हनुमान जी के कुल भाइयों की संख्या, उनके नाम और उनके परिवार से जुड़ी पौराणिक जानकारी।
हनुमान जी के कुल पाँच भाई थे, जिनके नाम मतिमान, श्रुतिमान, केतुमान, गतिमान और धृतिमान थे। यह जानकारी ब्रह्मांड पुराण और अन्य ग्रंथों में मिलती है। वे सभी वानर जाति के थे और अपनी वीरता व पराक्रम के लिए प्रसिद्ध थे।
भारतीय पौराणिक ग्रंथों में भगवान हनुमान जी को उनके अतुलनीय बल, भक्ति और समर्पण के लिए जगतगुरु के रूप में पूजा जाता है। उनके चरित्र में पराक्रम और सेवा का अनोखा संगम देखने को मिलता है।
भगवान राम और उनके भाइयों के शौर्य के बारे में सब जानते हैं, लेकिन श्री हनुमान जी के परिवार के बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। क्या आप जानते हैं कि श्री हनुमान जी के अतिरिक्त उनकी माता अंजनी और पिता केसरी के पांच और पुत्र भी थे? ये अद्वितीय व्यक्तित्व, जिन्हें हनुमान जी के भाई कहा जाता है, अपनी विशिष्टताओं के कारण भी पौराणिक इतिहास में विशेष स्थान रखते हैं। जहां रामचरितमानस जैसे महाग्रंथों में हनुमान जी का अद्भुत वर्णन मिलता है, वहीं ब्रह्मांड पुराण और अन्य प्राचीन ग्रंथों में उनके भाइयों के गुणों और उनकी महिमा का सजीव चित्रण किया गया है।
आइए, इस लेख में इन पांच महान विभूतियों के बारे में विस्तार से जानते हैं-
श्रुतिमान, अपने नाम के अनुरूप, वेदों के गहन ज्ञान से समृद्ध थे। उनकी प्रतिभा और विद्वत्ता अद्वितीय थी। वे ज्योतिष, साहित्य और खगोलविद्या में प्रवीण थे। वेदों की ध्वनि और रहस्यमयी सूक्तियों का उनका ज्ञान इतना विलक्षण था कि वे किसी भी गूढ़ समस्या का समाधान कर देते थे। उनकी उपस्थिति मात्र से ज्ञान का प्रकाश चारों ओर फैल जाता था।
गतिमान, अपने असाधारण वेग और तीव्रता के लिए प्रसिद्ध थे। उनकी गति अद्वितीय थी और किसी भी सीमा से परे थी। चाहे वह पर्वतों की चोटी हो या महासागरों की गहराई, वे हर स्थान पर शीघ्रता से पहुंचने में सक्षम थे। उनकी यह विशेषता उनके पराक्रम और साहस को और भी उजागर करती थी।
मतिमान, अपनी बुद्धिमत्ता और गहरी सोच के लिए विख्यात थे। वे महान कूटनीतिज्ञ थे और उनकी नीति पर कोई भी संशय नहीं कर सकता था। उनका मानसिक बल और विचारों की स्पष्टता हर समस्या को सुलझाने में सक्षम थी। वे अपने विवेक और नीतियों से असुरों के षड्यंत्रों को नष्ट करने में निपुण थे।
केतुमान, एक महान योद्धा थे, जो युद्ध कला में दक्षता के लिए प्रसिद्ध थे। वे विविध प्रकार के अस्त्र-शस्त्रों के ज्ञान और उनके कुशल संचालन में अद्वितीय थे। उन्होंने असुरों के साथ कई युद्ध किए और धर्म की रक्षा के लिए स्वयं को समर्पित किया। उनकी वीरता और पराक्रम का कोई सानी नहीं था।
हनुमान जी के सबसे छोटे भाई, धृतिमान, अपनी धैर्यशीलता और संकल्प शक्ति के लिए जाने जाते थे। वे हनुमान जी के अत्यंत प्रिय और लाडले थे। उनका स्वभाव सरल और मधुर था, परंतु आवश्यकता पड़ने पर वे अदम्य साहस और शौर्य का प्रदर्शन करते थे।
हनुमान जी के इन पांच भाइयों का व्यक्तित्व और गुण यह दर्शाते हैं कि उनके परिवार में प्रत्येक सदस्य विशिष्टता का प्रतीक था। माता अंजनी और पिता केसरी का यह वंश न केवल भक्ति और धर्म का अनुसरण करता था, बल्कि शक्ति, बुद्धि और धैर्य का भी अद्वितीय उदाहरण प्रस्तुत करता था।
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