पितृ पक्ष में संतान सुख पाने के उपाय
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पितृ पक्ष में संतान सुख पाने के उपाय

क्या आप जानते हैं पितृ पक्ष में किए गए विशेष उपायों से संतान प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होता है? जानें पितरों को प्रसन्न करने और संतान सुख पाने के उपाय।

पितृ पक्ष के बारे में

पितृ पक्ष हिंदू धर्म में पूर्वजों को समर्पित एक विशेष काल है, जिसमें श्रद्धा और भक्ति के साथ तर्पण, पिंड दान और श्राद्ध किए जाते हैं। माना जाता है कि इस अवधि में पितरों की आत्माएं अपने वंशजों से आशीर्वाद और तृप्ति की अपेक्षा करती हैं। इस लेख में जानिए पितृ पक्ष का महत्व, इससे जुड़ी धार्मिक मान्यताएं और इसे मनाने की विशेष परंपराएं।

पितृ पक्ष: संतान सुख और पितरों का गहरा संबंध

हिंदू धर्म में, संतान को वंश की निरंतरता और परिवार की परंपरा को आगे बढ़ाने का प्रतीक माना गया है। शास्त्रों के अनुसार, संतान सुख सीधे हमारे दिवंगत पूर्वजों, जिन्हें पितृ कहा जाता है, के आशीर्वाद से जुड़ा है। यह माना जाता है कि यदि पितर संतुष्ट हों, तो वे अपने वंशजों को संतान का आशीर्वाद देते हैं। इसके विपरीत, यदि वे असंतुष्ट हों, तो यह पितृ दोष का कारण बन सकता है, जिससे संतान प्राप्ति में बाधाएँ आती हैं।

पितृ पक्ष, जो 16 दिनों की एक पवित्र अवधि है, को इसी पितृ ऋण को चुकाने और पितरों को प्रसन्न करने का सबसे उत्तम समय माना जाता है।

शास्त्रों के अनुसार पितृ और संतान का संबंध

धर्म ग्रंथों में यह स्पष्ट रूप से कहा गया है कि संतान सुख का संबंध पितरों के आशीर्वाद से है। जब एक व्यक्ति इस संसार से विदा लेता है, तो उसकी आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध और तर्पण जैसे कर्मकांड किए जाते हैं। यदि ये कर्म विधिपूर्वक न किए जाएँ, तो आत्मा अतृप्त रह जाती है और अपने वंशजों को आशीर्वाद नहीं दे पाती।

  • पितृ ऋण: हमारे पूर्वज हमें जीवन और संस्कार देते हैं, जिसके कारण हम उनके ऋणी होते हैं। इस ऋण को पितृ ऋण कहते हैं। संतान को जन्म देना और उनका पालन-पोषण करना पितृ ऋण चुकाने का एक तरीका है।

  • पितृ दोष: यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में पितृ दोष हो, तो उसे संतान प्राप्ति में बाधाएँ, गर्भपात, या अन्य संतान संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। यह दोष पितरों के असंतुष्ट होने से उत्पन्न होता है।

  • आशीर्वाद की प्राप्ति: जब पितृ पक्ष में श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान जैसे कर्म पूरी श्रद्धा के साथ किए जाते हैं, तो पितर संतुष्ट होते हैं। उनकी आत्मा को शांति मिलती है और वे अपने वंशजों को सुख, समृद्धि और सबसे महत्वपूर्ण, संतान सुख का आशीर्वाद देते हैं।

पितृ पक्ष में संतान सुख पाने के उपाय

जिन दंपतियों को संतान सुख में बाधाएँ आ रही हैं, उन्हें पितृ पक्ष के दौरान कुछ विशेष उपाय करने चाहिए। ये उपाय पितृ दोष को दूर कर पितरों को प्रसन्न करने में सहायक होते हैं:

  • नियमित श्राद्ध और तर्पण: पितृ पक्ष में अपने दिवंगत पूर्वजों की मृत्यु तिथि पर श्रद्धापूर्वक श्राद्ध और तर्पण करें। यदि मृत्यु तिथि ज्ञात न हो, तो सर्वपितृ अमावस्या पर श्राद्ध करना चाहिए।
  • काले तिल का उपयोग: तर्पण करते समय जल में काले तिल और जौ मिलाकर अर्पित करें। तिल पितरों को बहुत प्रिय होते हैं और उन्हें अर्पित करने से वे शीघ्र प्रसन्न होते हैं।
  • पिंडदान: श्राद्ध कर्म में पिंडदान अवश्य करें। आटे, चावल और तिल से पिंड बनाकर उन्हें गाय, कौवे और कुत्तों को खिलाना शुभ माना जाता है।
  • गया जी में पिंडदान: बिहार के गया जी को पिंडदान के लिए सबसे पवित्र स्थान माना जाता है। यदि संभव हो, तो पितृ पक्ष में गया जाकर पिंडदान करें। यह पितृ दोष से मुक्ति का सबसे प्रभावी उपाय माना जाता है।
  • पवित्र वृक्षों का पूजन: इस दौरान पीपल या बरगद के पेड़ के नीचे जाकर जल अर्पित करें, क्योंकि इन पेड़ों को पितरों का वास माना जाता है।
  • गरीबों को दान: पितृ पक्ष में गरीबों, जरूरतमंदों और ब्राह्मणों को अन्न, वस्त्र और धन का दान करना अत्यंत पुण्यकारी माना गया है।

पितृ पक्ष में किए जाने वाले पूजन और मंत्र

पितृ पक्ष में कुछ विशेष मंत्रों का जाप और पूजन करने से पितर प्रसन्न होते हैं और संतान सुख का आशीर्वाद देते हैं:

  • पितृ गायत्री मंत्र: इस मंत्र का जाप पितरों को शांति प्रदान करता है और उनकी कृपा प्राप्त करने में सहायक है। मंत्र है: “ॐ पितृगणाय विद्महे जगद्धारिण्ये धीमहि तन्नो पितृ प्रचोदयात्।”
  • भगवद् गीता का पाठ: पितृ पक्ष में भगवद् गीता के सातवें अध्याय का पाठ करना बहुत शुभ माना जाता है। इससे पितरों की आत्मा को शांति मिलती है।
  • गजेन्द्र मोक्ष स्तोत्र: इस स्तोत्र का पाठ करने से पितरों को मोक्ष प्राप्त होता है।
  • विष्णु सहस्रनाम: भगवान विष्णु को पितरों का स्वामी माना गया है। विष्णु सहस्रनाम का पाठ करने से पितर संतुष्ट होते हैं।
  • सात्विक भोजन: श्राद्ध के दौरान घर में केवल सात्विक भोजन ही बनाया जाना चाहिए, जिसमें लहसुन और प्याज का प्रयोग न हो।

निष्कर्ष

संतान सुख और पितरों का संबंध सिर्फ एक धार्मिक मान्यता नहीं, बल्कि यह हमारे जीवन की जड़ों से जुड़ा है। पितृ पक्ष हमें अपने पूर्वजों के प्रति अपने कर्तव्यों का स्मरण कराता है। श्रद्धापूर्वक किया गया श्राद्ध और तर्पण न केवल पितरों की आत्मा को शांति देता है, बल्कि उनके आशीर्वाद से व्यक्ति के जीवन में संतान सुख, समृद्धि और शांति भी आती है। यह परंपरा हमें यह सिखाती है कि हमारी जड़ें हमारे पूर्वजों से जुड़ी हैं, और उनके सम्मान से ही हमारा जीवन पूर्ण हो सकता है।

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Published by Sri Mandir·August 27, 2025

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