त्रयोदशी का श्राद्ध 2025 कब है? यहां जानें इसकी सही तिथि, पूजा विधि और महत्व। इस दिन श्राद्ध करने से पितरों की कृपा मिलती है और परिवार में सुख-समृद्धि आती है।
त्रयोदशी श्राद्ध पितृपक्ष की त्रयोदशी तिथि को किया जाता है। इस दिन विशेष रूप से अल्पायु में दिवंगत हुए पितरों तथा संतान की मृत्यु से दुखी हुए लोगों के श्राद्ध का महत्व है। तर्पण, पिंडदान और दान करना शुभ माना जाता है।
त्रयोदशी श्राद्ध पितृ पक्ष के दौरान आने वाली एक महत्वपूर्ण तिथि है। पितृ पक्ष हिंदू धर्म में अपने पूर्वजों का श्राद्ध करने का एक विशेष समय होता है। इस दौरान, लोग अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए विभिन्न प्रकार के श्राद्ध कर्म करते हैं। त्रयोदशी तिथि पर भी श्राद्ध किया जाता है
त्रयोदशी श्राद्ध, दिवंगत पूर्वजों को याद करने और उन्हें श्रद्धांजलि देने का एक पवित्र अवसर है। यह श्राद्ध, पितृ पक्ष में आश्विन कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को किया जाता है। त्रयोदशी श्राद्ध, मृत बच्चों के लिए भी शुभ माना जाता है। अगर बच्चे की मृत्यु तिथि का पता न हो, तो त्रयोदशी को ही श्राद्ध किया जा सकता है। त्रयोदशी श्राद्ध, शुक्ल पक्ष या कृष्ण पक्ष दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि को किया जा सकता है। त्रयोदशी श्राद्ध के लिए, पंचांग में अभिजीत मुहूर्त देखकर श्राद्ध करना चाहिए।
पितृ पक्ष की तिथियां हर साल बदलती रहती हैं। इस साल पितृ पक्ष में त्रयोदशी तिथि का श्राद्ध सितंबर 19, 2025 (शुक्रवार) को किया जाएगा। इस दिन पितरों का तर्पण किया जाता है। ब्राह्मणों को भोजन कराया जाता है और उन्हें दान दिया जाता है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, त्रयोदशी तिथि का विशेष महत्व होता है। यह तिथि चंद्रमा की स्थिति से जुड़ी होती है और माना जाता है कि चंद्रमा का प्रभाव पितृ लोक पर होता है। इसलिए, इस दिन पितृ देवों को समर्पित करके उनका आशीर्वाद प्राप्त किया जा सकता है। अलग-अलग स्थानों पर त्रयोदशी श्राद्ध तिथि को अलग-अलग नामों से भी जाना जाता है। गुजरात की तरह इसे काकबली और बलभोलनी तेरस के नाम से भी जाना जाता है। कई स्थानों पर इसे तेरस श्राद्ध भी कहा जाता है।
मृत बच्चों का श्राद्ध करने के लिए त्रयोदशी तिथि शुभ मानी जाती है। हालांकि, पितृ पक्ष में केवल शिशु की मृत्यु तिथि पर ही श्राद्ध किया जाता है, लेकिन यदि तिथि ज्ञात न हो तो त्रयोदशी के दिन पूरे विधि-विधान से श्राद्ध किया जा सकता है। इस तिथि पर किए गए श्राद्ध से बच्चों की मृत आत्माओं को शांति मिलती है।
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