वासुदेव द्वादशी 2024 की संपूर्ण जानकारी

वासुदेव द्वादशी 2024 की संपूर्ण जानकारी

संतान प्राप्ति का मिलेगा आशीष


वासुदेव द्वादशी व्रत (Vasudev Dwadashi Vrat)



आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को वासुदेव द्वादशी मनाई जाती है। इस पर विशेष रूप से भगवान श्रीकृष्ण की पूजा की जाती है। पौराणिक मान्यता के अनुसार माता देवकी ने भगवान कृष्ण को पुत्र रूप में पाने के लिए इस व्रत का पालन किया था। कहा जाता है संतान प्राप्ति और उनके उत्तम जीवन इच्छा से ये व्रत रखने रखने वाली स्त्रियां संतान का सुख पाती हैं।

वासुदेव द्वादशी 2024: तिथि (Vasudev Dwadashi 2024: Date )


भगवान कृष्ण को समर्पित वासुदेव द्वादशी व्रत देवशयनी एकादशी के एक दिन बाद किया जाता है। ये पर्व आषाढ़ मास एवं चातुर्मास के प्रारंभ में ही पड़ता है। इस वर्ष वासुदेव द्वादशी 18 जुलाई,बृहस्पतिवार को मनाई जाएगी।

वासुदेव द्वादशी का महत्व (Importance Of Vasudeva Dwadashi)


पुराणों में वासुदेव द्वादशी के पर्व पर व्रत रखने का विशेष महत्व बताया गया है। कहा जाता है कि जो जातक वासुदेव द्वादशी के दिन उपवास रखते हैं, उनके बड़े से बड़े पाप भी नष्ट हो जाते हैं। ये भी मान्यता है कि जो वैवाहिक दंपति संतान प्राप्ति की इच्छा रखते हैं उन्हें वासुदेव द्वादशी का व्रत अवश्य करना चाहिए। इससे उनकी मनोकामनाएं अति शीघ्र पूर्ण होती हैं। वासुदेव द्वादशी व्रत के प्रभाव से आप अपनी खोई हुई संपत्ति पुनः वापस पा सकते हैं। पूरी श्रद्धा के साथ वासुदेव द्वादशी का व्रत रखने वाले जातक सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं, और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। इस व्रत का पालन करने वाला व्यक्ति जीवन के समस्त सुखों को भोगने के बाद मोक्ष प्राप्त करता है।

वासुदेव द्वादशी व्रत से जुड़ी पौराणिक मान्यता (Story Of Vasudev Dwadashi)


पौराणिक मान्यता के अनुसार जब देवकी एवं वसुदेव को कंस ने जेल में बंदी बना लिया था, तब एक बार नारद मुनि इनसे मिलने आए। नारद मुनि ने देवकी और वसुदेव के अपनी सभी संतानों को कंस द्वारा मारे जाने पर दुखी देखकर महर्षि नारद ने उन्हें वासुदेव द्वादशी व्रत रखने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि इस व्रत से तुम्हें दिव्य बालक की प्राप्ति होगी। नारद जी के सुझाव को मानते हुए देवकी और वसुदेव ने इस व्रत का पालन किया, और इसके कुछ ही समय बात भगवान विष्णु स्वयं कृष्ण के अवतार में जन्में।

वासुदेव द्वादशी की पूजा विधि (Vasudev Dwadashi Puja Vidhi)


  • वासुदेव द्वादशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें, और स्वच्छ वस्त्र पहनें।
  • स्वयं शुद्ध होकर भगवान कृष्ण व माता लक्ष्मी की प्रतिमा पर गंगाजल छिड़क कर उसे शुद्ध कर लें।
  • इसके बाद एक लकड़ी की चौकी पर लाल रंग का कपड़ा बिछाएं, और श्री कृष्ण व माता लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित करें।
  • अब भगवान वासुदेव को मोर पंख एवं पुष्प अर्पित करें।
  • इसके पश्चात् भगवान श्री कृष्ण एवं माता लक्ष्मी की प्रतिमा के सामने धूप दीप प्रज्जवलित करें।
  • भगवान कृष्ण को भोग के लिए पंचामृत के साथ-साथ चावल की खीर या कोई अन्य मीठी वस्तु चढ़ाएं।
  • पूजा संपन्न होने के बाद विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें.

वासुदेव द्वादशी पर अवश्य करें ये दान! (Donate This On Vasudeva Dwadashi)


वासुदेव द्वादशी के दिन भगवान कृष्ण की सोने की प्रतिमा का दान करना बहुत ही शुभ माना जाता है। इस सोने की प्रतिमा को पहले किसी जल से भरे पात्र में रखकर उसकी पूजा करें, उसके बाद उसे दान करें। ऐसा करने से असंख्य पुण्य प्राप्त होते हैं।


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