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पिंड दान

क्या आप जानते हैं पिंड दान क्यों किया जाता है? जानें इसकी विधि, महत्व और लाभ, साथ ही पिंड दान के लिए पवित्र तीर्थ स्थलों का महत्व।

पिंड दान के बारे में

पिंड दान हिंदू धर्म में एक अत्यंत महत्वपूर्ण अनुष्ठान है, जो विशेष रूप से पितृ पक्ष में किया जाता है। इसमें चावल, तिल, जौ और घी से बने छोटे-छोटे पिंड पितरों को अर्पित किए जाते हैं। "पिंड" को शरीर और जीवन का प्रतीक माना जाता है। इस विधि से पूर्वजों की आत्मा को शांति, संतोष और तृप्ति प्राप्त होती है। माना जाता है कि पिंड दान से पितृ प्रसन्न होकर अपने वंशजों को आशीर्वाद देते हैं और परिवार में सुख-समृद्धि का मार्ग प्रशस्त होता है। इस लेख में जानिए पिंड दान का महत्व, इसकी विधि और इससे जुड़ी धार्मिक मान्यताएं।

पिंड दान क्या है?

पिंड दान हिंदू धर्म की एक महत्वपूर्ण पितृ कर्मकांड विधि है। हिंदू धर्म में मृत पूर्वजों को श्रद्धांजलि देने के लिए चावल या जौ से बने गोलाकार पिंड (भोजन के गोले) अर्पित किए जाते हैं। ‘पिंड’ का अर्थ है आटे, चावल या जौ से बने छोटे गोल आकार के लड्डू जैसे गोले, जिन्हें तिल और घी मिलाकर बनाया जाता है। ‘दान’ का अर्थ है समर्पण। इस अनुष्ठान का मुख्य उद्देश्य पितरों की आत्मा को शांति और मोक्ष दिलाना है, ताकि वे मृत्युलोक की आगे की यात्रा सफलतापूर्वक कर सकें और भूत-प्रेत योनि से मुक्ति पा सकें। यह क्रिया विशेष रूप से पितृ पक्ष के दौरान की जाती है, लेकिन इसे किसी भी पवित्र नदी तट, जैसे गया में भी किया जा सकता है।

पितृ पक्ष में पिंड दान का महत्व

पितृ पक्ष में पिंडदान का महत्व यह है कि यह मृत पूर्वजों की आत्मा को शांति और मोक्ष प्रदान करता है, पितृ ऋण से मुक्ति दिलाता है, और परिवार में समृद्धि, स्वास्थ्य व सफलता लाता है। पिंडदान के माध्यम से पूर्वज भौतिकवादी भावनाओं से मुक्त होते हैं और पृथ्वी पर उनके भटकने का कष्ट समाप्त होता है। यह एक श्रद्धांजलि और सम्मान का कर्म है जिससे दिवंगत आत्मा को आशीर्वाद मिलता है और उनका परलोक गमन सुगम होता है। पिंडदान करने वाले परिवार को पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जिससे उनके जीवन में सफलता, शांति, और समृद्धि आती है। पिंडदान से आत्माओं को नरक की यातनाओं से मुक्ति मिलती है और वे संतुष्टि प्राप्त करती हैं। गरुड़ पुराण के अनुसार, देवताओं को प्रसन्न करने से अधिक महत्वपूर्ण पितरों को प्रसन्न करना होता है।

पिंड दान करने की विधि

  • स्नान करके सफेद रंग के साफ कपड़े पहनें।
  • जौ के आटे या खोए को दूध और तिल के साथ मिलाकर पिंड बना लें।
  • चावल, फूल, चंदन, मिठाई, फल, अगरबत्ती, तिल, जौ, दही, कच्चा सूत आदि से पूजन सामग्री तैयार करें।
  • एक साफ स्थान पर पितरों की तस्वीर या प्रतिमा स्थापित करें और उन्हें जल अर्पित करें।
  • पिंडों को हाथ में लेकर "इदं पिण्ड (पितर का नाम लें) तेभ्य: स्वधा" मंत्र का जाप करें।
  • इसके बाद अंगूठे और तर्जनी उंगली के बीच से पिंड को छोड़ें।
  • कम से कम तीन पीढ़ी के पितरों के लिए यह प्रक्रिया दोहराएं।
  • पूजन के बाद पितरों की आराधना करें।
  • पिंड को उठाकर जल में प्रवाहित कर दें।
  • पिंडदान के बाद ब्राह्मणों को भोजन कराएं और दक्षिणा दें।

पिंड दान में क्या ना करें?

  • मांस, अंडे, लहसुन और प्याज का सेवन वर्जित है।
  • शराब या किसी भी मादक पदार्थ से दूर रहना चाहिए।
  • इस दौरान नए कपड़े, जूते और सोना-चांदी खरीदना अशुभ माना जाता है।
  • बाल कटवाने, नाखून काटने और शेविंग से बचना चाहिए।
  • विवाह, सगाई या अन्य शुभ कार्य नहीं करने चाहिए।
  • किसी के साथ गलत व्यवहार या अपमानजनक बातें नहीं करनी चाहिए।
  • शरीर और मन को शुद्ध रखना चाहिए, जिसके लिए स्नान और साफ कपड़े पहनना जरूरी है।

पिंड दान करने के लाभ

पिंड दान करने से पितरों की आत्मा को शांति और मोक्ष मिलता है, परिवार में सुख-समृद्धि आती है और 21 पीढ़ियों का उद्धार होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यह अनुष्ठान पितृ दोष को दूर करता है और व्यक्ति को आध्यात्मिक पुण्य प्रदान करता है, जिससे जीवन में खुशहाली और सफलता मिलती है।

  • पिंडदान का मुख्य उद्देश्य पितरों की आत्मा को शांति प्रदान करना है, ताकि वे अगले जन्म के लिए मुक्त हो सकें और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति हो।
  • गया जैसे पवित्र स्थानों पर पिंडदान करने से न केवल मृतक व्यक्ति बल्कि उसकी 21 पीढ़ियों का भी उद्धार होता है।
  • यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में पितृ दोष है, तो पिंडदान करने से वह दोष दूर हो जाता है।
  • पिंडदान से व्यक्ति को पुण्य मिलता है, जिससे उसके जीवन में सुख-समृद्धि और खुशहाली आती है।
  • पिंडदान करने से मृत आत्मा को भूख-प्यास से मुक्ति मिलती है, क्योंकि उसे भोजन और जल के रूप में पिंड मिलते हैं, जिससे वह संतुष्ट होती है।
  • कुछ मान्यताओं के अनुसार, पितरों को संतुष्ट करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और परिवार में खुशहाली आती है।
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Published by Sri Mandir·September 19, 2025

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