर पति व संतान के दीर्घायु होने और सुखमय जीवन की कामना करती हैं।
कजरी तीज- 12 अगस्त 2025, मंगलवार (भाद्रपद, कृष्ण पक्ष तृतीया)
मुहूर्त | समय |
ब्रह्म मुहूर्त | 04:23 ए एम से 05:06 ए एम तक |
प्रातः सन्ध्या | 04:44 ए एम से 05:49 ए एम तक |
अभिजित मुहूर्त | 11:59 ए एम से 12:52 पी एम तक |
विजय मुहूर्त | 02:38 पी एम से 03:31 पी एम तक |
गोधूलि मुहूर्त | 07:03 पी एम से 07:25 पी एम तक |
सायाह्न सन्ध्या | 07:03 पी एम से 08:08 पी एम तक |
सर्वार्थ सिद्धि योग | 11:52 ए एम से 05:49 ए एम, 13 अगस्त तक |
निशिता मुहूर्त | 12:05 ए एम, अगस्त 13 से 12:48 ए एम, 13 अगस्त तक |
पुराणों में वर्णन मिलता है कि कजरी तीज व्रत का अनुष्ठान सबसे पहले देवी पार्वती ने किया था। मान्यता है कि ये व्रत करने से दांपत्य जीवन सुखमय होता है, परिवार के सभी सदस्यों में प्रेम बना रहता है, साथ ही कुंवारी कन्याओं को इस व्रत के प्रभाव से योग्य पति मिलता है।
कजरी तीज की पूजा विधिपूर्वक और श्रद्धा से संपन्न हो, इसके लिए पहले से यह पूजन सामग्री एकत्रित कर लें:
1. पूजा स्थल की तैयारी
2. गोबर-मिट्टी का तालाब बनाएं
3. झूला बनाना
4. प्रतिमाओं व नीम की पत्तियों का पूजन
5. सत्तू की पूजा
6. भोग और श्रृंगार चढ़ाएं
7. परछाई दर्शन
8. व्रत कथा व आरती
9. चंद्रमा को अर्घ्य दें
विशेष ध्यान देने योग्य बातें
हम आशा करते हैं कि इस पूजा विधि से आपकी कजरी तीज पूजा सफल, फलदायी और मंगलकारी हो। ऐसी ही सरल और श्रद्धामयी जानकारी के लिए श्री मंदिर पर जुड़े रहें।
कजरी तीज व्रत मुख्यतः सुहागिन स्त्रियों द्वारा अपने पति की लंबी उम्र, परिवार की सुख-समृद्धि और संतान की कुशलता के लिए रखा जाता है। हालांकि कुवांरी कन्याएं भी मनचाहा वर पाने के लिए यह व्रत रख सकती हैं। कुछ घरों में महिलाएं अपनी बेटियों के अच्छे भविष्य के लिए भी यह व्रत करती हैं।
कजरी तीज के दिन कुछ विशेष उपाय करने से जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं:
त्योहारों के मौसम में कजरी तीज पर्व की रौनक हर तरफ देखी जा सकती है। कजरी तीज में अन्य चीज़ों के बीच पूजा के बाद उद्यापन करना काफी महत्वपूर्ण माना गया है। आज हम आपके लिए उद्यापन की विधि लेकर आए हैं, इसलिए आप लेख को अंत तक अवश्य पढ़ें।
कजरी तीज व्रत का उद्यापन शादी के बाद लड़कियों को पीहर यानी मायके द्वारा विधि पूर्वक करवाया जाता है। इसके लिए लड़की के मायके से पूर्ण उद्यापन सामग्री उसके ससुराल भेजी जाती है। व्रत का उद्यापन अत्यंत महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि इसके बाद ही व्रत को सम्पूर्ण माना जाता है।
चलिए अब जानते हैं कि उद्यापन के लिए किन-किन चीजों की आवश्यकता होती है।
आप 17 सातूओं को अलग-अलग कटोरी में रख दें और सब पर कुमकुम का टीका लगाएं, उसमें सुपारी और सिक्का रख दें। इनमें से आप 16 पिंड सुहागिनों को दान करें, बेहतर रहेगा अगर आप इन्हें उपवास रखने वाली सुहागिनों को दान करें, और एक पिंड, कपड़ों, नारियल और दक्षिणा के साथ सांख्या को दान करें। आपको बता दें सांख्या आप अपने देवर को बना सकते हैं, अपने जेठ के बेटे को बना सकते हैं या अपनी ननद के बेटे को भी बना सकते हैं।
उद्यापन के समय चार बड़े पिंडों में से एक सास को कटोरी में रखकर दक्षिणा, कपड़े और श्रृंगार की सामग्री के साथ दान करना होता है और फिर उनके चरण छूकर उनसे आशीर्वाद लिया जाता है। अगर आपकी सास नहीं हैं तो आप उनके स्थान पर ननद या किसी बुजुर्ग महिला को भी दे सकती हैं। बचे हुए 3 बड़े पिंडों में से एक पति के लिए होता है, एक मंदिर के लिए और एक खुद के लिए होता है, जिसे व्रत के पारण के समय खाया जाता है।
इसके अलावा लड़की के मायके से उसके लिए, उसके पति के लिए और ससुराल के अन्य लोगों के लिए भी कपड़े भेजे जाते हैं। कुछ लोग कपड़ों के साथ सोने और चांदी के आभूषण भी भेजते हैं। इस उद्यापन विधि की पूजा के अंत में कजरी माता से सभी भूल चूक के लिए माफी मांगी जाती है।
तो यह थी कजरी तीज पूजा की उद्यापन विधि, हमारी कामना है कि आपका ये व्रत व पूजा-अर्चना सफल हो, और भोलेनाथ व माता पार्वती आप पर सदा अपनी कृपा बनाए रखें। व्रत, त्यौहारों व अन्य धार्मिक जानकारियों के लिए जुड़े रहिए 'श्री मंदिर' के इस धार्मिक मंच पर।
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