क्या आप जानते हैं सोमनाथ मंदिर का रहस्य? जानिए कहां है ये प्राचीन ज्योतिर्लिंग, उसका इतिहास, दर्शन विधि और वहां पहुंचने का तरीका
सोमनाथ मंदिर में स्थापित शिवलिंग हिंदू धर्म में बहुत ही पवित्र और पूजनीय माना जाता है। यह भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में सबसे पहला बताया जाता है। इतिहास में इसे कई बार तोड़ा गया, लेकिन हर बार इसे दोबारा बनाकर आस्था के साथ स्थापित किया गया था।
सोमनाथ मंदिर भारत देश के सबसे पुराने मंदिरों में से एक है। इस मंदिर में भगवान शिव को पूजा जाता है और ऐसी मान्यता है कि ये 12 ज्योतिर्लिंगों में सबसे पहला है। ऐसा कहा जाता है कि यह सबसे प्राचीन ज्योतिर्लिंगों में से एक है, और जो भी श्रद्धालु यहाँ दर्शन के लिए आते हैं, उनके दुख और कष्ट दूर हो जाते हैं। आज हम आपको इस चमत्कारी मंदिर से जुड़ी कुछ खास और महत्वपूर्ण बातें बताएंगे, जिनका अपना अलग धार्मिक महत्व है।
सोमनाथ मंदिर गुजरात राज्य के सौराष्ट्र क्षेत्र में स्थित एक प्रसिद्ध शिव मंदिर है। यह मंदिर वेरावल शहर के पास प्रभास पाटन नाम की जगह पर स्थित है और समुद्र के किनारे बना हुआ है।
यह मंदिर भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक माना जाता है, और इसे पहला ज्योतिर्लिंग भी कहा जाता है। इसकी पवित्रता और ऐतिहासिक महत्व के कारण यह लाखों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है।
सोमनाथ मंदिर का स्थान भी बहुत खास है। यह मंदिर तीन पवित्र नदियों – कपिला, हिरण और सरस्वती – के संगम पर स्थित है। यहाँ से अरब सागर की लहरें मंदिर के तट को छूती हैं, जिससे इस स्थान की सुंदरता और पवित्रता और भी बढ़ जाती है। यह मंदिर न सिर्फ धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह प्राकृतिक सुंदरता और ऐतिहासिक गौरव का अद्भुत संगम भी है।
मान्यता के अनुसार, सोमनाथ मंदिर का निर्माण चंद्रदेव (सोमराज) ने करवाया था। एक बार राजा दक्ष प्रजापति ने चंद्रदेव को श्राप दे दिया था, जिससे वे एक रोग से पीड़ित हो गए। इस श्राप से छुटकारा पाने के लिए चंद्रदेव ने भगवान शिव की कठोर तपस्या की।
भगवान शिव उनकी भक्ति से प्रसन्न हुए और उन्हें श्राप से मुक्त कर दिया। फिर चंद्रदेव ने भगवान शिव से प्रार्थना की कि वे इस स्थान पर शिवलिंग के रूप में सदा विराजमान रहें। भगवान शिव ने उनकी प्रार्थना स्वीकार कर ली। तभी से यह स्थान सोमनाथ ज्योतिर्लिंग के नाम से प्रसिद्ध हो गया।
सोमनाथ मंदिर न केवल धार्मिक रूप से बल्कि ऐतिहासिक रूप से भी बहुत महत्वपूर्ण है। इसे कई बार तोड़ा और फिर से बनाया गया, लेकिन आस्था कभी नहीं टूटी।
आज जो सोमनाथ मंदिर खड़ा है, वह न सिर्फ आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति, इतिहास और आत्मबल का भी गवाह है। हर साल लाखों श्रद्धालु यहाँ दर्शन के लिए आते हैं और भगवान शिव की कृपा प्राप्त करते हैं।
स्कंद पुराण के अनुसार, चंद्रदेव ने राजा दक्ष की 27 बेटियों से विवाह किया था। लेकिन उनमें से वे सिर्फ रोहिणी से ही विशेष प्रेम करते थे। बाकी 26 पत्नियाँ खुद को अनदेखा और अपमानित महसूस करने लगीं।
उन्होंने यह बात अपने पिता दक्ष प्रजापति को बताई। बेटियों की पीड़ा देखकर दक्ष ने चंद्रमा को समझाने की कोशिश की, लेकिन चंद्रदेव नहीं माने। इस पर दक्ष ने उन्हें धीरे-धीरे कमज़ोर होने का श्राप दे दिया।
श्राप से परेशान होकर चंद्रदेव ब्रह्मा जी की सलाह पर प्रभास क्षेत्र में आकर भगवान शिव की कठोर तपस्या करने लगे। उन्होंने वहाँ शिवलिंग की स्थापना की और दिन-रात पूजा की। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव प्रकट हुए और उन्हें श्राप से मुक्ति देकर अमरता का वरदान दिया।
इसी कारण चंद्रमा आज भी 15 दिन घटता है और 15 दिन बढ़ता है, यानी चंद्रमा का कलात्मक रूप (अमावस्या से पूर्णिमा) बना रहता है।
श्राप से मुक्त होने के बाद चंद्रदेव ने भगवान शिव से प्रार्थना की कि वे उसी शिवलिंग में वास करें, जिसे उन्होंने तपस्या के दौरान स्थापित किया था। भगवान शिव ने उनकी बात स्वीकार की, और तभी से यह स्थान सोमनाथ ज्योतिर्लिंग के नाम से पूजित होने लगा।
सोमनाथ मंदिर में दर्शन करने का सबसे अच्छा समय सुबह का समय माना जाता है, क्योंकि उस समय माहौल शांत और सुखद रहता है।
यह मंदिर सुबह 6:00 बजे से रात के 9:00 बजे तक खुला रहता है। भक्त पूरे दिन में किसी भी समय यहाँ जाकर दर्शन कर सकते हैं।
अगर आप मंदिर में होने वाले दिव्य अनुष्ठानों और आरती में भाग लेना चाहते हैं, तो आरती का समय जानना ज़रूरी है
सोमनाथ मंदिर, गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र में स्थित है और यहाँ पहुँचना बहुत आसान है। आप रेल, हवाई जहाज़ या सड़क मार्ग किसी भी तरीके से यहाँ आ सकते हैं।
सोमनाथ मंदिर हिंदू धर्म का एक बहुत ही पवित्र और प्राचीन मंदिर है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और इसे 12 ज्योतिर्लिंगों में पहला माना जाता है। यह मंदिर धार्मिक, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रूप से बहुत खास महत्व रखता है।
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