गजानन संकष्टी चतुर्थी 2025
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गजानन संकष्टी चतुर्थी 2025

गजानन संकष्टी चतुर्थी 2025 में पाएं श्री गणेश की कृपा! जानिए व्रत की तिथि, पूजा विधि और संकटनाशक गणेश जी की आराधना से मिलने वाले चमत्कारी लाभ।

गजानन संकष्टी चतुर्थी के बारे में

गजानन संकष्टी चतुर्थी भगवान गणेश को समर्पित एक विशेष व्रत है, जो चतुर्थी तिथि पर मनाया जाता है। इस दिन व्रत रखकर चंद्रमा के दर्शन के बाद गणेशजी की पूजा की जाती है, जिससे कष्टों का निवारण होता है। आइये जानते हैं इसके बारे में...

गजानन संकष्टी चतुर्थी कब है? जानें शुभ मुहूर्त

भक्तों नमस्कार! श्री मंदिर पर आपका स्वागत है। चतुर्थी व्रत भगवान गणेश को समर्पित है। इस दिन जातक गणेश जी की विशेष पूजा अर्चना करते हैं। पंचांग के अनुसार हर मास में दो चतुर्थी आती हैं। एक शुक्ल पक्ष में और एक कृष्ण पक्ष में। हर महीने पड़ने वाली चतुर्थी तिथियों के अलग अलग नाम हैं, जिनमें से श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को गजानन संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है।

चलिए जानते हैं कि गजानन संकष्टी चतुर्थी कब है

  • संकष्टी चतुर्थी व्रत श्रावण कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर 14 जुलाई 2025, सोमवार को किया जाएगा।
  • चतुर्थी तिथि 14 जुलाई 2025, सोमवार को रात 01 बजकर 02 मिनट पर प्रारंभ होगी।
  • चतुर्थी तिथि का समापन 14 जुलाई 2025, सोमवार को रात 11 बजकर 59 मिनट पर होगा।
  • संकष्टी के दिन चन्द्रोदय रात 09 बजकर 28 मिनट पर होगा।

गजानन संकष्टी चतुर्थी के शुभ मुहूर्त

मुहूर्त

समय

ब्रह्म मुहूर्त

03:51 ए एम से 04:32 ए एम तक

प्रातः सन्ध्या

04:12 ए एम से 05:14 ए एम तक

अभिजित मुहूर्त

11:36 ए एम से 12:30 पी एम तक

विजय मुहूर्त

02:19 पी एम से 03:14 पी एम तक

गोधूलि मुहूर्त

06:51 पी एम से 07:12 पी एम तक

सायाह्न सन्ध्या

06:52 पी एम से 07:54 पी एम तक

अमृत काल

05:42 पी एम से 07:26 पी एम तक

निशिता मुहूर्त

11:43 पी एम से 12:24 ए एम, जुलाई 09 तक

रवि योग

03:15 ए एम, जुलाई 09 से 05:14 ए एम, जुलाई 09 तक

क्या है संकष्टी चतुर्थी? जानें इसका महत्व

संकष्टी चतुर्थी का व्रत प्रत्येक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को किया जाता है। बुद्धि एवं विवेक के देवता गणेश जी को समर्पित यह व्रत समस्त कष्टों को हरने वाला और धर्म, अर्थ, मोक्ष, विद्या, धन व आरोग्य प्रदान करने वाला है।

शास्त्रों में भी कहा गया है कि जब मन संकटों से घिरा महसूस करें, तो संकष्टी चतुर्थी का अद्भुत फल देने वाला व्रत करें, और भगवान गणपति को प्रसन्न कर मनचाहे फल की कामना करें।

आइये जानते हैं इस चमत्कारिक व्रत के महत्व और इससे मिलने वाले लाभों के बारे में।

क्यों मनाई जाती है संकष्टी चतुर्थी

इस दिन गणेश भगवान की पूजा का विधान है। संकष्ट का अर्थ है कष्ट या विपत्ति। शास्‍त्रों के अनुसार संकष्‍टी चतुर्थी के दिन व्रत करने से सभी कष्टों से मुक्ति प्राप्‍त होती है। इस दिन माताएं गणेश चौथ का व्रत करके अपनी संतान की दीर्घायु और कष्‍टों के निवारण के लिए भगवान से प्रार्थना करती हैं।

संकष्टी चतुर्थी व्रत का महत्व

  • जैसा की इस चतुर्थी के नाम से ही स्पष्ट है संकष्टी, जिसका अर्थ है संकट को हरने वाली चतुर्थी। जो भी व्यक्ति इस दिन पूरे मन से गणपती जी के लिए व्रत रखता है, उसके सभी कष्टों और दुखों का नाश हो जाता है।
  • गणेश जी का दूसरा नाम विघ्नहर्ता भी है। माना जाता है की इस व्रत से विघ्नहर्ता गणेश घर में आ रहे सभी विघ्न एवं बाधाओं को हर लेते है। यह व्रत सभी आर्थिक समस्याओं से मुक्ति भी प्रदान करता है।
  • संकष्टी चतुर्थी के दिन गणपति बप्पा की पूजा करने से घर में चारों ओर एक सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। सभी प्रकार की नकारात्मक शक्तियां दूर होती है और घर में शांति भी बनी रहती है।
  • ऐसा माना जाता है कि इस पवित्र व्रत को रखने से संतान को दीर्घायु होने का आशीर्वाद मिलता है। मान्यता है कि विधिपूर्वक इस दिन भगवान गणेश की उपासना करने से संतान को आरोग्य और लंबी उम्र की प्राप्ति होती है।
  • साथ ही, कहा जाता है कि गणेश की उपासना से ग्रहों के अशुभ प्रभावों को भी कम किया जा सकता है। शास्त्रों के अनुसार संकष्टी चतुर्थी का यह व्रत परम मंगल करने वाला है।

तो ये थी संकष्टी चतुर्थी से जुड़ी खास जानकारी। अगर आपको ये जानकरी उपयोगी लगी हो तो इसे अन्य भक्तजनों के साथ अवश्य साझा करें।

गजानन संकष्टी चतुर्थी का व्रत कैसे रखें

व्रत से पहले की तैयारी

  • व्रत वाले दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठें।
  • स्नान करके शुद्ध व्रत वस्त्र पहनें।

व्रत का संकल्प लें

** “ॐ गं गणपतये नमः। संकष्टनाशनं व्रतमहं करिष्ये।”**

  • व्रत पूजा के लिए सबसे पहले पूजा की सामग्री एकत्रित कर लें।

संकष्टी चतुर्थी पूजा सामग्री

रिद्धि सिद्धि और बुद्धि के देवता भगवान गणेश जी को प्रसन्न करने के लिए हर माह लम्बोदर संकष्टी चतुर्थी का व्रत और पूजन किया जाता है। ज्यादातर महिलाएं इस पूजा को अपनी संतान की सलामती और परिवार में सुख समृद्धि की कामना के साथ करती है।

संकष्टी चतुर्थी की पूजा में सम्पूर्ण और सटीक पूजा सामग्री का होना बहुत जरूरी है, क्योंकि इसी से आपकी पूजा सफल होगी। इसीलिए इस लेख में हम आपके लिए लेकर आए हैं संकष्टी चतुर्थी पूजा की सामग्री, जो कुछ इस प्रकार है -

  • चौकी
  • गणपति जी की प्रतिमा या तस्वीर
  • लाल वस्त्र
  • ताम्बे का कलश
  • गंगाजल मिश्रित जल
  • घी का दीपक
  • हल्दी- कुमकुम
  • अक्षत
  • चन्दन
  • मौली या जनेऊ
  • तिल
  • तिल-गुड़ के लड्डू
  • लाल फूल
  • दूर्वा
  • पुष्प माला
  • धुप
  • कर्पूर
  • दक्षिणा
  • फल या नारियल

संकष्टी चतुर्थी पर चन्द्रमा को अर्घ्य देने और पूजा के लिए

  • ताम्बे का कलश
  • दूध मिश्रित जल
  • पूजा की थाली
  • हल्दी - कुमकुम
  • अक्षत
  • भोग
  • घी का दीपक
  • फूल
  • धुप

इस सामग्री को पूजा शुरू करने से पहले ही इकट्ठा कर लें, ताकि गणेश जी की पूजा करते समय आपको किसी तरह की कोई बाधा का सामना न करना पड़ें। इस सामग्री के द्वारा पूजा करने से आपकी संकष्टी चतुर्थी की पूजा जरूर सफल होगी और भगवान गणेश आपकी हर मनोकामना को जरूर पूरा करेंगे।

संकष्टी चतुर्थी व्रत की पूजा विधि

हिन्दू कैलेंडर के अनुसार हर माह में एक संकष्टी चतुर्थी तिथि आती है। प्रत्येक संकष्टी चतुर्थी के अधिदेवता प्रथम पूज्य भगवान गणेश को माना है। कहा जाता है कि संकष्टी चतुर्थी का अर्थ ‘कठिन समय से मुक्ति पाना’ है। इस दिन विधि विधान से पूजा अर्चना करने से भगवान गणेश अपने भक्तों के हर संकट को हर लेते हैं इसलिए संकष्टी चतुर्थी के दिन सम्पूर्ण विधि से गणपति जी की पूजा-पाठ की जाती है।

तो आइए, जानें कि संकष्टी चतुर्थी की विधिपूर्वक पूजा कैसे की जाती है।

सबसे पहले शुरू करते हैं पूजा की तैयारी, इसके लिए

  • संकष्टी चतुर्थी के दिन आप प्रातः काल सूर्योदय से पहले उठ जाएँ।
  • व्रत करने वाले लोग सबसे पहले नित्यकर्मों से निवृत्त होकर स्नान करें।
  • इसके बाद साफ़ और धुले हुए कपड़े पहन लें।
  • सूर्यदेव को जल से अर्घ्य दें और व्रत का संकल्प लें।
  • इसके बाद पूरे दिन का व्रत धारण करें, और संध्या समय में गणपति की पूजा की शुरुआत करें।
  • पूजा के लिए सभी सामग्री एकत्रित कर लें।
  • जहाँ आपको चौकी की स्थापना करनी है, उस स्थान को अच्छे से साफ कर लें।

ध्यान देने योग्य बात - गणपति की पूजा करते समय जातक को अपना मुख पूर्व या उत्तर दिशा की ओर रखना चाहिए।

यदि संभव हो तो इस दिन पूजा में जनेऊ और दूर्वा को भी अवश्य शामिल करें। यह भगवान गणेश को प्रिय है।

तो चलिए पूजा विधि शुरू करते हैं -

  • सबसे पहले साफ़ किये गए स्थान पर चौकी स्थापित करें। इस पर लाल वस्त्र बिछाएं।
  • कलश से फूल की सहायता से थोड़ा सा जल लेकर इस चौकी पर छिड़कें।
  • अब इस चौकी के दाएं तरफ अर्थात आपके बाएं तरफ एक दीपक प्रज्वलित करें।
  • अब गणपति जी के आसन के रूप में चौकी पर थोड़ा सा अक्षत डालें, और यहां गणपति जी को विराजित करें।
  • अब भगवान जी पर फूल की सहायता से गंगाजल छिड़क कर उन्हें स्नान करवाएं।
  • गणपति जी की मूर्ति को फूलों से अच्छी तरह से सजा लें।
  • भगवान गणेश को हल्दी- कुमकुम-अक्षत, चन्दन आदि से तिलक करें। और स्वयं को भी चन्दन का तिलक लगाएं।
  • इसके बाद वस्त्र के रूप में गणेश जी को मौली अर्पित करें।
  • अब चौकी पर धुप-दीपक जलाएं, भगवान गणपति को तिल के लड्डू, फल और नारियल आदि का भोग लगाएं।
  • भगवान के समक्ष क्षमतानुसार दक्षिणा रखें। अब संकष्टी व्रत कथा का पाठ करें।
  • इसके बाद गणेश जी की आरती करें। यह आरती श्री मंदिर पर आपके लिए उपलब्ध है।
  • अब रात में चाँद निकलने पर चंद्रदेव की पंचोपचार से पूजा करें और एक कलश में जल और दूध के मिश्रण से चन्द्रमा को अर्घ्य दें।
  • इस तरह आपकी पूजा सम्पन्न होगी। पूजा समाप्त होने के बाद सबमें प्रसाद बाटें और खुद भी प्रसाद ग्रहण करें।

चंद्रमा को अर्घ्य देना (पारण विधि)

  • इस व्रत का पारण रात्रि में चंद्र दर्शन के बाद किया जाता है।
  • जब चंद्रमा दिखाई दे, तब शुद्ध जल, पुष्प, अक्षत के साथ चंद्रमा को अर्घ्य दें।
  • चंद्रमा को निहारें और प्रार्थना करें कि जीवन से सारे कष्ट दूर हों और सुख-शांति बनी रहे।
  • इसके बाद व्रती फलाहार या साधारण सात्विक भोजन कर सकते हैं।

संकष्टी चतुर्थी से मिलने वाले 5 लाभ

हमारे पुराणों में यह उल्लेख मिलता है कि हर माह में एक बार आने वाली संकष्टी चतुर्थी पर व्रत रखना अत्यंत फलदायी होता है। आज के हम बात करेंगे कि इस शुभ तिथि पर किये गए व्रत और पूजन से मनुष्य को वे कौन से 5 लाभ प्राप्त होते हैं, जो उनके जीवन को सफल बनाने में उनकी सहायता करते हैं।

1. इनमें सर्वप्रथम लाभ है - संतान दीर्घायु और निरोगी बनती है

संकष्टी चतुर्थी पर पूरी श्रद्धा से किया गया व्रत और अनुष्ठान आपकी संतान को सभी विषम परिस्थितियों से बचाता है। माताएं विशेषकर इस दिन अपनी संतान की सुरक्षा और लम्बी उम्र के लिए व्रत रखती हैं और उनके व्रत से प्रसन्न होकर भगवान गणेश उनकी इस मनोकामना को अवश्य पूरा करते हैं। यदि आप भी अपनी संतान के लिए हर माह व्रत रखना चाहती हैं तो इस व्रत का पालन अवश्य करें।

2. सकंष्टी चतुर्थी से मिलने वाला दूसरा बड़ा लाभ है - कठिन परिस्थितियों से मुक्ति

संकष्टी का शाब्दिक अर्थ होता है सभी संकटों से मुक्ति पाना। संकष्टी चतुर्थी के दिन व्रत करने से मिलने वाला यह विशेष लाभ है। दैनिक जीवन में ऐसे कई कार्य होते हैं, जहाँ आपको अड़चनों का सामना करना पड़ता है और अंत में वे कार्य नहीं बन पाते हैं। संकष्टी चतुर्थी के व्रत के प्रभाव से सभी तरह की बाधाओं और अड़चनों से मुक्ति मिलती है। इस दिन पूरे समर्पण के साथ व्रत रखने से प्रथम पूज्य भगवान गणेश अपने भक्तों के सभी कष्टों को हरकर उनके जीवन को आसान बनाते हैं।

3. तीसरा लाभ है परिवार में सुख समृद्धि

संकष्टी चतुर्थी पर किये गए व्रत से व्रती के सभी परिवारजनों पर गणपति जी की कृपा बरसती है। संकष्टी चतुर्थी के दिन की गई विधिपूर्वक पूजा से संपूर्ण कुटुंब को सुखी जीवन का आशीर्वाद लाभ के रूप में मिलता है। इस तिथि पर किया गया व्रत बहुत ही प्रभावशाली होता है, और यदि घर में कोई एक सदस्य भी इस व्रत का पालन करें तो उस घर से सभी नकारात्मक ऊर्जाओं का नाश होता है और परिवार में समृद्धि का वास होता है।

4. चौथा लाभ है दुर्लभ मनोकामनाओं की पूर्ति

संकष्टी चतुर्थी का व्रत और पूजन करने से मनुष्य की कई दुर्लभ इच्छाओं की पूर्ति हो सकती है। मंगलमूर्ति भगवान गणेश बहुत दयालु हैं और वे संकष्टी चतुर्थी पर व्रत करने वाले अपने भक्तों की हर मनोकामना को पूरा करते हैं। इस दिन पूरी आस्था से गणपति जी का ध्यान करना बहुत लाभदायक होता है इसीलिए आप भी अपनी मनोकामना की पूर्ति के लिए इस शुभ तिथि पर सच्चे मन से व्रत अवश्य करें।

5. पांचवा लाभ है बुद्धि और ज्ञान पूर्ति

हिन्दू धर्म में गणेश जी को बुद्धि का दाता माना जाता है, और चूँकि संकष्टी चतुर्थी की तिथि भगवान गणेश को ही समर्पित है, इसीलिए इस दिन व्रत करने से गणपति जी प्रसन्न होकर अपने भक्तों को ज्ञान और बुद्धि का वरदान देते हैं। इस दिन गणेशजी के मन्त्रों का उच्चारण करने से मनुष्य को ध्यान क्रेंदित करने में मदद मिलती है। इस दिन व्रत करने के साथ ही आप मन लगाकर किसी भी परीक्षा या प्रतियोगिता की तैयारी करें। आपको लाभ जरूर प्राप्त होगा।

संकष्टी चतुर्थी के व्रत से मिलने वाले यह विशेष लाभ आपके जीवन को सफल और खुशहाल बनाएँगे। हम आशा करते हैं यह आपके लिए सहायक होगा और आपको गणेश जी का आशीर्वाद मिलता रहेगा।

गजानन संकष्टी चतुर्थी के दिन क्या करें? क्या न करें?

हिन्दू कैलेंडर के अनुसार हर माह में दो गणेश चतुर्थी आती है। कृष्ण पक्ष की गणेश चतुर्थी और शुक्ल पक्ष की गणेश चतुर्थी। इस मंगल तिथि पर भगवान गणेश जी का आशीर्वाद पाने के लिए व्रत किया जाता है, और भगवान गणेशजी की विधिपूर्वक पूजा की जाती है। लेकिन कुछ ऐसे भी कार्य हैं जिन्हें संकष्टी चतुर्थी के दिन भूलकर भी नहीं करना चाहिए। यदि आपने यह सावधानियां नहीं बरतीं तो आपका संकष्टी चतुर्थी का व्रत विफल भी हो सकता है।

आइये इस लेख में जानें वे कौन सी बातें है, जिनका चतुर्थी व्रत के दौरान ध्यान रखना आपके लिए जरूरी है।

गणेश जी को तुलसी और केतकी के फूल अर्पित न करें

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार प्रथम पूज्य भगवान गणेश की पूजा में तुलसी के पत्ते और केतकी के फूल को सम्मिलित नहीं किया जाता है। तुलसी भगवान गणेश को अप्रिय है, वहीं केतकी का फूल भगवान शिव को अर्पित करना वर्जित होता है, इसीलिए यह फूल गणेश जी को भी नहीं चढ़ाया जाता है। आप ये दो पुष्प और पत्र भूलकर भी गणेश जी को अर्पित न करें, इससे आपकी पूजा निष्फल हो सकती है।

उपाय : भगवान गणेश जी को दूर्वा और गुड़हल का फूल चढ़ाएं।

व्यवसाय संबंधी कार्य आरम्भ न करें

हिन्दू कैलेंडर में हर चतुर्थी को रिक्ता तिथि माना जाता है। इसीलिए इस दिन अपने व्यवसाय और नौकरी से जुड़े किसी भी नए कार्य की शुरआत नहीं करनी चाहिए। इस दिन नए व्यापार और रोजगार से संबंधित कार्य शुरू करने से उस कार्य के सफल होने की संभावना कम होती है। इसलिए संकष्टी चतुर्थी पर इस बात का अवश्य ध्यान रखें।

उपाय : व्यवसाय से जुड़े काम शुरू करने के लिए किसी अन्य दिन को चुनें।

माता पिता और बड़ों का अनादर न करें

हम सभी यह जानते हैं कि भगवान गणेश अपने माता पिता भगवान शिव और पार्वती से कितना स्नेह करते हैं। उनके लिए माता-पिता समस्त ब्रह्माण्ड के समान हैं। इसीलिए संकष्टी चतुर्थी के दिन अपने माता पिता और किसी भी बड़े-बुजुर्ग का अनादर न करें। यदि आप ऐसा करते हैं तो आप भगवान गणेश के प्रकोप के भागी अवश्य बनेंगे।

उपाय : इस दिन निकटतम गणेश मंदिर में अवश्य जाएं।

चंद्रदेव के दर्शन और पूजा के बिना व्रत न खोलें

संकष्टी चतुर्थी पर इस बात का ध्यान रखें कि इस दिन किया गया व्रत चन्द्रदेवता के पूजन और दर्शन के बिना नहीं खोला जाता है। आप इस शुभ दिन पर गणेशजी की विधि पूर्वक पूजा करने के बाद चन्द्रमा को जल और दूध के मिश्रण से अर्घ्य अवश्य दें। इसके बिना आपकी संकष्टी चतुर्थी की पूजा पूर्ण नहीं मानी जाएगी। साथ ही चन्द्रमा के दर्शन करने के बाद ही सात्विक भोजन से अपना व्रत खोलें। चंद्र दर्शन किये बिना व्रत खोलने से व्रत का फल प्राप्त नहीं होगा।

उपाय : इस दिन चन्द्रोदय का समय देखें और उसी के अनुसार व्रत खोलें।

सदाचार और ब्रह्मचर्य का पालन करना न भूलें

भगवान गणेश जी को समर्पित संकष्टी चतुर्थी के दिन ब्रह्मचर्य और सदाचार का पालन अवश्य करें। किसी भी तरह के दुष्विचार और अनैतिकता को इस दिन मन में न आने दें। इसके साथ ही झूठ न बोलें, किसी की निंदा न करें और किसी भी जीव को हानि न पहुंचाएं।

उपाय : इस दिन गणेश जी के मन्त्रों और चालीसा का जप करें।

तामसिक भोजन से दूर रहें

संकष्टी चतुर्थी के दिन आप तामसिक भोजन और किसी भी तरह के व्यसन से दूर रहें। इस दिन लहसुन-प्याज आदि से बना मसालेदार खाना, मांस, मदिरा आदि का सेवन न करें। ऐसा करने से आपको इस व्रत और आपके द्वारा किये जा रहे पूजन-अनुष्ठान का पूरा लाभ नहीं मिलेगा। साथ ही कोशिश करें कि आपके घर में भी किसी अन्य सदस्य द्वारा मांस-मदिरा का सेवन न किया जाए।

उपाय : बिना लहसुन-प्याज से बना सादा शाकाहारी भोजन ग्रहण करें।

इसी तरह की और जानकारियों के माध्यम से श्री मंदिर आपके हर व्रत और पूजा को सफल बनाने के लिए प्रयासरत है।

संकष्टी चतुर्थी पर 5 उपाय - इन उपायों से गणेश जी को करें प्रसन्न

भगवान गणेश को विघ्नहर्ता कहा जाता है, क्योंकि बप्पा आपके सभी कष्टों को हर लेते हैं। भगवान गणेश को समर्पित संकष्टी चतुर्थी का व्रत, बप्पा को प्रसन्न करने के लिए सबसे शुभ दिन माना गया है।

इसी बात को ध्यान में रखते हुए, आज हम ऐसे 5 उपाय आपके लिए लेकर आए हैं, जिनके माध्यम से आप बप्पा को प्रसन्न कर, उनकी कृपा प्राप्त कर सकते हैं।

1. परिवार में सुख-शांति के लिए

गणपति जी को गुलाब के पुष्प अत्यंत प्रिय हैं। संकष्टी चतुर्थी के शुभ दिन पर भगवान गणेश को गुलाब अर्पित करने से परिवार में सुख-शांति आती है और क्लेष दूर हो जाते हैं। परिवार के लोगों में प्रेम की भावना को बढ़ावा मिलता है और सभी में तालमेल बना रहता है।

2. मान सम्मान

मान सम्मान में अगर आप बढ़ोत्तरी चाहते हैं तो तिल का दान करें। आप यह दान किसी ब्राह्मण या फिर किसी ज़रूरतमंद व्यक्ति को कर सकते हैं। इससे गणपति जी की कृपा से आपको सफलता के साथ सम्मान की भी प्राप्ति होगी।

3. इच्छापूर्ति के लिए

गणपति जी अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। अगर आप चाहते हैं कि आपकी भी मनोकामनाएं पूरी हों तो भगवान गणेश को रोली और चंदन अर्पित करें। इससे वह अत्यंत प्रसन्न होते हैं और आपकी कामना को सिद्ध कर देते हैं।

4. नौकरी में पदोन्नती के लिए

अगर आप सफलता के पथ पर अग्रसर होने के साथ नौकरी में पदोन्नती की कामना रखते हैं, तो अष्टमुखी रुद्राक्ष की विधिवत पूजा करवा कर इसे गले में धारण कर लें। इससे आपको उच्चपद की प्राप्ति होगी और आप अपने लक्ष्य को पूरा कर पाएंगे।

5. जीवन की परेशानियों को दूर करने के लिए

व्यक्ति अपने जीवन में कई प्रकार की परेशानियों से जूझता है। भगवान गणेश आपको इन परेशानियों से निकालकर, आपकी नैया को पार लगा सकते है। इसके लिए आप संकष्टी चतुर्थी के दिन गणपति जी को तिल और गुड़ के लड्डू का भोग लगाएं और उनसे प्रार्थना करें।

यह थे कुछ खास उपाय, जिन्हें आप संकष्टी चतुर्थी के दिन कर सकते हैं और इन उपायों के साथ में आप भगवान गणेश का स्मरण अवश्य करें। तो यह थी गजानन संकष्टी चतुर्थी व्रत से जुड़ी पूरी जानकारी, हम आशा करते हैं कि आपका व्रत सफल हो...

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Published by Sri Mandir·July 2, 2025

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