माँ की साधना के लिए

माँ की साधना के लिए

नियम एवं महत्व जानें!


चैत्र नवरात्र कैसे करें साधना?

शास्त्रों के अनुसार नवरात्रि में माँ की साधना करने का सीधा अर्थ एकाग्र भाव से माँ का ध्यान एवं उपासना करना है। नवरात्रि साधना के विभिन्न प्रकार होते हैं, जिसमें से माँ दुर्गा की आध्यात्मिक और सात्विक साधना अत्यंत सरल और फलदायक होती है। इसलिए नवरात्रि के नौ दिनों में माँ की साधना विशेष कामनाओं की पूर्ति तथा सिद्धि प्राप्त करने के लिए की जाती है। जिसमें माँ का ध्यान, पूजा, मंत्र, पाठ आदि का जाप शामिल हैं।

माना जाता है, कि नवरात्रि में आदिशक्ति माँ दुर्गा की सात्विक साधना पूरी लगन एवं श्रद्धा से करने पर भक्तों के सभी मनोरथ सिद्ध होते हैं, और माँ दुर्गा की असीम कृपा से उनके रुके हुए कार्य भी संपन्न हो जाते हैं। अगर आप भी इस नवरात्रि पर माँ दुर्गा की भक्तिमय साधना करना चाहते हैं तो इस लेख को अंत तक अवश्य पढ़ें।

साधना का महत्व -

अपनी नवरात्रि को अधिक शुभ एवं फलकारी बनाने के लिए जब आप नौ दिन तक निरंतर देवी माँ की साधना अर्थात मंत्र-पाठ और जप-तप करते हैं तो आपकी सारी इन्द्रियां जागृत हो जाती हैं। इससे आपके भीतर स्फूर्ति का संचार होता है। यह प्रक्रिया आपके विचारों को स्वस्थ बनाती है, साथ ही माँ की आराधना के दौरान आपके मन को भटकने से भी बचाती है।

माना जाता है कि भक्तों को नवरात्रि में की गई साधना का मनवांछित फल अवश्य मिलता है। इसलिए नवरात्रि के दौरान दैनिक पूजा-अर्चना के साथ आध्यात्मिक साधना भी बेहद महत्वपूर्ण है। जिसमें माँ का ध्यान, पूजा, अनुष्ठान, मंत्र, पाठ आदि शामिल हैं। शास्त्रों में वर्णित है कि माँ भगवती के नौ स्वरूपों की साधना सभी संकटों से मुक्ति दिलाती हैं, और आपके जीवन में सुख, शान्ति और समृद्धि लाती है। विशेषकर नवरात्रि के नौ दिनों में माँ की साधना दुर्लभ कामनाओं की पूर्ति तथा सिद्धि प्राप्त करने के लिए की जाती है।

साधना के कुछ खास नियम -

  • नवरात्रि की साधना के दौरान साधक को भूलकर भी अपने बाल, नाखून और दाढ़ी आदि नहीं कटवाना चाहिए।
  • नवरात्रि के पावन नौ दिनों में शक्ति की साधना हमेशा पूर्व या फिर उत्तर दिशा की ओर मुख करके ही करना चाहिए।
  • साधक के लिए नियम के साथ उपवास रखना आवश्यक है।
  • गृहस्थ व्यक्ति को सात्विक और सामान्य साधना ही करनी चाहिए, जिसमें कलश स्थापना से लेकर कन्या पूजन एवं हवन आदि शामिल हैं।
  • नवरात्रि साधना में ब्रम्हचर्य का पालन करना बहुत जरूरी है।
  • साधना अथवा पूजा के स्थान को निश्चित करना आवश्यक है।
  • साधना के दौरान साधक को जमीन पर सोना चाहिए।
  • चमड़े की वस्तुओं का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
  • साधक को अपने तन-मन और विचारों को पूरी तरह शुद्ध और पवित्र रखना चाहिए।
  • साधना कैसे करें -
  • मातारानी के भक्त नवरात्रि के दौरान माता की साधना करके उन्हें प्रसन्न करने और उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए तमाम यत्न करते हैं। आप भी माँ की आराधना की इन विभिन्न विधियों के माध्यम से अपनी साधना को फलीभूत कर सकते हैं।

सप्तशती पाठ:

सप्तशती पाठ कैसे करें - दुर्गा सप्तशती का पाठ शुरू करने से पहले पुस्तक को लाल कपड़े पर रखकर उस पर अक्षत और फूल चढ़ाएं। पूजा करने के बाद ही किताब पढ़ना शुरू करें। नवरात्रि में दुर्गा सप्तशती के पाठ से पहले और बाद में नर्वाण मंत्र ''ओं ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाये विच्चे'' का जाप करना जरूरी होता है। नर्वाण मंत्र जाप की कम से कम एक माला अर्थात 108 बार जाप किया जाना चाहिए।

सप्तशती पाठ के नियम -

  • दुर्गा सप्तशती का पाठ करते समय भक्त को शुद्धता का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
  • दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से पहले स्नानादि करके स्वच्छ वस्त्र धारण करने चाहिए।
  • बैठने के लिए कुशा के आसन का प्रयोग करें। अगर आपके पास कुशा का आसन नहीं है तो ऊन के बने हुए आसन का प्रयोग कर सकते हैं।
  • पाठ शुरू करने से पहले गणेश जी एवं सभी देवगणों को प्रणाम करें। माथे पर चंदन या रोली का तिलक लगाएं।
  • लाल पुष्प, अक्षत एवं जल मां को अर्पित करते हुए पाठ का संकल्प लें।
  • मां दुर्गा का ध्यान करते हुए पाठ का आरंभ करें। इस तरह से मां दुर्गा सप्तशती का पाठ करने पर सभी मनोकामनाएं पूरी होती है।
  • दुर्गा सप्तशती का पाठ करते समय उच्चारण स्पष्ट होना चाहिए।
  • संपूर्ण पाठ को एक बार में ही पढ़ा जाना चाहिए। अर्थात पाठ बीच में अधूरा नहीं छोड़ना चाहिए।

मां दुर्गा की अष्टोत्तरशतनामावली का पाठ:

नवरात्रि की पूजा के दौरान यदि मां दुर्गा के 108 नामों का जाप किया जाए, तो मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं और अपने भक्तों को आशीर्वाद प्रदान करती हैं। लेकिन इन नामों को लेने से पहले कुछ जरूरी बातें जान लेना चाहिए। जैसे मां दुर्गा को स्वच्छता और नियम बहुत पसंद हैं इसलिए इन नामों का जाप करने से पहले स्वयं को शुद्ध करना बहुत आवश्यक माना गया है। पूजा के स्थान को गंगा जल से शुद्ध करने के बाद मां के नामों का जाप शुरु करना चाहिए।

नर्वाण मंत्र का जाप है सर्वोत्तम:

  • दुर्गा माता की आराधना बच्चे-बड़े सभी करते हैं। अनेक लोग तांत्रिक प्रयोग करते हैं, या कठिन साधनाएं करते हैं। पर आम गृहस्थ ऐसी साधनाओं से दूर रहे तो ही उचित है। ऐसी साधनाओं के लिए अनेक प्रतिबंधों का पालन करना पड़ता है विशेषकर बृह्मचर्य व्रत का, जोकि गृहस्थों के लिए संभव नहीं है। मां दुर्गा की कठिन साधना करने वाले को तो साधना के दौरान किसी महिला के संपर्क तक में आने की मनाही रहती है। दुर्गा देवी की आराधना के लिए सभी के लिए एक बेहद आसान मंत्र है जिसे नर्वाण मंत्र कहा जाता है।

यह मंत्र है -

  • ॐ ऐं ह्री क्लीं चामुण्डाय विच्चै। अनेक लोग केवल ऐं ह्री क्लीं चामुण्डाय विच्चै - इसे ही पूरा मंत्र मानते हैं, ॐ नहीं लगाते।
  • आप अपनी बुद्धि-विवेक के अनुसार इन दोनों में से किसी भी मंत्र का जाप कर सकते हैं। नवरात्र में इस मंत्र का अधिक से अधिक जाप करें।
  • आप देखेंगे कि माँ की कृपा से धीरे-धीरे आपका जीवन कैसे बदल रहा है।

मां दुर्गा के 1008 विलक्षण नामों का जाप:

मां दुर्गा के नाम मात्र से ही भक्तों का हर दुख दूर हो जाता है। आज हम आपको मां दुर्गा के 1008 नामों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसके जपने मात्र से ही हर मनोकामना पूरी होती है और नई ऊर्जा का संचार होता है। मां दुर्गा के ये 1008 नाम हर विपदा और संकट से भक्तों की रक्षा करते हैं।

मां दुर्गा के विशेष मंत्रों का जाप -

माना जाता है कि माता रानी के इन 1008 नामों के प्रतिदिन जाप से ऐश्वर्य और सफलता मिलती है, एवं सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। माता दुर्गा जी के इन नामों के जाप मात्र से जीवन में खुशहाली आ जाती है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार भी इस बार नवरात्रि के दिनों में ग्रह-नक्षत्रों का विशेष संयोग बन रहा है। इसीलिए नवरात्रि में मां दुर्गा के विशेष मंत्रों का जाप अत्यंत लाभदायी है। आइए जानते हैं माँ दुर्गा के 5 शक्तिशाली मंत्रों के बारे में।

धन प्राप्ति के लिए मंत्र -
“सर्वाबाधाविनिर्मुक्तो धनधान्यसुतान्वित:, मनुष्यो मत्प्रसादेन भविष्यति न संशय:' नवरात्रि में माँ दुर्गा के इस मंत्र के जाप से धन से जुड़ी समस्या का समाधान मिलता है”।

संकटों से छुटकारा पाने के लिए -
“शरणागतदीनार्तपरित्राणपरायणे, सर्वस्यार्तिहरे देवि नारायणि नमोऽस्तुते'. चैत्र नवरात्रि के दौरान इस मंत्र के जप से जीवन में आ रही तमाम समस्याएं दूर होती हैं”।

सौभाग्य और आरोग्य की प्राप्ति के लिए (स्त्रियों के लिए) - “देहि सौभाग्यमारोग्यं देहि मे परमं सुखम्, रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि'। धार्मिक मान्यता है कि नवरात्रि में इस मंत्र के जाप से रोग दूर होते हैं। साथ ही, सौभाग्य की प्राप्ति होती है”।

हर तरह के कल्याण के लिए - “सर्वमङ्गलमाङ्गल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके, शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोऽस्तु ते'. शुभ दिनों में इस मंत्र के जाप से हर तरह के कल्याण की प्राप्ति होती है”।

पसंदीदा जीवनसाथी के लिए (पुरुषों के लिए) -

“पत्नी मनोरमां देहि मनोवृत्तानुसारिणीम्, तारिणीं दुर्गसंसारसागरस्य कुलोद्भवाम्' मंत्र का जाप करने से मनचाहे जीवनसाथी की प्राप्ति होती है। साथ ही, दांपत्य जीवन से जुड़ी सभी समस्या खत्म हो जाती है”।

अंत में भक्तों के लिए माँ साधना का सबसे सरल माध्यम है - माँ का भजन-कीर्तन एवं जागरण

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार नवरात्र का अर्थ होता है नौ रातों का समूह। इन नौ रातों में नवदुर्गा के नौ स्‍वरूपों की पूजा होती है। ऐसे में जो भक्‍त द‍िन में माता रानी का भजन-कीर्तन व ध्‍यान नहीं कर पाते हैं, वे भक्‍त रात में जागकर माता रानी की आराधना करते हैं। इसल‍िए नवरात्र में जागरण, भजन-कीर्तन करना शुभ माना जाता हैं।

द‍िन में भी मंदि‍रों में भजन-कीर्तन आद‍ि धूमधाम से होते हैं। मां भक्‍तों पर प्रसन्‍न होकर उन्‍हें आशीर्वाद देती हैं। आप श्रीमंदिर के माध्यम से माँ के भजन सुनते हुए ध्यान लगा सकते हैं। विशेषकर नवरात्रि के नौ दिनों तक भक्तजन माता की चौकी, कीर्तन, भजन, रात्रि जगराता आदि करके माँ की साधना में लीन हो जाते हैं।

तो भक्तों, इस लेख में आपने जाना कि माँ दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए सरल तरीके से सात्विक साधना कैसे करें। आपने यह भी जाना कि माँ के किन मंत्रों और पाठ के जाप से अपनी साधना को फलीभूत करें। आशा है आपको यह जानकारी पसंद आएगी। शारदीय नवरात्र से जुड़ी ऐसी ही और जानकारियों के लिए जुड़ें रहिये श्रीमंदिर से

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