सुंदरकांड का नियमित 100 दिन तक पाठ करने से मिलने वाले आध्यात्मिक, मानसिक और भौतिक लाभों के बारे में जानें।
सुंदरकांड का लगातार पाठ करने से भक्तों को मानसिक शांति, आत्मविश्वास और सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है। यह हनुमान जी की भक्ति और शक्ति से जुड़ा है, जिससे जीवन की सभी बाधाएं दूर होती हैं। माना जाता है कि नियमित सुंदरकांड पाठ करने से नकारात्मक शक्तियां समाप्त होती हैं, रोग-शोक दूर होते हैं और घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा रचित रामचरितमानस का पांचवा अध्याय सुन्दरकांड है। इस अध्याय को सुंदर इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसमें हनुमानजी के पराक्रम, इनकी असीम भक्ति, और लंका दहन का वर्णन है। इसी अध्याय में वे माता सीता से अशोक वाटिका में भेंट करते हैं, जो अत्यंत सुंदर प्रसंग है। यह अध्याय जीवन में सकारात्मकता और ऊर्जा का संचार करता है, और भगवान श्रीराम और हनुमानजी की महिमा को प्रस्तुत करता है।
सुंदरकांड का पाठ बहुत धार्मिक महत्व है, लेकिन इसके लिए कुछ विशेष नियमों और सही विधि का पालन करना आवश्यक है। इन नियमों का पालन करने से पाठ का प्रभाव अधिक शुभ और फलदायक होता है।
सुंदरकांड हमें सिखाता है कि यदि हमारे मन में भगवान के प्रति सच्चा विश्वास, भक्ति और साहस है तो हम जीवन में बड़ी से बड़ी चुनौती का सामना कर सकते हैं। ऐसे ही अन्य धार्मिक जानकारियों के लिए श्री मंदिर के साथ। जय हनुमान!
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