चंद्र ग्रहण 2025 कब और कितने बजे लगेगा? जानें सूतक काल, ग्रहण के प्रभाव, शुभ मुहूर्त और इस दिन के धार्मिक उपाय।
चंद्र ग्रहण तब होता है जब पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच आ जाती है, जिससे चंद्रमा पर सूर्य का प्रकाश नहीं पड़ता। यह खगोलीय घटना पूर्णिमा के दिन होती है। हिंदू धर्म में चंद्र ग्रहण का विशेष महत्व है, इस दौरान धार्मिक अनुष्ठान, मंत्र जाप और स्नान का महत्व माना जाता है।
वर्ष 2025 में खग्रास चन्द्र ग्रहण एक महत्वपूर्ण खगोलीय घटना है, जो 7 सितम्बर 2025 की रात से 8 सितम्बर 2025 की भोर तक दिखाई देगा। यह ग्रहण भारत सहित एशिया, यूरोप, अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया के कई हिस्सों में स्पष्ट रूप से देखा जा सकेगा। भारत में यह ग्रहण पूर्ण रूप से दिखाई देगा और इसका धार्मिक तथा वैज्ञानिक महत्व दोनों ही है।
यह खग्रास चन्द्र ग्रहण एशिया के अधिकांश हिस्सों में, भारत, नेपाल, बांग्लादेश, श्रीलंका सहित, यूरोप, अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया के कई देशों में दिखाई देगा। अमेरिका के अधिकांश भागों में यह आंशिक रूप से या उपच्छाया के रूप में देखा जाएगा।
हिंदू धर्म में ग्रहण का सूतक काल अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दौरान पूजा-पाठ और भोजन बनाने पर रोक होती है। सूतक काल को एक प्रकार से अशुभ काल माना जाता है और इस अवधि में कोई भी मांगलिक या शुभ कार्य नहीं किया जाता। माना जाता है कि ग्रहण लगने से 9 घण्टे पहले ही सूतककाल प्रारंभ हो जाता है। लेकिन इस बार 07 सितम्बर को सूतक काल का समय इस प्रकार है
7–8 सितंबर 2025 की रात, एक पूर्ण चंद्र ग्रहण लगेगा। यह घटना पूरे भारत और एशिया के अधिकांश हिस्सों, पूर्वी अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया और यूरोप में साफ दिखाई देगी। इस ग्रहण में चंद्रमा पूरी तरह से पृथ्वी की छाया (Umbra) में डूब जाएगा और लाल रंग में दिखाई देगा। इसे खग्रास चन्द्र ग्रहण कहते हैं।
खग्रास चन्द्र ग्रहण वह स्थिति है जब पृथ्वी सूर्य और चन्द्रमा के बीच पूरी तरह आ जाती है, जिससे पृथ्वी की छाया चन्द्रमा को पूरी तरह ढक लेती है। इस स्थिति में चन्द्रमा का कोई भाग दिखाई नहीं देता और वह पूर्ण रूप से अंधकारमय हो जाता है।
ज्योतिष और खगोल शास्त्र के अनुसार, चन्द्र ग्रहण तब होता है जब पूर्णिमा के दिन चन्द्रमा पृथ्वी की छाया में प्रवेश करता है। खग्रास ग्रहण में चन्द्रमा पूरी तरह पृथ्वी की गहरी छाया (उम्ब्रा) में चला जाता है, जिसके कारण चन्द्रमा लालिमा लिए धुंधला दिखाई देता है। इस लाल रंग को “ब्लड मून” भी कहा जाता है।
आंशिक चंद्रग्रहण तब होता है जब पृथ्वी, सूर्य और चंद्रमा एक सीधी रेखा में आ जाते हैं और पृथ्वी की छाया चंद्रमा के एक हिस्से पर पड़ती है। इस स्थिति में, चंद्रमा का वह हिस्सा थोड़ा लाल या धुंधला नजर आता है। इसे आंशिक चंद्रग्रहण कहा जाता है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, चंद्रग्रहण के समय ऐसा माना जाता है कि राहु ने चंद्रमा को निगल लिया है। इस मान्यता की शुरुआत समुद्र मंथन से जुड़ी है। उस समय स्वरभानु नामक असुर ने देवताओं के बीच बैठकर धोखे से अमृत पान कर लिया था। जब सूर्य और चंद्रमा ने यह देखा तो भगवान विष्णु को अवगत कराया। इस पर क्रोधित भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से उसका सिर काट दिया। हालांकि अमृत पीने के कारण स्वरभानु की मृत्यु नहीं हो सकी, बल्कि उसके शरीर के दो हिस्से हो गए, जिन्हें राहु और केतु नाम दिया गया। तभी से राहु और केतु सूर्य और चंद्रमा के साथ शत्रुता रखते हैं और ग्रहण के समय इन दोनों पर प्रभाव पड़ता है।
तो ये थी 14 मार्च 2025 को लगने वाले साल के पहले चंद्रग्रहण से संबंधित जानकारी। उम्मीद है यह जानकारी आपके लिए उपयोगी होगी। ऐसे ही अन्य धार्मिक जानकारियों से अवगत होने के लिए बने रहिए ‘श्री मंदिर’ के साथ।
चंद्रग्रहण एक खगोलीय घटना है, लेकिन अंतरिक्ष में होने वाली इस अनोखी घटना का रहस्य क्या है। आइये इस विशेष लेख में जानते हैं कि -
भौतिक विज्ञान की मान्यताओं के अनुसार, चंद्र ग्रहण तब होता है जब चंद्रमा पृथ्वी की छाया में चला जाता है या पृथ्वी की छाया से गुजरता है। उस समय चंद्रमा पर पड़ रही सूर्य की रोशनी, पृथ्वी चन्द्रमा और सूर्य के बीच में आने से रुक जाती है। ऐसे में, जब पृथ्वी से रोशनी परिवर्तित होकर चंद्रमा पर पड़ती है, तब चंद्रग्रहण के समय चंद्रमा का रंग बदल कर लाल दिखता है। इतना ही नहीं, पृथ्वी की छाया चंद्र ग्रहण की अवधि में जब चंद्रमा पर पड़ती है, तब दो भागों में भी बंट जाती है जिसे उपच्छाया और प्रच्छाया कहा जाता है।
चन्द्रमा पर पड़ने वाली पृथ्वी की छाया जहाँ पूरा अंधकार न होकर थोड़ी रौशनी होती है उसे उपच्छाया कहते है चन्द्रमा पर पड़ने वाली पृथ्वी की छाया जहाँ पूरा अंधकार होता है उसे प्रच्छाया कहते है| यदि चंद्रमा पूरी तरह न होकर केवल आंशिक रूप से प्रच्छाया से निकलता है, लेकिन पूरी तरह पार नहीं करता है तब इस स्थिति को आंशिक चंद्रग्रहण कहा जाता है।
ग्रहण के दौरान, पृथ्वी के वायुमंडल से बिना परिवर्तित हुए सूर्य की रोशनी चंद्रमा के जितने अंश पर पड़ेगी उतना अंश ही लाल रंग का दिखेगा। भारत में अधिकतर जगहों से आंशिक चंद्रग्रहण ही देखा जाएगा तथा पूर्ण चंद्र ग्रहण भारत के पूर्वी हिस्सों में ही दिखेगा।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, सूर्य या चंद्रमा पर लगने वाले ग्रहण का संबंध राहु तथा केतु ग्रहों से है।
ऐसा कहा जाता है, कि समुद्र मंथन से उत्पन्न अमृत कलश से अमृत का पान जब केवल देवताओं को कराया जा रहा था और दैत्यों को नहीं, तब राहु दैत्य छुप कर देवताओं की पंक्ति में जाकर बैठ गया था और उसने भी अमृत का पान कर लिया था। सूर्य और चंद्र देव को इस बात का पता चल गया था। तभी से राहु, सूर्य और चंद्रमा को थोड़ी अवधि के लिए निगल लेता है। इसी घटना को सूर्यग्रहण और चंद्रग्रहण कहा जाता है।
ज्योतिष शास्त्र में ऐसा भी माना गया है, कि यदि ग्रहण आंखों से साफ देखा जा सकता हो तभी उसका महत्व होता है। इसके साथ ही, तभी ग्रहण का असर विभिन्न राशियों पर मान्य भी होता है, अन्यथा ग्रहण को अनदेखा कर दिया जाता है। ऐसे चंद्रग्रहण के विषय में कोई सावधानी नहीं बरती जाती है तथा ऐसे ग्रहण को पंचांग में भी दिखाया नहीं जाता है। ग्रहण वही मान्य होता है, जिसे नग्न आंखों द्वारा देखा जा सकता हो और तभी ग्रहण संबंधी नियमों का पालन किया जाता है और राशियों पर पड़ रहे ग्रहण के असर का विचार किया जाता है।
आशा है यह जानकारी आपके लिए उपयोगी साबित होगी। ऐसे ही महत्वपूर्ण तथ्यों के विषय में अवगत होने के लिए जुड़े रहिये श्री मंदिर से।
किसी भी चंद्रग्रहण से पहले के एक निश्चित समय को सूतक काल माना जाता है। सूतक काल में कोई भी शुभ कार्य करना वर्जित होता है। ग्रहण और सूतक काल के अशुभ प्रभावों से बचने के लिए विशेष विचार किया जाता है और कुछ सावधानियां भी अपनाई जाती हैं।
इस प्रकार उपर्युक्त बताई हुई सावधानियों को ध्यान में रखकर हम ग्रहण के दुष्प्रभावों को कम कर सकते हैं। वहीं, ग्रहण के दौरान भगवान की अध्यात्मिक पूजा करना, ध्यान, मंत्र जाप करना विशेष फलदायक होता है।
ग्रहण समाप्ति के साथ सूतक काल भी समाप्त हो जाता है। ऐसे में -
ग्रहण का प्रभाव न सिर्फ़ सूर्य और चंद्रमा पर पड़ता है, बल्कि सभी राशियों पर भी इसका असर देखा जाता है। 7 सितम्बर 2025, रविवार को साल का पहला चंद्र ग्रहण लगने वाला है। ऐसे में चलिए जानते हैं कि इस ग्रहण का किस राशि पर क्या प्रभाव पड़ेगा।
मेष राशि : मेष राशि वालों को स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। धन की हानि के के साथ-साथ कार्यक्षेत्र में भी कुछ चुनौतियां आ सकती हैं। आपकी नौकरी पर संकट के बादल मंडरा सकते हैं, इसलिए धैर्य और संयम से काम लें।
वृषभ राशि : वृषभ राशि वालों को आर्थिक नुकसान हो सकता है। हालांकि ध्यान रहे, कोई भी काम किसी कानून का उल्लंघन करके न करें, वरना नुकसान उठाना पड़ सकता है।
मिथुन राशि : मिथुन राशि वालों को यात्रा में परेशानी हो सकती है। जीवनसाथी से मतभेद होने की संभावना है। आपकी वाणी में कठोरता आ सकती है, जिससे विवाद बढ़ सकता है।
कर्क राशि : कर्क राशि वालों को पारिवारिक समस्याएं हो सकती हैं। चंद्रग्रहण आपकी राशि पर विशेष प्रभाव डाल सकता है। व्यापार में किसी भी निर्णय को लेने में सावधानी बरतें, क्योंकि हानि का योग बन रहा है।
सिंह राशि : सिंह राशि वालों को स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। सिंह राशि के जातकों को कार्यक्षेत्र में कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। इस दौरान आपको क्रोध पर नियंत्रण रखना आवश्यक हैं, विशेष रूप से यदि आप वरिष्ठ कर्मचारी की भूमिका में हैं।
कन्या राशि : कन्या राशि वालों को कार्यस्थल पर परेशानी हो सकती है। धन की बचत को लेकर किए गए प्रयास सकारात्मक परिणाम देंगे, साथ ही आपको लंबे समय से चल रही किसी समस्या से छुटकारा भी मिल सकता है। हालांकि, स्वास्थ्य के प्रति सतर्क रहें।
तुला राशि : तुला राशि वालों को प्रेम संबंधों में उतार-चढ़ाव आ सकता है। ये चंद्र ग्रहण तुला राशि के लोगों के लिए विदेश यात्रा का योग बना सकता है। हालांकि, बैंकिंग क्षेत्र से जुड़े लोग परेशान रह सकते हैं। उनपर काम का अतिरिक्त बोझ आ सकता है, साथ ही मेहनत के अनुसार सफलता न मिलने की संभावना है।
वृश्चिक राशि : वृश्चिक राशि वालों को स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। वृश्चिक राशि के लोगों के लिए ये चंद्र ग्रहण किसी ऐसे व्यक्ति से मुलाकात का संकेत दे रहा है, को आपको कोई गलत कार्य करने के लिए उकसा सकते हैं। इससे आपको बाद में पछतावा हो सकता है, और नुकसान उठाना पड़ सकता है।
धनु राशि : धनु राशि वालों को यात्रा में परेशानी हो सकती है। धनु राशि के जातकों के लिए ये चंद्र ग्रहण पारिवारिक संबधों को लेकर चिंतित कर सकता है। आपके जीवन साथी का स्वास्थ्य खराब हो सकता है, साथ ही घर में कलह बढ़ने की भी संभावना है।
मकर राशि : मकर राशि वालों को करियर में उतार-चढ़ाव आ सकता है। मकर राशि के जातकों के लिए ये ग्रहण शुभ हो सकता है। हालांकि आपको किसी भी गलत कार्य से बचना होगा। विशेष रूप से कर्ज लेने या जीवन साथी का अपमान करने से बचें।
कुंभ राशि : कुंभ राशि वालों को मित्रों से धोखा मिल सकता है। कुंभ राशि के जातकों को इस चंद्र ग्रहण के प्रभाव से मन को एकाग्र करने में समस्या हो सकती है। हालांकि धन प्राप्ति व आर्थिक स्थिति के सुधार के भी योग बन रहे हैं, बस मेहनत करने में लापरवाही न बरतें।
मीन राशि : मीन राशि वालों को स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। इस ग्रहण का संकेत आपके नौकरी-व्यवसाय के तनाव को कम करने वाला होगा, साथ ही पारिवारिक सुख-शांति भी आएगी। हालांकि अपना मन शुद्ध रखें, और किसी के साथ कोई अन्याय न करें।
तो इस लेख के माध्यम से आपने जाना कि चंद्रग्रहण का प्रभाव किस राशि पर क्या होगा। अशुभ परिणामों से बचने के लिए ग्रहण काल में भगवान का ध्यान करने के साथ साथ दान-पुण्य करें।
सुतक काल: ग्रहण से लगभग 9 घंटे पहले ‘सुतक’ आरंभ होता है, इस दौरान भोजन में विशेष सावधानियाँ, मंदिरों का बंद होना और पॉजिटिव रहना आवश्यक होता है।
Did you like this article?
चैत्र नवरात्रि 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त जानें। देवी दुर्गा की उपासना के लिए महत्वपूर्ण दिन और पूजा विधि की जानकारी प्राप्त करें।
नवरात्रि का नौवां दिन: जानिए इस दिन की पूजा विधि, माँ सिद्धिदात्री की आराधना और इस दिन का धार्मिक महत्व। इस विशेष दिन पर देवी की कृपा प्राप्त करने के लिए आवश्यक उपायों और अनुष्ठान के बारे में जानकारी प्राप्त करें।
नवरात्रि का आठवां दिन: जानिए इस दिन की पूजा विधि, माँ महागौरी की आराधना और इस दिन का धार्मिक महत्व। इस विशेष दिन पर देवी की कृपा प्राप्त करने के लिए महत्वपूर्ण उपायों और अनुष्ठान के बारे में जानकारी प्राप्त करें।