श्री विन्ध्येश्वरी स्तोत्रम्
श्री विन्ध्येश्वरी स्तोत्रम्

श्री विन्ध्येश्वरी स्तोत्रम्

करें यह पाठ दूर होगी दरिद्रता


श्री विन्ध्येश्वरी स्तोत्र (Shri Vindhyashwari Stotra)

माँ आदिशक्ति के अनेक रूप हैं। उनमे से एक रूप विन्ध्येश्वरी माँ का भी है। श्री विन्ध्येश्वरी स्तोत्र एक देवी स्त्रोत है। इस स्त्रोत में माँ विन्ध्येश्वरी की स्तुति की गयी है साथ ही उनसे प्रार्थना की गयी है। माता निशुम्भु और शुम्भ जैसे अत्यंत क्रूर राक्षसों का नाश करने वाली हैं। माता ने मानव कल्याण हेतु अपने हाथो में शस्त्र धारण किये हुए हैं। वह भक्त की रक्षा करने और सहायता के लिए घर भी आती हैं।

श्री विन्ध्येश्वरी स्तोत्र का महत्व (Importance of Shri Vindhyeshwari Stotra)

श्री विन्ध्येश्वरी स्तोत्र में माँ विन्ध्येश्वरी से प्रार्थना करते हैं और उनसे सुख समृद्धि का आशीर्वाद मांगते हैं। नवरात्री के समय विशेष रूप से इस स्त्रोत का पाठ करने से माँ प्रसन्न होती है भक्तों को मनोकामना को पूर्ण करती हैं। श्रद्धा और निष्ठा के साथ जो भी भक्त इस स्त्रोत का नियमित पाठ करता है उसके सभी कष्ट दूर हो जाते है।

श्री विन्ध्येश्वरी स्तोत्र पढ़ने के फायदे (Benefits of reading Shri Vindhyashwari Stotra)

श्री विन्ध्येश्वरी स्तोत्र का पाठ नियमित रूप से करने पर जातक को धन धन्य की प्राप्ति होती है। माता प्रसन्न होकर भक्त को अपार सम्पदा प्रदान करती हैं। उसके गृह में धन की कमी नहीं होती है। साथ ही दरिद्रता भी कोसों दूर रहती है। श्री विन्ध्येश्वरी स्तोत्र का पाठ प्रातः काल के समय नित्य करना चाहिए। ऐसा करने से माता की विशेष कृपा होती है। माता सुख समृद्धि और सौभाग्य प्रदान करती हैं।
नवरात्री के दिनों में इस स्त्रोत का जो भी व्यक्ति नियमित पाठ करता है, तो उस पर माँ की विशेष कृपा होती हैं। नवरात्र के दिनों में यह स्त्रोत जल्दी सिद्ध होता है।
वैभव, कीर्ति और यश की इच्छा रखने वाले भी इस त्रोत का नित्य पाठ कर सकते हैं।

श्री विन्ध्येश्वरी स्तोत्र का हिंदी अर्थ (Hindi meaning of Shri Vindhyashwari Stotra)

निशुम्भ शुम्भ गर्जनी, प्रचण्ड मुण्ड खण्डिनी । बनेरणे प्रकाशिनी, भजामि विन्ध्यवासिनी ॥ 1

अर्थात - शुम्भ तथा निशुम्भ का संहार करने वाली, चण्ड और मुण्ड का विनाश करने वाली, वन में तथा युद्ध स्थल में पराक्रम प्रदर्शित करने वाली भगवती विन्ध्यवासिनी की मैं आराधना करता हूँ ।

त्रिशूल मुण्ड धारिणी, धरा विघात हारिणी । गृहे-गृहे निवासिनी, भजामि विन्ध्यवासिनी ॥ 2

अर्थात - त्रिशूल तथा मुण्ड धारण करने वाली, पृथ्वी का संकट हरने वाली और घर-घर में निवास करने वाली भगवती विन्धवासिनी की मैं आराधना करता हूँ ।

दरिद्र दुःख हारिणी, सदा विभूति कारिणी । वियोग शोक हारिणी, भजामि विन्ध्यवासिनी ॥ 3

अर्थात - दरिद्रजनों का दु:ख दूर करने वाली, सज्जनों का कल्याण करने वाली और वियोगजनित शोक का हरण करने वाली भगवती विन्ध्यवासिनी की मैं आराधना करता हूँ।

लसत्सुलोल लोचनं, लतासनं वरप्रदं । कपाल-शूल धारिणी, भजामि विन्ध्यवासिनी ॥ 4

अर्थात - सुन्दर तथा चंचल नेत्रों से सुशोभित होने वाली, सुकुमार नारी विग्रह से शोभा पाने वाली, सदा वर प्रदान करने वाली और कपाल तथा शूल धारण करने वाली भगवती विन्ध्यवासिनी की मैं आराधना करता हूँ।

कराब्जदानदाधरां, शिवाशिवां प्रदायिनी । वरा-वराननां शुभां, भजामि विन्ध्यवासिनी ॥ 5

अर्थात - प्रसन्नतापूर्वक हाथ में गदा धारण करने वाली, कल्याणमयी, सर्वविध मंगल प्रदान करने वाली तथा सुरुप-कुरुप सभी में व्याप्त परम शुभ स्वरुपा भगवती विन्ध्यवासिनी की मैं आराधना करता हूँ।

कपीन्द्न जामिनीप्रदां, त्रिधा स्वरूप धारिणी । जले-थले निवासिनी, भजामि विन्ध्यवासिनी ॥6

अर्थात - ऋषि श्रेष्ठ के यहाँ पुत्री रुप से प्रकट होने वाली, ज्ञानलोक प्रदान करने वाली, महाकाली, महालक्ष्मी तथा महासरस्वती रूप से तीन स्वरुपों धारण करने वाली और जल तथा स्थल में निवास करने वाली भगवती विन्ध्यवासिनी की मैं आराधना करता हूँ।

विशिष्ट शिष्ट कारिणी, विशाल रूप धारिणी । महोदरे विलासिनी, भजामि विन्ध्यवासिनी ॥ 7

अर्थात - विशिष्टता की सृष्टि करने वाली, विशाल स्वरुप धारण करने वाली, महान उदर से सम्पन्न तथा व्यापक विग्रह वाली भगवती विन्ध्यवासिनी की मैं आराधना करता हूँ।

पुंरदरादि सेवितां, पुरादिवंशखण्डितम्‌ । विशुद्ध बुद्धिकारिणीं, भजामि विन्ध्यवासिनीं ॥ 8

अर्थात - इन्द्र आदि देवताओं से सेवित, मुर आदि राक्षसों के वंश का नाश करने वाली तथा अत्यन्त निर्मल बुद्धि प्रदान करने वाली भगवती विन्ध्यवासिनी की मैं आराधना करता हूँ।

श्रीविन्ध्येश्वरीस्तोत्रं सम्पूर्णम्

श्री मंदिर द्वारा आयोजित आने वाली पूजाएँ

देखें आज का पंचांग

slide
कैसा रहेगा आपका आज का दिन?
कैसा रहेगा आपका आज का दिन?

समान लेख

thumbnail
भगवान शिव शतनाम-नामावली स्तोत्रम् | Shiva Shatanam Namavali Stotram
भगवान शिव शतनाम-नामावली स्तोत्रम् शिव भक्तों के लिए अत्यंत फलदायी स्तोत्र है, जिसमें महादेव के सौ पवित्र नामों का वर्णन मिलता है। इसके नियमित पाठ से मानसिक शांति, बाधा नाश, आरोग्य, सुरक्षा तथा दिव्य कृपा का लाभ प्राप्त होता है। यहां पढ़ें इसका संपूर्ण पाठ और महत्व।
thumbnail
पार्वती वल्लभा अष्टकम् | Parvathi Vallabha Ashtakam
पार्वती वल्लभा अष्टकम् भगवान शिव की महिमा का वर्णन करता है। इसके पाठ से मन को शांति, भय का नाश और जीवन में आध्यात्मिक बल प्राप्त होता है।
thumbnail
बिल्वाष्टोत्तरशतनाम स्तोत्र | Bilva Ashtottara Shatanama Stotram
यह स्तोत्र बिल्वपत्र की पवित्रता, शिव भक्ति, पापों के शमन और जीवन में शांति, संरक्षण तथा समृद्धि प्रदान करने में अत्यंत प्रभावी माना जाता है। जानिए इसका सम्पूर्ण पाठ और महत्व।
thumbnail
श्री मल्लिकार्जुन मंगलाशासनम् स्तोत्र | Shri Mallikarjuna Mangalasasanam Stotram
श्री मल्लिकार्जुन मंगलाशासनम् स्तोत्र के पाठ से साधक को भगवान शिव के मल्लिकार्जुन स्वरूप की दिव्य कृपा प्राप्त होती है। यह स्तोत्र पापों का नाश, भय का अंत, रोगों से मुक्ति और जीवन में मंगल, शक्ति व शांति का संचार करता है। जानिए इसका सम्पूर्ण पाठ और महत्व।
srimandir-logo

श्री मंदिर ने श्रध्दालुओ, पंडितों, और मंदिरों को जोड़कर भारत में धार्मिक सेवाओं को लोगों तक पहुँचाया है। 100 से अधिक प्रसिद्ध मंदिरों के साथ साझेदारी करके, हम विशेषज्ञ पंडितों द्वारा की गई विशेष पूजा और चढ़ावा सेवाएँ प्रदान करते हैं और पूर्ण की गई पूजा विधि का वीडियो शेयर करते हैं।

हमारा पता

फर्स्टप्रिंसिपल ऐप्सफॉरभारत प्रा. लि. 435, 1st फ्लोर 17वीं क्रॉस, 19वीं मेन रोड, एक्सिस बैंक के ऊपर, सेक्टर 4, एचएसआर लेआउट, बेंगलुरु, कर्नाटका 560102
YoutubeInstagramLinkedinWhatsappTwitterFacebook