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ज्येष्ठ गौरी 2025 कब है?

जानें 2025 में ज्येष्ठ गौरी की तिथि, पूजा का महत्व, व्रत की कथा और माता गौरी को प्रसन्न करने की विधि, जिससे घर में सुख-समृद्धि और मंगल की वृद्धि होती है।

ज्येष्ठ गौरी आवाहन के बारे में

ज्येष्ठ गौरी आवाहन का पर्व माता गौरी को घर में आमंत्रित करने का पावन अवसर है। इस दिन भक्तजन विधिवत पूजा करके देवी का स्वागत करते हैं, जिससे घर में सुख-समृद्धि, शांति और मंगल की ऊर्जा का संचार होता है।

2025 में कब है ज्येष्ठ गौरी आवाहन

गणेशोत्सव के पावन पर्व के बीच भगवान गणेश की माता गौरी का भी आवाहन किया जाता है। इस पर्व को ‘ज्येष्ठ गौरी आवाहन’ कहते हैं। आपको बता दें कि ये विशेष दिन मराठी समुदाय के सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। इस अवसर पर विधि पूर्वक देवी गौरी की पूजा-अर्चना की जाती है. चलिए जानते हैं ज्येष्ठा गौरी आह्वान का शुभ मुहूर्त, गौरी पूजन की विधि और इस उत्सव का महत्व।

गौरी आवाहन और विसर्जन तिथि

भाद्रपद मास में शुक्ल पक्ष की षष्ठी को अनुराधा नक्षत्र में माँ गौरी का आह्वान किया जाता है। इसके अगले दिन गौरी पूजन होता है और अष्टमी के दिन माता गौरी का विसर्जन किया जाता है।

  • इस वर्ष ज्येष्ठ गौरी आवाहन रविवार, 31 अगस्त 2025 को मनाया जाएगा।
  • इस दिन गौरी आवाहन मुहूर्त प्रातः 05 बजकर 38 मिनट से लेकर सायं 05 बजकर 27 मिनट तक रहेगा।
  • कुल अवधि – 11 घंटे 49 मिनट की रहेगी।

ज्येष्ठ गौरी पूजा

  • गौरी पूजन सोमवार, 1 सितम्बर 2025 को विधिपूर्वक किया जाएगा।

ज्येष्ठ गौरी विसर्जन

  • गौरी विसर्जन मंगलवार, 2 सितम्बर 2025 को संपन्न किया जाएगा।

अनुराधा नक्षत्र

  • अनुराधा नक्षत्र का प्रारंभ 30 अगस्त 2025 को दोपहर 02 बजकर 37 मिनट से होगा और इसका समापन 31 अगस्त 2025 को सायं 05 बजकर 27 मिनट पर होगा।

ज्येष्ठ गौरी आवाहन शुभ मुहूर्त

मुहूर्त 

समय

ब्रह्म मुहूर्त

04:08 ए एम से 04:53 ए एम तक

प्रातः सन्ध्या

04:30 ए एम से 05:38 ए एम तक

अभिजित मुहूर्त

11:33 ए एम से 12:23 पी एम तक

विजय मुहूर्त

02:05 पी एम से 02:55 पी एम तक

गोधूलि मुहूर्त

06:18 पी एम से 06:41 पी एम तक

सायाह्न सन्ध्या

06:18 पी एम से 07:26 पी एम तक

अमृत काल

05:49 ए एम से 07:37 ए एम तक

निशिता मुहूर्त

11:36 पी एम से 12:21 ए एम, सितम्बर 01 तक

क्या है ज्येष्ठ गौरी आवाहन?

ज्येष्ठ गौरी आवाहन एक पवित्र धार्मिक अनुष्ठान है, जिसे विशेष रूप से विवाहित स्त्रियों द्वारा श्रद्धापूर्वक किया जाता है। इस दिन माता गौरी, जो भगवान गणेश की माता और शक्ति की प्रतीक मानी जाती हैं, का विधिवत आवाहन कर उनके लिए पूजन और व्रत किया जाता है। यह पर्व भक्ति, श्रद्धा और पारिवारिक सुख की कामना से जुड़ा हुआ है।

क्यों करते हैं ज्येष्ठ गौरी आवाहन पूजा?

यह पूजा मुख्यतः सुहाग की लंबी उम्र, दांपत्य जीवन की सुख-समृद्धि और संतान के कल्याण के लिए की जाती है। मान्यता है कि माता गौरी का पूजन करने से जीवन में प्रेम, सौहार्द और समर्पण की भावना बनी रहती है। यह व्रत कुंवारी कन्याओं द्वारा भी किया जाता है ताकि उन्हें उत्तम गुणों वाला जीवनसाथी प्राप्त हो। साथ ही, इस पूजन से घर-परिवार में सामंजस्य और शांति बनी रहती है।

ज्येष्ठ गौरी आवाहन का महत्व

ज्येष्ठ गौरी आवाहन नारी शक्ति, तप और सौंदर्य का प्रतीक पर्व है। इसे करने से माता गौरी का आशीर्वाद प्राप्त होता है जिससे जीवन में स्थायित्व और सुरक्षा का भाव आता है। यह व्रत न केवल व्यक्तिगत लाभ बल्कि सामाजिक और पारिवारिक संतुलन बनाए रखने के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है। इसके माध्यम से स्त्रियाँ अपनी श्रद्धा, शक्ति और भावनात्मक समर्पण को प्रकट करती हैं।

गौरी पूजन का धार्मिक महत्व

गौरी पूजन देवी की उस शक्ति का स्मरण है जिसने कठिन तप से भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त किया। यह पूजा स्त्रियों को यह प्रेरणा देती है कि आत्मबल, धैर्य और आस्था से जीवन के सभी लक्ष्य पूरे किए जा सकते हैं। धर्मशास्त्रों में गौरी पूजन को अखंड सौभाग्य, समृद्धि, और पारिवारिक सुख के लिए अत्यंत कल्याणकारी बताया गया है। इस दिन किए गए संकल्प और व्रत, नारी जीवन के आध्यात्मिक और सांसारिक दोनों पक्षों को समृद्ध करते हैं।

गौरी आवाहन का सही तरीका (संक्षेप में)

  • दिनभर उपवास रखें या फलाहार करें
  • शुद्ध और शांत मन से पूजा करें
  • माता को विवाहित स्त्री के रूप में श्रृंगार अर्पित करें
  • पूजा के बाद सुहाग सामग्रियों का दान करें
  • अगले दिन या अगले शुभ मुहूर्त में गौरी प्रतिमा का विसर्जन करें

गौरी पूजन सामग्री सूची

  • लाल/पीला वस्त्र (चौकी के लिए)
  • गौरी माता की प्रतिमा या चित्र
  • गणेश जी की प्रतिमा
  • गंगाजल, तांबे का लोटा, कलश
  • आम के पत्ते, नारियल
  • अक्षत (चावल), रोली, हल्दी, कुमकुम
  • पंचमेवा, मिठाई, फल, दूध
  • सुपारी, लौंग, इलायची
  • सिन्दूर, काजल, बिंदी, चूड़ियां, मेहंदी
  • चुनरी, दर्पण, इत्र
  • अगरबत्ती, कपूर, दीपक, घी, रुई
  • फूल और माला
  • पूजा की थाली, घंटी
  • कथा पुस्तिका या स्तुति सामग्री

ज्येष्ठ गौरी पूजन विधि / ज्येष्ठ गौरी आवाहन कैसे करें

  • ज्येष्ठा गौरी आवाहन के दिन प्रातःकाल उठकर स्नानादि कार्यों से निवृत हो जाएं। इसके बाद जहां माँ गौरी को स्थापित करना है, उस स्थान को स्वच्छ एवं शुद्ध कर लें।
  • इसके पश्चात् माँ के लिए विधि-विधान से आसन स्थापित करें। उस पर कपड़ा बिछाएं और अक्षत रखें।
  • स्थापना स्थल को फूलों से सजाएं और आरती की थाली को भी सजा कर पूजा स्थान पर रख दें।
  • षष्ठी तिथि को माँ गौरी की दो प्रतिमाओं, ज्येष्ठा और कनिष्ठा को एक थाली में रखकर घर में लाया जाता है।
  • उनके स्वागत के लिए सबसे पहले घर के द्वार से स्थापना स्थल तक माता के पैरों की छाप छोड़ी जाती है।
  • इसके बाद जब घर में दो स्त्रियां प्रतिमाओं के साथ प्रवेश करती हैं, तो उनके चरणों को दूध, पंचामृत और शुद्ध जल से धोया जाता है।
  • इसके बाद दोनों स्त्रियों को और माता की दोनों प्रतिमाओं को सिंदूर से तिलक लगाया जाता है।
  • अब माँ गौरी के आगमन के लिए उनकी प्रतिमाओं से ज़मीन पर रखे अक्षत के कलश को गिराया जाता है।
  • इसके बाद जहां भी माता के चरणों की छाप होती है, वहां प्रतिमा का स्पर्श करवाया जाता है। इस प्रकार माँ गौरी को पूजा स्थल पर स्थापित करने के लिए लाया जाता है।
  • माँ गौरी की दोनों प्रतिमाओं को पूजा स्थल पर स्थापित करके उनके समक्ष धूप-दीप जलाया जाता है। इसके बाद उन्हें नेवैद्य अर्पित किया जाता है और माता की पूजा की जाती है।
  • आपको बता दें कि माँ गौरी को भोग में 16 प्रकार के व्यंजन अर्पित किए जाते हैं।
  • इस अवसर पर माता गौरी के मंत्रों का जप करने व कथा पढ़ने का विधान है। पूजा के अंत में माता गौरी की आरती की जाती है।

गौरी आवाहन के मंत्र क्या हैं?

गौरी माता का आवाहन, पूजन से पूर्व श्रद्धा और विधिपूर्वक मंत्रोच्चार के साथ किया जाता है। प्रमुख मंत्र निम्नलिखित हैं:

1. आवाहन मंत्र

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ॐ गौर्यै नमः आवाहयामि।

2. प्रतिष्ठापन मंत्र

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ॐ सर्वमङ्गलमाङ्गल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके। शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोऽस्तुते॥

3. गौरी पूजन मंत्र

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या देवी सर्वभूतेषु मातृरूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

4. गौरी स्तुति

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सर्वमङ्गलमाङ्गल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके। शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोऽस्तुते॥

ज्येष्ठ गौरी व्रत के नियम

  • व्रती स्त्री को पूर्ण ब्रह्मचर्य और सात्विकता का पालन करना चाहिए।
  • पूरे दिन व्रत रखकर या फलाहार करते हुए मन, वचन और कर्म से पवित्रता बनाए रखें।
  • सुबह जल्दी उठकर स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें और व्रत का संकल्प लें।
  • पूजन में श्रृंगार सामग्री विशेष रूप से चढ़ाएं — जैसे चूड़ी, बिंदी, मेहंदी, सिन्दूर, चुनरी आदि।
  • व्रत के समय अपवित्रता (झूठ, निंदा, क्रोध) से बचें।
  • गौरी माता की कथा सुनें और आरती करें।
  • व्रत की समाप्ति पर सुहाग सामग्री का दान करना शुभ माना जाता है।
  • तीन दिन की पूजा होती है — पहले दिन आवाहन, दूसरे दिन पूजन और तीसरे दिन विसर्जन।

ज्येष्ठ गौरी आवाहन – महाराष्ट्र की परंपरा

महाराष्ट्र में ‘गौरी गणपती’ एक अत्यंत लोकप्रिय और पारंपरिक पर्व है। यहाँ यह पूजा मुख्यतः गणेश चतुर्थी के दौरान की जाती है। परंपरा के अनुसार:

  • गणेश चतुर्थी के तीसरे दिन ‘गौरी आवाहन’ होता है, जब घरों में माँ गौरी (या महालक्ष्मी) की मूर्ति या चित्र लाकर उनका प्रतिष्ठापन किया जाता है।
  • महिलाएं उन्हें विशेष श्रृंगार और साज-श्रृंगार की सामग्री अर्पित करती हैं।
  • तीन दिनों तक माँ गौरी का पूजन किया जाता है, जिनमें महिलाएं गीत-भजन, आरती और सामूहिक पूजन करती हैं।
  • यह व्रत विवाहित स्त्रियों के लिए विशेष रूप से सौभाग्यवती बनने की कामना के साथ रखा जाता है।
  • तीसरे दिन ‘गौरी विसर्जन’ के साथ पूजा का समापन होता है, जिसमें माता को गंगा जल से स्नान कराकर नदी या तालाब में विसर्जित किया जाता है।
  • महाराष्ट्र की यह परंपरा परिवारिक सुख, वैवाहिक जीवन की स्थिरता, और स्त्री सशक्तिकरण के भाव को भी दर्शाती है।

इस प्रकार ज्येष्ठ गौरी आवाहन किया जाता है, सप्तमी के दिन गौरी पूजन करने का विधान है और अष्टमी पर विसर्जन। हमारी कामना है कि माता गौरी आपकी उपासना से प्रसन्न हों, और सुख-सौभाग्य बनाए रखें।

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Published by Sri Mandir·August 28, 2025

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