चित्रा पूर्णिमा 2025 कब है?
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चित्रा पूर्णिमा 2025 कब है?

जानिए चित्रा पूर्णिमा 2025 की तिथि, इसका आध्यात्मिक महत्व, पूजन की विधि और इस दिन किए जाने वाले पुण्य कर्म।

चित्रा पूर्णनामि के बारे में

चित्रा पूर्णिमा हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र माह की पूर्णिमा को मनाई जाती है। यह दिन विशेष रूप से दक्षिण भारत में पूजन, दान और पापमोचन के लिए शुभ माना जाता है। चित्रगुप्त देव की आराधना का भी महत्व होता है।

चित्रा पूर्णिमा

भक्तों, भारत एक ऐसा देश है, जो पर्वों व त्यौहारों का देश कहा जाता है। यहां की धर्म व संस्कृति अन्य देशों की तुलना में अधिक समृद्ध मानी जाती है। देश के अलग अलग हिस्सों में हर दिन कोई न कोई पर्व मनाया जाता है। इनमें से चित्रा पौर्णमि दक्षिण भारत में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण पर्व है। इस दिन लोग विधि-विधान से भगवान चित्र गुप्त की पूजा करते हैं, जिससे कई मनोवांछित फलों की प्राप्ति होती है।

चित्रा पौर्णमि कब है?

चित्रा पौर्णमि तमिल मास चिथिरई में पूर्णिमा के दिन मनाया जाने वाला एक पर्व है। ये त्यौहार 15 अप्रैल से 15 मई के बीच पड़ता है ।

  • साल 2025 में चित्रा पौर्णमि का ये पर्व 12 मई 2025 को मनाया जायेगा।
  • पौर्णमि तिथि प्रारम्भ - मई 11, 2025 को 08:01 पी एम बजे से
  • पौर्णमि तिथि समाप्त - मई 12, 2025 को 10:25 पी एम बजे तक

चित्रा पौर्णमि के दिन के शुभ मुहूर्त

मुहूर्तसमय
ब्रह्म मुहूर्त  04:04 ए एम से 04:46 ए एम तक
प्रातः सन्ध्या 04:25 ए एम से 05:28 ए एम तक
अभिजित मुहूर्त 11:46 ए एम से 12:40 पी एम तक
विजय मुहूर्त 02:28 पी एम से 03:22 पी एम तक
गोधूलि मुहूर्त 06:57 पी एम से 07:18 पी एम तक
सायाह्न सन्ध्या 06:58 पी एम से 08:01 पी एम तक
अमृत काल 11:18 पी एम से 01:05 ए एम, तक (13 मई)
निशिता मुहूर्त 11:52 पी एम से 12:34 ए एम, तक (13 मई)
रवि योग  05:28 ए एम से 06:17 ए एम तक

चित्रा पौर्णमि का क्या महत्व है?

चित्रा पौर्णमि मुख्यत: तमिलनाडु में मनाया जाने वाला विशेष त्यौहार है। ऐसी मान्यता है कि इस शुभ दिन पर चित्रगुप्त का जन्म हुआ था। इन्हें मृत्यु के देवता भगवान यम का सहायक माना जाता है। चित्रा का अर्थ होता है चित्रों का संग्रह एवं गुप्त का अर्थ है छिपा हुआ या अदृश्य। चित्रा पौर्णमि जीवों के कर्मों की रक्षा करने वाले रक्षक चित्रा गुप्त को समर्पित होती है।

ऐसा कहा जाता है कि ब्रह्मा जी ने भगवान सूर्य के सौजन्य से चित्रगुप्त की रचना की। इन्हें यमराज का छोटा भाई माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि जीव की मृत्यु के पश्चात् चित्रगुप्त उनके अच्छे व बुरे कर्मों की जांच करते हैं।

कहते हैं जब कोई व्यक्ति मृत्यु को प्राप्त होता है, तो उसकी आत्मा सर्व प्रथम यमराज के पास जाती है। वहां पहले से ही उपस्थित चित्रगुप्त मृत व्यक्ति के कर्मों का मिलान करते हैं और पूरा लेखा-जोखा यमराज के समक्ष प्रस्तुत करते हैं। व्यक्ति के अच्छे बुरे कर्मों के आधार पर ही आत्मा को स्वर्ग-नर्क सुख-दुख व मोक्ष आदि देने का निर्णय लिया जाता है

चित्रा पौर्णमि के दिन होने वाले अनुष्ठान

  • चित्रा पौर्णमि पर्व पर चित्रगुप्त की पूजा करने से व्यक्ति की कुंडली में विराजमान केदु दोष समाप्त होता है।
  • दक्षिण भारत के कांचीपुरम में भगवान चित्रगुप्त का एकमात्र मंदिर है, जहां जाकर भक्त उनके दर्शन कर सकते हैं।
  • इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करना अत्यंत शुभ माना जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से जातक को उसके जन्म जन्मांतर के पापों से मुक्ति मिलती है।
  • चित्रा पौर्णमि पर बहुत से लोग उपवास भी रखते हैं, जिसे तमिल में विराथम कहा जाता है।
  • इस दिन निर्धन लोगों को दान देने व उन्हें भोजन कराने से आपके बुरे कर्म दूर हो जाते हैं, और अच्छे कर्मों की संख्या में वृद्धि होती है।

तो भक्तों, ये तो थी चित्रा पौर्णमी से जुड़ी संपूर्ण जानकारी। हमारी कामना है कि इस पावन पर्व पर आपकी भक्ति व आराधना सफल हो, समस्त पापों का नाश हो और भगवान चित्रगुप्त की कृपा आप पर सदैव बनी रहे। ऐसे ही व्रत, त्यौहारों व धार्मिक जानकारियों के लिए जुड़े रहिए 'श्री मंदिर' पर।

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Published by Sri Mandir·May 2, 2025

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