पितृ पक्ष में श्राद्ध और तर्पण करते समय किन नियमों का पालन करें और किन गलतियों से बचें? जानें क्या करें और क्या न करें ताकि पितृ प्रसन्न होकर आशीर्वाद दें।
पितृ पक्ष हिंदू धर्म में पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दौरान श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान करना शुभ माना जाता है। वहीं, कुछ कार्य ऐसे हैं जिनसे इस अवधि में बचना चाहिए। इस लेख में जानिए पितृ पक्ष में क्या करें और किन कार्यों को करने से बचना चाहिए।
पितृ पक्ष (श्राद्ध पक्ष) हिन्दू धर्म में पूर्वजों की आत्मा की शांति और मोक्ष के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण समय माना जाता है। इस दौरान पितरों को तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध के जरिए याद किया जाता है। मान्यता है कि इस समय किए गए कर्मों से पितर प्रसन्न होते हैं और आशीर्वाद देते हैं।
तर्पण और पिंडदान
नदी, तालाब या घर पर तर्पण (जल अर्पण) करें। पिंडदान में तिल, चावल, जौ और जल का विशेष महत्व है।
श्राद्ध कर्म
पंडित या परिवार के बुजुर्ग के मार्गदर्शन में श्राद्ध करें। श्राद्ध के दिन ब्राह्मण या गरीब व्यक्ति को भोजन कराना और दान देना श्रेष्ठ माना जाता है।
पितरों के लिए भोजन अर्पण
अपने घर में पितरों के नाम से खीर, पूरी, सब्जी, दाल और मौसमी फल बनाकर अर्पित करें। यह भोजन बाद में जरूरतमंद या गाय-कौवे-कुत्ते को खिलाया जाता है।
दान-पुण्य
जरूरतमंदों को वस्त्र, अन्न, और धन का दान करें। गौ, कौवा, कुत्ते और चींटियों को भोजन देना भी पुण्यकारी है।
नियम और संयम
इस दौरान सात्विक भोजन करें। किसी का अपमान, झूठ बोलना, मांस-मद्य का सेवन, और तामसिक आचरण से बचें।
पितरों का स्मरण
रोज़ अपने पितरों को याद करके दीपक जलाएं और मन में उनके प्रति कृतज्ञता प्रकट करें। ‘ॐ पितृभ्यः स्वधा’ का जाप करना शुभ माना जाता है।
मांस-मद्य का सेवन
मांसाहार, शराब, सिगरेट, नशा आदि से दूर रहें। तामसिक भोजन जैसे लहसुन-प्याज, अत्यधिक मसालेदार और बासी भोजन वर्जित है।
किसी का अपमान न करें
बुजुर्गों, महिलाओं और जरूरतमंदों का अपमान पितरों का अपमान माना जाता है। गाली-गलौज और क्रोध से बचें।
पेड़-पौधों को न काटें
इस अवधि में वृक्ष, पौधे या तुलसी को काटना अशुभ माना गया है।
घर में शुभ कार्य न करें
विवाह, सगाई, गृह प्रवेश, नामकरण या कोई बड़ा शुभ कार्य इस समय नहीं किया जाता। नया घर, गाड़ी या अन्य कोई बड़ी खरीदारी भी टाली जाती है।
पितरों के भोजन का अनादर न करें
श्राद्ध के लिए बनाए भोजन को जमीन पर गिराना, अपवित्र करना या अनदेखा करना अशुभ है। पितरों के नाम का भोजन हमेशा श्रद्धा से अर्पित करना चाहिए।
झूठ और अन्याय से बचें
झूठ बोलना, छल करना और किसी का हक मारना पाप माना जाता है।
बाल-दाढ़ी न बनवाएं (श्राद्ध करने वाले)
श्राद्ध करने वाले व्यक्ति को पितृ पक्ष में दाढ़ी-मूंछ और बाल कटवाने से बचना चाहिए।
व्रत और पूजा में लापरवाही न करें
पितरों के स्मरण और तर्पण में लापरवाही करना उचित नहीं है। स्नान और स्वच्छता का ध्यान रखना आवश्यक है।
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