भारत के प्रसिद्ध जन्माष्टमी उत्सव

भारत के प्रसिद्ध जन्माष्टमी उत्सव

6 सितम्बर, 2023 जानें कहां कहां होते हैं जन्माष्टमी के उत्सव


पूरे देश में भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव की तैयारियां ज़ोरो-शोरों पर हैं। तो चलिए जानते हैं हर साल देश में रास रचैया गोकुल के कान्हा का जन्मदिन यानी जन्माष्टमी कैसे मनाई जाती है।

मथुरा: जन्माष्टमी पर श्री कृष्ण जी की जन्मस्थली मथुरा की चमक देखने लायक होती है। खास तौर पर मथुरा के जन्मभूमि मंदिर में इस पर्व की भव्यता बिल्कुल अनोखी होती है।

**वृंदावन: ** श्री कृष्ण जन्मभूमि मथुरा से कुछ ही दूरी पर स्थित वृंदावन में जन्माष्टमी की धूम देखने को मिलती है। इस दिन यहां रासलीला का आयोजन किया जाता है और यहां के छोटे-छोटे बच्चे राधा-कृष्ण का रूप धारण कर रासलीला करते हैं।

द्वारका: द्वारका ऐतिहासिक रूप से भगवान कृष्ण के राज्य के रूप में जाना जाता है। द्वारका में द्वारकाधीश मंदिर उन्हें समर्पित है। इस दिन, बाल गोपाल के जन्मोत्सव के लिए मंदिर को खूबसूरती से सजाया जाता है और कीर्तन और भजन गाए जाते हैं।

**महाराष्ट्र: ** महाराष्ट्र में जन्माष्टमी को मनाने का तरीका बड़ा ही रोमांचक है। यहां जगह-जगह पर जन्माष्टमी के उपलक्ष्य में दही-हांडी का आयोजन किया जाता है। लोग पूरे उत्साह के साथ दही-हांडी तोड़ते हैं और हर तरफ आपको हर्षोल्लास का माहौल देखने को मिलता है।

ओडिशा: ओडिशा के पुरी में स्थित जगन्नाथ मंदिर में श्रीकृष्ण अपने भाई बलराम और बहन सुभद्रा के साथ जगन्नाथ के रूप में विराजमान हैं। यहां भी जन्माष्टमी को बड़े ख़ास तरीके से मनाया जाता है। इस दिन देवी सुभद्रा अपने भाई बलभद्र और भगवान जगन्नाथ को राखी बाँधती हैं।

श्रीकृष्ण मंदिर, उडुपी: कर्नाटक में श्री कृष्ण मठ, भगवान कृष्ण को समर्पित है। यह मंदिर भी अपने जन्माष्टमी समारोह के लिए देश भर में प्रसिद्ध है।

इंफाल, मणिपुर: भारत के पूर्वोत्तर में स्थित, इंफाल के कई कृष्ण मंदिरों में जन्माष्टमी के दौरान भगवान कृष्ण को समर्पित मणिपुरी प्रदर्शन और रासलीला होती है। मणिपुर में इस दिन को कृष्ण जामा के नाम से जाना जाता है। यहां उत्सव आधी रात से शुरू होता है और भोर तक जारी रहता है। कृष्ण के जन्म को चिह्नित करने के लिए विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।

**गुरुवायूर मंदिर, केरल: ** दक्षिण भारत में शीर्ष मंदिरों की शामिल, गुरुवायूर मंदिर को 'दक्षिण के द्वारका' के रूप में भी जाना जाता हैं। इस मंदिर के बारे में मान्यता है कि यह वह स्थान है जहाँ भगवान शिव परिवार ने विष्णु की पूजा की थी। यहां पर भी जन्माष्टमी के पर्व की दिव्यता की चमक चारों ओर आपको देखने को मिलेगी।

**इस्कॉन मंदिर: ** इस्कॉन मंदिर देश-विदेश में कई जगहों पर स्थित है। यह संस्थान पूरी तरह श्रीकृष्ण को समर्पित, देश-विदेश के हर इस्कॉन मंदिर में जन्माष्टमी की रौनक देखते बनती है। यहां के मंदिरों का वातावरण पूरी तरह से कृष्णमय हो जाता है और हर भक्त पूरी आस्था के साथ अपने आराध्य की भक्ति में लीन रहता है।

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