image
downloadDownload
shareShare
ShareWhatsApp

धूमावती जयन्ती 2025

धूमावती जयन्ती 2025 पर मां धूमावती की पूजा और व्रत करें। जानें पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और धार्मिक महत्व संकट निवारण के लिए आवश्यक जानकारी।

धूमावती जयन्ती के बारे में

धूमावती जयंती माँ धूमावती के प्रकट होने का पर्व है, जो दस महाविद्याओं में से एक हैं। यह जयंती ज्येष्ठ अमावस्या को मनाई जाती है। साधना, त्याग और आत्मबल की प्राप्ति के लिए यह दिन विशेष माना जाता है।

धूमावती जयन्ती

धूमावती जयंती हर वर्ष ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। माता धूमावती दुर्गा जी का सातवां अवतार हैं। यह माता शक्ति का सबसे क्रोधित रूप माना जाता है।

चलिए इस लेख में जानते हैं,

  • धूमावती जयंती कब है?
  • धूमावती जयंती का महत्व
  • कौन हैं देवी धूमावती? कैसे हुई देवी धूमावती की उत्पत्ति?
  • देवी धूमावती का स्वरूप
  • धूमावती जयंती के दिन होने वाले धार्मिक अनुष्ठान एवं पूजा
  • धूमावती जयंती पर पूजा की पूजन सामग्री
  • धूमावती जयंती पूजा के लाभ
  • देवी धूमावती को प्रसन्न करने के उपाय

धूमावती जयंती कब है? धूमावती जयंती 2025 का शुभ मुहूर्त

  • वर्ष 2025 में धूमावती जयंती ज्येष्ठ, शुक्ल अष्टमी तिथि पर 03 जून 2025, मंगलवार को मनाई जाएगी
  • अष्टमी तिथि प्रारम्भ- 02 जून 2025, सोमवार को 08:34 PM पर
  • अष्टमी तिथि समापन- 03 जून 2025, मंगलवार को 09:56 PM पर

धूमावती जयंती विशेष योग

मुहूर्तसमय
ब्रह्म मुहूर्त 03:44 ए एम से 04:26 ए एम तक
प्रातः सन्ध्या 04:05 ए एम से 05:07 ए एम तक
अभिजित मुहूर्त 11:29 ए एम से 12:24 पी एम तक
विजय मुहूर्त 02:13 पी एम से 03:07 पी एम तक
गोधूलि मुहूर्त 06:44 पी एम से 07:05 पी एम तक
सायाह्न सन्ध्या06:45 पी एम से 07:47 पी एम तक
अमृत काल 06:02 पी एम से 07:46 पी एम तक
निशिता मुहूर्त 11:35 पी एम से 12:17 ए एम, जून 04 तक
रवि योग  12:58 ए एम, जून 04 से 05:07 ए एम, जून 04 तक

धूमावती जयंती का महत्व

  • धूमावती जयंती माता धूमावती की कृपा पाने के लिए एक महत्वपूर्ण दिन है।
  • अपने अत्यंत क्रोधित स्वरुप के विपरीत देवी इस दिन उनकी उपासना करने वाले भक्तों के समस्त कष्टों का निवारण करती हैं। माता के दर्शन मात्र से ही जातक को अभीष्ट फलों की प्राप्ति होती है।
  • दस महाविद्याओं में से देवी धूमावती को दारुण महाविद्या के रूप में जाना जाता है।
  • देवी धूमावती समस्त प्रकार की बुराइयों, पापों, राक्षसों, व नकारात्मकताओं का नाश करती हैं।
  • ऐसी मान्यता है कि ऋषि दुर्वासा, भृगु ऋषि व परशुराम ने विशेष शक्तियां पाने के लिए देवी धूमावती की ही आराधना की थीं
  • माना जाता है कि सुहागिन स्त्रियों को देवी धूमावती की पूजा नहीं करनी चाहिए। उन्हें दूर से ही देवी के दर्शन कर आशीर्वाद लेना चाहिए। देवी धूमावती की छवि का दर्शन करने से संतान और सुहाग दोनों की रक्षा होती है

कौन हैं देवी धूमावती? कैसे हुई देवी धूमावती की उत्पत्ति?

पौराणिक ग्रंथों के अनुसार एक बार देवी पार्वती तीव्र क्षुधा के कारण अत्यंत व्याकुल हो उठीं। वो भगवान शिव से भोजन के लिए बार बार आग्रह करने लगीं, परंतु ध्यानमग्न होने के कारण शंकर जी को माता पार्वती की आग्रह का आभास ही नहीं हुआ। जैसे जैसे समय व्यतीत होने लगा, वैसे वैसे माता की क्षुधा और क्रोध दोनो बढ़ते गए। माता पार्वती ने क्रोध के कारण अत्यंत तीव्र श्वास ली, और भगवान शिव को ही निगल गईं। शिव जी के कंठ में विष होने के कारण उन्हें निगलने पर देवी की देह से धुआँ निकलने लगा। उनका स्वरूप विकृत एवं श्रृंगार विहीन हो गाया, इस कारण उन्हें धूमावती कहा गया। भगवान शिव को खाने के कारण माता धूमावती को विधवा माना जाता है, और इसी स्वरूप में उनकी पूजा की जाती है।

देवी धूमावती का स्वरूप

  • धूमावती देवी की स्वरूप मलिन और भयानक होता है।
  • माता विधवा रूप में कौवे के वाहन पर विराजमान होती हैं।
  • देवी धूमावती का वस्त्र श्वेत होता है, और उनके केश खुले होते हैं।
  • देवी का स्वरूप चाहे अत्यंत उग्र है, परंतु वो संतान व सुहाग का कल्याण करने वाली मानी जाती हैं।

धूमावती जयंती के दिन होने वाले अनुष्ठान - कैसे करें धूमावती जयंती की पूजा?

  • धूमावती जयंती के दिन भक्त ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करते हैं।
  • पूजास्थल को गंगाजल से शुद्ध करके जल, पुष्प, सिन्दूर, कुमकुम, अक्षत, फल, धूप, दीप तथा नैवैद्य आदि से धूमावतीदेवी का पूजन किया जाता है।
  • देवी धूमावती की कृपा से मनुष्य के समस्त बुरे कर्मों का नाश होता है, दु:ख, कष्ट व निर्धनता आदि भी दूर होती है, और समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
  • धूमावती जयंती के अवसर पर मां धूमावती का पूजन विशेष कर रात्रि में किया जाता है। इस समय लोग सुनसान जगह पर देवी के मंत्रों का जाप करते हैं, साथ ही ये दिन तंत्र साधना के लिए भी उपयुक्त होता है।
  • माता की कृपा पाने व समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होने के लिए इस दिन धूमावती को काले तिल अर्पित किए जाते हैं।

धूमावती जयंती पर पूजा की पूजन सामग्री

धूमावती जयंती पर विशेष रूप से निम्न पूजन सामग्री का प्रयोग किया जाता है:

  • देवी धूमावती की प्रतिमा या चित्र
  • गंगाजल
  • श्वेत वस्त्र
  • काले तिल
  • सरसों के दाने
  • नींबू (कटे हुए)
  • सिन्दूर एवं काजल
  • गुड़ और नारियल
  • धूप, दीप, कपूर
  • लवंग, इलायची
  • नैवैद्य (सादा भोजन या मिष्ठान्न)
  • मंत्र जाप माला (रुद्राक्ष या काले चंदन की)
  • इस सामग्री से विधिपूर्वक पूजा करने से देवी अत्यंत प्रसन्न होती हैं।

धूमावती जयंती पूजा के लाभ

देवी धूमावती की आराधना से जीवन में निम्नलिखित लाभ प्राप्त होते हैं:

दरिद्रता से मुक्ति

देवी का आशीर्वाद प्राप्त होने से आर्थिक संकट समाप्त होते हैं और सुख-समृद्धि आती है।

शत्रु बाधा से रक्षा

देवी धूमावती शत्रुओं और नकारात्मक शक्तियों का नाश करती हैं।

तंत्र बाधाओं से मुक्ति

तांत्रिक दोष या ऊपरी बाधा से परेशान व्यक्ति को शांति मिलती है।

गंभीर रोगों में लाभ

धूमावती उपासना से दीर्घकालिक रोगों में राहत मिलती है।

विवेक और निर्णय शक्ति की वृद्धि

साधक को जीवन में स्पष्टता और आत्मबल की प्राप्ति होती है।

देवी धूमावती को प्रसन्न करने के उपाय

देवी धूमावती को प्रसन्न करने के लिए भक्त निम्न उपाय कर सकते हैं:

  • मंगलवार या अष्टमी को व्रत रखें और दिनभर सादा भोजन करें।
  • काले तिल और नींबू का अर्पण करें, यह देवी को अत्यंत प्रिय है।
  • कौवों को भोजन कराएं, क्योंकि देवी का वाहन कौआ है। इससे उनकी कृपा जल्दी प्राप्त होती है।
  • "ॐ धूं धूमावत्यै नमः" मंत्र का कम से कम 108 बार जाप करें।
  • देवी के मंदिर में जाकर तेल का दीपक जलाएं और मौन रहकर प्रार्थना करें।
  • रात्रिकालीन साधना में एकांत और शांत वातावरण चुनें।

तो भक्तों, ये थी धूमावती जयंती से जुड़ी विशेष जानकारी। हमारी कामना है कि आपकी पूजा व व्रत सफल हो, माता आप पर प्रसन्न हों और आजीवन अपनी कृपा बनाएं रखें। ऐसे ही व्रत, त्यौहार व अन्य धार्मिक जानकारियां निरंतर पाते रहने के लिए बने रहिए 'श्री मंदिर' पर।

divider
Published by Sri Mandir·May 28, 2025

Did you like this article?

srimandir-logo

श्री मंदिर ने श्रध्दालुओ, पंडितों, और मंदिरों को जोड़कर भारत में धार्मिक सेवाओं को लोगों तक पहुँचाया है। 50 से अधिक प्रसिद्ध मंदिरों के साथ साझेदारी करके, हम विशेषज्ञ पंडितों द्वारा की गई विशेष पूजा और चढ़ावा सेवाएँ प्रदान करते हैं और पूर्ण की गई पूजा विधि का वीडियो शेयर करते हैं।

Address:
Firstprinciple AppsForBharat Private Limited 435, 1st Floor 17th Cross, 19th Main Rd, above Axis Bank, Sector 4, HSR Layout, Bengaluru, Karnataka 560102
Play StoreApp Store

हमे फॉलो करें

facebookinstagramtwitterwhatsapp

© 2025 SriMandir, Inc. All rights reserved.