नवरात्र में फलदायी

नवरात्र में फलदायी

कन्याओं की पूजा


जानें कैसे और कब करें कन्या पूजन

प्राचीन काल से ही आदिशक्ति माँ दुर्गा की महापूजा का पर्व नवरात्रि कन्या पूजन के साथ ही संपन्न होता है। कन्या पूजन को कुमारिका भोज के नाम से भी पुकारा जाता है, जिसमें नौ बाल-कन्याओं को माँ का स्वरूप मानकर पूजा जाता है और भोजन कराया जाता है। कन्या पूजन से जुड़ी महत्पूर्ण जानकारी के लिए इस वीडियो को अंत तक अवश्य पढ़ें।

नवरात्रि पर कन्या पूजन से करें मातारानी को प्रसन्न

इस बार महाअष्टमी तिथि 3 अक्टूबर 2022 और नवमी 4 अक्टूबर 2022 को है। कन्या पूजन नवरात्रि की अष्टमी और नवमी के दिन करना सबसे अधिक शुभ और फलकारी माना जाता है, किन्तु यदि आप अष्टमी और नवमी पर किसी कारणवश कन्या पूजन नहीं कर पा रहे हैं तो नवरात्रि के 9 दिनों के दौरान कन्या पूजन किसी भी दिन कर सकते हैं। हालाँकि कन्या पूजन को मां दुर्गा के नौ रूपों से जोड़कर देखा जाता है। अगर आपको नौ कन्याएं नहीं मिल रही हैं तो आप जितनी कन्याएं हैं उनका ही पूजन कर लें। बाकी कन्याओं के हिस्से का भोजन गाय को खिला दें।

कैसे करें कन्या पूजन:

कन्या पूजन के लिए सबसे पहले प्रातः काल स्नान करके मातारानी की पूजा-अर्चना करने के बाद भोजन तैयार कर लें। कन्याभोज में खीर, पूरी, देसी चने और हलवा आदि अवश्य शामिल करें। कन्याओं को बुलाकर शुद्ध जल से उनके पांव धोएं। इसके बाद सभी कन्याओं का रोली और अक्षत से तिलक करें। तिलक करने के बाद स्नेहपूर्वक उनको भोजन कराएं। नौ कन्याओं के साथ एक छोटे बालक को भी भोज कराने का प्रचलन है, जिसे कंजक कहा जाता है जिसे भैरव बाबा का स्वरूप माना जाता है।

इस बात का रखें ध्यान:

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कन्या पूजन के बाद कन्याओं को दक्षिणा देने का विशेष महत्व होता है। आप अपनी क्षमता के अनुसार कन्याओं को विदा करते समय अनाज, रुपया या वस्त्र आदि भेंट करें और उनके पैर छूकर आशीर्वाद प्राप्त करें। माना जाता है कि इन कन्याओं के रूप में माँ दुर्गा ही आपके घर आती हैं और उनके आर्शीवाद से घर-परिवार में सुख-समृद्धि का आगमन होता है एवं भक्तों पर माँ दुर्गा की अपार कृपा बरसती है।

कन्या पूजन का महत्व:

नौ दिनों तक हम नवरात्र में माँ के विभिन्न रूपों की पूजा की जाती हैं। बाल कन्याओं में भी मातारानी का ही वास होता हैं। इसलिये उनके प्रतीकात्मक रूप में नौ कन्याओं के पूजन तथा उन्हें भोजन खिलाने की परंपरा का निर्वहन किया जाता हैं। इस प्रकार भक्तजन मातारानी के प्रति अपनी श्रद्धा व आस्था को प्रकट करते हैं और माँ की असीम कृपा के अधिकारी बनते हैं।

तो भक्तों इस लेख में आपने कन्या पूजन का महत्व जाना। ऐसी ही अन्य अन्य जरूरी जानकारी के लिए श्रीमंदिर के साथ बनें रहें।

जय माता दी।

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