श्री मल्लिकार्जुन मंगलाशासनम् स्तोत्र

श्री मल्लिकार्जुन मंगलाशासनम् स्तोत्र

सुख-समृद्धि के लिए पढ़ें ये स्तोत्र


श्री मल्लिकार्जुन मंगलाशासनम् स्तोत्र (Sri Mallikarjuna Mangalashasanam Stotra)

भगवान भोलेनाथ त्रिदेवों में से एक देव हैं। जिन्हें देवों के देव महादेव के नाम से भी जाना जाता है। शिव जी संहार के देवता हैं। उन्हें प्रसन्न करने और उनकी कृपा प्राप्ति के लिए कई मंत्र और स्तोत्र हैं जिसमें से एक स्रोत है श्री मल्लिकार्जुन मंगलाशासनम् स्तोत्र।

श्री मल्लिकार्जुन मंगलाशासनम् स्तोत्र भगवान शिव जी को प्रसन्न करने वाला स्त्रोत है। शिव जी का एक नाम मल्लिकार्जुन भी है। किंवदंती के अनुसार लिंग (अर्थात शिव का एक प्रतिष्ठित रूप ) के रूप में शिव जी की पूजा चमेली से की जाती थी। चमेली को तेलुगु में मल्लिका कहा जाता है। जिस कारण शिव जी का नाम मल्लिकार्जुन पड़ गया।

श्री मल्लिकार्जुन मंगलाशासनम् स्तोत्र का महत्व (Importance of Sri Mallikarjuna Mangalashasanam Stotra)

श्री मल्लिकार्जुन मंगलाशासनम् स्तोत्र में भगवान शिव जी की महिमा का गुणगान किया गया है। और उनसे सभी प्राणियों पर मंगल करने की विनती की गई है। श्री मल्लिकार्जुन मंगलाशासनम् स्तोत्र का पाठ बहुत छोटा है परन्तु इस स्तोत्र का महत्व बहुत ही उपयोगी है। इसके नियमित पाठ से शिव जी की कृपा मिलती है। जीवन को सफल बनाने के लिए इस स्त्रोत का पाठ करना चाहिए।

मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग के नाम से भी शिव जी का एक प्रसिद्ध स्थान है। पौराणिक कथाओं के अनुसार कार्तिकेय के कैलाश पर्वत से जाने के बाद भगवान शिव क्रौंच पर्वत पर ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रकट हुए। वहां वह 'मल्लिकार्जुन' ज्योतिर्लिंग के नाम से प्रसिद्ध हुए। 'मल्लिका' माता पार्वती का नाम है, और 'अर्जुन' भगवान शिव को कहा जाता है। इस प्रकार 'मल्लिकार्जुन' के नाम से यह ज्योतिर्लिंग विश्व भर में प्रसिद्ध हुआ।

श्री मल्लिकार्जुन मंगलाशासनम् स्तोत्र पढ़ने के फायदे (Benefits of reading Sri Mallikarjuna Mangala Shasanam Stotra)

  • सोमवार, शिवरात्रि और सावन माह में इस स्त्रोत का पाठ करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
  • जो भी भक्त हर सोमवार भगवान शंकर के इस स्त्रोत का पाठ करता है उसके सभी कष्ट दूर हो जाते हैं।
  • इस स्त्रोत का नित्य पाठ करने से शिव की जी कृपा प्राप्त होती है। जिससे व्यक्ति स्वस्थ, सुख,समृद्धि से परिपूर्ण रहता है।
  • जो भी व्यक्ति श्री मल्लिकार्जुन मंगलाशासनम् स्तोत्र का पाठ करता है उसे मानसिक शांति प्राप्त होती है। सकारात्मक ऊर्जा का विकास होता है और व्यक्ति के अंदर से नकारात्मकता का नाश हो जाता है।

श्री मल्लिकार्जुन मंगलाशासनम् स्तोत्र का हिंदी अर्थ (Hindi meaning of Sri Mallikarjuna Mangala Shasanam Stotra)

श्री मल्लिकार्जुन मंगलाशासनम् स्त्रोत

उमाकांताय कांताय कामितार्थ प्रदायिने श्रीगिरीशाय देवाय मल्लिनाथाय मंगलम् ॥1॥

अर्थात - जो उमा का पति हैं, प्रियजन का साक्षात्कार करने वाले हैं, और सभी कामनाओं को पूरा करने वाले हैं। वे श्री गिरीश के रूप में हैं और शुभ है। भगवान मल्लिकार्जुन को मेरा नमस्कार है।

सर्वमंगल रूपाय श्री नगेंद्र निवासिने गंगाधराय नाथाय श्रीगिरीशाय मंगलम् ॥ 2॥

अर्थात - हे श्री नागेंद्र के निवासी, सभी शुभता के रूप भगवान गंगाधर और भगवान श्री गिरीश को शुभकामनाएं।

सत्यानंद स्वरूपाय नित्यानंद विधायने स्तुत्याय श्रुतिगम्याय श्रीगिरीशाय मंगलम् ॥ 3॥

अर्थात - सच्चिदानंद स्वरूप को, शाश्वत आनंद के रचयिता को, सभी सौभाग्य भगवान श्री गिरि को अर्पित हैं, जो प्रशंसनीय और वेदों के लिए सुलभ हैं।

मुक्तिप्रदाय मुख्याय भक्तानुग्रहकारिणे सुंदरेशाय सौम्याय श्रीगिरीशाय मंगलम् ॥4॥

अर्थात - मुक्ति के मुख्य दाता और भक्तों के हितैषी, हे सुन्दर, सौम्य भाग्य की देवी के स्वामी, मैं आपको सादर प्रणाम करता हूँ।

श्रीशैले शिखरेश्वरं गणपतिं श्री हटकेशं पुनस्सारंगेश्वर बिंदुतीर्थममलं घंटार्क सिद्धेश्वरम् । गंगां श्री भ्रमरांबिकां गिरिसुतामारामवीरेश्वरं शंखंचक्र वराहतीर्थमनिशं श्रीशैलनाथं भजे ॥5॥

अर्थात - श्रीशैल पर शिखरेश्वर, गणेश, श्री हटकेश फिर सारंगों के भगवान, बिंदु तीर्थ, घंटारा, सिद्धों के भगवान। गंगा श्री भ्रमारंबिका गिरिसुतामा रामवीरेश्वर मैं सदैव शंख, चक्र, शूकर, पवित्र स्थान, भाग्य की देवी की पूजा करता हूं।

हस्तेकुरंगं गिरिमध्यरंगं शृंगारितांगं गिरिजानुषंगम् मूर्देंदुगंगं मदनांग भंगं श्रीशैललिंगं शिरसा नमामि ॥6

अर्थात - उसके हाथ में हाथी, पहाड़ के बीच, अलंकृत शरीर, पहाड़ी, चंद्रमा-देवी मदन-भंगा, भाग्य की देवी, पर्वत-लिंगम को में प्रणाम करता हूँ।

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