चन्द्र दर्शन पर्व करने से मानसिक तनाव दूर होती है। जानें इस पावन दिन की धार्मिक महत्व और उससे जुड़ी कथा को।
आज हम जिस कथा के बारे में आपको बताने जा रहे हैं, उसे चंद्र दर्शन के दिन पढ़ना या सुनना अत्यंत भाग्यशाली माना गया है। आइए जानते हैं इस पवित्र दिन से जुड़ी कथा के बारे में।
एक दिन गणपति मूषक की सवारी कर कहीं जा रहे थे। मूषक अपनी अजब-गजब चाल में चल रहा था, तभी भगवान गणपति गिर पड़े। भगवान गणपति को गिरते हुए देख, चंद्रदेव को हंसी आ गई। चंद्रदेव की हंसी से भगवान गणेश क्रोधित हो गए।
क्रोध में भगवान गणेश ने चंद्रदेव की हंसी को अपमान मानते हुए उन्हें श्राप दे दिया। जिसमें गणेश जी ने कहा कि आज से चंद्रदेव को कोई भी देखना पसंद नहीं करेगा। अगर कोई चंद्र देव को देखता है तो वह कलंकित हो जाएगा और उस पर झूठे चोरी का आरोप लग जाएगा।
चंद्र देव भगवान के दिए श्राप से बहुत दुखी हो गए और सभी देवताओं से क्षमा मांगते हुए गुहार लगाई। चंद्र देव की गुहार के बाद सभी देवताओं ने गणपति की पूजा कर चंद्र देव को दिए श्राप को वापस लेने का आग्रह किया। सभी देवताओं के आग्रह पर गणपति ने कहा, मैं अपना श्राप तो वापस नहीं ले सकता, लेकिन इसमें थोड़ा बदलाव ज़रूर कर सकता हूं।
जिस पर उन्होंने बदलाव करते हुए इस श्राप को सिर्फ एक दिन यानी गणेश चतुर्थी वाले दिन पर ही मान्य कर दिया। उनके अनुसार, गणेश चतुर्थी के दिन चंद्र देव का दर्शन अशुभ माना जाएगा। इसके साथ ही गणेश जी ने ये भी कहा कि अगर अनजाने में कोई मनुष्य गणेश चतुर्थी के दिन चंद्र देव के दर्शन कर लेता है। तो इससे बचने के लिए वो छोटा सा कंकड़ या पत्थर का टुकड़ा किसी के घर की छत पर फेंक दें। ऐसा करने से अनजाने में लगे चंद्र दर्शन का पाप खत्म हो जाएगा।
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