सावन 2025 में रुद्राभिषेक
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सावन 2025 में रुद्राभिषेक

सावन 2025 में भगवान शिव को प्रसन्न करने का श्रेष्ठ अवसर! जानिए रुद्राभिषेक की तिथि, महत्व और आसान पूजा विधि—और इस पावन मास में पाएं महादेव की कृपा और मनोकामना पूर्ति का आशीर्वाद।

सावन में रुद्राभिषेक के बारे में

सावन भगवान शिव को समर्पित सबसे खास महीना माना जाता है। इस पावन मास में कावड़ निकाली जाती हैं तो कहीं विशेष अनुष्ठान किया जाते हैं। वहीं, इस माह में रुद्राभिषेक का भी विशेष महत्व है होता है जो भोलेनाथ को प्रसन्न करने का प्रभावशाली उपाय माना जाता है। जानिए इस लेख में रुद्राभिषेक के शुभ मुहूर्त, सही विधि, जरूरी पूजन सामग्री और रुद्राभिषेक से संबंधित सारी जानकारियां एक साथ।

सावन 2025 में रुद्राभिषेक कब करें

सावन 2025 में कुछ खास तिथियां हैं, जिसमें रुद्राभिषेक करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।

  • 22 जुलाई 2025 (मंगलवार): प्रदोष व्रत
  • 24 जुलाई 2025 (गुरुवार): अमावस्या और गुरु पुष्य योग
  • 29 जुलाई 2025 (मंगलवार): नाग पंचमी
  • 6 अगस्त 2025 (बुधवार): शुक्ल पक्ष प्रदोष व्रत
  • सावन के चारों सोमवार

सावन में रुद्राभिषेक क्यों जरूरी है

सावन का महीना भगवान शिव को विशेष प्रिय होता है। इस महीने में रुद्राभिषेक करना बहुत शुभ माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार, रुद्राभिषेक करने से पापों से मुक्ति मिलती है, दुखों का अंत होता है और जीवन में सुख-शांति आती है। यह पूजा ग्रह दोषों को शांत करने, मानसिक तनाव दूर करने और सफलता प्राप्त करने में भी मदद करती है।हालांकि, रुद्राभिषेक साल भर कभी भी किया जा सकता है, लेकिन सावन में इसका महत्व कई गुना बढ़ जाता है। विशेषकर सावन के सोमवार, सावन शिवरात्रि और नाग पंचमी के दिन रुद्राभिषेक करने से बहुत शुभ फल मिलता है।

सावन में रुद्राभिषेक के शुभ मुहूर्त

इन चारों सोमवारों को रुद्राभिषेक किया जा सकता है। यह रुद्राभिषेक करने के लिए शुभ मुहूर्त हैं।

  • 14 जुलाई 2025 (सोमवार) – पहला सावन सोमवार
  • 21 जुलाई 2025 (सोमवार) – दूसरा सावन सोमवार
  • 28 जुलाई 2025 (सोमवार) – तीसरा सावन सोमवार (विनायक चतुर्थी के साथ)
  • 4 अगस्त 2025 (सोमवार) – चौथा सावन सोमवार

अन्य विशेष तिथियां रुद्राभिषेक के लिए

  • 22 जुलाई 2025 (मंगलवार) – सावन प्रदोष व्रत / दूसरा मंगला गौरी व्रत
  • 23 जुलाई 2025 (बुधवार) – सावन शिवरात्रि (शिव की विशेष आराधना का दिन)
  • 24 जुलाई 2025 (गुरुवार) – हरियाली अमावस्या (गुरु पुष्य योग के साथ रुद्राभिषेक का विशेष महत्व)
  • 27 जुलाई 2025 (रविवार) – हरियाली तीज (शिव-पार्वती पूजन का विशेष पर्व)
  • 29 जुलाई 2025 (मंगलवार) – नाग पंचमी (कालसर्प दोष निवारण हेतु रुद्राभिषेक अति फलदायी)

इन सभी तिथियों पर रुद्राभिषेक करने से ग्रह दोष, रोग, दरिद्रता और शत्रु बाधा दूर होते हैं।

श्रावण मास में रुद्राभिषेक का महत्व

रुद्राभिषेक यानि भोले शंकर के रुद्र रूप का अभिषेक करना और इस रुद्राभिषेक का महत्व स्रावन में बढ़ जाता है। वहीं, यह माह भोलेनाथ को प्रिय भी होता है। शिव पुराण के अनुसार, सावन में रुद्राभिषेक करने से भक्त को हर प्रकार के दुखों से मुक्ति मिलती है। इस माह में रुद्राभिषेक ग्रह दोषों और कालसर्प योग जैसे दोषों की शांति के लिए बहुत प्रभावी माना जाता है।

रुद्राभिषेक विधि सावन 2025

  • रुद्राभिषेक करने के लिए सबसे पहले शुभ मुहूर्त का चयन करना जरूर होता है ताकि पूजा फलदायी हो।
  • इसके बाद सुबह उठकर स्नान करने के बाद साफ कपड़े पहनने चाहिए।
  • फिर पूजा स्थल और शिवलिंग के चारों तरफ की सफाई करें।
  • रुद्राभिषेक के लिए शिवलिंग को उत्तर दिशा में रखें और मुंह पूर्व की दिशा की ओर रहे।
  • आस पास भगवान गणेश और भगवान नंदी की प्रतिमा स्थापित करें और पवित्र जल से भरा कलश स्थापित करें और उसमें स्वास्तिक और मंगल कलश का चित्र बनाएं।
  • सबसे पहले कलश में सुपारी, नारियल, पंचरत्न, कुछ सिक्के, अक्षत (चावल), रोली, चंदन और लाल धागा रखा जाता है।
  • इसके बाद शिवलिंग को पहले गंगाजल और फिर दूध से स्नान कराया जाता है।
  • इसके पश्चात शिवलिंग पर क्रमशः दूध, दही, घी, शहद, पंचामृत, चंदन, तिल, धान, हल्दी, कुमकुम, बेलपत्र, शमी के पत्ते, कमल और आंकड़े के पुष्प आदि श्रद्धापूर्वक अर्पित किए जाते हैं।
  • बताई गई सारी सामग्री को अर्पित करने के बाद रुद्राभिषेख शुरू करें।
  • रुद्राभिषेख को जल से, दही से, दूध से, शहद से, पंचामृत से, घी से, गन्ने के रस से, गंगाजल से, शक्कर से, भांग से और भस्म आदि से अभिषेक किया जा सकता है।
  • वहीं, इस बात का खास ध्यान रखें कि प्रत्येक द्रव्य अर्पित करते समय उसका मंत्र भी बोलें।
  • इसके लिए ॐ नमः शिवाय, महामृत्युंजय मंत्र आदि मंत्रों का उच्चारण कर सकते हैं।
  • इसके बाद पूजा के अंत में आरती करें और भगवान शिव से प्रार्थना करें।
  • पूजा की विधि को अपने जानकारी पंडित और विशेषज्ञ से जानकर ही पूजा विधि को संपन्न करें।

सावन में रुद्राभिषेक के फायदे

सावन महीने में रुद्राभिषेक करने से कई फाय़दे होते हैं। इसके आध्यात्मिक, मानसिक और भौतिक लाभ भी होते हैं। रुद्राभिषेक करने से पूर्व जन्म और वर्तमान जीवन के पापों से मुक्ति मिलती है। यह धन, सुख और समृद्धि प्राप्त करने का सरल उपाय है। जो लोग आर्थिक समस्याओं से जूझ रहे हैं, उनके लिए यह पूजा विशेष लाभकारी होती है। इससे स्वास्थ्य संबंधी परेशानियाँ भी दूर होती हैं, और मानसिक शांति मिलती है। यह पूजा ग्रह दोषों जैसे कालसर्प दोष, मंगल दोष, शनि और राहु-केतु के दुष्प्रभाव को शांत करती है। संतान की कामना करने वाले श्रद्धालु अगर अभिषेक करें तो उन्हें संतान सुख की प्राप्ति हो सकती है। यह पूजा विद्यार्थियों और नौकरीपेशा लोगों को शिक्षा व करियर में सफलता दिलाती है।

सावन में रुद्राभिषेक की पूजन सामग्री लिस्ट

सावन के पवित्र महीने में रुद्राभिषेक करने के लिए कुछ विशेष पूजन सामग्री की आवश्यकता होती है। यह सारी सामग्री भगवान शिव को प्रिय मानी जाती है और इनके उपयोग को करने से पूजा-अर्चना का शुभ फल प्राप्त होता है।

रुद्राभिषेक के लिए आवश्यक पूजन सामग्री इस प्रकार है

  • शहद
  • शुद्ध जल
  • गंगाजल
  • दूध
  • दही
  • घी
  • चीनी या चीनी पाउडर
  • पंचामृत (दूध, दही, शहद, घी, शक्कर मिलाकर)
  • चंदन का लेप (सफेद या पीला)
  • बेलपत्र
  • शमी पत्र
  • धतूरा
  • फूल (विशेषकर सफेद और लाल फूल)
  • फूलों की माला
  • पान के पत्ते
  • अक्षत (साबुत चावल)
  • गेहूं के दाने
  • कमल गट्टे
  • चावल के 108 दाने
  • काली मिर्च
  • काला तिल
  • सुपारी
  • रोली और कलावा
  • अबीर, गुलाल
  • कपूर
  • दीपक (घी का) – एक जलाने के लिए, एक आरती के लिए
  • धूप या धूपबत्ती
  • इत्र
  • लौंग, इलायची
  • मिठाई
  • ऋतु फल (जैसे केला, सेब, आदि)
  • सफेद कपड़ा या वस्त्र
  • मंत्र जाप के लिए माला

इन सभी सामग्री के अलावा यदि आप और कुछ भी चढ़ाना चाहते हैं तो किसी विशेष जानकार और पंडित से पूछकर चढञा सकते हैं।

सावन में रुद्राभिषेक के मंत्र

सावन में कराए जाने वाले रुद्राभिषेक के दौरान कई मंत्र बोले जाते हैं। आइए जानते हैं उन मंत्रों के बारे में।

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ॐ नमः शिवाय। ॐ नमो भगवते रुद्राय नमः। ॐ नमः शम्भवाय च मयोभवाय च। नमः शंकराय च मयस्कराय च। नमः शिवाय च शिवतराय च॥ ईशानः सर्वविद्यानाम् ईश्वरः सर्वभूतानाम्। ब्रह्माधिपतिर्ब्रह्मणोऽधिपतिर्ब्रह्मा शिवो मे अस्तु सदाशिवोम्॥ ॐ तत्पुरुषाय विद्महे। महादेवाय धीमहि। तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥ अघोरेभ्योऽथ घोरेभ्यो। घोरघोरतरेभ्यः। सर्वेभ्यः सर्वशर्वेभ्यो नमस्ते अस्तु रुद्ररूपेभ्यः॥ वामदेवाय नमः। ज्येष्ठाय नमः। श्रेष्ठाय नमः। रुद्राय नमः। कालाय नमः। कलविकरणाय नमः। बलविकरणाय नमः। बलाय नमः। बलप्रमथनाथाय नमः। सर्वभूतदमनाय नमः। मनोन्मनाय नमः॥ सद्योजातं प्रपद्यामि। सद्योजाताय वै नमो नमः। भवे भवे नाति भवे। भवस्व मां। भवोद्भवाय नमः॥ नमः सायं। नमः प्रातः। नमो रात्र्यै। नमो दिवा। भवाय च शर्वाय च। अभाभ्यामकरं नमः॥ यस्य नि:श्वसितं वेदा। यो वेदेभ्यः अखिलं जगत्। निर्ममे तमहं वन्दे। विद्यातीर्थ महेश्वरम्॥ ॐ त्र्यम्बकं यजामहे। सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान्। मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥ सर्वो वै रुद्रः तस्मै रुद्राय नमो अस्तु। पुरुषो वै रुद्रः सन्महो नमो नमः॥ विश्वा भूतं भुवनं चित्रं। बहुधा जातं जायमानं च यत्। सर्वो ह्येष रुद्रः। तस्मै रुद्राय नमो अस्तु॥

रुद्राभिषेक के दौरान शिवलिंग पर क्या चढ़ाएं

रुद्राभिषेक के दोरान सिवलिंग पर विभिन्न पवित्र वस्तुएं चढ़ाई जाती हैं जो शिव जी को प्रिय होती हैं और जिनसे वे शीघ्र प्रसन्न होते हैं।शिवलिंग पर साफ जल, गंगा जल, दूध, दही, घी, और शहद अर्पित किया जाता है, जिसे पंचामृत कहा जाता है।

वहीं, शिवलिंग पर इत्र, बेलपत्र, शमी पत्र, धतूरा, और आकड़े के फूल भी अर्पित कर सकते हैं। इसके अलावा दौरान फल, फूल, पान, सुपारी, अक्षत (चावल), चंदन, धूप, दीप, कपूर, लौंग, इलायची और काला तिल जैसे अन्य पूजन सामग्री भी शिवलिंग पर चढ़ाई जाती हैं। इन सभी चीज़ों को श्रद्धा और भक्ति के साथ अर्पित कर सकते हैं।

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Published by Sri Mandir·July 2, 2025

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