पंचमी का श्राद्ध 2025 कब है? यहां जानें इसकी सही तिथि, पूजा विधि और महत्व। श्राद्ध से पितरों की कृपा पाकर जीवन में सुख-समृद्धि और शांति प्राप्त करें।
पंचमी श्राद्ध भाद्रपद शुक्ल पंचमी तिथि को किया जाता है। इस दिन उन पितरों का तर्पण और पिंडदान किया जाता है जिनका निधन पंचमी तिथि को हुआ हो। यह श्राद्ध पितरों की आत्मा की शांति और मोक्ष हेतु विशेष महत्व रखता है।
8 सितंबर से पितृ पक्ष की शुरुवात हो चुकी है। मान्यता है हर साल पितृ पक्ष की अवधि में अपने वंशजों से मिलने पृथ्वीलोक आते हैं। ऐसे में जिस तिथि पर उनका स्वर्गवास हुआ हो, उसी तिथि पर उनका श्राद्ध करने का विधान है। इसी तरह जिन पूर्वजों की मृत्यु पंचमी तिथि पर हुई है, उनका श्राद्ध पंचमी तिथि पर किया जाता है। इसके अलावा अविवाहित मृतक पूर्वजों का भी श्राद्ध पंचमी तिथि पर करने का विधान है, इसलिए इसे ‘कुंवारा पंचमी’ कहा जाता है।
ब्रह्म पुराण में वर्णन मिलता है कि किसी भी व्यक्ति को सर्वप्रथम अपने पितरों को प्रसन्न करने का प्रयास करना चाहिए, और उनकी पूजा करनी चाहिए। माना जाता है कि यदि पितृ प्रसन्न होते हैं, तो भगवान स्वयं भी अपनी कृपा आप पर बनाए रखते हैं। यही कारण है कि पितृपक्ष के दौरान पितरों की आत्मा की शांति और उनका आशीर्वाद पाने के लिए श्राद्ध कर्म किए जाते हैं।
पितृ पक्ष का ‘पंचमी श्राद्ध’ उन पूर्वजों के लिए विशेष महत्वपूर्ण है जिनकी मृत्यु अविवाहित रहते हुई थी या फिर वे जातक जिनकी मृत्यु पंचमी तिथि पर हुई थी। मान्यता है कि पंचमी श्राद्ध से इन पितरों की आत्मा संतुष्ट होती है, और अपने वंशजों को सुखी संपन्न जीवन जीने का आशीर्वाद देती है।
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