पितृ पक्ष में गाय को भोजन कराना क्यों शुभ है?
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पितृ पक्ष में गाय को भोजन कराना क्यों शुभ है?

क्या आप जानते हैं पितृ पक्ष में गाय को भोजन कराने का महत्व क्या है? जानें शास्त्रीय मान्यता, धार्मिक कारण और पितरों को प्रसन्न करने में इसके लाभ।

गाय को भोजन कराने के बारे में

पितृ पक्ष के दिनों में गाय को भोजन कराना बहुत ही शुभ और पुण्यदायी कार्य माना गया है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, गौ माता को देवताओं का निवास स्थान कहा गया है। जब पितरों के लिए अन्न अर्पित किया जाता है, तो उसका प्रथम भाग गौ माता को समर्पित करना श्रेष्ठ माना जाता है। ऐसा विश्वास है कि गाय के माध्यम से अर्पित भोजन सीधे पितरों तक पहुँचता है और वे तृप्त होकर अपने वंशजों को आशीर्वाद देते हैं।

पितृ पक्ष में गाय को भोजन कराने का महत्व

पितृ पक्ष के समय पितरों की आत्मा की शांति और उनके आशीर्वाद की प्राप्ति के लिए दान, पूजा और तर्पण का विशेष महत्व होता है। इन्हीं कार्यों में से एक सबसे प्रमुख कार्य है गाय को भोजन कराना।

  • धार्मिक मान्यता है कि गौ माता में सभी देवताओं का वास होता है। इसलिए जब उन्हें भोजन अर्पित किया जाता है, तो उसका फल सीधे पितरों और देवताओं तक पहुँचता है।
  • कहा जाता है कि गाय को खिलाया गया अन्न पितरों तक तुरंत पहुँचता है, जिससे वे संतुष्ट होकर अपने वंशजों को सुख, समृद्धि और दीर्घायु का आशीर्वाद देते हैं।
  • इस समय गाय को अन्न खिलाने से पितृ ऋण से मुक्ति मिलती है और पूर्वजों की आत्मा को शांति प्राप्त होती है।
  • गौ सेवा को शास्त्रों में सबसे श्रेष्ठ दान बताया गया है, क्योंकि गाय का संबंध सीधे धरती, धर्म और दिव्यता से जुड़ा हुआ है।
  • ऐसा माना जाता है कि पितृ पक्ष में श्रद्धापूर्वक गाय को भोजन कराने से घर में सकारात्मक ऊर्जा, शांति और समृद्धि का वास होता है।

पितृ पक्ष में गाय को क्या भोजन कराना चाहिए?

पितृ पक्ष के समय गाय को भोजन कराना बहुत ही पुण्यदायी कार्य माना गया है। शास्त्रों में बताया गया है कि गाय को अर्पित अन्न सीधे पितरों तक पहुँचता है और वे संतुष्ट होकर आशीर्वाद देते हैं। आइए विस्तार से जानते हैं कि इस अवधि में गाय को क्या-क्या खिलाना चाहिए।

1. अन्न और अनाज

  • कच्चा या पका चावल, गेहूँ का आटा, दलिया या आटा मिलाकर बने लड्डू गाय को अर्पित करना उत्तम है।
  • इससे पितरों की आत्मा प्रसन्न होती है और घर में अन्न-समृद्धि बनी रहती है।

2. हरी घास और दूब

  • ताज़ा हरा चारा और दूब घास गाय को विशेष प्रिय है।
  • दूब भगवान गणेश को भी अर्पित की जाती है, इसलिए यह पितृ पक्ष में और भी शुभ मानी जाती है।
  • इससे घर-परिवार में शांति और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

3.गुड़-चना

  • गुड़ और चने का जोड़ा गाय को खिलाना सबसे शुभ माना जाता है।
  • यह पितरों तक तृप्ति पहुँचाने के साथ ही संतान पर पितृ दोष का प्रभाव कम करने में सहायक होता है।

4. फल और सब्ज़ियां

  • केला, गाजर, कद्दू, लौकी और हरी सब्ज़ियाँ गाय को खिलाई जा सकती हैं।
  • इससे पितरों को संतोष मिलता है और घर में सेहत व सुख बना रहता है।

5. मीठा भोजन

  • खीर, शक्कर वाला दलिया या कोई मीठा अन्न भी अर्पित किया जा सकता है।
  • यह पितरों के प्रति श्रद्धा और प्रेम का प्रतीक माना जाता है और घर में सौभाग्य बढ़ाता है।

गाय को भोजन कराने से प्राप्त लाभ

गाय को अन्न अर्पित करना शास्त्रों में सबसे पुण्यकारी कार्यों में से एक बताया गया है। यह केवल धार्मिक दृष्टि से ही नहीं बल्कि आध्यात्मिक और पारिवारिक सुख-शांति के लिए भी अत्यंत लाभकारी माना गया है।

1. पितरों की तृप्ति

  • श्रद्धा से गाय को भोजन देने पर वह अन्न पितरों तक पहुँचता है और वे प्रसन्न होकर आशीर्वाद प्रदान करते हैं।

2. असीम पुण्य की प्राप्ति

  • शास्त्रों में गौ-सेवा को श्रेष्ठ दान कहा गया है।
  • गाय को भोजन कराने से व्यक्ति को कई यज्ञ और दान के बराबर पुण्य मिलता है।

3. पितृ दोष का निवारण

  • जिन लोगों की कुंडली में पितृ दोष होता है, उनके लिए यह उपाय अत्यंत शुभ है।
  • इससे दोष का असर कम होता है और जीवन में शांति आती है।

4. अन्न-धन की वृद्धि

  • मान्यता है कि गाय को अन्न अर्पित करने वाले घर में कभी अन्न और धन की कमी नहीं होती।
  • इससे समृद्धि और सम्पन्नता बनी रहती है।

5. सकारात्मक ऊर्जा

  • गाय को भोजन कराने से वातावरण पवित्र और ऊर्जावान होता है।
  • नकारात्मक शक्तियाँ दूर होकर घर-परिवार में शांति आती है।

6. दिव्य कृपा

  • गौ माता को देवताओं का निवास स्थान माना गया है।
  • इसलिए उन्हें भोजन कराना देवताओं की कृपा प्राप्त करने का माध्यम बनता है।

7. दीर्घायु और स्वास्थ्य लाभ

  • विश्वास है कि नियमित रूप से गाय को भोजन करने वाले व्यक्ति और उसका परिवार दीर्घायु और अच्छे स्वास्थ्य का लाभ पाते हैं।

गाय को भोजन कराते समय नियम

गाय को भोजन कराना तभी फलदायी होता है जब यह सही विधि और श्रद्धा से किया जाए। शास्त्रों और परंपराओं में इसके लिए कुछ नियम बताए गए हैं, जिनका ध्यान रखना आवश्यक है।

1. श्रद्धा और पवित्र मन

  • गाय को भोजन देते समय मन शुद्ध और भावनाएँ सकारात्मक होनी चाहिए।
  • बिना श्रद्धा के किया गया कार्य अधूरा माना जाता है।

2. उचित समय

  • सूर्योदय के बाद सुबह या दोपहर का समय भोजन कराना श्रेष्ठ माना गया है।
  • रात या देर शाम को भोजन देना उचित नहीं होता।

3. सात्विक और ताज़ा भोजन

  • केवल ताज़ा, शुद्ध और सात्विक भोजन ही गाय को दें।
  • बासी, गंदा, नमक, प्याज, लहसुन या मसाले वाला भोजन कभी न खिलाएँ।

4. स्वच्छता का ध्यान

  • भोजन पॉलीथिन या गंदगी के साथ न दें।
  • साफ बर्तन में या सीधे हाथ से ही अर्पित करें।

5. पवित्र स्थान

  • भोजन जिस स्थान पर कराया जा रहा है, वह स्वच्छ और शुद्ध होना चाहिए।
  • चाहें तो पहले जल छिड़ककर स्थान को पवित्र कर लें।

6. पितरों का स्मरण

  • विशेषकर पितृ पक्ष में गाय को खिलाते समय पितरों को याद करें।
  • मन ही मन उनके आशीर्वाद की प्रार्थना करें।

7. उचित अन्न और दान सामग्री

  • चावल, आटा, गुड़-चना, दूब घास, हरी सब्ज़ियाँ और मीठा अन्न देना श्रेष्ठ माना गया है।
  • तैलीय या तला-भुना भोजन न दें।

8. गाय के प्रति आदर

  • गाय को हमेशा सम्मान और दुलार से पुकारें।
  • उन्हें कभी डराएँ या मारें नहीं।

निष्कर्ष

गाय को अन्न अर्पित करना तभी शुभ परिणाम देता है जब यह सच्चे मन, शुद्ध भोजन और परंपरागत विधियों के अनुसार किया जाए। इस प्रकार करने से पूर्वज संतुष्ट होते हैं, पुण्य की प्राप्ति होती है और परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है।

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Published by Sri Mandir·September 4, 2025

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