जानें 2025 में ज्येष्ठ गौरी की तिथि, पूजा का महत्व, व्रत की कथा और माता गौरी को प्रसन्न करने की विधि, जिससे घर में सुख-समृद्धि और मंगल की वृद्धि होती है।
ज्येष्ठ गौरी आवाहन का पर्व माता गौरी को घर में आमंत्रित करने का पावन अवसर है। इस दिन भक्तजन विधिवत पूजा करके देवी का स्वागत करते हैं, जिससे घर में सुख-समृद्धि, शांति और मंगल की ऊर्जा का संचार होता है।
गणेशोत्सव के पावन पर्व के बीच भगवान गणेश की माता गौरी का भी आवाहन किया जाता है। इस पर्व को ‘ज्येष्ठ गौरी आवाहन’ कहते हैं। आपको बता दें कि ये विशेष दिन मराठी समुदाय के सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। इस अवसर पर विधि पूर्वक देवी गौरी की पूजा-अर्चना की जाती है. चलिए जानते हैं ज्येष्ठा गौरी आह्वान का शुभ मुहूर्त, गौरी पूजन की विधि और इस उत्सव का महत्व।
भाद्रपद मास में शुक्ल पक्ष की षष्ठी को अनुराधा नक्षत्र में माँ गौरी का आह्वान किया जाता है। इसके अगले दिन गौरी पूजन होता है और अष्टमी के दिन माता गौरी का विसर्जन किया जाता है।
मुहूर्त | समय |
ब्रह्म मुहूर्त | 04:08 ए एम से 04:53 ए एम तक |
प्रातः सन्ध्या | 04:30 ए एम से 05:38 ए एम तक |
अभिजित मुहूर्त | 11:33 ए एम से 12:23 पी एम तक |
विजय मुहूर्त | 02:05 पी एम से 02:55 पी एम तक |
गोधूलि मुहूर्त | 06:18 पी एम से 06:41 पी एम तक |
सायाह्न सन्ध्या | 06:18 पी एम से 07:26 पी एम तक |
अमृत काल | 05:49 ए एम से 07:37 ए एम तक |
निशिता मुहूर्त | 11:36 पी एम से 12:21 ए एम, सितम्बर 01 तक |
ज्येष्ठ गौरी आवाहन एक पवित्र धार्मिक अनुष्ठान है, जिसे विशेष रूप से विवाहित स्त्रियों द्वारा श्रद्धापूर्वक किया जाता है। इस दिन माता गौरी, जो भगवान गणेश की माता और शक्ति की प्रतीक मानी जाती हैं, का विधिवत आवाहन कर उनके लिए पूजन और व्रत किया जाता है। यह पर्व भक्ति, श्रद्धा और पारिवारिक सुख की कामना से जुड़ा हुआ है।
यह पूजा मुख्यतः सुहाग की लंबी उम्र, दांपत्य जीवन की सुख-समृद्धि और संतान के कल्याण के लिए की जाती है। मान्यता है कि माता गौरी का पूजन करने से जीवन में प्रेम, सौहार्द और समर्पण की भावना बनी रहती है। यह व्रत कुंवारी कन्याओं द्वारा भी किया जाता है ताकि उन्हें उत्तम गुणों वाला जीवनसाथी प्राप्त हो। साथ ही, इस पूजन से घर-परिवार में सामंजस्य और शांति बनी रहती है।
ज्येष्ठ गौरी आवाहन नारी शक्ति, तप और सौंदर्य का प्रतीक पर्व है। इसे करने से माता गौरी का आशीर्वाद प्राप्त होता है जिससे जीवन में स्थायित्व और सुरक्षा का भाव आता है। यह व्रत न केवल व्यक्तिगत लाभ बल्कि सामाजिक और पारिवारिक संतुलन बनाए रखने के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है। इसके माध्यम से स्त्रियाँ अपनी श्रद्धा, शक्ति और भावनात्मक समर्पण को प्रकट करती हैं।
गौरी पूजन देवी की उस शक्ति का स्मरण है जिसने कठिन तप से भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त किया। यह पूजा स्त्रियों को यह प्रेरणा देती है कि आत्मबल, धैर्य और आस्था से जीवन के सभी लक्ष्य पूरे किए जा सकते हैं। धर्मशास्त्रों में गौरी पूजन को अखंड सौभाग्य, समृद्धि, और पारिवारिक सुख के लिए अत्यंत कल्याणकारी बताया गया है। इस दिन किए गए संकल्प और व्रत, नारी जीवन के आध्यात्मिक और सांसारिक दोनों पक्षों को समृद्ध करते हैं।
गौरी माता का आवाहन, पूजन से पूर्व श्रद्धा और विधिपूर्वक मंत्रोच्चार के साथ किया जाता है। प्रमुख मंत्र निम्नलिखित हैं:
ॐ गौर्यै नमः आवाहयामि।
ॐ सर्वमङ्गलमाङ्गल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके। शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोऽस्तुते॥
या देवी सर्वभूतेषु मातृरूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
सर्वमङ्गलमाङ्गल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके। शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोऽस्तुते॥
महाराष्ट्र में ‘गौरी गणपती’ एक अत्यंत लोकप्रिय और पारंपरिक पर्व है। यहाँ यह पूजा मुख्यतः गणेश चतुर्थी के दौरान की जाती है। परंपरा के अनुसार:
इस प्रकार ज्येष्ठ गौरी आवाहन किया जाता है, सप्तमी के दिन गौरी पूजन करने का विधान है और अष्टमी पर विसर्जन। हमारी कामना है कि माता गौरी आपकी उपासना से प्रसन्न हों, और सुख-सौभाग्य बनाए रखें।
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ज्येष्ठ गौरी विसर्जन 2025 की तिथि, शुभ मुहूर्त और विधि की पूरी जानकारी यहां पाएं। सही विधि से विसर्जन कर माता गौरी की कृपा और परिवार में सुख-शांति का आशीर्वाद प्राप्त करें।
ज्येष्ठ गौरी पूजा 2025 की तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व की पूरी जानकारी यहां पाएं। सही विधि से पूजन कर माता गौरी की कृपा और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त करें।
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