श्रीविष्णुपञ्जरस्तोत्रम्

श्रीविष्णुपञ्जरस्तोत्रम्

होगी काम और मोक्ष की सिद्धि प्राप्ति


श्रीविष्णुपञ्जरस्तोत्रम् (Shri Vishnu Panjara Stotram)

सनातन धर्म के प्रमुख देवताओं में से हैं भगवान विष्णु जी। इन्हें नारायण और श्री हरि के नाम से भी पुकारा जाता है। समकालीन हिंदू धर्म के प्रमुख परंपराओं में से एक वैष्णववाद में विष्णु जी सबसे सर्वश्रेष्ठ हैं। पुराणों के अनुसार, विष्णु जी परमेश्वर के 3 मुख्य रूपों में से एक रूप हैं, त्रिमूर्ति का हिस्सा विष्णु जी को विश्व का पालनहार कहा जाता है।

हिंदू धर्म में सप्ताह के सातों दिन किसी न किसी देवी देवता की पूजा के लिए समर्पित हैं। ऐसे ही गुरुवार का दिन पालनहार श्री हरि विष्णु जी को समर्पित है। इस दिन भगवान विष्णु जी की पूजा करना सबसे श्रेष्ठ माना जाता है। कहते हैं कि गुरुवार के दिन विष्णु जी की पूजा से भगवान प्रसन्न होते हैं और भक्तों को आशीर्वाद देते हैं। भगवान की पूजा के साथ अगर पूरी निष्ठा और विश्वास के साथ श्रीविष्णुपञ्जरस्तोत्रम् का पाठ किया जाए तो आरोग्य और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। श्रीविष्णुपञ्जरस्तोत्रम् एक वैदिक स्तोत्र है, जिसमें भगवान विष्णु की महिमा का वर्णन किया गया है। इस स्तोत्र में भगवान के अनेक नामों का जिक्र हुआ है। वामनपुराण के अध्याय 17 में विष्णु पंजर स्तोत्र के बारे में बताया गया है। यही नहीं, गरुड़पुराण आचारकाण्ड अध्याय 13 में भी इसका वर्णन है।

श्रीविष्णुपञ्जरस्तोत्रम् का महत्व (Importance of Shri Vishnu Panjara Stotram)

भगवान विष्णु की आराधना में श्रीविष्णुपञ्जरस्तोत्रम् का पाठ काफी शक्तिशाली माना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, इसी स्त्रोत के प्रभाव से ही माता रानी ने रक्तबीज व महिषासुर जैसे राक्षसों का अंत किया था। विष्णु पंजर स्तोत्र गरुण पुराण से संगृहीत है। इसमें भगवान विष्णु और रूद्र के बीच हुई बातचीत के अंश हैं। पञ्जर का अर्थ होता है कवच। अर्थात ये एक रक्षा स्त्रोत है, जिसका पाठ हर एकादशी को करना चाहिए। कहते हैं कि एकादशी तिथि पर सिर्फ भगवान विष्णु के स्मरण मात्र ही सभी इच्छाओं की पूर्ति हो जाती है, लेकिन इस दिन अगर विष्णु पञ्जर स्तोत्र का पाठ किया जाए तो वह काफी लाभकारी सिद्ध होता है।

श्रीविष्णुपञ्जरस्तोत्रम् पढ़ने के फायदे (Benefits of reading Shri Vishnu Panjara Stotram)

  • विष्णुपंजरस्तोत्र का पाठ करने से मनुष्य को जीवन में धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की सिद्धि प्राप्त होती है।
  • मान्यता है कि अगर इस स्त्रोत का पाठ नियम से किया जाए तो मनुष्य अपने शत्रुओं पर विजय हासिल करने में जरूर सफल होता है।
  • सभी प्रकार की मनोकामनाओं को पूरा करने में इस स्त्रोत का पाठ लाभकारी होता है।
  • मन की शांति के लिए भी विष्णुपंजरस्तोत्र का पाठ काफी मददगार साबित होता है।
  • मान्यता है कि भक्तों पर अगर भगवान विष्णु का आशीर्वाद रहता है तो घर में सुख, शांति और समृद्धि का वास बना रहता है।
  • कहते हैं कि जिसके ऊपर भगवान विष्णु का आशीर्वाद होता है, उसके घर में मां लक्ष्मी स्थाई रूप से निवास करती हैं। व्यक्ति के जीवन में कभी भी धन से संबंधित कोई भी समस्या नहीं आती।
  • माना जाता है कि श्रीविष्णुपञ्जरस्तोत्रम् के पाठ से लंबे समय से बीमार व्यक्ति ठीक हो जाता है। सभी प्रकार के रोग दूर हो जाते हैं।
  • कहते हैं कि भगवान विष्णु अगर प्रसन्न हो जाएं तो व्यक्ति के जीवन में गुरु दोष कम हो जाता है। श्री हरि को प्रसन्न करने के लिए श्रीविष्णुपञ्जरस्तोत्रम् का पाठ सबसे आसान उपाय है।
  • श्रीविष्णुपञ्जरस्तोत्रम् के रोजाना नियमित पाठ से भाग्य का उदय होता है।
  • मान्यता है कि इस स्त्रोत का पाठ करने से व्यक्ति के मुश्किल समय में स्वयं भगवान श्री हरि किसी न किसी रूप में उसकी रक्षा करने आते हैं।
  • माना जाता है कि विष्णु जी की भक्ति से व्यापार में सफलता प्राप्त होती हैं, क्योंकि जहां विष्णु जी का वास होता है, वहीं लक्ष्मी जी भी विराजती हैं।

श्रीविष्णुपञ्जरस्तोत्रम् का हिंदी अर्थ (Hindi meaning of Shri Vishnu Panjara Stotram)

प्रवक्ष्याम्यधुना ह्येतद्वैष्णवं पञ्जरं शुभम् । नमोनमस्ते गोविन्द चक्रं गृह्य सुदर्शनम् ॥

हिंदी अर्थ - श्री हरि ने दोबारा कहा- हे रुद्र, अब मैं विष्णुपञ्जर नाम का स्त्रोत कहता हूं, यह स्त्रोत बहुत ही कल्याणकारी है, उसे सुनें, सुदर्शन चक्र धारण करने वाले हे गोविंद आपको नमस्कार है।

प्राच्यां रक्षस्व मां विष्णो ! त्वामहं शरणं गतः । गदां कौमोदकीं गृह्ण पद्मनाभ नमोऽस्त ते ॥

हिंदी अर्थ - हे विष्णु, पूर्व दिशा में मेरी रक्षा करें, मैं आपकी शरण में आया हूं, हे कमलनाभि वाले, आपको मेरा नमन है, आप अपनी कौमोदक से बनी गदा को स्वीकार करें।

याम्यां रक्षस्व मां विष्णो ! त्वामहं शरणं गतः । हलमादाय सौनन्दे नमस्ते पुरुषोत्तम ॥

हिंदी अर्थ - हे विष्णु, दक्षिण दिशा में मेरी रक्षा करें, मैं आपकी शरण में हूं, हे सौनंद, पुरुषश्रेष्ठ, हल उठाओ, आपको मेरा प्रणाम है।

प्रतीच्यां रक्ष मां विष्णो ! त्वामह शरणं गतः । मुसलं शातनं गृह्य पुण्डरीकाक्ष रक्ष माम् ॥

हिंदी अर्थ - हे विष्णु, पश्चिम दिशा में मेरी रक्षा करें, मैं आपकी शरण में हूं, हे कमलनयन, इस घातक गदा को उठाओ और मेरी रक्षा करो।

उत्तरस्यां जगन्नाथ ! भवन्तं शरणं गतः । खड्गमादाय चर्माथ अस्त्रशस्त्रादिकं हरे ! ॥

हिंदी अर्थ - हे जगन्नाथ, उत्तर दिशा में मेरी रक्षा करें, मैं आपकी शरण में हूं, हे हरे, आपको मेरा नमस्कार है, तलवार, ढाल और हथियार ले लो।

नमस्ते रक्ष रक्षोघ्न ! ऐशान्यां शरणं गतः । पाञ्चजन्यं महाशङ्खमनुघोष्यं च पङ्कजम् ॥

हिंदी अर्थ - हे रक्षोघ्न, आपको नमस्कार है, ईशानकोण में मेरी रक्षा करें, मैं आपकी शरण में हूं, हे दैत्यविनाशक, मैं आपकी शरण में हूं, आप पाञ्चजन्य नाम की महाशड्ख और अनुघोष नाम का पद्य ग्रहण करें।

प्रगृह्य रक्ष मां विष्णो आग्न्येय्यां रक्ष सूकर । चन्द्रसूर्यं समागृह्य खड्गं चान्द्रमसं तथा ॥

हिंदी अर्थ - हे यज्ञवराह, अग्निकोण में मेरी रक्षा करें, हे विष्णु, मैं आपकी शरण में हूं, आप मेरी रक्षा करें, आप सूर्य के जैसे दीप्यमान और चंद्रमा के समान चमत्कृत खड्ग को धारण करें।

नैरृत्यां मां च रक्षस्व दिव्यमूर्ते नृकेसरिन् । वैजयन्तीं सम्प्रगृह्य श्रीवत्सं कण्ठभूषणम् ॥

हिंदी अर्थ - हे दिव्य शरीर भगवान नरसिंह, नैऋत्यकोण में मेरी रक्षा करें, आप वैजयंती माला और कंठ में सुशोभित होने वाले श्रीवत्स नाम के आभूषण से विभूषित हों।

वायव्यां रक्ष मां देव हयग्रीव नमोऽस्तु ते । वैनतेयं समारुह्य त्वन्तरिक्षे जनार्दन ! ॥

हिंदी अर्थ - हे भगवान हयग्रीव, आपको मेरा प्रणाम है, वायुकोण में मेरी रक्षा करें, हे जनार्दन, आप अंतरिक्ष में वैनतेय गरुण पर आरुढ़ हैं।

मां रक्षस्वाजित सदा नमस्तेऽस्त्वपराजित । विशालाक्षं समारुह्य रक्ष मां त्वं रसातले ॥

हिंदी अर्थ - हे अजित, हे अपराजित, मेरी रक्षा करें, आपको सदैव मेरा प्रणाम है, हे विशालाक्ष, पाताल में स्थित होकर मुझ शराणागत की रक्षा करें।

अकूपार नमस्तुभ्यं महामीन नमोऽस्तु ते । करशीर्षाद्यङ्गुलीषु सत्य त्वं बाहुपञ्जरम् ॥

हिंदी अर्थ - हे कूर्मराज, आपको मेरा नमस्कार है, हे महामीन, आपको नमस्कार है, आप सचमुच मेरी बांहों का पिंजरा ​हो, मेरे हाथ की नोक से लेकर उंगलियों तक।

कृत्वा रक्षस्व मां विष्णो नमस्ते पुरुषोत्तम । एतदुक्तं शङ्कराय वैष्णवं पञ्जरं महत् ॥

हिंदी अर्थ - हे भगवान विष्णु, पूर्ण पुरुषोत्तम, आप मेरी रक्षा करें, इस महान वैष्णव पिंजरे का वर्णन भगवान शिव को किया गया था।

पुरा रक्षार्थमीशान्याः कात्यायन्या वृषध्वज । नाशायामास सा येन चामरान्महिषासुरम् ॥

हिंदी अर्थ - हे वृषभध्वज, मैंने प्राचीन काल में सबसे पहले भगवती ईशानी कात्यायनी की रक्षा के लिए इस विष्णुपञ्चर नाम के स्त्रोत को कहा था, इसी स्त्रोत के प्रभाव से उस कात्यायनी ने खुद को अमर समझने वाले महिषासुर का नाश किया।

दानवं रक्तबीजं च अन्यांश्च सुरकण्टकान् । एतज्जपन्नरो भक्त्या शत्रून्विजयते सदा ॥

हिंदी अर्थ - रक्तबीज और देवताओं के लिए कण्टक बने हुए अन्यान्य दानवों का विनाश किया था, विष्णुपञ्चर नाम के स्तुति का जो भी मनुष्य पूरी भक्ति भाव से जाप करता है, वह हमेशा अपने शुत्रुओं पर विजय प्राप्त करने में सफल होता है।

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