श्री लक्ष्मी नारायण स्तोत्रम्

श्री लक्ष्मी नारायण स्तोत्रम्

होती है आर्थिक स्थिति मज़बूत


श्री लक्ष्मी नारायण स्तोत्रम (Shri Lakshmi Narayan Stotram)

सनातन धर्म में मां लक्ष्मी को धन और वैभव की देवी माना जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार जो व्यक्ति सच्चे मन से मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करता है, उसको जीवन में कभी भी धन और समृद्धि की कमी नहीं रहती है। साथ ही उस पर मां लक्ष्मी की हमेशा कृपा बनी रहती है। शुक्रवार का दिन माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्ति का अवसर होता है। शुक्रवार के दिन मां की विधि विधान से पूजा करने पर जल्दी प्रसन्न होती हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है। अगर धन और वैभव की कमी हो या घर की आर्थिक स्थिति खराब हो तो जातक को हर शुक्रवार की रात श्री लक्ष्मी नारायण हृदय स्तोत्र का पाठ चाहिए। ऐसा करने पर जातक के जीवन में धन और वैभव में बढ़ोत्तरी होती है।

श्री लक्ष्मी नारायण स्तोत्रम का महत्व (Importance of Shri Lakshmi Narayan Stotram)

श्री लक्ष्मी नारायण स्तोत्र का पाठ करने से मां लक्ष्मी के साथ भगवान विष्णु जी की कृपा भी प्राप्त होती है। मां लक्ष्मी जिस पर प्रसन्न हो जाती हैं उसे जीवन में किसी भी वस्तु की कमी नहीं होती है। अगर आप भी माता की कृपा चाहते हैं तो श्री लक्ष्मी नारायण स्तोत्र का पाठ रोज अवश्य करें। पौराणिक कथाओं के अनुसार, श्री लक्ष्मी नारायण स्तोत्र का पाठ करने से मां लक्ष्मी के साथ उनके साथ उनके पति भगवान विष्णु की भी आराधना होती है, इससे मां लक्ष्मी सदा के लिए नारायण संग उस घर में निवास करती हैं और व्यक्ति श्री नारायण की कृपा से सही दिशा में धन का सदुपयोग करता है। यह लक्ष्मी नारायण स्तोत्र श्री कृष्ण द्वारा रचित है।

श्री लक्ष्मी नारायण स्तोत्रम पढ़ने के फायदे (Benefits of reading Shri Lakshmi Narayan Stotram)

श्री लक्ष्मी नारायण स्तोत्र का नियमित पाठ करने से मां लक्ष्मी के साथ भगवान विष्णु का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है। साथ ही घर में धन और वैभव की कभी कमी नहीं होती है। व्यक्ति और उसके परिवार की आर्थिक स्थिति मजबूत होती है। हर शुक्रवार की रात श्री लक्ष्मी नारायण हृदय स्तोत्र का पाठ करने से मां लक्ष्मी विष्णु भगवान के साथ घर में सदा के लिए वास करती हैं।

श्री लक्ष्मी नारायण हृदय स्तोत्रम् (Shri Lakshmi Narayan Hridaya Stotra)

ॐ नारायणः परम् ज्योतिरित्यन्गुष्ठाभ्यनमः अर्थ- आप आदि पुरुष, परम ज्योति, आदिवंशीयों की स्थानीयता को सूचित करने वाले, उस परम पुरुष को अंगुष्ठ पर नमस्कार।

ॐ नारायण परम् ब्रह्मेति तर्जनीभ्यानमः अर्थ- आपको नारायण, परम ब्रह्म, तर्जनी को नमस्कार।

ॐ नारायणः परो देव इति मध्य्माभ्यान्मः अर्थ- आपको नारायण, सबसे श्रेष्ठ देवता, मध्यमीय को नमस्कार।

ॐ नारायणःपरम् धामेति अनामिकाभ्यान्मः अर्थ- आपको नारायण, परम धाम, अनामिका को नमस्कार।

ॐ नारायणः परो धर्म इति कनिष्टिकाभ्यान्मः अर्थ- आपको नारायण, सबसे श्रेष्ठ धर्म, कनिष्ठिका को नमस्कार।

ॐ विश्वं नारायण इति करतल पृष्ठाभ्यानमः एवं हृदयविन्यासः अर्थ- आपको नारायण, संपूर्ण विश्व, कर और पृष्ठ को नमस्कार। इसी रूप में हृदय का विन्यास करें।

ध्यान: उद्ददादित्यसङ्गाक्षं पीतवाससमुच्यतं

अर्थ- जिसकी प्राचीन रथ वाले सूर्य के संगी हैं और जो पीत वस्त्र धारण कर रहे हैं।

शङ्ख चक्र गदापाणिं ध्यायेलक्ष्मीपतिं हरिं अर्थ - जिसके पास शंख, चक्र, और गदा हैं, और जो लक्ष्मीपति हरि हैं, उसका ध्यान करें।

‘ॐ नमो भगवते नारायणाय’ इति मन्त्रं जपेत्। अर्थ - ‘ॐ नमो भगवते नारायणाय’ इस मन्त्र का जाप करें।

श्रीमन्नारायणो ज्योतिरात्मा नारायणःपरः। अर्थ- श्रीमान नारायण, ज्योतिरूप, परम नारायण को नमस्कार।

नारायणः परम्- ब्रह्म नारायण नमोस्तुते। अर्थ- नारायण, परम ब्रह्म, उन्हें नमस्कार हैं।

नारायणः परो -देवो दाता नारायणः परः। अर्थ - नारायण, सबसे ऊपरी देवता, दाता, परम नारायण, उन्हें नमस्कार हैं।

नारायणः परोध्याता नारायणः नमोस्तुते।। अर्थ - नारायण, सबसे ऊपरी पूज्य, उन्हें नमस्कार हैं।

नारायणः परम् धाम ध्याता नारायणः परः। अर्थ- नारायण, परम धाम, ध्यान करने योग्य, परम नारायण।

नारायणः परोध्याता नारायणः नमोस्तुते।। इस श्लोक का हिंदी अर्थ: "जो नारायण को ऊपरी देवता मानकर पूजता है, उस नारायण को हमारा प्रणाम हैं।"

नारायणः परम् धाम ध्याता नारायणः परः। नारायणः परो धर्मो नारायण नमोस्तुते।। इस श्लोक का हिंदी अर्थ: "जो नारायण को परम धाम मानकर ध्यान करता है, जो नारायण को सर्वोच्च धर्म मानकर पूजता है, उस नारायण को हमारा प्रणाम हैं।"

नारायणपरो बोधो विद्या नारायणः परा। विश्वंनारायणः साक्षन्नारायण नमोस्तुते।।

इस श्लोक का हिंदी अर्थ:"जो नारायण को परम बोध मानकर विद्या की पूजा करता है, जो नारायण को सम्पूर्ण विश्व का साक्षी मानकर पूजता है, उस नारायण को हमारा प्रणाम हैं।"

नारायणादविधिर्जातो जातोनारायणाच्छिवः। जातो नारायणादिन्द्रो नारायण नमोस्तुते।। इस श्लोक का हिंदी अर्थ: "नारायण से उत्पन्न हुआ है, जीवन का स्रष्टा है, इन्द्र भी नारायण से हुए है, उस नारायण को हमारा प्रणाम है।"

रविर्नारायणं तेजश्चन्द्रो नारायणं महः। बहिर्नारायणः साक्षन्नारायण नमोस्तु ते।। इस श्लोक का हिंदी अर्थ: "सूरज भी नारायण है, चंद्रमा भी नारायण है, बाहर और अंदर से सभी दिशाओं में नारायण है, उस नारायण को हमारा प्रणाम हैं।"

नारायण उपास्यः स्याद् गुरुर्नारायणः परः। नारायणः परो बोधो नारायण नमोस्तु ते।। इस श्लोक का हिंदी अर्थ: "जो नारायण की पूजा करता है, उन गुरु नारायण से परे कुछ नहीं है, जो नारायण को सर्वोच्च बोध के रूप में मानता है, उस नारायण को हमारा प्रणाम हैं।"

नारायणःफलं मुख्यं सिद्धिर्नारायणः सुखं। सर्व नारायणः शुद्धो नारायण नमोस्तु ते।। इस श्लोक का हिंदी अर्थ: "नारायण की पूजा से मुख्य फल है, सब सिद्धियां नारायण की पूजा से होती हैं, सभी लोकों में नारायण है, उस नारायण को हमारा प्रणाम हैं।"

नारायण्त्स्वमेवासि नारायण हृदि स्थितः। प्रेरकः प्रेर्यमाणानां त्वया प्रेरित मानसः।। इस श्लोक का हिंदी अर्थ:"तुम स्वयं नारायण हो, जो मेरे हृदय में स्थित है। तुम प्रेरणा का कारक हो, मनुष्यों को प्रेरित करने वाले हो, तुम्हारे द्वारा प्रेरित होते हैं।"

त्वदाज्ञाम् शिरसां धृत्वा जपामिजनपावनं। नानोपासनमार्गाणां भावकृद् भावबोधकः।। इस श्लोक का हिंदी अर्थ: "तुम्हारी आज्ञा को सिर पर धारण करके, मन को शुद्ध करने वाला, नाना पूजा-उपासना के मार्गों का नाश करने वाला, भाव को जागरूक करने वाले हो।"

भाव कृद् भाव भूतस्वं मम सौख्य प्रदो भव। त्वन्माया मोहितं विश्वं त्वयैव परिकल्पितं।। इस श्लोक का हिंदी अर्थ:"तुम भाव की रचना करने वाले हो, अपनी माया से संगीत हो, मेरे सौख्य का प्रदान करो। जो विश्व तुम्हारी माया में मोहित हुआ है, वही तुम्हारी कल्पना में बना हुआ है।"

त्वदधिस्ठानमात्रेण सैव सर्वार्थकारिणी। त्वमेवैतां पुरस्कृत्य मम कामाद समर्पय।। इस श्लोक का हिंदी अर्थ: "तुम्हारे स्थान में रहने से ही सभी आर्थिक और आध्यात्मिक कार्य होते हैं, तुम्हें पूर्वकृत करके, मेरी सभी इच्छाओं को समर्पित करता हूँ।"

न में त्वदन्यःसंत्राता त्वदन्यम् न हि दैवतं। त्वदन्यम् न हि जानामि पालकम पुण्यरूपकं।। इस श्लोक का हिंदी अर्थ: "तुम्हारे सिवा मेरे लिए कोई रक्षक नहीं है, तुम्हारे सिवा कोई देवता नहीं है, तुम्हारे सिवा मैं किसी धर्मपाल को नहीं जानता।"

यावत सान्सारिको भावो नमस्ते भावनात्मने। तत्सिद्दिदो भवेत् सद्यः सर्वथा सर्वदा विभो।। इस श्लोक का हिंदी अर्थ: "तुम्हारे सिवा सांसारिक भाव का पुनर्निर्माण हो, तुम्हें नमस्कार है, तुम तुरंत सिद्धि प्रदान करने वाले हो, सब प्रकार से व्यापक और सदा ही सर्वशक्तिमान हो।"

पापिनामहमेकाग्यों दयालूनाम् त्वमग्रणी। दयनीयो मदन्योस्ति तव कोत्र जगत्त्रये।। इस श्लोक का हिंदी अर्थ:"तुम एकाग्र दृष्टि वाले हो, पापियों के प्रति तुम दयालु हो, मेरे सिवा तुम्हारे लिए दयनीय कोई नहीं है, तुम्हारे बिना त्रिलोक में कहीं और कोई दयालु नहीं है।"

त्वयाप्यहम न सृष्टश्चेन्न स्यात्तव दयालुता। आमयो वा न सृष्टश्चेदौषध्स्य वृथोदयः।। इस श्लोक का हिंदी अर्थ: "तुम्हारे बिना मैं सृष्टि में कुछ नहीं कर सकता हूं, लेकिन तुम्हारी दयालुता बिना मेरे लिए कुछ भी नहीं होगा। जैसे औषधि के बिना रोग का नाश नहीं हो सकता, वैसे ही तुम्हारे बिना मेरा उत्थान व्यर्थ है।"

पापसङघपरिक्रांतः पापात्मा पापरूपधृक। त्वदन्यः कोत्र पापेभ्यस्त्राता में जगतीतले।। इस श्लोक का हिंदी अर्थ:"मैं पापियों के संग से पारित हो गया हूँ, मैं पापमय हूँ, मैं पापरूप धारी हूँ, तुम्हारे सिवा कहीं और मुझ जैसा पापियों को छुड़ाने वाला कोई नहीं है।"

त्वमेव माता च पिता त्वमेव,त्वमेव बन्धुश्च सखात्वमेव। त्वमेव विद्या च गुरस्त्वमेव त्वमेव सर्वं मम देव देव।। इस श्लोक का हिंदी अर्थ: "तुम्हीं मेरी माता हो, तुम्हीं मेरे पिता हो, तुम्हीं मेरे बंधु हो, तुम्हीं मेरे सखा हो, तुम्हीं मेरी विद्या हो, तुम्हीं मेरे गुरु हो, तुम्हीं सब कुछ हो, तुम्हीं मेरे देवता हो।"

प्रार्थनादशकं चैव मूलाष्टकमथापि वा। यः पठेतशुणुयानित्यं तस्य लक्ष्मीःस्थिरा भवेत्।। इस श्लोक का हिंदी अर्थ: "जो भक्त यह प्रार्थना दशक या मूलाष्टक पठता है, उसके लिए लक्ष्मी स्थिर रूप से बनी रहती है।"

नारायणस्य हृदयं सर्वाभीष्टफलप्रदं। लक्ष्मीहृदयकंस्तोत्रं यदि चैतद् विनाशकृत।। इस श्लोक का अर्थ:"नारायण का हृदय सभी इच्छाओं को पूरा करने वाला है।"इस लक्ष्मी हृदय स्तोत्र को पढ़ने से सभी बुरी योजनाएं नष्ट हो जाती हैं।"

तत्सर्वं निश्फ़लम् प्रोक्तं लक्ष्मीः क्रुधयति सर्वतः। एतत् संकलितं स्तोत्रं सर्वाभीष्ट फ़ल् प्रदम्।। इस श्लोक का अर्थ: "इस संकलित स्तोत्र को पढ़ने से सभी प्रयास निष्फल होते हैं और लक्ष्मी हमेशा क्रोधित रहती है। यह स्तोत्र सभी कामनाएं पूरी करने वाला है।"

लक्ष्मीहृदयकं स्तोत्रं तथा नारायणात्मकं। जपेद् यः संकलिकृत्य सर्वाभीष्टमवाप्नुयात।। इस श्लोक का अर्थ: "जो व्यक्ति संकलित रूप से इस लक्ष्मी हृदय स्तोत्र और नारायण की आराधना करता है, वह सभी अपनी इच्छाएं पूरी करते हैं।"

नारायणस्य हृदयमादौ जपत्वा ततः पुरम्। लक्ष्मीहृदयकं स्तोत्रं जपेन्नारायणं पुनः।। इस श्लोक का अर्थ: "पहले नारायण का हृदय से जप करने के बाद लक्ष्मी हृदय स्तोत्र का जप करना चाहिए, इसके बाद फिर से नारायण का जप करना चाहिए।"

पुनर्नारायणं जपत्वा पुनर्लक्ष्मीहृदं जपेत्। पुनर्नारायणंहृदं संपुष्टिकरणं जपेत्।। इस श्लोक का अर्थ: "फिर से नारायण का जप करने के बाद फिर से लक्ष्मीहृदयक स्तोत्र का जप करना चाहिए, जिससे नारायण का हृदय संपूर्ण होता है।"

एवं मध्ये द्विवारेण जपेलक्ष्मीहृदं हि तत्। लक्ष्मीहृदयकं स्तोत्रं सर्वमेतत् प्रकाशितं।। इस श्लोक का अर्थ: "इसी प्रकार, दो बार लक्ष्मी हृदय स्तोत्र का जप करना चाहिए, क्योंकि यह स्तोत्र सभी अभीष्टों को पूरा करने वाला है।"

तद्वज्ज पादिकं कुर्यादेतत् संकलितं शुभम्। स सर्वकाममाप्नोति आधि-व्याधि-भयं हरेत्।। इस श्लोक का अर्थ: "तब इस संकलित स्तोत्र के पाठ के बाद यह पादिक कुर्याद, जो कि शुभ है। इससे व्यक्ति सभी कामनाएं पूरी करता है और समस्त रोग, आफतें, और भय को हरता है।"

गोप्यमेतत् सदा कुर्यान्न सर्वत्र प्रकाशयेत्। इति गुह्यतमं शास्त्रंमुक्तं ब्रह्मादिकैःपुरा।। इस श्लोक का अर्थ: "इसे हमेशा गुप्त रखें और सभी जगह प्रकाशित न करें। यह शास्त्र ब्रह्मा आदि द्वारा पहले कहा गया है।"

तस्मात् सर्व प्रयत्नेन गोपयेत् साधयेत् सुधीः। यत्रैतत् पुस्तकं तिष्ठेल्लक्ष्मिनारायणात्मकं।। इस श्लोक का अर्थ: "इसलिए, सभी को इस पुस्तक का पठन करना चाहिए, जहां लक्ष्मी और नारायण स्वरूप हैं।"

भूत-प्रेत-पिशाचान्श्च वेतालन्नाश्येत् सदा। लक्ष्मीहृदयप्रोक्तेन विधिना साधयेत् सुधीः।। इस श्लोक का अर्थ: "सदा भूत, प्रेत, पिशाच, और बेतालों को नष्ट करने के लिए लक्ष्मी हृदय स्तोत्र की विशेष विधि से साधना करनी चाहिए।"

भृगुवारै च रात्रौ तु पूजयेत् पुस्तकद्वयं। सर्वदा सर्वथा सत्यं गोपयेत् साधयेत् सुधीः।। इस श्लोक का अर्थ: "शुक्रवार को रात्रि में दो पुस्तकों की पूजा करनी चाहिए और हमेशा सत्य को गोपन करना चाहिए, यह व्यक्ति के सभी प्रयासों को साधने में सहायक होता है।"

गोपनात् साधनाल्लोके धन्यो भवति तत्ववित्। नारायणहृदं नित्यं नारायण नमोस्तुते।। इस श्लोक का अर्थ: "जो व्यक्ति अपने प्रयासों को गुप्त रखता है, वह धन्य होता है। सतत नारायण हृदय का पाठ करने वाले को व मैं नारायण को नमस्कार करता हूँ।"

श्री मंदिर द्वारा आयोजित आने वाली पूजाएँ

देखें आज का पंचांग

slide
कैसा रहेगा आपका आज का दिन?
कैसा रहेगा आपका आज का दिन?

Download Sri Mandir app now !!

Connect to your beloved God, anytime, anywhere!

Play StoreApp Store
srimandir devotees
digital Indiastartup Indiaazadi

© 2024 SriMandir, Inc. All rights reserved.