क्या आप मानसिक शांति, करुणा और आध्यात्मिक उत्थान चाहते हैं? 15 मुखी रुद्राक्ष आपकी भावनात्मक और आध्यात्मिक ऊर्जा को संतुलित कर अद्भुत लाभ देता है। जानिए इसका रहस्य!
रुद्राक्ष भारतीय आध्यात्मिक परंपरा में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। यह केवल एक धार्मिक गहना नहीं, बल्कि एक शक्तिशाली ऊर्जा स्रोत भी है। इसमें भी 15 मुखी रुद्राक्ष विशेष महत्व रखता है, आइए इस लेख में जानते हैं विस्तार से इसके बारे में।
15 मुखी रुद्राक्ष एक दिव्य रुद्राक्ष है, जिसमें प्राकृतिक रूप से 15 स्पष्ट रेखाएं या मुख होते हैं। इसे भगवान पशुपतिनाथ (भगवान शिव के एक विशेष स्वरूप) से जोड़ा जाता है। इस रुद्राक्ष को धारण करने से व्यक्ति को अपनी इच्छाओं पर नियंत्रण प्राप्त होता है, जो आत्मज्ञान एवं आध्यात्मिक उन्नति की ओर ले जाता है।
आमतौर पर यह रुद्राक्ष नेपाल और इंडोनेशिया में पाया जाता है, लेकिन नेपाल में मिलने वाले रुद्राक्ष को अधिक प्रभावशाली और ऊर्जावान माना जाता है। यह अत्यंत दुर्लभ होता है और इसके प्रभावों के कारण इसे साधक, योगी और ऊँचे आध्यात्मिक स्तर पर पहुंचने की इच्छा रखने वाले लोग विशेष रूप से धारण करते हैं।
भगवान शिव, जो संहार और पुनर्जन्म के देवता माने जाते हैं, इस रुद्राक्ष के प्रमुख आराध्य हैं। यह रुद्राक्ष शिव के ‘पशुपति’ स्वरूप से संबंधित है, जो समस्त प्राणियों के स्वामी हैं और संसार के समस्त जीवों का कल्याण करते हैं। शास्त्रों में वर्णित है कि 15 मुखी रुद्राक्ष को धारण करने से व्यक्ति सांसारिक मोह-माया से ऊपर उठकर आत्मज्ञान प्राप्त करता है। यह व्यक्ति को लोभ, भय, क्रोध और मोह जैसी मानसिक ग्रंथियों से मुक्त करता है। शिवपुराण, पद्मपुराण और स्कंदपुराण में इसका विशेष उल्लेख मिलता है, जिसमें कहा गया है कि यह रुद्राक्ष विशेष रूप से जीवन की बाधाओं को दूर करने और मन को एकाग्रचित करने में सहायक होता है।
15 मुखी रुद्राक्ष मुख्य रूप से शनि और मंगल ग्रह से संबंधित होता है। यह शनि की कठोरता को नियंत्रित करता है और मंगल की ऊर्जा को संतुलित करता है। यह उन लोगों के लिए विशेष रूप से लाभकारी होता है जिनकी कुंडली में शनि की साढ़े साती, ढैया या मंगल दोष मौजूद हो। इसे धारण करने से व्यक्ति को ग्रहों की प्रतिकूलता से बचाव मिलता है और जीवन में स्थिरता आती है।
यह चिंता, तनाव और मानसिक अस्थिरता को दूर करता है।
अनावश्यक भय, भ्रम और नकारात्मक विचारों से रक्षा करता है।
आत्म-नियंत्रण और इच्छाशक्ति को मजबूत करता है, जिससे व्यक्ति सही निर्णय लेने में सक्षम होता है।
यह साधकों और योगियों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होता है क्योंकि यह कुंडलिनी शक्ति को जागृत करने में सहायक होता है।
ध्यान एवं साधना में गहरी एकाग्रता प्रदान करता है।
इसे धारण करने से व्यक्ति को गहरे आध्यात्मिक अनुभव होते हैं और वह आत्म-साक्षात्कार की ओर बढ़ता है।
इसे धारण करने से व्यक्ति की निर्णय लेने की क्षमता बढ़ती है, जिससे व्यापार में उन्नति होती है।
धन प्राप्ति और वित्तीय स्थिरता लाने में सहायक होता है।
करियर में सफलता प्राप्त करने और नेतृत्व क्षमता को विकसित करने में मदद करता है।
यह हृदय रोगों, उच्च रक्तचाप और तंत्रिका तंत्र को संतुलित करने में सहायक होता है।
जो लोग अनिद्रा और सिरदर्द जैसी समस्याओं से परेशान रहते हैं, उन्हें इसे धारण करने से राहत मिलती है।
यह शरीर की ऊर्जा को संतुलित करता है और प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करता है।
15 मुखी रुद्राक्ष को धारण करने से पहले इसकी सही विधि का पालन करना अत्यंत आवश्यक है। यदि इसे अशुद्ध या गलत तरीके से धारण किया जाए तो इसका पूर्ण प्रभाव प्राप्त नहीं होता।
इसे धारण करने का सबसे शुभ दिन शनिवार या मंगलवार होता है।
धारण करने से पहले स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
शिवलिंग पर गंगाजल और कच्चे दूध से अभिषेक करें।
रुद्राक्ष को गंगाजल, गौमूत्र या शुद्ध जल में डुबोकर शुद्ध करें।
धारण करने से पहले 108 बार “ॐ नमः शिवाय” या “ॐ पशुपतये नमः” मंत्र का जाप करें।
इसे चांदी, सोने या लाल धागे में गले या हाथ में धारण करें।
15 मुखी रुद्राक्ष की प्रामाणिकता सुनिश्चित करना अत्यंत आवश्यक है क्योंकि बाजार में कई नकली रुद्राक्ष भी उपलब्ध होते हैं।
मुखों की स्पष्टता – असली 15 मुखी रुद्राक्ष में 15 समान रेखाएं होती हैं, जो एक स्पष्ट पहचान होती हैं।
जल परीक्षण – असली रुद्राक्ष पानी में डूब जाता है, जबकि नकली तैर सकता है।
चुंबकीय प्रभाव – असली रुद्राक्ष में एक प्राकृतिक ऊर्जा प्रवाह होता है, जिसे महसूस किया जा सकता है।
प्रामाणिक स्रोत से खरीदें – हमेशा प्रमाणित विक्रेता से खरीदें और उसके प्रमाण पत्र की जांच करें।
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