कजरी तीज 2025: तिथि, मुहूर्त, पूजा विधि और व्रत का महत्व
image
shareShare
ShareWhatsApp

कजरी तीज 2025: तिथि, मुहूर्त, पूजा विधि और व्रत का महत्व

कजरी तीज उत्तर भारत, विशेषकर उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्यप्रदेश में मनाया जाने वाला एक प्रमुख त्योहार है। यह तीज सावन की शुक्ल पक्ष की तृतीया के बाद, कृष्ण पक्ष की तृतीया को मनाई जाती है। 2025 में कजरी तीज कब है, इसकी पूजा विधि क्या है, महिलाएं इस दिन क्या करती हैं, क्या वर्जनाएं होती हैं इस लेख में जानिए कजरी तीज से जुड़ी पूरी जानकारी

कजरी तीज के बारे में

कजरी तीज भाद्रपद कृष्ण पक्ष की तृतीया को मनाई जाती है। यह मुख्यतः उत्तर भारत की स्त्रियों द्वारा व्रत और पूजा के रूप में मनाई जाती है। महिलाएं इस दिन स्वस्थ पति और सुखी वैवाहिक जीवन की कामना करती हैं।

कब है कजरी तीज? जानें शुभ मुहूर्त

भक्तों नमस्कार, श्री मंदिर पर आपका स्वागत है।

कजरी तीज व्रत भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि पर किया जाता है। इसे बड़ी तीज और सातुड़ी तीज भी कहते हैं। आपको बता दें कि कजरी तीज रक्षा बंधन के तीन दिन बाद आती है। इस पर्व पर भगवान शंकर और माता पार्वती की पूजा करने का विधान है। सुहागिन स्त्रियां इस दिन व्रत रखकर पति व संतान के दीर्घायु होने और सुखमय जीवन की कामना करती हैं।

चलिए जानते हैं कि साल 2025 में कजरी तीज कब है

कजरी तीज- 12 अगस्त 2025, मंगलवार (भाद्रपद, कृष्ण पक्ष तृतीया)

  • तृतीया तिथि प्रारम्भ - अगस्त 11, 2025 को 10:33 ए एम बजे से
  • तृतीया तिथि समाप्त - अगस्त 12, 2025 को 08:40 ए एम बजे तक

चलिए अब जानते हैं कजरी तीज के अन्य शुभ मुहूर्त

मुहूर्त 

समय

ब्रह्म मुहूर्त

04:23 ए एम से 05:06 ए एम तक

प्रातः सन्ध्या

04:44 ए एम से 05:49 ए एम तक

अभिजित मुहूर्त

11:59 ए एम से 12:52 पी एम तक

विजय मुहूर्त

02:38 पी एम से 03:31 पी एम तक

गोधूलि मुहूर्त

07:03 पी एम से 07:25 पी एम तक

सायाह्न सन्ध्या

07:03 पी एम से 08:08 पी एम तक

सर्वार्थ सिद्धि योग

11:52 ए एम से 05:49 ए एम, 13 अगस्त तक

निशिता मुहूर्त

12:05 ए एम, अगस्त 13 से 12:48 ए एम, 13 अगस्त तक

पुराणों में वर्णन मिलता है कि कजरी तीज व्रत का अनुष्ठान सबसे पहले देवी पार्वती ने किया था। मान्यता है कि ये व्रत करने से दांपत्य जीवन सुखमय होता है, परिवार के सभी सदस्यों में प्रेम बना रहता है, साथ ही कुंवारी कन्याओं को इस व्रत के प्रभाव से योग्य पति मिलता है।

क्या है कजरी तीज? और क्यों मनाई जाती है कजरी तीज?

  • कजरी तीज, भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है।
  • इसे कजली तीज, नीमड़ी तीज, बड़ी तीज और सातुड़ी तीज भी कहा जाता है।
  • यह त्योहार विवाहित महिलाओं और कन्याओं दोनों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है।
  • विवाहित महिलाएं यह व्रत पति की लंबी उम्र और सुखी दांपत्य जीवन के लिए रखती हैं।
  • कुंवारी कन्याएं यह व्रत मनचाहा वर प्राप्त करने के उद्देश्य से करती हैं।

कजरी तीज व्रत का महत्व

  • यह व्रत निर्जला (बिना जल ग्रहण किए) रखा जाता है और रात को चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद खोला जाता है।
  • इस दिन नीमड़ी माता (पार्वती जी का एक रूप) की पूजा की जाती है।
  • कजरी तीज पर महिलाएं पारंपरिक परिधान पहनकर सिंगार करती हैं, कजरी गीत गाती हैं और झूला झूलती हैं।
  • व्रत से पति-पत्नी के बीच प्रेम बढ़ता है, और जीवन में सुख-शांति आती है।
  • यह व्रत शुभ संतान, सौभाग्य, और परिवार की समृद्धि के लिए भी किया जाता है।

कजरी तीज पर किसकी पूजा करें?

  • इस दिन मुख्य रूप से नीमड़ी माता (पार्वती जी) की पूजा की जाती है।
  • माता को सातू (जौ, चना, गेहूं, चावल के सत्तू में घी और मेवे मिलाकर बनाए गए पकवान) का भोग चढ़ाया जाता है।
  • पूजा में करवा चौथ की तरह कठोर नियमों का पालन किया जाता है।
  • पूजा के अंत में चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत खोला जाता है।

कजरी तीज व्रत की पूजन सामग्री

कजरी तीज की पूजा विधिपूर्वक और श्रद्धा से संपन्न हो, इसके लिए पहले से यह पूजन सामग्री एकत्रित कर लें:

मुख्य पूजन सामग्री

  • गोबर
  • काली मिट्टी
  • रोली, हल्दी, कुमकुम
  • मौली (कलावा)
  • अक्षत (चावल)
  • मेहंदी
  • काजल
  • चंदन
  • गाय का कच्चा दूध
  • नीम की टहनी
  • भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश की मूर्ति या चित्र
  • नीमड़ी माता का प्रतीक या स्वरूप
  • जल से भरा हुआ लोटा
  • दीपक (घी और रूई की बाती सहित)
  • धूप, कपूर
  • स्वास्तिक बनाने के लिए रोली
  • सफेद कागज़
  • झूला बनाने के लिए मौली और मेहंदी
  • नींबू, ककड़ी, केला, सेब
  • जौ, गेहूं, चना, चावल का सत्तू
  • सत्तू से बना बड़ा लड्डू
  • सिक्का, सुपारी
  • मिठाई व भोग सामग्री
  • फूल और माला
  • पूजा आसन
  • सोलह श्रृंगार की सामग्री
  • व्रत कथा पुस्तक या पर्चा
  • गेहूं के साबुत दाने
  • पूजा थाली
  • श्रृंगार में प्रयोग होने वाली नथ, चूड़ियाँ, बिंदी, साड़ी का पल्ला आदि

कजरी तीज की सरल पूजा विधि

1. पूजा स्थल की तैयारी

  • पूजा से पहले पूजा स्थान को साफ़ करें और हल्दी से लीप दें।
  • अक्षत बिछाकर आसन स्थापित करें और भगवान शिव, माता पार्वती, गणेश जी तथा नीमड़ी माता का चित्र या मूर्ति रखें।
  • जल से भरा हुआ लोटा उनके समीप रखें।

2. गोबर-मिट्टी का तालाब बनाएं

  • काली मिट्टी और गोबर मिलाकर दीवार के पास एक तालाब जैसा आकार बनाएं।
  • उसमें गाय का कच्चा दूध और पानी डालें।
  • तालाब के किनारे नीम की टहनी रोपें और फूलों से सजाएं।
  • तालाब के पास दीपक और धूप जलाएं।

3. झूला बनाना

  • दीवार पर सफेद कागज़ लगाएं और उस पर मौली से झूला बनाएं।
  • झूले के दोनों सिरों पर मेहंदी लगाएं ताकि वह चिपक जाए।
  • झूले पर रोली, मेहंदी और काजल से 13-13 बिंदियां लगाएं (अनामिका और तर्जनी अंगुलियों से)।

4. प्रतिमाओं व नीम की पत्तियों का पूजन

  • सभी प्रतिमाओं और नीम की पत्तियों को कुमकुम का तिलक लगाएं।
  • जल के लोटे के मुख पर भी 13 बिंदियां लगाएं।

5. सत्तू की पूजा

  • सत्तू से एक बड़ा लड्डू बनाएं। उस पर मौली, सिक्का, और सुपारी चढ़ाएं।
  • इसे नीमड़ी माता को अर्पित करें।

6. भोग और श्रृंगार चढ़ाएं

  • नीमड़ी माता को मिठाई, फल, सत्तू और सोलह श्रृंगार की सामग्री चढ़ाएं।
  • नीम की टहनी पर रक्षा सूत्र बांधें।

7. परछाई दर्शन

  • दीपक की रोशनी में नींबू, ककड़ी, नीम की डाली, नथ, साड़ी का पल्ला आदि की परछाई देखें।
  • इसे अत्यंत शुभ और पुण्यकारी माना जाता है।

8. व्रत कथा व आरती

  • कजरी तीज व्रत की कथा पढ़ें या सुनें।
  • अंत में माता की आरती करें।

9. चंद्रमा को अर्घ्य दें

  • संध्या में चंद्रमा को जल के छींटे दें।
  • रोली, मौली, अक्षत अर्पित करें।
  • फिर गेहूं के दाने हाथ में लें और जल से अर्घ्य देकर एक ही स्थान पर चार बार घूमें।

विशेष ध्यान देने योग्य बातें

  • इस दिन उपवास निर्जला रखा जाता है (करवा चौथ की तरह)।
  • पूजा में मन, वाणी और शरीर की पवित्रता बनाए रखें।
  • कथा और अर्घ्य दोनों अनिवार्य रूप से करें।

हम आशा करते हैं कि इस पूजा विधि से आपकी कजरी तीज पूजा सफल, फलदायी और मंगलकारी हो। ऐसी ही सरल और श्रद्धामयी जानकारी के लिए श्री मंदिर पर जुड़े रहें।

कजरी तीज व्रत कौन रख सकता है?

कजरी तीज व्रत मुख्यतः सुहागिन स्त्रियों द्वारा अपने पति की लंबी उम्र, परिवार की सुख-समृद्धि और संतान की कुशलता के लिए रखा जाता है। हालांकि कुवांरी कन्याएं भी मनचाहा वर पाने के लिए यह व्रत रख सकती हैं। कुछ घरों में महिलाएं अपनी बेटियों के अच्छे भविष्य के लिए भी यह व्रत करती हैं।

कजरी तीज व्रत रखने के लाभ

  • सौभाग्य में वृद्धि होती है
  • वैवाहिक जीवन में प्रेम और समर्पण बना रहता है
  • संतान सुख प्राप्त होता है
  • घर-परिवार में सुख-शांति का वास होता है
  • शत्रु बाधाएं दूर होती हैं
  • रोग, शोक और दरिद्रता से मुक्ति मिलती है
  • चंद्र दोष शांति और मन को स्थिरता मिलती है

कजरी तीज के धार्मिक उपाय

कजरी तीज के दिन कुछ विशेष उपाय करने से जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं:

  • नीम की डाली पर मौली बांधें – इससे रोग व क्लेश से मुक्ति मिलती है।
  • सत्तू का लड्डू बनाकर नीमड़ी माता को चढ़ाएं – पारिवारिक समृद्धि के लिए श्रेष्ठ माना जाता है।
  • चंद्रमा को अर्घ्य दें और मन की बात कहें – मनोकामना पूर्ति हेतु लाभकारी।
  • झूला बनाकर मौली व मेहंदी से सजाएं – सौभाग्य वृद्धि के लिए शुभ।
  • व्रत कथा का पाठ करें या सुनें – पूजा का पूर्ण फल प्राप्त होता है।

कजरी तीज के दिन क्या करना चाहिए

  • व्रत रखें – यदि संभव हो तो निर्जला व्रत रखें।
  • नीमड़ी माता की विधिपूर्वक पूजा करें।
  • चंद्रमा को अर्घ्य दें।
  • पति का सम्मान करें और चरण स्पर्श कर आशीर्वाद लें।
  • कजरी तीज की व्रत कथा का श्रवण करें।
  • झूला बनाकर पूजा स्थल को सजाएं।
  • सोलह श्रृंगार की वस्तुएं नीमड़ी माता को अर्पित करें।
  • मन से संकल्प लें और व्रत को श्रद्धा से निभाएं।

कजरी तीज के दिन क्या न करें?

  • झूठ न बोलें, किसी को अपशब्द न कहें।
  • व्रत के दिन बाल न कटवाएं या नाखून न काटें।
  • खाने-पीने में संयम रखें, अन्न ग्रहण न करें (यदि निर्जला व्रत है)।
  • विवाद या क्रोध से दूर रहें।
  • इस दिन किसी भी शुभ कार्य की निंदा न करें।
  • पूजा स्थल को गंदा न रखें या पूजा के समय लापरवाही न करें।

इस दिन किन कार्यों से शुभ फल मिलता है?

  • व्रत और संध्या अर्घ्य से पुण्य की प्राप्ति होती है।
  • झूला बनाना और स्वास्तिक चिन्ह बनाना सौभाग्यकारक होता है।
  • नीम की टहनी को पूजा में सम्मिलित करना रोग और भय से रक्षा करता है।
  • चंद्र दर्शन और अर्घ्य देने से मन की शांति मिलती है।
  • कथा श्रवण और आरती से घर में सुख-शांति का वास होता है।
  • नीमड़ी माता को सोलह श्रृंगार अर्पित करने से वैवाहिक जीवन में मधुरता आती है।

कजरी तीज व्रत का उद्यापन कैसे करें?

त्योहारों के मौसम में कजरी तीज पर्व की रौनक हर तरफ देखी जा सकती है। कजरी तीज में अन्य चीज़ों के बीच पूजा के बाद उद्यापन करना काफी महत्वपूर्ण माना गया है। आज हम आपके लिए उद्यापन की विधि लेकर आए हैं, इसलिए आप लेख को अंत तक अवश्य पढ़ें।

कजरी तीज व्रत का उद्यापन शादी के बाद लड़कियों को पीहर यानी मायके द्वारा विधि पूर्वक करवाया जाता है। इसके लिए लड़की के मायके से पूर्ण उद्यापन सामग्री उसके ससुराल भेजी जाती है। व्रत का उद्यापन अत्यंत महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि इसके बाद ही व्रत को सम्पूर्ण माना जाता है।

चलिए अब जानते हैं कि उद्यापन के लिए किन-किन चीजों की आवश्यकता होती है।

  • चार बड़े सातू के पिंड
  • 17 सवा-सवा पाव के पिंड।
  • 17 स्टील की कटोरी
  • आपकी सास के लिए कपड़े, श्रृंगार की सामग्री और श्रद्धा के अनुसार दक्षिणा रखें।
  • सांख्या के लिए वस्त्र, तौलिया, नारियल और दक्षिणा।

अब चलिए जानते हैं कि उद्यापन की विधि क्या है

आप 17 सातूओं को अलग-अलग कटोरी में रख दें और सब पर कुमकुम का टीका लगाएं, उसमें सुपारी और सिक्का रख दें। इनमें से आप 16 पिंड सुहागिनों को दान करें, बेहतर रहेगा अगर आप इन्हें उपवास रखने वाली सुहागिनों को दान करें, और एक पिंड, कपड़ों, नारियल और दक्षिणा के साथ सांख्या को दान करें। आपको बता दें सांख्या आप अपने देवर को बना सकते हैं, अपने जेठ के बेटे को बना सकते हैं या अपनी ननद के बेटे को भी बना सकते हैं।

उद्यापन के समय चार बड़े पिंडों में से एक सास को कटोरी में रखकर दक्षिणा, कपड़े और श्रृंगार की सामग्री के साथ दान करना होता है और फिर उनके चरण छूकर उनसे आशीर्वाद लिया जाता है। अगर आपकी सास नहीं हैं तो आप उनके स्थान पर ननद या किसी बुजुर्ग महिला को भी दे सकती हैं। बचे हुए 3 बड़े पिंडों में से एक पति के लिए होता है, एक मंदिर के लिए और एक खुद के लिए होता है, जिसे व्रत के पारण के समय खाया जाता है।

इसके अलावा लड़की के मायके से उसके लिए, उसके पति के लिए और ससुराल के अन्य लोगों के लिए भी कपड़े भेजे जाते हैं। कुछ लोग कपड़ों के साथ सोने और चांदी के आभूषण भी भेजते हैं। इस उद्यापन विधि की पूजा के अंत में कजरी माता से सभी भूल चूक के लिए माफी मांगी जाती है।

तो यह थी कजरी तीज पूजा की उद्यापन विधि, हमारी कामना है कि आपका ये व्रत व पूजा-अर्चना सफल हो, और भोलेनाथ व माता पार्वती आप पर सदा अपनी कृपा बनाए रखें। व्रत, त्यौहारों व अन्य धार्मिक जानकारियों के लिए जुड़े रहिए 'श्री मंदिर' के इस धार्मिक मंच पर।

divider
Published by Sri Mandir·August 1, 2025

Did you like this article?

srimandir-logo

श्री मंदिर ने श्रध्दालुओ, पंडितों, और मंदिरों को जोड़कर भारत में धार्मिक सेवाओं को लोगों तक पहुँचाया है। 50 से अधिक प्रसिद्ध मंदिरों के साथ साझेदारी करके, हम विशेषज्ञ पंडितों द्वारा की गई विशेष पूजा और चढ़ावा सेवाएँ प्रदान करते हैं और पूर्ण की गई पूजा विधि का वीडियो शेयर करते हैं।

हमारा पता

फर्स्टप्रिंसिपल ऐप्सफॉरभारत प्रा. लि. 435, 1st फ्लोर 17वीं क्रॉस, 19वीं मेन रोड, एक्सिस बैंक के ऊपर, सेक्टर 4, एचएसआर लेआउट, बेंगलुरु, कर्नाटका 560102
YoutubeInstagramLinkedinWhatsappTwitterFacebook