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बटुक भैरव जयंती 2025

क्या आप जानते हैं बटुक भैरव जी की पूजा से क्या मिलता है? 2025 की जयंती, तिथि, विधि और लाभ की पूरी जानकारी यहां पढ़ें!

बटुक भैरव जयंती के बारे में

बटुक भैरव जयंती भगवान शिव के बालस्वरूप बटुक भैरव के प्रकट होने की तिथि है। यह दिन भक्तों द्वारा उपासना, व्रत और पूजन के लिए समर्पित होता है, जिससे भय का नाश और जीवन में ऊर्जा का संचार होता है।

बटुक भैरव जयंती 2025

बटुक भैरव जयंती हर साल ज्येष्ठ महीने की शुक्ल पक्ष की दशमी को मनाई जाती है। बटुक भैरव जयंती के दिन की गई पूजा और ध्यान से मन को शांति मिलती है। जयंती के दिन शनि दोष से परेशान लोगों को खास तौर पर पकौड़े, पूए या मीठा बनाकर जरूरतमंदों को दान करना चाहिए। ऐसा करने से शनि दोष की समस्याएं कम होती हैं और जीवन में सुख-शांति आती है। इसके अलावा इस दिन काले कुत्ते को रोटी पर सरसों का तेल लगाकर खिलाना भी बहुत शुभ माना गया है। काले कुत्ते को रोटी खिलाने से बटुक भैरव की कृपा मिलती है और सभी बुरी शक्तियां दूर होती हैं। साथ ही बटुक भैरव की आराधना से राहु और केतु के दुष्प्रभाव भी शांत होते हैं। इसलिए यह दिन विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है।

बटुक भैरव जयंती 2025 की तिथि और समय

बटुक भैरव जयंती हर वर्ष ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। पंचांग के अनुसार, इस साल यह पर्व 5 जून, गुरुवार के दिन मनाया जाएगा। यह तिथि विशेष रूप से उन भक्तों के लिए महत्वपूर्ण है जो भगवान भैरव की उपासना करते हैं।

बटुक भैरव जी कौन हैं

बटुक भैरव भगवान शिव का एक विशेष रूप हैं, जिन्हें बाल स्वरूप और रौद्र रूप दोनों ही माना जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार आपद नामक राक्षस ने तीनों लोकों में भारी आतंक फैलाया था। उसे यह वरदान था कि कोई भी देवी-देवता उसे नहीं मार सकता केवल एक पांच साल का बच्चा ही उसका वध कर सकता था। जब देवता बहुत परेशान हुए, तब वे भगवान शिव के पास सहायता के लिए पहुंचे।

तब भगवान शिव ने अपनी शक्ति और देवी-देवताओं की ऊर्जा से एक पांच वर्ष के बालक का रूप धारण किया। इस बालक का नाम बटुक भैरव रखा गया। बटुक भैरव ने अपने बाल रूप में ही आपद राक्षस का वध किया और सभी को भय से मुक्ति दिलाई। तभी से भक्त उन्हें संकटमोचन, रक्षक और विनाशकारी शक्ति के रूप में पूजते हैं। बटुक भैरव की पूजा से भय, रोग, शत्रु और बुरी शक्तियों से मुक्ति मिलती है।

बटुक भैरव जी की पूजा करने के फायदे

बटुक भैरव जी की पूजा करने से जीवन में कई लाभ मिलते हैं।

भय से मुक्तिः बटुक भैरव जी की पूजा करने से सबसे मुख्य लाभ भय से मुक्ति मिलती है। जो साधक किसी अज्ञात डर, बुरे सपने या नकारात्मक ऊर्जा से परेशान होता है, उसके लिए बटुक भैरव जी की पूजा बहुत फायदेमंद मानी जाती है। इससे मन को शांति मिलती है और आत्मविश्वास बढ़ता है। मान-सम्मान और प्रतिष्ठा में वृद्धिः जो साधक सच्चे मन से बटुक भैरव जी की आराधना करता है, उसे समाज में आदर और सफलता प्राप्त होती है। यह पूजा व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा लाती है। बुद्धि और ज्ञान की प्राप्तिः विद्यार्थियों और प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वालों के लिए बटुक भैरव जी की पूजा बहुत शुभ मानी जाती है। इससे मन की एकाग्रता बढ़ती है और निर्णय क्षमता मजबूत होती है। कर्ज से मुक्ति और रोगों से छुटकाराः बटुक भैरव जी की पूजा करने से शत्रुओं से रक्षा, कर्ज से मुक्ति और रोगों से छुटकारा भी मिलता है। माना जाता है कि यह पूजा सभी तरह की बाधाओं को दूर करके जीवन को सुखद और सफल बनाती है। मनोकामनाएं पूरीः बटुक भैरव की कृपा से व्यक्ति के घर में धन-समृद्धि आती है, परिवार में खुशहाली रहती है और उसके सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। बाधाओं से मुक्तिः जो साधक अपने करियर या निजी जीवन में बाधाओं का सामना करते हैं, उनके लिए भी बटुक भैरव जी की पूजा बहुत फायदेमंद साबित होती है। शनि दोष से मुक्तिः बटुक भैरव जयंती के दिन नियमपूर्वक पूजा पाठ करने से जिन साधकों की कुंडली में शनि दोष होता है, उन्हें शनि की विषम दशा से राहत मिलती है और उनका जीवन सुखमय होता है।

बटुक भैरव पूजा विधि

बटुक भैरव की विधिपूर्वक पूजा करने से अत्यंत शुभ फल प्राप्त होता है। नियम और श्रद्धा के साथ की गई पूजा से भगवान बटुक भैरव की विशेष कृपा बरसती है। इसका साथ ही भगवान शिव की पूजा करना भी जरूरी होता है, जिसमें शिवलिंग पर दूध, जल और बिल्वपत्र चढ़ाना शुभ माना जाता है। सबसे पहले स्नान करके साफ कपड़े धारण कर लें। इसके बाद पूजा स्थल को गंगाजल से अच्छी तरह शुद्ध करें।

उसके बाद भगवान बटुक भैरव की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। फिर पंचामृत या गंगाजल से बटुक भैरव का अभिषेक करें और सफेद फूल, लड्डू, मीठी खीर, और अन्य मीठे प्रसाद भगवान को अर्पित करें। इस कार्य के बाद ॐ बटुक भैरवाय नमः मंत्र का कम से कम 108 बार जाप करना चाहिए, जिससे भगवान प्रसन्न होते हैं और दुर्भाग्य दूर होता है। पूजा करते समय आसपास शांति रहे इसका ध्यान रखें और मन में किसी तरह के कोई भी नकारात्मक विचार न आने दें। अंत में आरती, भजन गाएं और भोग अर्पित करें और उनका आशीर्वाद प्राप्त करें।यह पूजा अशुभ ग्रहों के नकारात्मक प्रभाव को कम करने में मदद करती है। इस प्रकार बटुक भैरव की पूजा विधिपूर्वक और श्रद्धा से करने पर सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और जीवन सुखमय बनता है।

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Published by Sri Mandir·June 3, 2025

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