श्री हनुमान स्तवन स्तोत्र | Shri Hanuman Stavan Stotram
image
downloadDownload
shareShare
ShareWhatsApp

श्री हनुमान स्तवन स्तोत्र | Shri Hanuman Stavan Stotram

हनुमान जी का नाम लेते ही शक्ति का अनुभव होता है! श्री हनुमान स्तवन स्तोत्र के अर्थ के साथ पढ़ें और भक्ति का अनुभव करें!

श्री हनुमान स्तवन स्तोत्र के बारे में

श्री हनुमान स्तवन स्तोत्र भगवान हनुमान को समर्पित एक शक्तिशाली और मंगलदायक स्तोत्र है। इसका पाठ भय, रोग, शत्रु और नकारात्मक शक्तियों से रक्षा करता है। श्रद्धा और भक्ति से इसका जप करने पर साहस, बल, बुद्धि और सफलता की प्राप्ति होती है।

श्री हनुमान स्तवन स्तोत्र

स्तवन का अर्थ 'प्रसन्न' होता है। स्तवन स्तोत्र भगवान हनुमान जी को समर्पित है। इस स्तोत्र पाठ से प्रभु श्रीराम के परम भक्त हनुमान जी प्रसन्न होते हैं। इस स्तोत्र पाठ से हनुमान जी का आशीर्वाद हमेशा भक्त के ऊपर बना रहता है और हनुमान जी भक्त की सभी परेशानियां दूर कर देते हैं।

स्तवन स्तोत्र पाठ विधि

  • स्तवन स्तोत्र का पाठ प्रातः काल करना सर्वोत्तम माना गया है।
  • इसका पाठ करते समय हनुमान जी की प्रतिमा या तस्वीर को लाल कपड़े या आसन पर सामने रखें।

श्री हनुमान स्तवन स्तोत्र से लाभ

  • भक्त पर हनुमान जी की विशेष कृपा बनी रहती है।
  • भक्त के ऊपर कभी भी किसी भी प्रकार की मुसीबत नहीं आती है।
  • भूत-प्रेत की बाधाओं से मुक्ति मिलती है।
  • सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है एवं स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों से मुक्ति मिलती है।

श्री हनुमान स्तवन स्तोत्र एवं अर्थ

share
प्रनवउं पवनकुमार खल बन पावक ज्ञानघन। जासु हृदय आगार बसहिं राम सर चाप धर॥

अर्थ: मैं उन पवन पुत्र को नमन करता हूं, जो दुष्टों को भस्म करने के लिए अग्नि के समान हैं। जो अज्ञान रूपी अंधकार का नाश करने वाले हैं, जिसके हृदय में धनुष-बाण धारण करने वाले प्रभु श्री राम निवास करते हैं।

share
अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहं। दनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यम्॥ सकलगुणनिधानं वानराणामधीशं। रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि॥

अर्थ: मैं उन पवन पुत्र को प्रणाम करता हूं, जो अथाह शक्ति के स्वामी हैं। जो सोने के पहाड़ की तरह चमकने वाले शरीर, दानव जाति के जंगल को भस्म करने के लिए अग्नि के समान, बुद्धिमानों में सबसे प्रमुख और सभी गुणों को धारण करने वाले हैं और जो प्रभु श्री राम के सबसे प्रिय भक्त हैं।

share
गोष्पदीकृतवारीशं मशकीकृतराक्षसम्। रामायणमहामालारत्नं वन्देऽनिलात्मजम्॥

अर्थ: मैं उन हनुमान जी की पूजा करता हूं, जिन्होंने समुद्र को गाय के खुर के समान बना दिया। जिन्होंने विशाल राक्षसों को मच्छरों की तरह नाश किया और जो "रामायण" नामक माला के मोतियों के बीच एक रत्न की तरह हैं।

share
अञ्जनानन्दनं वीरं जानकीशोकनाशनम्। कपीशमक्षहन्तारं वन्दे लङ्काभयङ्करम्॥

अर्थ: मैं अंजनी के वीर पुत्र और माता जानकी के दुखों को दूर करने वाले, वानरों के स्वामी, लंका के अक्षकुमार (रावण के पुत्र) का वध करने वाले हनुमान जी की पूजा करता हूं।

share
उलंघ्यसिन्धों: सलिलं सलीलं य: शोकवह्नींजनकात्मजाया:। आदाय तेनैव ददाह लङ्कां नमामि तं प्राञ्जलिराञ्जनेयम्॥

अर्थ: मैं अंजनी के पुत्र को नमन करता हूं, जिसने समुद्र में छलांग लगा जनक की पुत्री के शोक रूपी अग्नि से लंका को जला दिया, मैं उन अंजनी पुत्र को नमस्कार करता हूं।

share
मनोजवं मारुततुल्यवेगं जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठम्। वातात्मजं वानरयूथमुख्यं श्रीरामदूतं शरणं प्रपद्ये॥

अर्थ: मैं रामदूत हनुमान जी जी के चरणों में शरण लेता हूं, जो मन और वायु के समान तेज हैं, जिन्होंने इंद्रियों को जीत लिया है, जो ज्ञानियों में सबसे श्रेष्ठ हैं, जो वानरों के समूह के प्रमुख हैं और जो श्री राम के दूत हैं।

share
आञ्जनेयमतिपाटलाननं काञ्चनाद्रिकमनीय विग्रहम्। पारिजाततरूमूल वासिनं भावयामि पवमाननंदनम्॥

अर्थ: मैं उन हनुमान जी का ध्यान करता हूं, जिनका चेहरा सुर्ख है और जिनका शरीर सोने के पहाड़ की तरह चमकता है, जो सभी वरदानों को प्रदान कर सकते हैं और सभी इच्छाओं को पूरा कर सकते हैं और जो पारिजात वृक्ष के नीचे रहते हैं।

share
यत्र यत्र रघुनाथकीर्तनं तत्र तत्र कृत मस्तकाञ्जिंलम। वाष्पवारिपरिपूर्णलोचनं मारुतिं राक्षसान्तकाम्॥

अर्थ: मैं उन हनुमान जी को नमन करता हूं, जो जहां भी राम के नाम का जप किया जाता है वहां श्रद्धा से झुकते हैं, जिनकी प्रेम के आंसुओं से भरी आंखें हैं और जो पूजा में सिर झुकाते हैं, जो राक्षसों के संहारक के रूप में जाने जाते हैं।

॥ इति श्री हनुमान स्तवन स्तोत्र॥

हनुमान जी भगवान शंकर के 11वें रुद्र अवतार हैं। हनुमान जी को अमरता का वरदान मिला हुआ है। जो हनुमान भक्त अपने मन में हनुमान जी के प्रति दृढ़ विश्वास और श्रद्धा बनाए रखता है, उस पर हनुमान जी की सदा कृपा रहती है। भगवान हनुमान जी अपने भक्तों के सभी संकटों को हर लेते हैं।

हिंदू धर्म में मंगलवार का दिन भगवान हनुमान जी को समर्पित है। इस दिन भगवान हनुमान जी की उपासना करने से जातक को विशेष लाभ मिलता है। मारुति स्तोत्र का पाठ करने से भगवान हनुमान जी का आशीर्वाद मिलता है। इससे भगवान राम के साथ भगवान भोलेनाथ भी प्रसन्न होते हैं।

divider
Published by Sri Mandir·November 5, 2025

Did you like this article?

आपके लिए लोकप्रिय लेख

और पढ़ेंright_arrow
Card Image

मदन मोहन अष्टकम स्तोत्र | Madan Mohan Ashtakam

Madan Mohan Ashtakam भगवान श्रीकृष्ण की माधुर्यता और करुणा का वर्णन करने वाला पवित्र स्तोत्र है। इसके पाठ से मन में प्रेम, शांति और भक्ति बढ़ती है।

right_arrow
Card Image

भगवान शिव शतनाम-नामावली स्तोत्रम् | Shiva Shatanam Namavali Stotram

Shiva Shatanam Namavali Stotram भगवान शिव के 100 दिव्य नामों का पवित्र संकलन है। इस स्तोत्र के पाठ से पापों का नाश, भय का अंत, मन की शुद्धि और जीवन में कल्याण की प्राप्ति होती है। यहां जानें शिव शतनाम स्तोत्र का अर्थ, पाठ विधि, लाभ और आध्यात्मिक महत्व।

right_arrow
Card Image

पार्वती वल्लभा अष्टकम् | Parvathi Vallabha Ashtakam

Parvati Vallabha Ashtakam भगवान शिव की स्तुति में रचित पवित्र स्तोत्र है, जिसके पाठ से शांति, शक्ति और दिव्य कृपा प्राप्त होती है।

right_arrow
srimandir-logo

श्री मंदिर ने श्रध्दालुओ, पंडितों, और मंदिरों को जोड़कर भारत में धार्मिक सेवाओं को लोगों तक पहुँचाया है। 100 से अधिक प्रसिद्ध मंदिरों के साथ साझेदारी करके, हम विशेषज्ञ पंडितों द्वारा की गई विशेष पूजा और चढ़ावा सेवाएँ प्रदान करते हैं और पूर्ण की गई पूजा विधि का वीडियो शेयर करते हैं।

हमारा पता

फर्स्टप्रिंसिपल ऐप्सफॉरभारत प्रा. लि. 435, 1st फ्लोर 17वीं क्रॉस, 19वीं मेन रोड, एक्सिस बैंक के ऊपर, सेक्टर 4, एचएसआर लेआउट, बेंगलुरु, कर्नाटका 560102
YoutubeInstagramLinkedinWhatsappTwitterFacebook